AUTO ROBOT TRADING IN HINDI | ऑटो रोबोट ट्रेडिंग हिंदी में!
शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने वाले ट्रेडर्स में से कुछ ट्रेडर अपने कौशल पर निर्भर रहते हैं और कुछ अच्छे रिटर्न के लिए दूसरों पर निर्भर होते हैं। लेकिन इनमे बहुत कम लोगों को सफलता मिली है और ज्यादातर लोग अभी भी सफलता की उम्मीद कर रहे हैं। यह केवल इसलिए है क्योकि ट्रेडर टेक्नोलॉजी के बारे में पूरी तरह जागरुक नहीं है। इस लेख में हम आपको कुछ शक्तिशाली सॉफ्टवेयर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने ट्रेडिंग का इतिहास बदल दिया है और यह धीरे- धीरे ट्रेडर्स के बीच बहुत तेजी से प्रसिद्ध हो रहे है। आप सभी जानते हैं कि आजकल टेक्नोलॉजी ने हर क्षेत्र में अपने पैर जमा लिया है, और हर क्षेत्र में टेक्नोलॉजी हमे बहुत तेजी से सफलता प्रॉफिट फॉलो के साथ ऑटोमेटिक ट्रेडिंग की तरफ ले जा रहा है । टेक्नोलॉजी ने ट्रेडर्स के लिए ट्रेडिंग को बहुत आसान और लाभदायक बना दिया हैं।
लेकिन इससे पहले हमें यह जानना होगा कि ट्रेडिंग करने के कितने तरीके हैं। शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने के दो तरीके हैं।
मैन्युअल ट्रेडिंग में, ट्रेडर को सिर्फ अपनी कौशल के साथ ट्रेडिंग करनी पड़ती है। उनमे से कुछ ट्रेडर सलाहकार सेवा पर निर्भर होकर रह जाते है और कुछ ब्रोकर हाउस द्वारा टिप्स लेकर ट्रेड करते हैं । यह ही नहीं ट्रेडर्स को Price movements को समझने के लिए बहुत अधिक समय देना पड़ता है और पूरा विश्लेषण करना पड़ता है, उसके बाद ही वो ट्रेड कर पाते है और फिर भी यह बहुत लाभदायक साबित नहीं होता। लेकिन अगर ट्रेडिंग रोबोट सिस्टमद्वारा की जाती है, तो ट्रेडिंग बहुत Pure, perfect and error free हो सकती है। ऑटो रोबोट ट्रेडिंग या एल्गो ट्रेडिंग एक ऐसी तकनीक है जिसमे हम सॉफ्टवेयर के द्वारा शेयरों को खरीदते और बेचते हैं और हमारे सॉफ्टवेयर हमारी Strategy के हिसाब से सही वक्त पर शेयरों प्रॉफिट फॉलो के साथ ऑटोमेटिक ट्रेडिंग को खरीदते और बेचते हैं और इन सॉफ्टवेयर को विकसित करने और लाइव मार्केट पर परीक्षण करने के बाद ही बाजार मे उतारा गया है। रोबोट लाभ होने की सम्भावना को बढ़ा देता हैं क्योकि ऑटो ट्रेडिंग में सभी प्रक्रियाएं खुद ब खुद (औटोमैटिक) काम करती है और हमारी भावनाएं हमारे ट्रेडिंग करने के बीच नहीं आती हैं। कई बार मैन्युअल ट्रेडिंग करते समय, ट्रेडर्स को पता चलता है कि बाज़ार में उनके शेयरों या कमोडिटी की स्थिति नुकसान की तरफ ले जा रही है तब भी ट्रेडर अपनी भावनाओं की वजह से उस स्थिति (पॉज़िशन) को ख़त्म नहीं करते और नुकसान बढ़ जाता है। यदि बाजार में हमारी स्थिति ख़राब है और हमें पता चल जाता है कि हमारी ट्रेड दोबारा फायदे की स्थिति में नहीं आएगी, तो हमें जल्दी से बाहर निकलना चाहिए। लेकिन, भावनाओं के कारण हम ऐसा नहीं कर पाते और हम उस शर्त (कन्डिशन ) में ज्यादा नुकसान कर लेते हैं। और यही कारण है कि कई ट्रेडर ट्रेडिंग न करने का फैसला ले लेते है । इसके बाद, यह न केवल पैसे का नुकसान होगा, बल्कि ट्रेडर अपना आत्मविश्वास भी ढीला कर लेता है और ट्रेडर शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने वालो के आलोचकों के समूह में शामिल हो जाता है।
भारत में, अधिकांश लोग मैन्युअल ट्रेडिंग कर रहे हैं क्योंकि वे ऑटो रोबोट ट्रेडिंग के बारे में नहीं जानते हैं। उनके पास अच्छा ज्ञान है लेकिन फिर भी वे सफल नहीं हैं, क्योंकि वे सफलता से एक कदम दूर हैं, जो उन्हें रोबोट सिस्टम का उपयोग करके उसे पा सकते है।
ऑटो रोबोट ट्रेडिंग सिस्टम कुछ फास्ट कंप्यूटर सॉफ़्टवेयर का एक समूह होता है, जिसमें ऑर्डर अपने आप उत्पन्न होते हैं और ट्रेडिंग टर्मिनल पर स्वतः सबमिट हो जाते है। रोबोटिक ट्रेडिंग कई सारे फायदे देता है। जैसे की अच्छी ऐक्युरेसी, एक बार में कई स्क्रिप्ट पर ध्यान दे पाना, अच्छा रिटर्न, समय की बचत और रीयल टाइम ट्रेडिंग।
ऑटो ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी और रोबोट का मेल होता है ऑटो ट्रेडिंग ट्रेडर्स को प्रवेश और बाहर निकलने के लिए नियम बनाने की अनुमति देता है और कंप्यूटर नियमों के अनुसार स्वचालित रूप से पूरा ट्रेड करता है। स्ट्रेटेजी सरल शर्तों पे भी आधारित हो सकती है जैसे कि मूविंग एवरेज या यह कुछ जटिल नियम पर आधारित हो सकती है। यही नहीं, ट्रेडर अपनी स्ट्रेटेजी को भी रोबोट में जोड़ सकता है।
हर व्यवसायी को सफलता हासिल करने के लिए अपने व्यापार के जरूरी सफलता कारकों को पहले से ही खोज लेना चाहिए, क्योंकि सफलता का मंत्र ही यह तय करता है कि व्यापार कितनी सफलता पायेगा। इसी तरह से ट्रेडिंग करते वक्त नई तकनीक ही ट्रेडिंग का जरूरी सफलता कारक होता है, जिसको हम ऑटो रोबोट ट्रेडिंग के नाम से जानते है। यदि ट्रेडर खुद को रोबोट ट्रेडिंग सिस्टम के साथ जोड़ लेगा, तो वह सब कुछ बड़े स्तर पर कर पायेगा, क्योंकि रोबोट ट्रेडिंग करते वक्त उनको ट्रेडिंग करने में पूरा वक्त नहीं देना होगा, बल्कि उसको प्रॉफिट फॉलो के साथ ऑटोमेटिक ट्रेडिंग कुछ मिनट अपनी आवश्यकता रोबोट में जमा करने को देने होंगे, उसके बाद रोबोट अपने आप हर प्रक्रिया को खुद ब खुद पूर्ण करेगा।
लोगों को गलत समझ है कि नई तकनीक को उपयोग करना कठिन है। परंतु ऐसा नहीं है, तकनीक को समझने के लिए बस कुछ मिनट देने होते है और फिर जिंदगी भर वो हमे सफलता की तरफ तेजी से ले जाने का काम करती है।
वास्तव में, रोबोट को समझना और उपयोग करना बहुत आसान है। ट्रेडर को केवल एक बार रोबोट ट्रेडिंग शुरू करना होगा और कुछ दिनों में वह इन सॉफ्टवेयर पर महारत हासिल कर लेंगे।
अगर आप ऑटो रोबोट ट्रेडिंग सिस्टम के बारे में विस्तार में जानना चाहते है तो कृप्या 9350222220, 9555455557 पर मिस कॉल दे।
और आप हमारे वेबसाइट पर भी जा सकते है www.mcxsuregain.com
आप हमारे व्हाट्सएप्प (Whatsapp) नंबर 9350222220, 9555455557 पर हमसे बात करके भी अपनी queries पूछ सकते है।
शेयर मार्केट ट्रेडिंग टिप्स देने वाला ऑटो ड्राइवर, ‘5 मिनट में निकल जाने का. ' पढ़िए मजेदार बातचीत
ऑटो ड्राइवर ऑप्शन ट्रेडिंग और इसमें इस्तेमाल होने वाले बहुत सारे ट्रेडिंग टूल्स के बारे में भी बात करता है.
एक ट्विटर यूजर ने एक ऐसे ऑटो वाले की स्टोरी शेयर की है जो अपने यात्रियों को ट्रेडिंग टिप्स देता है. शेयर बाजार में बहुत . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : June 25, 2022, 18:08 IST
मुंबई . शेयर बाजार बहुत ज्यादा जोखिम भरा सेक्टर होता है लेकिन इसमें आने वाले बहुत सारे नए लोग इसके खतरों के बारे में नहीं जानते. वे नहीं जानते कि रिस्क कैसे मैनेज करते हैं. बहुत सारे नए लोग तो विभिन्न ट्रेडिंग टूल्स के बारे में भी नहीं जानते जो शेयर खरीदने या बेचने में इस्तेमाल होते हैं.
एक ट्विटर यूजर ने एक ऐसे ऑटो वाले की स्टोरी शेयर की है जो अपने यात्रियों को ट्रेडिंग टिप्स देता है. लाइव मिंट की एक स्टोरी में इसका जिक्र है. स्टेरी के मुताबिक, ऑटो ड्राइवर ऑप्शन ट्रेडिंग और इसमें इस्तेमाल होने वाले बहुत सारे ट्रेडिंग टूल्स के बारे में बात करता है. ट्वीटर यूजर @tony_gazillioni ने यह स्टोरी ट्विट की है.
कब खरीदें
ट्वीट में यूजर ने लिखा है कि – मेरे बैठने के कुछ देर बाद ऑटो ड्राइवर ने बात शुरू की. ट्रेडिंग पर बात करते हुए उसने अपनी ट्रेडिंग स्ट्रेटजी बताते हुए कहा – “ऑप्शन चार्ट पर… Pivots + ST. जब यह लेवल टूटे और सुपरट्रेंड सिग्नल दे तो आप एंट्री कीजिए. फिर 5 मिनट में निकल लीजिए…”
ट्विटर यूजर ने ऑटो ड्राइवर के साथ इस बातचीत के बारे में और डिटेल शेयर करते हुए लिखा कि ऑटो ड्राइवर ने कहा – “5 मिनट में निकल जाने का.. एकदम बड़े बडे लॉट डालो बिना डर के … चीन और रूस मिल के प्लान किया है ये. महंगाई नहीं होती तो मार्केट कहां गिरता …..”
ट्विटर यूजर ने लिखा कि मैने ऑटो ड्राइवर से कहा…. “मैं भी करता हूं ऑप्शन ट्रेडिंग…..“
इस पर ऑटो ड्राइवर ने पूछा…. “ऑप्शन बाई करते हो या सेल…..”
यूजर – “दोनों करते हैं….”
ऑटो ड्राइवर– “अरे नहीं करने का सेल…. 29 दिन पैसा बनता है एक दिन में सारा चला जाता है……”
ट्विटर यूजर ने लिखा मैं उसकी सुन के आश्चर्यचकित रह गया…. इस ट्वीट पर बहुत सारे मजेदार कमेंट आए और लोगों ने अपने अपने तरह से इस प्रतिक्रिया दी. एक यूजर ने लिखा-
“मैं 100 परसेंट श्योर हूं यह पहले ट्रेडर था और मार्केट ने उसे ऑटो ड्राइवर बना ….. लेकिन ट्रेडिंग एक लत है इसलिए वह अभी भी ट्रेडिंग कर रहा है…. बहुत जल्द ही वह ऑटो वाला से भिखारी बनेगा….”
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
जानिए क्या होती है स्विंग ट्रेडिंग? क्या हैं इसके फायदे
Swing Trading: बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद आपको स्टॉक या इंडेक्स की सही दिशा का पता लगवाने में मदद करना होता है.
- nupur praveen
- Publish Date - August 31, 2021 / 12:52 PM IST
म्युचुअल फंड निवेश के मामले में भले ही काफी लोगों को अट्रैक्टिव लगते हों, लेकिन पुरानी धारणाओं के कारण लोग उनसे दूर रहना पसंद करते हैं. अगर आपने भी शेयर बाजार में हाल ही में शुरुआत की है तो स्विंग ट्रेडिंग आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है. स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) उन ट्रेडिंग टेक्निक्स में से एक है, जिसमें ट्रेडर 24 घंटे से ज्यादा समय तक किसी पोजीशन को होल्ड कर सकता है. इसका उद्देश्य प्राइस ऑस्कीलेशन या स्विंग्स के जरिए निवेशकों को पैसे बनाकर देना होता है. डे और ट्रेंड ट्रेडिंग में स्विंग ट्रेडर्स कम समय में अच्छा प्रॉफिट बनाने के लिए स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) का विकल्प चुनता है. स्विंग ट्रेडिंग टेक्नीक में ट्रेडर अपनी पोजीशन एक दिन से लेकर कई हफ्तों तक रख सकता है.
यहां पर स्विंग ट्रेडिंग के जरिये एक ट्रेडर का लक्ष्य छोटे-छोटे प्रॉफिट के साथ लॉन्गर टाइम फ्रेम में एक बड़ा प्रॉफिट बनाने का होता है. जहां लॉन्ग टर्म निवेशकों को मामूली 25% लाभ कमाने के लिए पांच महीने तक इंतजार करना पड़ सकता है. वहीं स्विंग ट्रेडर हर हफ्ते 5% या इससे ज्यादा का भी प्रॉफिट बना सकते हैं बहुत ही आसानी से लॉन्ग टर्म निवेशकों को मात दे सकता है.
स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग में अंतर
शुरुआत के दिनों में नए निवेशकों को स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) और डे ट्रेडिंग एक ही लग सकते हैं, लेकिन जो स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग को एक दूसरे से अलग बनाता है वो होता है टाइम पीरियड. जहां एक डे ट्रेडर अपनी पोजीशन चंन्द मिनटो से ले कर कुछ घंटो तक रखता है वहीं एक स्विंग ट्रेडर अपनी पोजीशन 24 घंटे के ऊपर से ले कर कई हफ्तों तक होल्ड कर सकता है. ऐसे मे बड़े टाइम फ्रेम में वोलैटिलिटी भी कम हो जाती है और प्रॉफिट बनाने की सम्भावना भी काफी अधिक होती है जिसके कारण ज्यादातर लोग डे ट्रेडिंग की अपेक्षा स्विंग ट्रेडिंग करना पसंद करते हैं.
स्विंग ट्रेडिंग टेक्निकल इंडीकेटर्स पर निर्भर करती है. टेक्निकल इंडीकेटर्स का काम मार्किट में रिस्क फैक्टर को कम करना और बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद आपको स्टॉक या इंडेक्स की सही दिशा का पता लगवाने में मद्दत करना होता है. जब आप अपने निवेश को किसी विशेष ट्रेडिंग स्टाइल पर केंद्रित करते हैं तो यह आपको राहत भी देता है. और साथ ही साथ आपको मार्किट के रोज़ के उतार-चढ़ाव पर लगातार नजर रखने की भी जरुरत नही पड़ती है. आपको सिर्फ अपनी बनाई गई रणनीति को फॉलो करना होता है.
स्विंग ट्रेडिंग से जुड़े कुछ जरूरी टर्म्स
स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) में अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ शब्दों में एंट्री पोइंट, एग्जिट पॉइंट और स्टॉप लॉस शामिल हैं. जिस प्वाइंट पर ट्रेडर अलग अलग टेक्निकल इंडिकेटर की सहायता से खरीदारी करते है उसे एंट्री प्वाइंट कहा जाता है. जबकि जिस प्वाइंट पर ट्रेडर अपनी ट्रेड पोजीशन को स्क्वायर ऑफ करते हैं. उसे एग्जिट प्वाइंट के रूप में जाना जाता है. वही स्टॉप लॉस प्रॉफिट फॉलो के साथ ऑटोमेटिक ट्रेडिंग जिसे एक निवेशक के नुकसान को सीमित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. ऐसा प्वाइंट होता है जहाँ आप अपने रिस्क को सीमित कर देते है. उदाहरण के लिए जिस कीमत पर आपने स्टॉक खरीदा था. उसके 20% नीचे के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर सेट करना आपके नुकसान को 20% तक सीमित कर देता है.
कितने टाइप के होते है स्विंग ट्रेडिंग पैटर्न
स्विंग ट्रेडर्स अपनी निवेश रणनीति तैयार करने के लिए बोलिंगर बैंड, फिबोनाची रिट्रेसमेंट और मूविंग ऑसिलेटर्स जैसे ट्रेडिंग टूल्स का उपयोग करके अपने ट्रेड करने के तरीके बनाते हैं. स्विंग ट्रेडर्स उभरते बाजार के पैटर्न पर भी नजर रखते हैं जैसे
– हेड एंड शोल्डर पैटर्न
– फ्लैग पैटर्न
– कप एंड हैंडल पैटर्न
– ट्रेंगल पैटर्न
– मूविंग एवरेज का क्रॉसओवर पैटर्न
भारत में सबसे लोकप्रिय स्विंग ट्रेडिंग ब्रोकरों में एंजेल ब्रोकिंग, मोतीलाल ओसवाल, आईआईएफएल, ज़ेरोधा, अपस्टॉक्स और शेयरखान शामिल है.
Crypto Trading : कैसे करते हैं क्रिप्टोकरेंसी में निवेश और कैसे होती है इसकी ट्रेडिंग, समझिए
Crypto Trading : क्रिप्टोकरेंसी ट्रेड ब्लॉकचेन तकनीक पर काम करती है और निवेश को सुरक्षित रखने के लिए एन्क्रिप्शन कोड का इस्तेमाल करती है. आप अपने क्रिप्टो टोकन या तो सीधे बायर को बेच सकते हैं या फिर ज्यादा सुरक्षित रहते हुए एक्सचेंज पर ट्रेडिंग कर सकते हैं.
Cryptocurrency Trading : क्रिप्टोकरेंसी में निवेश को लेकर है बहुत से भ्रम. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) एन्क्रिप्शन के जरिए सुरक्षित रहने वाली एक डिजिटल करेंसी है. माइनिंग के जरिए नई करेंसी या टोकन जेनरेट किए जाते हैं. माइनिंग का मतलब उत्कृष्ट कंप्यूटरों पर जटिल गणितीय समीकरणों को हल करने से है. इस प्रक्रिया को माइनिंग कहते हैं और इसी तरह नए क्रिप्टो कॉइन जेनरेट होते हैं. लेकिन जो निवेशक होते हैं, वो पहले से मौजूद कॉइन्स में ही ट्रेडिंग कर सकते हैं. क्रिप्टो मार्केट में उतार-चढ़ाव का कोई हिसाब नहीं रहता है. मार्केट अचानक उठता है, अचानक गिरता है, इससे बहुत से लोग लखपति बन चुके हैं, लेकिन बहुतों ने अपना पैसा भी उतनी ही तेजी से डुबोया है.
यह भी पढ़ें
अगर आपको क्रिप्टो ट्रेडिंग को लेकर कुछ कंफ्यूजन है कि आखिर यह कैसे काम करता है, तो आप अकेले नहीं प्रॉफिट फॉलो के साथ ऑटोमेटिक ट्रेडिंग हैं. बहुत से लोग यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि वर्चुअल करेंसी में कैसे निवेश करें. हम इस एक्सप्लेनर में यही एक्सप्लेन करने की कोशिश कर रहे हैं कि आप क्रिप्टोकरेंसी में कैसे निवेश कर सकते हैं, और क्या आपको निवेश करना चाहिए.
क्रिप्टोकरेंसी क्या है?
क्रिप्टोकरेंसी क्या है, ये समझने के लिए समझिए कि यह क्या नहीं है. यह हमारा ट्रेडिशनल, सरकारी करेंसी नहीं है, लेकिन इसे लेकर स्वीकार्यता बढ़ रही है. ट्रेडिशनल करेंसी एक सेंट्रलाइज्ड डिस्टिब्यूशन यानी एक बिंदु से वितरित होने वाले सिस्टम पर काम करती है, लेकिन क्रिप्टोकरेंसी को डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नॉलजी, ब्लॉकचेन, के जरिए मेंटेन किया जाता है. इससे इस सिस्टम में काफी पारदर्शिता रहती है, लेकिन एन्क्रिप्शन के चलते एनॉनिमिटी रहती है यानी कि कुछ चीजें गुप्त रहती हैं. क्रिप्टो के समर्थकों का कहना है कि यह वर्चुअल करेंसी निवेशकों को यह ताकत देती है कि आपस में डील करें, न कि ट्रेडिशनल करेंसी की तरह नियमन संस्थाओं के तहत.
क्रिप्टो एक्सचेंज का एक वर्चुअल माध्यम है. इसे प्रॉडक्ट या सर्विस खरीदने के लिए इस्तेमाल में लिया जा सकता है. जो क्रिप्टो ट्रांजैक्शन होते हैं. उन्हें पब्लिक लेज़र यानी बहीखाते में रखा जाता है और क्रिप्टोग्राफी से सिक्योर किया जाता है.
क्रिप्टोकरेंसी की ट्रेडिंग कैसे होती है?
इसके लिए आपको पहले ये जानना होगा कि यह बनता कैसे है. क्रिप्टो जेनरेट करने की प्रक्रिया को माइनिंग कहते हैं. और ये काम बहुत ही उत्कृष्ट कंप्यूटर्स में जटिल क्रिप्टोग्राफिक इक्वेशन्स यानी समीकरणों को हल करके किया जाता है. इसके बदले में यूजर को रिवॉर्ड के रूप में कॉइन मिलती है. इसके बाद इसे उस कॉइन के एक्सचेंज पर बेचा जाता है.
कौन कर सकता है ट्रेडिंग?
ऐसे लोग जो कंप्यूटर या टेक सैवी नहीं हैं, वो कैसे क्रिप्टो निवेश की दुनिया में प्रवेश कर सकते हैं? ऐसा जरूरी नहीं है कि हर निवेशक क्रिप्टो माइनिंग करता है. अधिकतर निवेशक बाजार में पहले से मौजूद कॉइन्स या टोकन्स में ट्रेडिंग करते हैं. क्रिप्टो इन्वेस्टर बनने के लिए माइनर बनना जरूरी नहीं है. आप असली पैसों से एक्सचेंज पर मौजूद हजारों कॉइन्स और टोकन्स में से कोई भी खरीद सकते हैं. भारत में ऐसे बहुत सारे एक्सचेंज हैं तो कम फीस या कमीशन में ये सुविधा देते हैं. लेकिन यह जानना जरूरी है कि क्रिप्टो में निवेश जोखिम भरा है और मार्केट कभी-कभी जबरदस्त प्रॉफिट फॉलो के साथ ऑटोमेटिक ट्रेडिंग उतार-चढ़ाव देखता है. इसलिए फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स निवेशकों से एक ही बार में बाजार में पूरी तरह घुसने की बजाय रिस्क को झेलने की क्षमता रखने की सलाह देते हैं.
यह समझना भी जरूरी है प्रॉफिट फॉलो के साथ ऑटोमेटिक ट्रेडिंग कि सिक्योर इन्वेस्टमेंट, सेफ इन्वेस्टमेंट नहीं होता है. यानी कि आपका निवेश ब्लॉकचेन में तो सुरक्षित रहेगा लेकिन बाजार में उतार-चढ़ाव का असर इसपर होगा ही होगा, इसलिए निवेशकों को पैसा लगाने से पहले जरूरी रिसर्च करना चाहिए.
क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल क्या है?
यह डिजिटल कॉइन उसी तरह का निवेश है, जैसे हम सोने में निवेश करके इसे स्टोर करके रखते हैं. लेकिन अब कुछ कंपनियां भी अपने प्रॉडक्ट्स और सर्विसेज़ के लिए क्रिप्टो में पेमेंट को समर्थन दे रही हैं. वहीं, कुछ देश तो इसे कानूनी वैधता देने पर विचार कर रहे हैं.
Muhurat Trading: सेंसेक्स-निफ्टी में आया शानदार उछाल, निवेशक मालामाल
Diwali Muhurat Trading 2021: दिवाली के अवसर पर मुहूर्त ट्रेडिंग सेशन शाम 6:15 बजे से 7:15 बजे तक था। इस दौरान सेंसेक्स-निफ्टी में उछाल आया, जिससे निवेशकों को मुनाफा हुआ।
- दिवाली के साथ संवत 2078 (Samvat 2078) शुरू हो गया है।
- दिवाली के दिन शाम को एक घंटे के लिए शेयर बाजार खुलता है। इस दौरान कारोबारी शेयर ट्रेडिंग करते हैं।
- आज दिवाली के दिन शेयर बाजार बढ़त पर बंद हुआ। सभी सेक्टर्स हरे निशान पर बंद हुए।
Diwali Muhurat Trading 2021: शेयर बाजार (Stock Market) में दिवाली (Diwali) के दिन एक घंटे मुहूर्त ट्रेडिंग की परंपरा है। मुहूर्त ट्रेडिंग (Diwali Muhurat) एक खास ट्रेडिंग सेशन है, जो स्टॉक एक्सचेंजों में दिवाली के अवसर पर आयोजित होता है। ट्रेडिंग सेशन का समय शाम 6:15 बजे से 7:15 बजे तक था। इस दौरान बाजार की शुरुआत बढ़त पर हुई। अंत में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स 295.70 अंक (0.49 फीसदी) उछलकर 60067.62 पर बंद हुआ। निफ्टी में भी तेजी आई। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी 87.60 अंक (0.49 फीसदी) ऊपर 17,916.80 पर बंद हुआ।
शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 323.97 अंक यानी 0.54 फीसदी के उछाल के साथ 60095.89 पर था। वहीं निफ्टी 101.30 अंक (0.57 फीसदी) ऊपर 17930.50 पर कारोबार कर रहा था।
दिग्गज कंपनियों पर नजर
संवत 2078 के पहले दिन बीएसई पर एम एंड एम, आईटीसी, बजाज ऑटो, कोटक बैंक, एल एंड टी, सन फार्मा, नेस्ले इंडिया, इंडसइंड बैंक, टेक महिंद्रा, एचडीएफसी बैंक, टाइटन, पावर ग्रिड, एचसीएल टेक, रिलायंस, एसबीआई, हिंदुस्तान यूनिलीवर, एनटीपीसी, टीसीएस, इंफोसिस, बजाज फिनसर्व, मारुति, एक्सिस बैंक, भारती एयरटेल, बजाज फाइनेंस, एचडीएफसी प्रॉफिट फॉलो के साथ ऑटोमेटिक ट्रेडिंग और टाटा स्टील के शेयर हरे निशान पर बंद हुए। वहीं डॉक्टर रेड्डी, एशियन पेंट्स, अल्ट्राटेक सीमेंट और आईसीआईसीआई बैंक के शेयर लाल निशान पर बंद हुए।
प्री ओपन के दौरान सेंसेक्स में 500 से ज्यादा प्रॉफिट फॉलो के साथ ऑटोमेटिक ट्रेडिंग अंकों का उछाल
ब्लॉक डील सेशन शाम 5.45 बजे से 6 बजे तक हुआ। वहीं प्री-ओपनिंग सेशन शाम 6:00 बजे शुरू हुआ। प्री ओपन के दौरान सेंसेक्स 576.58 अंक (0.96 फीसदी) ऊपर 60348.50 पर पहुंच गया था। वहीं निफ्टी 122 अंक (0.68 फीसदी) उछलकर 17951.20 पर कारोबार कर रहा था।
बढ़त पर सभी सेक्टर्स
सेक्टर्स पर नजर डालें, तो मुहूर्त ट्रेडिंग के दौरान सभी सेक्टर्स हरे निशान पर बंद हुए। इनमें फार्मा, पीएसयू बैंक, प्राइवेट बैंक, रियल्टी, बैंक, ऑटो, फाइनेंस सर्विस, एफएमसीजी, मेटल, मीडिया और आईटी शामिल हैं।
12 वर्षों में भारतीय इक्विटी के लिए सबसे अच्छा था संवत 2077
संवत 2077, जो बुधवार को समाप्त हुआ, पिछले 12 वर्षों में भारतीय इक्विटी के लिए सबसे अच्छा था, बीएसई बेंचमार्क सेंसेक्स 38 फीसदी लाभ के साथ 59,772 अंक पर बंद हुआ। एनएसई बेंचमार्क निफ्टी 50 इंडेक्स साल के अंत में 17,829.20 पर बंद हुआ। संवत वर्ष 2077 के दौरान दलाल स्ट्रीट पर निवेशकों ने 99 लाख करोड़ रुपये कमाए। बीएसई के बाजार पूंजीकरण के लिहाज से निवेशकों की संपत्ति में यह बढ़त अब तक की सबसे अच्छी बढ़त थी।
जानें क्या है मुहूर्त ट्रेडिंग (What is Muhurat Trading)
शेयर बाजार में दिवाली के साथ ही नए साल की शुरुआत हो जाती है। इस बार दिवाली के साथ संवत 2078 (Samvat 2078) शुरू हो गया। दिवाली के दिन शेयर बाजार बंद होता है, लेकिन इस दिन एक खास मुहूर्त में बाजार खुलता है, जब शेयर बाजार के कारोबारी स्पेशल शेयर ट्रेडिंग करते हैं।
निवेशकों के लिए अहम है मुहूर्त ट्रेडिंग (Significance of Muhurat Trading)
यह निवेशकों के लिए बेहद अहम है। ऐसा इसलिए क्योंकि निवेशकों का मानना है कि मुहूर्त ट्रेडिंग करने से पूरे वर्ष उन्हें फायदा होता है। बीएसई में इसका साल साल 1957 और एनएसई में इसका चलन साल 1992 में शुरू हुआ था। कई लोग इस खास ट्रेडिंग सेशन में ही शेयर बाजार में अपना पहला निवेश करते हैं।
Times Now Navbharat पर पढ़ें Business News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 641