June 6, 2022

Vivo NEX v/s OPPO Find X : दोनों में रैम और प्रोसेसर बराबर, कीमत में भी 15 हजार का अंतर; 4 प्वॉइंट्स में समझें इनका कंपेरिजन

गैजेट डेस्क. चीनी मोबाइल निर्माता कंपनी Vivo ने गुरुवार को भारत में अपना नया स्मार्टफोन Vivo NEX लॉन्च कर दिया है। इस फोन में 6.59 इंच का अल्ट्रा फुल एचडी डिस्प्ले और स्क्रीन साउंड कॉस्टिंग टेक्नोलॉजी दी गई है। फोटोग्राफी के शौकीनों के लिए फोन में सोनी का दमदार कैमरा दिया गया है। फोन को ओवर हीटिंग से बचाने के लिए इसमें एडवांस्ड कूलिंग सिस्टम भी दिया गया है।

-दूसरी तरफ 12, जुलाई को चीनी कंपनी Oppo ने भी अपना नया मॉडल OPPO Find X भारत में लॉन्च किया था। कंपनी ने इस फोन में पॉप-अप कैमरा दिया था, ठीक उसी तरह Vivo ने भी NEX में सेल्फी पॉप-अप कैमरा दिया है। OPPO Find X में जहां 25 मेगापिक्सल का फ्रंट और 16+20 मेगापिक्सल का रियर कैमरा दिया जा रहा है, तो वहीं NEX में सिर्फ 8 मेगा पिक्सल का फ्रंट और 12+5 मेगापिक्ल का रियर कैमरा दिया जा रहा है।

-कंपनी ने NEX को 8GB रैम और 128GB वेरियंट में लॉन्च किया है, जबकि Find X, 8GB रैम और 256GB वेरियंट में लॉन्च किया गया था। दोनों फोन की कीमत में काफी अंतर है। Vivo ने NEX को 44,490 रुपए के प्राइस टैग के फंड का कंपेरिजन साथ मार्केट में उतारा है, वहीं OPPO Find X को 59,990 रुपए के प्राइस टैग के साथ लॉन्च किया गया है।

क्या हैं इन दोनों स्मार्टफोन के फीचर्स?

फीचर्स Vivo NEXOPPO Find X
डिस्प्ले6.59 इंच अल्ट्रा HD+ Super AMLOED6.42 इंच फुल HD+AMOLED
प्रोसेसर2.8GHz ऑक्टाकोर स्नैपड्रैगन-8452.7GHz ऑक्टाकोर स्नैपड्रैगन-845
रैम8GB8GB
स्टोरेज128GB256GB
सेल्फी कैमरा8 मेगापिक्सल25 मेगापिक्सल
रियर कैमरा12+5 मेगापिक्सल16+20 मेगापिक्सल
बैटरी4,000mAh3730mAh
ओएसएंड्रॉयड 8.1 ओरियो पर आधारित Funtouch OS 4एंड्रॉयड 8.1 ओरियो आधारित ColorOS 5.1
सिक्योरिटीइन-डिस्प्ले फिंगरप्रिंट स्कैनरफेस अनलॉक
कीमत44,490 रुपए59,990 रुपए

जानें कौन है बेहतर?

डिजाइन और डिस्प्ले

  • इसमें 6.59 इंच का अल्ट्रा HD+ Super AMLOED डिस्प्ले दिया गया है। इसका 8MM का साइड इसे काफी स्लिम बनाता है। इसके बैक साइड में रियर कैमरा दिया गया है। स्क्रीन साइज पर फोकस की वजह से पॉप-अप सेल्फी कैमरा है।
  • स्क्रीन को आकर्षक बनाने के लिए इसमें स्क्रीन साउंड कास्टिंग तकनीक दी गई है। यह सिर्फ ब्लैक कलर में उपलब्ध है। बेजल लेस स्क्रीन दी गई है। 91.24% स्क्रीन टू बॉडी रेशियो है।
  • इसमें 6.42 इंच का फुल HD+AMOLED डिस्प्ले दिया गया है। इसमें हल्का सा कर्व मिलेगा। फ्रंट और रियर दोनों जगह कॉर्निंग गोरिल्ला ग्लास 5 का प्रोटेक्शन।
  • रेड और ग्लेशियर ब्लू कलर में मिलेगा। एल्यूमिनियम फ्रैम के साथ कवर किया गया है। फ्रंट में 93.8% स्क्रीन से कवर है।

एक्सपर्ट ओपिनियन : डिजाइन के मामले में OPPO Find X तो डिस्प्ले के मामले में Vivo NEX बाजी मारता दिख रहा है। Find X में दोनों कैमरा पॉप-अप हैं तो NEX में दी गई स्क्रीन साउंड कास्टिंग तकनीक इसे आकर्षक बनाती है।

प्रोसेसर, रैम और स्टोरेज

  • इसमें 2.8GHz ऑक्टाकोर क्वालकॉम स्नैपड्रैगन 845 प्रोसेसर लगा है।
  • इसमें 8GB की रैम और 128GB की स्टोरेज दिया गया है।
  • इसमें 2.7GHz ऑक्टाकोर क्वालकॉम स्नैपड्रैगन 845 प्रोसेसर लगा है।
  • यह 8GB रैम और 256GB की इंटरनल स्टोरेज के साथ आ रहा है।

एक्सपर्ट ओपिनियन : दोनों फोन इस कैटेगरी में लगभग एक जैसे ही हैं। इनकी रैम बराबर है और प्रोसेसर भी लगभग बराबर ही है, अन्तर बस स्टोरेज का है। ज्यादा स्टोरेज की चाहत वालों को Find X के साथ जाना चाहिए।

  • 12+5 मेगापिक्सल का रियर कैमरा है। यह कैमरा OIS और 4K वीडियो रिकॉर्डिंग सपोर्ट करता है। फ्रंट में AI इफेक्ट के साथ 8 मेगापिक्सल का पॉप-अप सेल्फी कैमरा भी दिया गया है। जो सेल्फी मोड पर जाने पर मात्र 0.1 सेकेंड में सामने आ जाता है।
  • AI इफेक्ट होने के कारण इसका फ्रंट कैमरा सीन के अनुसार खुद को एडजेस्ट कर लेता है। इसमें कैमरे के साथ ड्युअल टोन एलईडी फ्लैश भी दिया गया है।
  • रियर में 16+20 मेगापिक्सल का ड्युअल कैमरा सेटअप। फ्रंट में 25 मेगापिक्सल का कैमरा। रियर कैमरा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) डिटेक्शन के साथ आता है, जो सीन के हिसाब से ही ऑटोमैटिक एडजस्ट हो जाता है।
  • फ्रंट कैमरा 3D प्रोजेक्टर के साथ आता है, जो सेल्फी में 3D लाइटिंग इफेक्ट डालने का काम करता है। इसमें मोटोराइज्ड कैमरा स्लाइडर है जो कैमरा ऐप ओपन होते ही सिर्फ 0.5 सेकेंड में खुल जाता है।

एक्सपर्ट ओपिनियन : दोनों फोन अपनी-अपनी कैटेगरी में कैमरे के लिहाज से अच्छे हैं। लेकिन कैमरा सेटअप और रिजॉल्यूशन के मामले में OPPO Find X आगे दिखाई देता है।

  • इसमें 4,000mAh की बैटरी दी गई है, जो ड्युअल इंजन फास्ट चार्जिंग तकनीक को सपोर्ट करती है।
  • इसका बैटरी बैकअप काफी अच्छा है।
  • इसमें 3730mAh पॉवर की बैटरी दी गई है, जो VOOC फ्लैश चार्जिंग को सपोर्ट करती है।
  • कंपनी का दावा है कि सिर्फ 5 मिनट की चार्जिंग में इसकी बैटरी 2 घंटे का बैकअप दे सकती है।

एक्सपर्ट ओपिनियन : दोनों फोन लम्बे समय तक बैटरी बैकअप की बात करते हैं। दोनों फोन फास्ट चार्जिंग तकनीक के साथ आते हैं, लेकिन इस मामले में Find X, NEX से थोड़ा तेज है।

फाइनल ओपिनियन : Vivo NEX या OPPO Find X?

-ओपो और वीवी दोनों के स्मार्टफोन्स कैमरे के लिए जाने जाते हैं। कंपनियों के इन मॉडल्स में भी बेहतरीन कैमरा दिया गया है, जो अच्छी क्वालिटी की फोटो और वीडियो कैप्चर कर सकने में सक्षम है।

-पॉप-अप कैमरा फोन की इस दौड़ में OPPO Find X, Vivo NEX से आगे निकलता हुआ दिखाई दे रहा है। लेकिन जब फोन की कीमतों पर गौर किया जाता है तो रेस में बहुत ज्यादा अंतर नहीं रह जाता। कीमत और फीचर को मिलाकर कंपेरिजन करने पर दोनों फोन अपनी कैटेगरी में बेहतर दिखाई देते हैं।
-अगर आपका बजट 40-50 हजार के बीच है तो आपको Vivo NEX के साथ जाना चाहिए क्योंकि इस फोन में पॉपअप सेल्फी कैमरा, स्क्रीन साउंड कास्टिंग तकनीक, बेजल लेस स्क्रीन है। लेकिन अगर आपका बजट ज्यादा है तो OPPO Find X आपके लिए एक बेटर ऑप्शन हो सकता है।

कौन सा म्यूचुअल फंड सही है या गलत कैसे चयन करें?

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म्यूचुअल फंड सही हैं या नहीं कैसे चुनें

कौन सा म्यूचुअल फंड सही हैं या गलत इसके लिए आप म्यूचुअल फंड के कुछ पहलुओं पर गौर कर सकते हैं।
बीते कुछ सालों में म्युचुअल फंड ने निवेशकों को अपनी तरफ काफी हद तक आकर्षित किया हैं। म्युचुअल फंड में निवेश के लिए बहुत से विकल्प मौजूद है जो अलग अलग निवेशकों को ध्यान में रखते हुए एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) द्वारा तैयार किए जाते हैं। किसी निवेशक के लिए एसआईपी (Systematic Investment Plan) सही विकल्प हो सकता हैं तो किसी के लिए वन टाइम इन्वेस्टमेंट प्लान (Lumpsum Amount Investment Plan)। हालांकि एक निवेशक के तौर पर फंड से अच्छा रिटर्न मिलना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हैं।

म्यूचुअल फंड सही है या गलत कैसे चुनें?

म्यूचुअल फंड में निवेश के बहुत से तरीके व स्कीम हैं। खासतौर पर म्यूचुअल फंड में रिटर्न व जोखिम एक दूसरे के समानुपाती होते हैं, अर्थात जहां रिटर्न अच्छा हैं वहां जोखिम भी ज्यादा ही होगा और जहां रिटर्न कम हैं वहां जोखिम भी कम ही होगा। इसलिए अपने जोखिम सहन करने की क्षमता के अनुसार म्युचुअल फंड का चुनाव कर सकते हैं। इसके अलावा कुछ मुख्य तथ्य आपके लिए अच्छा म्यूचुअल फंड चुनने में सहायक हो सकते हैं।

रिस्क सहन करने की क्षमता

म्यूचुअल फंड के माध्यम से अच्छा रिटर्न पाने के लिए रिस्क लेना जरूरी हैं। बिना रिस्क लिये अच्छा रिटर्न मिलना मुश्किल हैं।
आप कितना रिस्क लें सकते हैं इसके अनुसार म्यूचुअल फंड का चुनाव कर सकते हैं।
यदि आप कम रिस्क लेना चाहते हैं तो आप लार्ज कैप फंड में निवेश कर सकते हैं। वहीं थोड़ा अधिक रिस्क लेने के इच्छुक निवेशक मिडकैप फंड में निवेश कर सकते हैं। जो लोग अधिक रिस्क के साथ अधिक रिटर्न पाना चाहते हैं स्माॅल कैप फंड को प्राथमिकता दें सकते हैं। हालांकि कुछ ऐसे म्यूचुअल फंड भी होते हैं जिनमें रिस्क ना के बराबर होता हैं। मगर इनका रिटर्न भी कम ही होता हैं।

निवेश की अवधि

कम अवधि के लिए निवेश को आप डेट फंड में करना चाहिए। यहां पर रिस्क कम होता हैं साथ ही साथ रिटर्न भी थोड़ा कम होता हैं। मगर छोटी अवधि यि तीन साल से कम की अवधि के लिए डेट फंड में निवेश कर सकते हैं। हालांकि जरूरी नहीं है कि आप छोटी अवधि के लिए ही डेट फंड में निवेश करें, यदि आप कम रिस्क के साथ लंबे समय के लिए निवेश करना चाहते हैं तब भी आप डेट फंड में निवेश कर सकते हैं।
तीन साल से अधिक समय के निवेश करने के लिए इक्विटी म्युचुअल फंड बहतर होते हैं। इक्विटी फंड में रिस्क ज्यादा होता हैं इसके साथ रिटर्न भी ज्यादा मिलता हैं। बहुत से इक्विटी म्युचुअल फंड लंबे समय में कई गुना तक रिटर्न देते हैं।

फंड मेनेजमेंट का ट्रैक रिकॉर्ड

फंड मेनेजमेंट के हाथों में ही आपकी रकम को संभालने की जिम्मेदारी होती है। इसलिए किसी भी फंड में रकम निवेश करने से पहले फंड को संभालने वाले प्रबंधक की जानकारी आपको होनी चाहिए। पिछले कुछ वर्षों का ट्रैक रिकॉर्ड उनके बारे में पर्याप्त जानकारी दे सकता हैं। उनका अनुभव व पिछले प्रदर्शन से उनकी योग्यता को समझ सकते हैं। अच्छा म्यूचुअल का चुनाव करते समय फंड मेनेजर का पिछला रिकॉर्ड व योग्यता को ध्यान में जरूर रखना चाहिए।

फंड का पोर्टफोलियो

यदि आप बाजार की थोड़ी बहुत समझ रखते हैं तो आप फंड के पोर्टफोलियो को भी समझना चाहिए। आपके लिए जरूरी है कि आप जिस फंड में निवेश करना चाहते हैं उसके पोर्टफोलियो पर गौर करें। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आपकी रकम किस जगह निवेश की जाएगी।
यदि आपको लगता हैं आने वाले समय में यह सेक्टर अच्छी ग्रोथ कर सकता हैं तो आप उस फंड को चुन सकते हैं। हालांकि इस तरह से चुनाव करने के लिए आपको बाजार का पर्याप्त ज्ञान होना चाहिए। जो एक सामान्य निवेशक के लिए थोड़ा मुश्किल होता हैं।

फंड का कंपेरिजन

आप जिस फंड में निवेश करना चाहते हैं उसकी तुलना उसी सेक्टर के अन्य फंड के साथ कर सकते हैं। इससे आपको फंड का पिछला रिकॉर्ड, एक्सपेंस रेश्यो, रेटिंग आदि की जानकारी मिल जाएगी। इससे आप आसानी से जान सकते हैं कि किस फंड ने कैसा परर्फोम किया हैं।

फंड का सेक्टर

फंड किस सेक्टर से जुड़ा हुआ, यह बात हर किसी निवेशक के लिए बहुत जरूरी हैं। सेक्टराॅल/थीमेटिक फंड किसी एक सेक्टर में निवेश करते हैं। ऐसे फौड में निवेश करने से पहले यह बात पहले ही साफ होनी चाहिए कि जिस सेक्टर में फंड निवेश करता हैं उसमें आने वाले समय में ग्रोथ होने की संभावना है या नहीं।
सेक्टराॅल/थीमेटिक फंड में नये इन्वेस्टर्स को निवेश से बचना चाहिए। क्योंकि वे किसी ऐसे फंड का चुनाव कर सकते हैं जिसमें आने वाले समय में ग्रोथ की संभावना कम हों। इसलिए नये निवेशकों को फ्लैक्सी कैप में निवेश करना अच्छा विकल्प हो सकता हैं।

फंड का एक्सपेंस रेश्यो व एग्जिट लोड

फंड का संचालन करने में आने वाले खर्च को एक्सपेंस रेश्यो कहा जाता हैं। इस खर्च को निवेशकों से ही वसूला जाता हैं। एक्सपेंस रेश्यो अधिक फंड का कंपेरिजन होने पर निवेशक को अधिक रकम का भुगतान करना होता हैं जबकि कम एक्सपेंस रेश्यो होने पर कम रकम का भुगतान करना होता हैं। हालांकि एक्सपेंस रेश्यो का भुगतान डेली बेसिस पर फंड का कंपेरिजन होता हैं जो हर दिन निवेशित रकम से काट लिया जाता हैं।
निवेश की गई रकम को फंड से निकालने पर भी कुछ शुल्क का भुगतान करना होता हैं। जिसे एग्जिट लोड कहा जाता हैं। हर फंड का एग्जिट लोड अलग अलग हो सकता हैं। वहीं एग्जिट लोड एक निश्चित अवधि के लिए भी लागू हो सकता हैं। निश्चित अवधि के दौरान निवेशित रकम को रिडीम करने पर एग्जिट लोड लागू होता हैं। जबकि इसके बाद एग्जिट लोड में छूट भी दी जा सकती हैं। इसलिए म्यूचुअल फंड का चुनाव करते समय एग्जिट लोड रेश्यो का भी ध्यान रखना चाहिए।

डिस्क्लेमर: पैसावालेडाॅटइन कभी भी किसी व्यक्ति को निवेश के लिए प्रेरित नहीं करता हैं। निवेश से पहले अपने फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह जरूर लें।

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नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। शेयर बाजारों में भारी उथल-पुथल रहने के चलते पिछले कुछ सालों से निवेशक म्युचुअल फंड में ज्यादा रूचि दिखा रहे हैं। यहां निवेशकों को जोखिम भी कम उठाना पड़ता है और रिटर्न भी एफडी आदि लोकप्रिय निवेश विकल्पों से अच्छा मिल जाता है। कम जोखिम वाला होने के कारण युवाओं में भी म्युचुअल फंड्स को लेकर अच्छा आकर्षण देखने को मिल रहा है। हालांकि, म्युचुअल फंड्स की कई कैटेगरीज, कई फंड हाउसेज और विभिन्न स्कीम्स उपलब्ध होने के कारण एक निवेशक के लिए उचित म्युचुअल फंड का चयन करना आसान काम नहीं होता है। आज हम आपको यही बताने जा रहे हैं कि अपने फायदे के लिए एक म्युचुअल फंड का चयन कैसे करना चाहिए।

परफॉर्मेंस कंपेरिजन

परफॉर्मेंस कंपेरिजन के आधार पर तुलना सिर्फ उसी दशा में करना चाहिए जब समान तरह के फंड हों। जब आप विभिन्न फंड्स के परफॉर्मेंस नंबर्स की तुलना करते हो, तो आपको एक अच्छा आइडिया हो जाता है कि आपको किस कैटेगरी में कितना निवेश करना चाहिए।

जोखिम

लगभग सभी निवेशों में कुछ ना कुछ जोखिम होता ही है, जिन निवेशों में अच्छे रिटर्न की उम्मीद होती है, वहां जोखिम रहना स्वाभाविक ही है। सामान्य तौर पर यह कहा जा सकता है कि जिस फंड में ज्यादा जोखिम होता है, वहां अधिक रिटर्न पाने की गुंजाइश भी होती है। हालांकि, यह पूरा सच नहीं है, क्योंकि सभी फंड एक तरह से व्यवहार नहीं करते हैं। अह हमें देखना यह है कि क्या कोई फंड आपको उस तरह का रिटर्न देने में सक्षम है, जितना उसमें जोखिम है। इसे मापना इतना आसान नहीं होता। इसे मापने के लिए विभिन्न प्रकार की सांख्यिकीय तकनीकों का उपयोग किया जाता है। जब किसी फंड को फंड का कंपेरिजन चार या पांच स्टार रेटिंग मिलती है, तो उसका मतलब होता है कि अन्य फंडों की तुलना में जोखिम के मुकाबले उस फंड ने अच्छा रिटर्न दिया है।

प्रबंधन

फंड मैनेजमेंट एक क्रिएटिव और पर्सनालिटी ओरिएंटेड एक्टिविटी होती है। छोटी अवधि के फिक्स्ड इनकम फंड्स और इंडेक्स फंड्स जैसे फंड्स के मामले में ऐसा नहीं है, लेकिन इक्विटी इन्वेस्टमेंट एक विज्ञान से ज्यादा एक कला है। आप एक फंड खरीदते हो, क्योंकि आपको उसका ट्रैक रिकॉर्ड पसंद आता है, लेकिन आप वास्तव में एक फंड मैनेजर का ट्रैक रिकॉर्ड खरीदते हो। एक फंड मैनेजर ही उसके ट्रैक रिकॉर्ड के लिए जिम्मेदार होता है। एक उच्च परफॉर्मेंस वाला इक्विटी फंड एक नए मैनेजर के साथ एक नए फंड के समान ही होता है।

कीमत

किसी फंड के चयन में कीमत भी एक महत्वपूर्ण पहलू होता है। फंड मुफ्त में नहीं चलाए जाते हैं, न ही वे समान लागत पर चलाए जाते हैं। भिन्न-भिन्न फंडों की लागत में कोई खास अंतर नहीं होता है, लेकिन फिर भी ये महत्वपूर्ण बदलावों के लिए कंपाउंड कर सकते हैं, विशेष रूप से फिक्स्ड इनकम फंड्स के लिए, जहां फंड्स के बीच परफोर्मेंस का अंतर काफी कम है। इक्विटी फंड्स के मामले में उच्च लागत का फंड लेने का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि वे कम लागत वाले फंड्स से बहुत कम ही अच्छे होते हैं।

पोर्टफोलियो

परफॉर्मेंस और जोखिम से इतर पोर्टफोलियो फंड का आंतरिक हिस्सा फंड का कंपेरिजन कहा जा सकता है। आंतरिक इस मामले में कि परिणाम चाहे अच्छा, बुरा या बेहद बुरा हो, पोर्टफोलिया पहले दो बिंदुओं जोखिम और परफॉर्मेंस में ही रिफ्लेक्ट हो जाता है। निवेशक पोर्टफोलियो को दरकिनार कर परफोर्मेंस और जोखिम के आधार पर भी फंड्स का चयन कर सकते हैं।

Oppo Find N Foldable Review : साल का बेस्ट फोल्डेबल स्मार्टफोन, Samsung से निकला एक कदम आगे

Oppo Find N Foldable Review in Hindi: फोल्डेबल स्मार्टफोन्स की श्रेणी में ओप्पो ने साल के अंत में जाते-जाते ऐसा फोन पेश किया जो इस तरह की टेक्नोलॉजी के लिए एक बड़ा कदम साबित हुआ. हमने कुछ समय के लिए इस फोन का इस्तेमाल किया. पढ़ें कैसा रहा इस फोन के साथ हमारा एक्सपीरियंस

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Oppo Find N Design
Oppo ने इस फोन के डिजाइन पर काफी काम किया है। इस फोन को प्रेमम मटेरियल ग्लास और एल्युमिनियम से बनाया गया है। उठाने पर फोन थोड़ा हैवी और चंकी जरूर लगेगा लेकिन इसका डिजाइन आपके मन को जरूर भाएगा। जब आप फोन को फोल्ड करते हैं तो इसके बाहर का OLED डिस्प्ले लगभग एज-टू-एज फ्रेम का लुक देता है। हालांकि, फोल्ड करने पर यह फोन काफी थिक लगता है। इसके आउटर डिस्प्ले में 60Hz रिफ्रेश रेट मिलता है, लेकिन इस फोन को अनफोल्ड करने पर आपको 7.1-इंच OLED डिस्प्ले और 120Hz रिफ्रेश रेट मिलेगा। दोनों ही डिस्प्ले के साथ व्यूइंग एक्सपीरियंस, कलर-कंट्रास्ट, ब्राइटनेस अच्छा रहा। HDR प्लेबैक सपोर्ट के साथ यह क्रिस्प विजुअल डिलीवर करता है।

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फोल्डेबल टेक्नोलॉजी का कैसा रहा एक्सपीरियंस?
फोल्डेबल स्क्रीन या हिन्ज में ओप्पो से कोई गलती नहीं हुई। Find N ने OLED पैनल पर बहुत ही पतले ग्लास का इस्तेमाल किया है। oppo ने सबसे बेहतर काम Flexion Hinge पर किया है। पहला, आप कितनी भी बार फोन को फोल्ड और अनफोल्ड करें, आपको किसी भी तरह की दिक्कत महसूस नहीं होगी। इसी के साथ फोन को फोल्ड करने पर दोनों स्क्रीन इस तरह एक-दूसरे पर बैठती हैं जो एक फोन लगता है। इससे स्क्रीन को डस्ट आदि से नुकसान पहुंचने की सम्भावना भी काम रहती है। स्क्रीन में बुम्प दिखना तो लाजमी है लेकिन यह विजुअल एक्सपीरियंस के आड़े बिलकुल भी नहीं आता। इस मामले में ओप्पो ने सैमसंग को मात दी है। सैमसंग कई बार इस टेक्नोलॉजी पर साल-दर-साल काम करने पर भी वो परफेक्शन नहीं ला पाया।

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Oppo Find N specifications: कंपनी ने इस फोन को फोल्डेबल टेक्नोलॉजी तक ही सीमित नहीं रखा। इसमें बाकी स्पेसिफिकेशन्स को दमदार बनाकर एक ऑल-राउंडर स्मार्टफोन देने का प्रयास किया है। इसमें क्वालकॉम स्नैपड्रैगन 888 SoC के साथ 12GB रैम और 512GB स्टोरेज दिया गया है। सभी स्पेसिफिकेशन के साथ, ओप्पो ने बैटरी के मामले में भी कॉम्प्रोमाइज नहीं किया है। इस फोन में 4500mAh की बैटरी के साथ 33W फास्ट चार्जिंग सपोर्ट मिलता है। साथ ही 15W वायरलेस चार्जिंग सपोर्ट मिलता है। इसके पावर बटन में फिंगरप्रिंट सेंसर दिया गया है और फेस अनलॉक का फीचर भी मौजूद है। एक जगह ओप्पो ने कमी रख दी और वो है IP रेटिंग। सैमसंग ने इस मामले में ओप्पो से बाजी मार ली है।

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Oppo Find N Camera: इसमें फ्रंट में आपको दोनों सेल्फी कैमरा 32MP के मिलते हैं। इसके रियर पर आपको 50MP प्राइमरी कैमरा, 16MP अल्ट्रा-वाईड और 13MP टेलीफ़ोटो कैमरा मिलता है। इसके कैमरा ठीक परफॉर्म करता है। इसे औसत से बेहतर कहा जा सकता है। सॉफ्टवेयर की बात करें तो कंपनी ने इसमें कलरओएस 12 उपलब्ध कराया है। इसमें आप फुल-स्क्रीन एप्स फ्लोटिंग विंडोज में बदल सकते हैं या स्प्लिट-स्क्रीन की मदद से दो जरूरी काम एक साथ एन्जॉय कर सकते हैं। इस फोन को हम पूरी तरह से रिव्यू इसलिए भी नहीं कर पाए क्योंकि यह चीन में उपलब्ध है और इसका इंटरफेस भी उसी अनुसार बनाया गया है। कई एप्स और भाषा अलग होने के चलते इसे डिटेल में रिव्यू नहीं किया जा सका।


हमारा फैसला
Oppo Find N ने फोल्डेबल फोन्स में बेहतर काम किया है। फोल्डेबल अब कोई नई टेक्नोलॉजी नहीं रही और उम्मीद फंड का कंपेरिजन है कि दूसरी कंपनियां भी इसी तरह के डिजाइन और आइडिया को फॉलो करेंगी। ओप्पो ने बड़ी डिस्प्ले और कॉम्पैक्ट फोन, संतुलित ने स्पेसिफिकेशन्स और ना के बराबर दिखने वाली क्रीज के साथ इस साल एक अच्छे फोल्डेबल स्मार्टफोन पर काम किया है, यह कहना गलत नहीं होगा। सॉफ्टवेयर पर और ध्यान देकर ओप्पो अपनी प्रतिस्पर्धी कंपनी सैमसंग को और अच्छी टक्कर दे सकता है।

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