Technical Analysis
Technical Analysis और स्टॉक मार्केट
SHARE MARKET से होने वाले लाभों को देख कर,हमारा इसकी तरफ आकर्षित होना बिलकुल उचित है,
क्योकि हर कोई अपने बचत के पैसो का निवेश कर के ज्यादा से ज्यादा लाभ कमाना चाहता है,लेकिन इस बात को बिल्कुल भी IGNORE नहीं किया जा सकता कि SHARE MARKET जोखिम से भरा हुआ है,
शेयर बाजार कि सबसे बड़ी सच्चाई ये है कि – यहाँ हर कोई शेयर बाज़ार से लाभ कमाने के लिए ही ENTRY करता है, लेकिन सिर्फ 10% लोग ही शेयर बाजार से सही तरह से पैसे बना पाते है, और बाकी 90 % लोगो को LOSS होता है,
और यहाँ 90 % लोगो को LOSS होने का कारण है कि उन्हें ये पता नहीं होना कि –
- शेयर्स कब ख़रीदे,
- शेयर्स किस भाव में ख़रीदे
- शेयर्स कितना ख़रीदे
- शेयर्स कब बेचे
- शेयर्स किस भाव में बेचे
- शेयर्स कितना बेचे
- और LOSS की स्थिति में अपने LOSS को कैसे नियंत्रित करे,
इन सभी बातो का पता लगाने के लिए हमें टेक्निकल एनालिसिस को सिखने और समझने की जरुरत होती है,
शेयर बाजार का RISK और RISK पे नियंत्रण
वैसे तो पूरे शेयर बाजार में दो ही काम होता है, शेयर खरीदना और शेयर बेचना,अब यही सबसे मजेदार पार्ट भी है, और इस बाजार कि दूसरी सच्चाई और सबसे निराली बात ये है कि, किसी को भी ठीक ठीक नहीं पता कि, कोई शेयर्स कब खरीदना चाहिए, और कब बेचना चाहिए, यही इसका जोखिम पार्ट भी है,
बाजार में जोखिम इसी बात का है कि, किसी को भी ठीक ठीक नहीं पता कि कोई शेयर्स कब ख़रीदे, कितने भाव में ख़रीदे, और कब बेचे तथा कितने भाव में बेचे,
सारा जोखिम इसी बात का है,
क्योकि यहाँ कोई भी हमेशा 100 % सही नहीं हो सकता, और कोई भी ऐसा एक तरीका नहीं है जो सिख के हम ये कह सके कि हम शेयर बाजार के बारे में सब सिख चुके है, और हम शेयर बाजार में हमेशा फायदे में ही रहेंगे.
शेयर बाजार के जोखिम को नियंत्रित करने के उपाय –
हमने देखा कि शेयर बाजार में दो कम होते है – शेयर्स खरीदना और शेयर्स बेचना,
इन्ही दोनों से जुडी कुछ मुख्य बाते है, जैसे –
शेयर खरीदना – शेयर कब ख़रीदे? कितने मूल्य में ख़रीदे? शेयर कितना ख़रीदे ?
शेयर बेचना – शेयर कब बेचे ? शेयर कितने मूल्य में बेचे ? शेयर कितना बेचे ?
साथ ही साथ LOSS कि दशा में, पूंजी कि सुरक्षा कैसे करे?
इन सब के बारे में जानकारी रखने और उसे अमल में लाने से शेयर बाजार में मौजूद जोखिम को नियंत्रित किया जा सकता है,और अपने पूंजी कि रक्षा के साथ साथ सही तरह से लाभ कमाने कि अपेक्षा की जा सकती है,
जैसा कि हम पहले ही स्पस्ट कर चुके है कि, कोई भी इन्सान हमेशा ठीक ठीक नहीं बता सकता कि , कोई शेयर कब ख़रीदना चाहिए, कितने में खरीदना, कितने में बेचना, और कब और कितना बेचना चाहिए,
लेकिन इसके कुछ उपाय है, जिसके द्वारा हम , शेयर्स के बारे में इस बात को कि , हम कब, किस मूल्य पर, और कितना शेयर बेचना चाहिए, इस बारे में अपना एक बेहतर POINT OF VIEW को हम अमल में लाकर, शेयर बाजार के जोखिमों को नियंत्रित कर, LOSS को कम करके लाभ को बढाया जा सकता है,
और इन उपायों के नाम है – FUNDAMENTAL ANALYSIS और TECHNICAL ANALYSIS
आइये, अब बात करते है –
TECHNICAL ANALYSIS के बारे में
जब हम किसी कंपनी का शेयर सिर्फ इस आधार पर देखते है, कि उसके भाव कब कब बढ़ जाते है और कब कब कम हो जाते है, और इस बात पर जोर नहीं दिया जाता कि कंपनी और उसके लाभ कमाने कि क्षमता कितनी STRONG है, यानी जब सिर्फ शेयर के PAST PERFORMANCE को ध्यान में रखा जाता है तो इस तरह कि BUYING या SELLING को हम TECHNICAL ANALYSIS के आधार पर खरीदना और बेचना कहते है,
और इस तरह हम कह सकते है कि, FUNDAMENTAL ANALYSIS और TECHNICAL ANALYSIS आधार पर ही आप अच्छे तरीके से किसी शेयर के FUTURE PERFORMANCE का एक अनुमान बता सकते है,
इस सन्दर्भ में TECHNICAL ANALYSIS, शेयर्स के खरीदने का मूल्य, खरीदने का समय, कितना खरीदना और कब बेचना, कितना बेचना, कितने भाव में बेचना, स्टॉप लोस लगाना आदि के बारे में हमें बताता है,
और इसी लिए बड़े से बड़े INVESTOR भी FUNDAMENTAL ANALYSIS और TECHNICAL ANALYSIS कि मदद से मार्केट में हो रहे बदलाव और शेयर्स के सौदों के बारे में बताते है कि हमें कब खरीदना और बेचना चाहिए ताकि ज्यादा से ज्यादा हम लाभ कमा सके,
टेक्निकल एनालिसिस
1.1 संक्षिप्त विवरण पिछले मॉड्यूल में हमने स्टॉक मार्केट के बारे में ज़रूरी ज� ..
2. टेक्निकल एनालिसिस से परिचय
2.1 -संक्षिप्त विवरण पिछले अध्याय में हमने टेक्निकल एनालिसिस की परिभाषा को सम� ..
3. चार्ट के प्रकार
3.1 -संक्षिप्त विवरण अब हम जानते हैं कि बाजार के एक्शन को संक्षेप में देखने का स ..
4. कैंडलस्टिक को समझने की शुरुवात
4.1 इतिहास अपने को दोहराता है– सबसे बड़ी अवधारणा (Assumption) जैसे कि हम पहले भी बात क ..
5. सिंगल कैंडलस्टिक पैटर्न (भाग 1)
5.1 संक्षिप्त विवरण जैसा कि नाम से ही जाहिर है कि सिंगल कैंडलस्टिक पैटर्न एक क ..
6. सिंगल कैंडलस्टिक पैटर्न्स (भाग 2)
6.1- स्पिनिंग टॉप (The Spinning Top) स्पिनिंग टॉप एक बहुत ही रोचक कैंडलस्टिक है। यह मारूबो ..
7. सिंगल कैंडलस्टिक पैटर्न्स ( भाग 3)
7.1- पेपर अम्ब्रेला (Paper Umbrella) पेपर अंब्रेला एक ऐसा सिंगल कैंडलस्टिक पैटर्न है जो � ..
8. मल्टीपल कैंडलस्टिक पैटर्न (भाग 1)
8.1 – एनगल्फिंग पैटर्न (The Engulfing Pattern) सिंगल कैंडलस्टिक पैटर्न में एक ट्रेडर को केवल ..
9. मल्टीपल कैंडलस्टिक पैटर्न (भाग 2)
9.1 – हरामी पैटर्न (The Harami Pattern) इससे पहले कि आप कुछ और सोचें हम बता देते हैं, ‘हरा� ..
10. मल्टीपल कैंडलस्टिक पैटर्न (भाग 3)
अंतिम दो कैंडलस्टिक पैटर्न जिनका हम अध्ययन करेंगे वो हैं – मॉर्निंग स्टार ..
11. सपोर्ट और रेजिस्टेंस
कैंडलस्टिक पैटर्न के बारे में समझते हुए, हमने एंट्री (Entry) और स्टॉपलॉस (Stoploss) प्व� ..
12. वॉल्यूम
वॉल्यूम टेक्निकल एनालिसिस में बहुत जरूरी भूमिका निभाता है क्योंकि यह हमें � ..
13. मूविंग एवरेज
हम सब ने स्कूल में औसत के बारे में सीखा है, मूविंग एवरेज उसी का एक विस्तार है। � ..
14. इंडिकेटर्स -भाग 1
यदि आप किसी ट्रेडर के ट्रेडिंग टर्मिनल पर स्टॉक चार्ट को देखते हैं, तो आपको च� ..
15. इंडिकेटर्स -भाग 2
15.1 मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस एंड डाइवर्जेंस (Moving Average Convergence and Divergence – MACD) सत्तर के दश ..
16. फिबोनाची रीट्रेसमेंट्स
फिबोनाची रीट्रेसमेंट्स काफी रोचक विषय है। फिबोनाची रीट्रेसमेंट्स की अवधा� ..
17. डॉउ थ्योरी – भाग 1
टेक्निकल एनालिसिस का एक बहुत अभिन्न अंग है – डॉउ थ्योरी । कैंडलस्टिक्स के � ..
18. डॉउ थ्योरी – भाग 2
18.1- ट्रेडिंग रेंज (Trading Range) डबल और ट्रिपल फॉर्मेशन के बाद अगला मुद्दा रेंज वाला ब� ..
19. शुरू करने से पहले कुछ ज़रूरी जानकारी
19.1 – चार्टिंग सॉफ्टवेयर (The charting Software) पिछले 18 अध्यायों में हमने टेक्निकल एनालिस ..
20. कुछ ज़रूरी नोट्स – 1
ऐवरज डायरेक्शनल इंडेक्स (Average Directional Index- ADX) ऐवरज डायरेक्शनल इंडेक्स, डायरेक्शनल म ..
21. ट्रेडिंगव्यू के उपयोगी फीचर
यदि आप अब तक टेक्निकल एनालिसिस की अवधारणाएं नहीं जानते हैं, तो हम बता दें कि अब ट्रेडिंगव्यू (TV) जेरोधा काइट पर ..
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तकनीकी विश्लेषण और इसके लाभों के बारे में जानें
हिंदी
चाहे आप ट्रेडिंग के लिए नए हैं या कुछ समय से ट्रेडिंग कर रहे हैं, तो निश्चित रूप से आपका परिचय ‘तकनीकी विश्लेषण’ शब्द से हुआ होगा। जब आप किसी भी परिसंपत्ति वर्ग या बाजार में निवेश कर रहे होते हैं, तो ट्रेड को समझने के लिए आपको आसान जानकारी की आवश्यकता होगी। आपको दो प्रकार के विश्लेषणों की आवश्यकता होगी: मौलिक और तकनीकी विश्लेषण।
जबकि मौलिक विश्लेषण में बैलेंस शीट को देखना, उद्योग और कंपनी की पुस्तकों का अध्ययन करने के रूप में सूक्ष्म कारकों की समझ शामिल है, उदाहरण के लिए, तकनीकी विश्लेषण पूरी तरह से चार्ट, पैटर्न, और सांख्यिकीय उपकरण है कि मदद एक ट्रेडर बाजार की प्रवृत्ति को समझने के बारे में है। यह एक ट्रेडर चार्ट, लाइनों, और पैटर्न की मदद से एक निश्चित स्टॉक का आकलन करने में मदद करता है। यह चार्ट पर विशिष्ट परिसंपत्ति के इतिहास के आधार पर मूल्य के उतार-चढ़ाव को देखने में मदद करता है। भविष्यवाणियों के लिए, अतीत में परिसंपत्ति की कीमत और मात्रा का ध्यान रखा जाता है।
तकनीकी विश्लेषण का प्रयोग शेयर बाजार, डेरिवेटिव, करेंसी, और कमोडिटी ट्रेडिंग में भी किया जाता है। प्रश्न में संपत्ति एक स्टॉक, सोना, मुद्रा जोड़े, वायदा, और इतने पर हो सकती है। इसलिए, शेयर बाजारों में, जहां तकनीकी विश्लेषण आपको स्टॉक की कीमतों और बाजार की प्रवृत्ति के उतार-चढ़ाव की पहचान करने में मदद करता है, वहीं यह कमोडिटी के लिए भी यही कार्य करता है। उदाहरण के लिए, गोल्ड ट्रेडिंग को ले लेते हैं। सोने टेक्निकल एनालिसिस की अवधारणाएं की कीमतें न केवल आपूर्ति और मांग के आधार पर बल्कि सरकारी नीतियों, केंद्रीय बैंकों की कार्रवाई, अन्य लोगों के बीच मुद्रा-संबंधी परिवर्तनों जैसे अन्य कारकों के आधार पर दैनिक रूप से उतार-चढ़ाव करती हैं।इसके कारण यह उचित हो जाता है कि गोल्ड ट्रेडिंग के किसी भी निर्णय को तकनीकी विश्लेषण के आधार लिया जाए।
सोने के तकनीकी विश्लेषण का उपयोग करके इस पीले धातु की ट्रेडिंग का अर्थ है सोने की कीमत चार्ट को देखना और उन उपकरणों का उपयोग करना जो आपको और संभावित भावी उतार-चढ़ावों के बारे में बताएं।
चाहे आप जिस भी प्रतिभूति की ट्रेडिंग कर रहे हों, कुछ उपकरण हैं जो काम के होते हैं। उनमें शामिल टेक्निकल एनालिसिस की अवधारणाएं हैं:
चार्ट पैटर्न:
चार्ट पैटर्न का प्रयोग व्यापक रूप से तकनीकी विश्लेषण में किया जाता है; ये कई आकृतियों का निर्माण करते हैं जो कि रिवर्सल और ब्रेकआउट की भविष्यवाणी करने में मदद करते हैं। मात्रा और कीमत दो कारक हैं जिनका विश्लेषण किया जाता है। आप लाइन, बार चार्ट, या कैंडलस्टिक आकृतियों का उपयोग कर सकते हैं। कैंडलस्टिक चार्ट मोमबत्तियों की एक श्रृंखला बनाते हैं जो करेंसी या प्रतिभूतियों की कीमत में उतार-चढ़ाव समझने में मदद करते हैं। प्रतिभूतियों का विश्लेषण करने के लिए कई प्रकार के कैंडलस्टिक चार्ट और पैटर्न हैं।
तकनीकी विश्लेषण में इस सूचक के कई संस्करण हैं। यह सुरक्षा की दिशा प्रवृत्ति की पहचान करने में टेक्निकल एनालिसिस की अवधारणाएं टेक्निकल एनालिसिस की अवधारणाएं मदद करता है।किसी ट्रेडर द्वारा चुनी गई विशिष्ट अवधि जैसे 10 दिन या 10 सप्ताह या कोई भी समय अवधि ली जाती है और इसे लगातार अपडेट किया जाता है ताकि ‘शोर( noise )’ के बाद उत्पन्न कोई प्रवृत्ति समाप्त की जा सके। एक समान समय सीमा के साथ एक विशिष्ट समय सीमा से कीमतों के औसत तुलना करके, आप एक प्रवृत्ति पर पहुंच सकते हैं।
इनकी गणना मूल्य और मात्रा डेटा के आधार पर की जाती है और परिसंपत्ति की गति और जारी रहने की संभावना का पता लगाने में आपकी सहायता करते हैं। गति सूचक का एक उदाहरण सापेक्ष शक्ति सूचकांक या आरएसआई होगा, जो हाल ही में मूल्य परिवर्तन की मात्रा को मापता है। यह उस परिवर्तन और गति की मात्रा को मापने में मदद करता है जिस पर मूल्य का उतार-चढ़ाव बदल गया है। आरएसआई सबसे लोकप्रिय गोल्ड तकनीकी विश्लेषण संकेतकों में से एक है और साथ ही एक बुलिश और बियरिश गोल्ड प्रवृत्ति को भी इंगित करती है।
तकनीकी विश्लेषण के क्या लाभ हैं?
प्रवृत्तियों का पता लगाना(Spotting trends):
यह बाजार की एक निश्चित प्रवृत्ति की भविष्यवाणी करने में टेक्निकल एनालिसिस की अवधारणाएं किसी ट्रेडर या निवेशक की मदद करता है। चार्ट अपट्रेंड, डाउनट्रेंड और साइडवेज उतार-चढ़ावों को खोजने में ट्रेडरों की मदद करते हैं। तो यदि बाजार की प्रवृत्ति बढ़ रही है(अपट्रेंड), तो आप खरीदने के अवसर का उपयोग कर सकते हैं। यदि बाजार की प्रवृत्ति नीचे है(डाउनट्रेंड), तो आप बेचने के अवसर का उपयोग कर सकते हैं।
विश्लेषण का यह रूप आपको गति की अवधारणा तथा यह समझने में मदद करता है कि प्रवृत्ति सकारात्मक है या नहीं। जब कोई निश्चित स्टॉक प्रतिरोध स्तर से ऊपर या सपोर्ट स्तर के नीचे पर्याप्त मात्रा और दृढ़ता से ब्रेक होता है, तो यह गति को इंगित करता है। सपोर्ट तब होता है टेक्निकल एनालिसिस की अवधारणाएं जब डाउनट्रेंड के रुकने की संभावना होती है क्योंकि मांग केंद्रित हो गई है। प्रतिरोध तब होता है जब बेचने में उच्च रुचि के कारण अपट्रेंड को रोकने की संभावना होती है। इसके अलावा जब अपट्रेंड टॉप और बॉटम का निर्माण कर रहे होते हैं वह उच्च होता है और टॉप और बॉटम का निर्माण करने वाले डॉउनट्रेंड निम्न होते हैं, यह गति की पुष्टि करता है। एक ट्रेडर के रूप में गति आपके लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आपको इसके पक्ष में रहने की अनुमति देती है।
समय निर्धारित करना:
आपकी प्रवेश करने या बाहर निकलने का समय किसी भी प्रकार के ट्रेडिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विश्लेषण का यह रूप आपको ट्रेडिंग में प्रवेश करने या बाहर निकलने के लिए उचित समय की भविष्यवाणी करने में मदद करता है।उदाहरण के लिए,यह कैंडलस्टिक्स या गतिमान औसत से सक्षम है।
बुनियादी सिद्धांत जिन पर तकनीकी विश्लेषण टिका हुआ है
तकनीकी विश्लेषण आपको चार्ट और मूल्य पर पूरी तरह ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है, जो किसी भी प्रकार के निवेश के केंद्र में होता है। इसके मूल में, विश्लेषण इस विश्वास पर निर्भर करता है कि मूल्य उन सभी जानकारियों को प्रतिबिंबित करता है जो एक निश्चित बाजार या संपत्ति को प्रभावित करती है। यह वही आधार है जो विश्लेषकों को यह समझने की ओर ले जाता है कि निवेशक जानकारी को कैसे समझते हैं या व्यवहार करते हैं।
विश्लेषण जिन स्तभों पर टिका है उनमें से एक यह कि इतिहास खुद को दोहराता है। विश्लेषकों का मानना है कि मूल्य आंदोलन चक्रीय हैं और पिछले मूल्य आंदोलनों को देखते हुए भविष्य के फैसले को बेहतर बनाने में मदद मिलती है। यही वह सिद्धांत है जो कि उन पैटर्न का चार्ट बनाने में नेतृत्व करता जो ट्रैक करते हैं कि एक समय सीमा पर बाजार ने कैसे व्यवहार किया है या कीमतें कैसे बदल रही हैं।
एक ट्रेडर के रूप में, आपको निर्णय लेने के लिए मौलिक और तकनीकी विश्लेषण के संयोजन की आवश्यकता होगी। जबकि मौलिक विश्लेषण अर्थव्यवस्था, उद्योग, अन्य बातों के बीच आय रिपोर्ट का अध्ययन करके स्टॉक या संपत्ति के आंतरिक मूल्य का आकलन करता है, तकनीकी विश्लेषण प्रवृत्तियों और पैटर्न की पहचान करने से संबंधित है जो आपको यह समझने में मदद करता है कि भविष्य में स्टॉक कैसे प्रदर्शन कर सकता है। तकनीकी विश्लेषकों कीमत कारक के सब कुछ के रूप में एक प्रतिभूति के आंतरिक मूल्य को मापने के बारे में खुद की चिंता नहीं करते।
भले ही आप गोल्ड, स्टॉक या फॉरेक्स ट्रेडिंग में रुचि रखते हों, आपको मौलिक और तकनीकी विश्लेषण के बीच अंतर जानने की आवश्यकता होगी। गोल्ड के लिए, आपको सोने के तकनीकी विश्लेषण उपकरण और रणनीतियों की समझ प्राप्त करने की आवश्यकता होगी। दूसरों के लिए भी, आपको शामिल उपकरणों और संकेतकों की समझ प्राप्त करने की आवश्यकता होगी। आप एक डीमैट और ट्रेडिंग खाता खोलकर शुरूआत कर सकते हैं और अनुसंधान रिपोर्ट और वास्तविक समय डेटा तक पहुंच प्राप्त कर सकते हैं जो आपको सूचित निर्णय लेने में मदद करता है।
टेक्निकल एनालिसिस से परिचय
2.1 -संक्षिप्त विवरण
पिछले अध्याय में हमने टेक्निकल एनालिसिस की परिभाषा को समझा। इस अध्याय में हम इसकी अवधारणाओं और इसके कुछ टेक्निकल एनालिसिस की अवधारणाएं उपयोगिताओं को जानेंगे।
2.2- अलग अलग परिसंपत्ति यानी एसेट (Asset) में उपयोग
टेक्निकल एनालिसिस की सब से खास उपयोगिता यह है कि किसी भी तरीके के एसेट क्लास में इसका उपयोग किया जा सकता है। शर्त सिर्फ एक है कि उस एसेट क्लास का पुराना ऐतिहासिक डाटा उपलब्ध हो। ऐतिहासिक डाटा का मतलब है कि उस ऐसेट का ओपन , हाई , लो , क्लोज ( OHLC) और वॉल्यूम का डाटा मौजूद हो।
इसे एक उदाहरण से समझने की कोशिश करते हैं। अगर आपने एक बार कार चलाना सीख लिया तो आप किसी भी तरीके की कार चला सकते हैं। इसी तरह से अगर आपने एक बार टेक्निकल एनालिसिस सीख लिया तो आप इसका इस्तेमाल टेक्निकल एनालिसिस की अवधारणाएं शेयर ट्रेडिंग , कमोडिटी ट्रेडिंग , विदेशी मुद्रा ट्रेडिंग , फिक्स्ड इनकम प्रॉडक्ट , कहीं भी कर सकते हैं।
किसी भी दूसरे तरीके की तकनीक के मुकाबले टेक्निकल एनालिसिस का यह सबसे बड़ा फायदा है। उदाहरण के तौर पर फंडामेंटल एनालिसिस में आपको हर शेयर का घाटा मुनाफा , बैलेंस शीट , कैश फ्लो जैसी तमाम चीजें देखनी पड़ती है जबकि कमोडिटी के एनालिसिस में इनमें से बहुत सारी चीजें काम नहीं आती। आपको नए तरीके का डाटा इस्तेमाल करना पड़ता है।
अगर आप खेती से जुड़ी कमोडिटी जैसे कॉफी या काली मिर्च की फंडामेंटल एनालिसिस करना चाहते हैं , तो आपको मॉनसून , उपज या पैदावार , मांग , आपूर्ति , रखा हुआ माल जैसी तमाम चीजों के बारे में जानकारी जुटानी होगी। इसी तरीके से अगर धातु या मेटल के बारे में या एनर्जी से जुड़े कमोडिटी जैसे कच्चा तेल की फंडामेंटल एनालिसिस करना है , तो आपको अलग तरह का डाटा चाहिए होगा।
लेकिन हर एसेट क्लास की टेक्निकल एनालिसिस एक ही तरीके से ही की जा सकती है। उदाहरण के तौर पर मूविंग एवरेज कन्वर्स डायवर्जेंस ( MACD- moving average convergence divergence) या रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स ( RSI-Relative Strength Index) को किसी भी ऐसेट क्लास जैसे इक्विटी टेक्निकल एनालिसिस की अवधारणाएं कमोडिटी या करेंसी में इस्तेमाल किया जा सकता है।
2.3- टेक्निकल एनालिसिस की अवधारणाएं
टेक्निकल एनालिसिस इस बात पर ध्यान नहीं देती कि कोई शेयर अंडरवैल्यूड यानी अपनी वास्तविक कीमत से सस्ता है या ओवरवैल्यूड यानी अपनी वास्तविक कीमत से महंगा है। टेक्निकल एनालिसिस में सिर्फ एक चीज का महत्व है – और वह है शेयर का पुराना ट्रेडिंग डाटा और यह डाटा आगे आने वाले समय के बारे में क्या संकेत दे सकता है।
टेक्निकल एनालिसिस कुछ मूलभूत अवधारणाओं पर आधारित होती है , जिनके बारे में जानना जरूरी है :
- बाजार हर जरूरी चीज को कीमत में शामिल कर लेता है (Markets discount everything)- ये अवधारणा हमें बताती है कि टेक्निकल एनालिसिस की अवधारणाएं किसी शेयर से जुड़ी हर सूचना या जानकारी उस शेयर की बाजार कीमत में शामिल हो जाती है। उदाहरण के तौर पर कोई व्यक्ति अगर किसी शेयर को चुपचाप बाजार से खरीद रहा है क्योंकि शायद उसे पता है कि कंपनी का अगला तिमाही नतीजा अच्छा आने वाला है तब शेयर से मुनाफा होगा। वह व्यक्ति भले ही ये छुपा कर कर रहा हो लेकिन शेयर की कीमतों में इसका असर दिखने लगता है। एक अच्छा टेक्निकल एनालिस्ट शेयर के चार्ट पर इसको पहचान लेता है और वह इस शेयर को खरीदने के लिए उपयुक्त मानता है।
- “क्यों” से ज्यादा जरूरी है “क्या”– यह अवधारणा पहली अवधारणा से ही मिली हुई है। हमारे पिछले उदाहरण में ही अगर देखें तो एक अच्छा टेक्निकल एनालिस्ट यह नहीं जानना चाहेगा कि उस व्यक्ति ने यह शेयर क्यों खरीदा? टेक्निकल एनालिस्ट का पूरा ध्यान इस बात पर होगा कि उस व्यक्ति के छुपा कर की गई खरीदारी से शेयर की कीमतों पर क्या असर हो रहा है और आगे क्या होगा?
- कीमत में एक चलन दिखता है (Price moves in trend)– टेक्निकल एनालिसिस के मुताबिक कीमत में हर बदलाव एक खास ट्रेंड या चलन को बताता है। उदाहरण के तौर पर- निफ़्टी का 6400 से बढ़कर 7700 तक पहुंचना- एक दिन में नहीं हुआ। यह चलन 11 महीने पहले शुरू हुआ था। इसी से जुड़ी हुई एक दूसरी अवधारणा यह है कि जब एक तरफ की चाल शुरू होती है तो शेयर की कीमत भी उसी दिशा में बढ़ती जाती हैं , कभी उपर की तरफ तो कभी नीचे की तरफ।
- इतिहास अपने को दोहराता है– टेक्निकल एनालिसिस के मुताबिक कीमत का चलन अपने आप को दोहराता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बाजार के भागीदार एक तरीके की घटना पर हर बार एक ही तरीके की प्रतिक्रिया देते हैं। इसीलिए शेयर की कीमत एक ही तरीके से चलती हैं। उदाहरण के तौर पर ऊपर जा रहे बाजार में बाजार का हर खिलाड़ी किसी भी कीमत पर शेयर खरीदना चाहता है भले ही वह शेयर कितना भी महंगा हो। इसी तरीके से गिरते हुए बाजार में वह किसी भी कीमत पर बेचना चाहते हैं भले ही शेयर की कीमत अपनी वास्तविक कीमत से बहुत सस्ती हो। इंसान की इसी आदत की वजह से इतिहास अपने को दोहराता है।
2.4- बाजार पर नजर रखने का तरीका (The Trade Summary)
भारतीय शेयर बाजार सुबह 9:15 से 3:30 बजे तक खुले रहते हैं। इन 6 .15 घंटों में लाखों ट्रेड होते हैं। किसी एक शेयर में भी हर मिनट कोई ना कोई सौदा हो रहा होता है। सवाल यह उठता है कि बाजार के भागीदार के तौर पर क्या हमें हर सौदे पर नजर रखनी चाहिए?
इसपर गहराई से नजर डालने के लिए हम एक काल्पनिक शेयर की बात करते हैं। नीचे के चित्र पर नजर डालिए , हर बिंदु एक ट्रेड को दिखलाता है। अगर हम हर सेकंड होने वाले वाले हर सौदे को इस ग्राफ पर दिखाएंगे तो इस ग्राफ में कुछ भी नहीं दिखेगा। इसलिए यहां केवल कुछ महत्वपूर्ण बिंदु ही दिखाए जा रहे हैं।
Daily Trade Pattern: दैनिक ट्रेड पैटर्न
बाजार सुबह 9 :15 बजे खुला और शाम के 3:30 बजे बंद हुआ। बाजार का रूख समझने के लिए , इस दौरान जितने भी ट्रेड हुए उन सब को देखने के बजाय उनका एक संक्षिप्त विवरण देख लेना ही काफी होगा।
अगर हम बाजार में ओपन यानी खुलने की कीमत , हाई यानी सबसे ऊंची कीमत , लो यानी सबसे नीची कीमत और क्लोज यानी अंतिम कीमत को देखें तो हमें बाजार का एक मोटा-मोटी सार मिल जाएगा।
ओपन कीमत यानी खुलने के समय की कीमत : जब बाजार खुलता है तो उस समय होने वाले पहले ट्रेड या सौदे की कीमत ओपन कीमत होती है।
हाई यानी सबसे ऊँची कीमत: उस दिन जिस की सबसे ऊँची कीमत जिस पर कोई सौदा हुआ।
सबसे नीची कीमत यानी लो : दिन की वो सबसे नीची कीमत जिस पर सौदा हुआ।
बंद के समय कीमत यानी क्लोज: दिन के आखिरी सौदे में जो कीमत रही। ये कीमत टेक्निकल एनालिसिस की अवधारणाएं काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि इससे पता चलता है कि दिन में शेयर कितना मजबूत रहा। अगर बंद कीमत ऊपर है खुलने वाली कीमत से तो तेजी का दिन माना जाता है। इसी तरह अगर बंद के समय की कीमत अगर खुलने के समय की कीमत से नीचे रहे तो उसे मंदी का दिन माना जाता है।
क्लोज या बंद कीमत को अगले दिन के लिए संकेत के तौर पर भी देखा जाता है और इससे बाजार का मूड आंका जाता है। इसीलिए OHLC में C यानी क्लोज (Close) सबसे महत्वपूर्ण होता है।
टेक्निकल एनालिसिस में इन चारों कीमतों को देखा जाता है। इनको एक चार्ट पर डाल कर एनालिसिस की जाती है।
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