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एमएसीडी-एडीएक्स इंडिकेटर के साथ डे ट्रेडिंग करना सीखे|
परिचय
एमएसीडी (मूविंग एवरेज कन्वर्जेंस / डाइवर्जेंस इंडिकेटर) और एडीएक्स(एवरेज डायरेक्शनल इंडेक्स) दो सबसे बड़े तकनीकी संकेतक हैं। मुझे यकीन है कि आप में से अधिकांश ने कभी ना कभी उनका उपयोग किया होगा। उन्हें ठीक से एक साथ मिलाएं और आप एक बढ़िया ट्रेडिंग सिस्टम बना सकते हैं।पढ़ते रहें और नीचे दिए गए परिणामों से सीखें।
एमएसीडी
एमएसीडी दो एक्स्पोनेंशियल मूविंग एवरेजेस के एमएसीडी क्या है? अंतर का उपयोग ट्रेंड की दिशा और इसका मोमेंटम बताने के लिए करता है। एमएसीडी के ईएमए (सिग्नल लाइन)के साथ उपयोग करना हमें एक भरोसेमंद संकेतक देता है। आप इसके उपयोग और निर्माण के बारे में एमएसीडी का डे-ट्रेडिंग में उपयोग कैसे करें? से जान सकते हैं।
एडीएक्स
एडीएक्स इंडिकेटर का मुख्य उपयोग बिना दिशा के संदर्भ के ट्रेंड की शक्ति को मापना है। यदि इंडिकेटर 25 लाइन से ऊपर पहुंचता है तो ट्रेंड को मजबूत माना जाता है। इसके विपरीत, यदि इंडिकेटर 25 लाइन से नीचे है, तो ट्रेंड कमजोर है या मार्केट में ट्रेंड नहीं है। 30 से अधिक एडीएक्स इंडिकेटर मजबूत प्रवृत्ति को प्रदर्शित करता है - यह निश्चित रूप से ट्रेड में आने का सबसे अच्छा समय है।
इस साल महिला ही होगी दिल्ली की Mayor, जानिए महापौर चुनने के लिए क्या है नियम
Municipal Corporation of Delhi
शशिकांत सिंह
- नई दिल्ली,
- 07 दिसंबर 2022,
- (Updated 07 दिसंबर 2022, 10:02 PM IST)
पहले साल महिला के लिए मेयर पद आरक्षित
दिल्ली नगर निगम चुनाव के नतीजे आ एमएसीडी क्या है? गए हैं. नतीजों के बाद अब मेयर को लेकर जंग तेज हो गई है. हार के बाद भी बीजेपी ने अपना मेयर होने का दावा किया है तो आम आदमी पार्टी मेयर पद को लेकर आश्वस्त है. लेकिन अगर नियमों पर नजर डालें तो सिर्फ चुनाव में जीत से मेयर का पद तय नहीं होता है. मेयर बनाने का काम सिर्फ पार्षदों के हाथ में है. एमसीडी के कुछ नियम ऐसे हैं, जिसकी वजह से बीजेपी मेयर पद को लेकर उत्साहित है. चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में हार के बाद भी एमएसीडी क्या है? बीजेपी ने अपना मेयर बनाया है. इसलिए बीजेपी के दावे को लेकर हलचल तेज हो गई है.
AAP की जीत, मेयर पर बीजेपी का दावा-
एमसीडी चुनाव में आम आदमी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिला है. जबकि बीजेपी दूसरी एमएसीडी क्या है? बड़ी पार्टी बनी है. एमसीडी चुनाव में सबसे खराब प्रदर्शन कांग्रेस का रहा है. कांग्रेस दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू पाई है. आम आदमी पार्टी ने 134 सीटों पर जीत दर्ज की है. बीजेपी को 104 सीटों पर जीत हासिल हुई है. जबकि कांग्रेस के खाते में सिर्फ 9 सीटें आई हैं. भले ही सीटों में बीजेपी पिछड़ गई है. लेकिन पार्टी ने मेयर पद पर दावा ठोका है. बीजेपी नेता अमित मालवीय ने ट्वीट किया और कहा कि मेयर कौन बनता है? ये इसपर निर्भर है कि पार्षद किस तरह से मतदान करते है. मालवीय ने चंडीगढ़ में बीजेपी का मेयर चुने जाने का उदाहरण दिया.
MCD Full Form: मन में उठ रहा सवाल कि क्या है एमसीडी की फुल फॉर्म? यहां है जवाब
MCD Full Form in English: दिल्ली के लिए आज काफी बड़ा दिन है क्योंकि आज एमसीडी के नतीजे सामने आ गए हैं. 4 दिसंबर को 250 वार्डों के लिए वोटिंग हुई थी, इस बार MCD चुनाव में कुल 1349 उम्मीदवार खड़े हुए थे और नतीजों के सामने आते ही इन उम्मीदवारों की किस्मत का भी फैसला हो गया है. आपके भी मन में अगर ये सवाल उठता है कि MCD Election Result में एमसीडी की फुल फॉर्म क्या है? तो हम आपके मन में उठ रहे इस सवाल का जवाब लेकर आए हैं, हम आपको इस लेख के जरिए एमसीडी की फुल फॉर्म अंग्रेजी में ही नहीं बल्कि हिंदी में भी बताने जा रहे हैं.
MCD क्यों है अहम? क्या हैं इसके काम, कितने हजार करोड़ का बजट, शॉर्ट में समझे सारा हिसाब-किताब
Written By: Swayam Prakash @swayamniranjan_
Published on: December 04, 2022 21:26 IST
Image Source : INDIA TV दिल्ली नगर निगम का आज हुआ मतदान
दिल्ली नगर निगम के लिए आज मतदान हो गया। हालांकि दिल्लीवालों ने इस चुनाव में वोट डालने के मामले में खासी सुस्ती दिखाई। शाम 5.30 बजे तक वोटिंग खत्म होने तक 50 फीसदी ही मतदान हुआ। एमसीडी के इस चुनाव में दिल्लीवालों ने भले ही दिलचस्पी ना दिखाई हो लेकिन MCD दिल्ली के लिए बहुत अहम है। MCD की अहमियत इतनी क्यों है, इसका कितना बजट है और राजनीतिक पार्टियां क्यों इस चुनाव में जान झोंक देती हैं। ये सारा खेल हम कुछ आंकड़ों की मदद से समझाने की कोशिस करेंगे।
बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने 'आप' पर लगाया चुनाव में धांधली का आरोप, जानिए क्या कहा?
कुल वार्ड | वोटिंग | रिजल्ट |
250 | 4 दिसंबर | 7 दिसंबर |
कुल वोटर | पुरुष वोटर | महिला वोटर | ट्रांसजेंडर |
1,46,73,847 | 79,86,705 | 66,86,081 | 1,061 |
Delhi MCD Election 2022: एमसीडी चुनाव में कम वोटिंग के क्या मायने, AAP या BJP. किसे मिल सकती है जीत?
एमसीडी चुनाव (Delhi MCD Election 2022) में अधिक से अधिक वोट पड़े इसके लिए चुनाव आयोग के साथ-साथ राजनीतिक दलों ने भी तमाम प्रयास किए। इसके बावजूद कोई लहर नहीं दिखी। नजीता यह रहा कि 50.47 प्रतिशत ही मतदान हो सका जो वर्ष 2012 और 2017 से भी कम है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। Delhi MCD Election 2022: कम मतदान होने के मायने क्या इस पर अब भी स्पष्ट नहीं कहा जा सकता, क्योंकि कई ऐसे उदाहरण है कि मतदान का प्रतिशत कम होने के बाद भी सत्तारुढ़ दल ने वापसी की है जबकि कुछ मामलों में सत्ता परिवर्तन हो गया है।
ऐसे किसी निष्कर्ष पर पहुंचना गलत होगा। हालांकि यह जरुर कहा जा सकता है कि मतदान का प्रतिशत कम होने के पीछे भी वह मतदाता भी आगे नहीं आए जो कि प्रत्याशियों की जीत एमएसीडी क्या है? हार को तय करते हैं। ऐसे में प्रत्याशियों में जीत और हार का आंकड़ा बहुत नजदीक का हो सकता है।
'मतदान के प्रतिशत से किसी निष्कर्ष पर पहुंचना सही नहीं'
मतदान प्रतिशत कम रहने के मायने का विश्वलेषण करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय में राजनीतिक विज्ञान के प्रोफेसर संगीत रागी कहते हैं कि मतदान के प्रतिशत से किसी निष्कर्ष पर पहुंचना सही नहीं है, क्योंकि कई बार कम मतदान सत्तारुढ़ दल की वापसी कराता है तो कई मामलों में यह परिवर्तन भी करा देता है।
ऐसे में यह कहना कि इससे भाजपा या आम आदमी पार्टी (आप) को लाभ होगा यह सही नहीं होगा। हां कम मतदान का मतलब यह है कि दिल्ली नगर निगम के चुनाव में दिल्ली के मतदाता रुचि नहीं दिखा रहे हैं। जबकि जमीनी मुद्दों के लिए तो यही चुनाव काम करता है। हालांकि बीते चुनावों में यह देखा गया है कि लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में यही दिल्ली के मतदाता बढ़चढ़कर हिस्सा लेते हैं वहीं, मतदाता दिल्ली नगर निगम के चुनाव में इतनी रुचि नहीं लेते हैं।
2019 के चुनाव में दिल्ली में हुआ था 67.4 प्रतिशत मतदान
लोकसभा के 2014 के चुनाव में दिल्ली में 66.4 प्रतिशत तो 2019 में 67.4 प्रतिशत मतदान हुआ था। इसी प्रकार वर्ष 2015 के निगम विधानसभा चुनाव में 67.13 प्रतिशत तो 2020 में 62.59 प्रतिशत मतदान हुआ था।बाक्स 43 प्रतिशत मतदान पर भी हो गया था सत्ता परिवर्तनदिल्ली नगर निगम के एमएसीडी क्या है? चुनाव में कम मतदान का कोई मायना लगाना उचित नहीं होगा, क्योंकि 2002 के चुनाव में जिस कांग्रेस ने 134 में से 108 सीटों जीत दर्ज की थी वहीं, कांग्रेस 2007 के चुनाव में हार गई थी। जबकि मतदान का प्रतिशत मात्र 43.24 प्रतिशत रहा था।
2007 के चुनाव में 272 सीटों में से भाजपा को 164 सीटें मिली थी जबकि कांग्रेस को मात्र 67 सीटें मिली थी। वर्ष 2012 में तमदान का प्रतिशतल 10 प्रतिशत बढ़ा बावजूद इसके सत्ता परिवर्तन नहीं हुआ। 2012 के निगम चुनाव में भाजपा को 272 में से 136 सीटों पर जीत मिली थी। इसी प्रकार 53.55 प्रतिशत का मतदान प्रतिशत होने के बाद भाजपा 272 में से 181 सीटों पर विजयी रही।
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 565