जब वह ज़ीमन के व्यापार की नीयत में अनिश्चितता का शिकार हो तो उसमें ज़कात नहीं है
हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.
इस ज़मीन के बारे जब व्यापार करने के लिए नहीं में जब आपने व्यापार की सुदृढ़ नीयत नहीं की है, तो उसमें ज़कात नहीं है, क्योंकि मूल सिद्धांत यह है कि वह अधिग्रहण के लिए है, इसलिए वह सुदृढ़ नीयत के द्वारा ही व्यापार के जब व्यापार करने के लिए नहीं लिए हो सकती है, रही बात अनिश्चितता की तो उसमें ज़कात अनिवार्य नहीं है।
तथा शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह से प्रश्न किया गया कि : एक आदीम के पास एक ज़मीन है और उसके बारे में उसकी नीयत विभिन्न है, वह नहीं जानता कि उसे बेच दे या उस पर निर्माण करे, या किराये पर दे दे या उसमें निवास करे, तो क्या साल गुज़रने पर वह ज़कात निकालेगा ॽ
तो उन्हों जब व्यापार करने के लिए नहीं ने उत्तर दे : “इस ज़मीन में मूलतः ज़कात अनिवार्य नहीं है जब तक कि उसकी इस चीज़ की सुदृढ़ नीयत नहीं है कि वह व्यापार का सामान है, इसलिए उसमें ज़कात नहीं है क्योंकि वह सुनिश्चित नहीं है, और अनिश्चितता के साथ चाहे वह एक प्रतिशत ही क्यों न हो, उसमें ज़कात नहीं है।”
“मजमूओ फतावा इब्ने उसैमीन” (18/232).
तथा उन्हों ने यह भी कहा : “यदि आदमी अनिश्चित हो, वह कहता हो, अल्लाह की क़सम, मुझे नहीं पता कि मैं उसमें व्यापार करूँ या उसे बाक़ी रखूँ , उदाहरण के तौर पर उसके पास एक ज़मीन है और वह कहता है : मैं नहीं जानता कि उसका व्यापार करूँ या उसे बाक़ी रखूँ या उस पर कोई भवन निर्माण कर लूँ , तो क्या इसमें ज़कात है या नहीं है ॽ
इसका उत्तर यह है कि : इसमें ज़कात नहीं है ; क्योंकि मूल सद्धिांत ज़कात का अनिवार्य न होना है यहाँ तक कि व्यापार की इच्छा के लिए नीयत खालिस हो जाए।”
Astrology Tips: व्यापार में तरक्की पाने के लिए आजमाएं ये चमत्कारी उपाय, कुछ ही दिन में दिखेगा फर्क
Astrology Tips: हर व्यक्ति की चाह होती है कि उसका व्यापार खूब तरक्की करे. इसके लिए व्यक्ति कई तरह के उपाय करता है. दिन रात मेहनत करता है. इन दिनों हर दूसरा व्यक्ति बिजनेस न चलने से परेशान है.
By: ABP Live | Updated at : 29 Jan 2022 09:48 PM (IST)
Astrology Tips: हर व्यक्ति की चाह होती है कि उसका व्यापार खूब तरक्की करे. इसके लिए व्यक्ति कई तरह के उपाय करता है. दिन रात मेहनत करता है. इन दिनों हर दूसरा व्यक्ति बिजनेस न चलने से परेशान है. व्यापार न चल पाने के कारण उनमें ताले लग रहे हैं. व्यापार में मेहनत के साथ-साथ अगर कुछ छोटी बातों का ध्यान रखा जाए, तो इससे बिजनेस में लाभ होता है. बिजनेस की तरक्की और उन्नति के लिए वास्तु और ज्योतिष के कुछ उपायों के अपनाया जाए, तो बिजनेस में विशेष लाभ होता है.
यंत्र पूजन: मान्यता है कि यंत्रों का प्रभाव बहुत सकारात्मक पड़ता है. ज्योतिष अनुसार यंत्र की पूजा करने से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और जीवन में सुख आदि की प्राप्ति होती है. बिजनेस में लाभ और उन्नति पाने के लिए व्यापार वृद्धि यंत्र का पूजन किया जा सकता है. इस यंत्र को शुभ मुहूर्त देखकर स्थापित करें. इसकी स्थापना करने के लिए हर माह शुक्ल पक्ष के रविवार के दिन इस यंत्र की स्थापना करना शुभ होता है. बता दें कि इसकी पूजा करते समय ‘ऊँ श्री ह्रीं क्लीं महालक्ष्मै नम:’ का जाप करना न भूलें.
पीपल के पत्तों का उपाय: अगर व्यापार में लगातार असफल हो रहे हैं, तो हर मंगलवार पीपल के 11 पत्तों पर लाल चंदन से राम-राम लिखें और इन पत्तों की एक माला बना कर हनुमान जी के मंदिर में चढ़ा दें. ऐसा करने से व्यवसाय में कभी असफलता नहीं मिलेगी. लेकिन इस उपाय का नियमित रूप से मंगलवार के दिन करें और इसे जब व्यापार करने के लिए नहीं गोपनीय रखें.
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वास्तु उपाय: बिजनेस वाले जातक को उत्तर दिशा की दीवार पर हरे रंग के तोते की तस्वीर अवश्य लगाने से लाभ होता है. मान्यता है कि हरा रंग बुध का रंग होता है. उत्तर दिशा में हरे रंग के तोते की तस्वीर लगाने से दोष समाप्त होता है और शुभदायी फल की प्राप्ति होती है.
- दुकान या कार्यस्थल पर अंदर प्रवेश करने से पहले अपने दाहिने हाथ के अंगूठे को जमीन पर लगाएं. उसके बाद इस हाथ को अपने मस्तक या हृदय पर लगाएं. इस उपाय से आपको विशेष लाभ होगा. व्यापार या कारोबार वृद्धि के लिए ये बहुत जब व्यापार करने के लिए नहीं ही चमत्कारी उपाय है.
- लक्ष्मी नारायण मंदिर में शुक्रवार के दिन गुड़, चना बांटने से व्यापार में वृद्धि मिलती है. इसके अलावा, मंदिर में मां लक्ष्मी की प्रतिमा के आगे अगरबत्ती जलाएं और प्रार्थना करें. इतना ही नहीं, मान्यता है कि व्यापार में वृद्धि के लिए कुत्ता, गाय और कौवों को रोटी खिलाएं.
- कपूर और रोली को जलाकर उसकी राख को एक कागज में रख लें. इसे अपनी दुकान या घर के उस स्थान पर रखें जहां धन रखा जाता है.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.
Published at : 29 Jan 2022 09:48 PM (IST) Tags: astrology tips business upay asrology हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Lifestyle News in Hindi
Business Loss: ठप व्यापार के साथ अगर बढ़ता जा रहा है कर्जा तो यह सरल उपाय देंगे लाभ, लक्ष्मी जी की होगी कृपा
Business Loss Solution: जब कभी समस्याएं आए व्यापार गति ना पकडे अवरोध उत्पन्न हो तब एक बार किसी ज्योतिषी से परामर्श अवश्य लें साथ ही समस्याओं के निदान हेतु वैदिक उपायों का प्रयोग करें। जिससे स्थितियां अनुकूल होकर व्यवस्थित बनी रहें।
- फिजूल खर्ची पर लगाम लगाए
- समस्याएं उतपन्न होने पर ज्योतिषीय परामर्श लें
- वैदिक उपायों का प्रयोग करें
Astro Solution for Business Loss: आजकल आपने बहुत से ऐसे लोगों को सुना होगा जो कहते हैं कि उनका व्यापार बहुत अच्छा चल रहा था परंतु पिछले कुछ समय से व्यापार में परेशानियां आ रही हैं। पहले बिक्री खूब अच्छी होती थी किंतु अचानक उस में गिरावट आ जाती है। लाभ का प्रतिशत भी घट जाता है और समस्या विकट हो जाती है। आप कुशल व्यवसाई हैं, व्यवसाय चलाने का अनुभव भी आपके पास है लेकिन अच्छे भले चलते व्यवसाय में अचानक रुकावट आ जाती है। अच्छा माल बेचते हैं, व्यवहार कुशल भी हैं लेकिन इतना सब होते हुए भी व्यापार निरंतर घाटे में चला जाता है। इन्हीं समस्याओं के चलते कर्ज भी सर पर बढ़ जाता है। क्योंकि व्यापारिक गतिविधियां निर्बल हो जाती है। सब कुछ इंसान के हाथ मे नही होता है। यह सब कर्म और नसीब पर भी आधारित होता है। हर व्यक्ति के जीवन में अच्छे बुरे दौर आते है। व्यापार की गति कम पड़ने की तमाम सारी वजह हो सकती है। अगर आपके भी व्यवसाय में समस्याएं आ रही है। तो आप भी इन उपायों के माध्यम से अपने द्वारा पोषित व्यापार को फिर से पटरी पर ला सकते है।
इस प्रकार की समस्या आपके साथ तो नही होती
आइए पहले जान लेते हैं अगर आपके व्यापार में किसी प्रकार का बंधन लगा हुआ है। तो व्यापार बहुत प्रभावित होता है। आप अपने ऑफिस या दुकान पर जाते हैं। तो मन आशंकित हो जाता है। तरह-तरह के डरावने विचार आने लगते हैं। व्यापार में मन नहीं लगता। दुकान में साफ सफाई पूजा पाठ करने का भी मन नहीं करता। दुकान में रखे हुए सामान पर जाले और धूल लगी रहती है। सफाई कभी कभी ही हो पाती है। ग्राहक आता है। लेकिन आपके व्यक्तित्व से वह प्रभावित नहीं हो पाता और आप उसको सन्तुष्ट नहीं कर पाते वह खाली हाथ चला जाता है। कमाई धीरे धीरे घटने लगती है। मन निराश होने लगता है। जहां से आप सामान लेकर आते हैं। वहां से संबंध खराब होने लगते हैं। अगर आपने उधारी की हुई है तो वह रुक जाती है। नए ग्राहक नहीं बन पाते। पिछले वाले टूटने लगते हैं। इन सब से व्यक्ति मानसिक रूप से इतना कमजोर हो जाता है। सुबह उठ कर दुकान खोलने जाने से भी कतराते है।
फिजूल खर्ची तो आपकी दुश्मन नही
कई बार बेवजह के खर्चे कर्ज बढ़ा बढ़ा देते हैं। जितनी भी कमाई होती है ऐसे कामों पर खर्च हो जाती है। जहाँ नहीं होनी चाहिए। जैसे बीमारी कोर्ट कचहरी मुकदमा आदि। व्यक्ति इन सभी में फस कर रह जाता है। इन सब समस्याओं से व्यक्ति का मानसिक स्तर इतना दुर्बल हो जाता है कि वह खुद का नुकसान करने लगता है। और उसको पता भी नहीं चलता। इस तरह समस्याओं से समझ लेना चाहिए। आपके या तो ग्रह नक्षत्र अनुकूल नही या कोई तंत्र बाधन की वजह से व्यापारिक स्थितियों में अवरोध उतपन्न हो रहे है।
इन सरल उपायों से फिर से व्यापार होगा मजबूत
-प्रत्येक मंगलवार पीपल के 11 पत्ते लें और लाल चंदन से प्रत्येक पत्ते पर राम राम लिखें। इन पत्तों को हनुमान जी के मंदिर में चढ़ा दें।
-सोमवार को 11 बेलपत्र लें तथा उनपर केसर से 'ऊं नमः शिवाय' लिखकर भगवान शिव को मंत्र बोलकर चढ़ाएं। व्यवसायिक आपदा दूर हो जाएंगी। यह कार्य 16 सोमवार तक करें।
-7 कौड़ी 7 कमलगट्टे 7 गोमती चक्र अपने व्यापारिक प्रतिश्ठान में लाल कपड़े में बांध कर रखें
-बांसुरी पर लाल कलावा लपेट कर मोर पंखी के साथ व्यापारिक स्थान पर रखें। लाभ होगा।
-सुबह उठकर मुरली बजाते श्री कृष्ण की तस्वीर के दर्शन करें और कर्ज मुक्ति के लिए प्रार्थना करें।
-प्रत्येक बुद्ध और शुक्रवार को मछलियों को आटे की गोलियां पक्षियों को दाना डालने से कर्ज से भी मुक्ति मिलेगी साथ ही व्यापारिक सम्पन्नता बढ़ेगी
व्यापार समस्या को हल करने की पहचान करना (उपयोग मामला)
उपयोग करने में पहला कदम Microsoft Power Platform एक व्यापार समस्या को हल करने के लिए आप किस समस्या से निपटना चाहते हैं.
IT शब्दावली में, व्यावसायिक समस्या समाधान को आमतौर पर उपयोग प्रकरण के रूप में संदर्भित किया जाता है.
अपने आप से पूछें, "मैं किस व्यावसायिक समस्या को हल करने की कोशिश कर रहा हूं?" (समस्या का नाम देते समय संक्षिप्तता रखें; कई मामलों में, यह आपके द्वारा बनाए गए अनुप्रयोग का नाम बन जाएगा!) जब आप समस्या को परिभाषित करते हैं, तो इसे समस्या कथन और जो परिणाम पाना चाहते हैं-उसमें विभाजित कर दें.
इन लेखों में उदाहरण के रूप में हम जिस अनुप्रयोग का उपयोग करेंगे, उसके लिए हम निम्नलिखित कथन के साथ आए:"व्यय रिपोर्टिंग: ऐसी प्रक्रिया बनाएं जो कर्मचारियों और लेखा विभाग के लिए कुशल हो, तेज बजट ट्रैकिंग की अनुमति देती है, और ऑडिट में हमारा खतरा कम करती है."
यदि आप पहले से ही जानते हैं कि आप किस समस्या को हल करने हेतु तैयार हैं, तो आप अनुभाग को छोड़ सकते हैं समस्या को मैन्युअली हल करने की लागत को ध्यान में रखते हुए. यदि आप अपनी मूल प्रेरणा से नियंत्रित करने से पहले कुछ विचार या या छोटी समस्या पर अभ्यास करना चाहते हैं, तो पढ़ें.
Power Apps के साथ मैं क्या कर सकता/सकती हूँ?
यदि आप Power Apps के साथ अपना पहला अनुप्रयोग बना रहे हैं, तो अपने व्यवसाय और उस कार्य के बारे में सोचें, जो आप और आपकी टीम दिन-प्रतिदिन करते हैं, और व्यावसायिक समस्या की पहचान कर रहे हैं जिसका समाधान करने के लिए आप वर्तमान में एक मैन्युअल प्रक्रिया का उपयोग कर रहे हैं.
स्वचालन के लिए संभावित प्रकरण में अंतराल, शिकायत या अक्षमताएं हैं, जो आपके वर्तमान कार्य वातावरण में मौजूद हैं. जिन प्रक्रियाओं में अभी भी कागज या ईमेल की आवश्यकता होती है, और प्रक्रियाओं को मैन्युअल रूप से एक स्थान से दूसरे स्थान पर डेटा (ईमेल से डेटाबेस तक या एक स्प्रैडशीट से दूसरे तक) स्थानांतरण की आवश्यकता होती है, वे अनुप्रयोग के साथ समाधान पाने के उम्मीदवार हैं.
इतनी बड़ी समस्याएं न उठाएं कि आप फंस जाएं. हालांकि, जब आप पूरी प्रक्रिया को प्रबंधनीय तत्वों में विभाजित कर देते हैं तो बड़ी प्रक्रियाओं को भी बाइट-साइज़ भागों में स्वचालित किया जा सकता है.
यह जानना अच्छा होगा कि आपके पास जो अनुप्रयोग है, उसका लाभ आपके सहयोगियों और आपके बॉस को कैसे मिल सकता है, विशेषकर जब आपको अनुप्रयोग बनाते या उपयोग करते समय सहयोग की आवश्यकता होती है. नीचे दी गई सूची उन समस्याओं के प्रकारों को दिखाती है, जिनका समाधान प्लेटफॉर्म द्वारा किया जा सकता है:
उपलब्धता - कहीं भी, किसी भी समय अनुप्रयोग तक पहुँचना
गतिशीलता - लोगों को आगे बढ़ने पर अनुप्रयोग के साथ काम करने की अनुमति देना
समेकन – मैन्युअल समेकन को कम करने के लिए अधिक स्वचालित तरीके से डेटा एकत्र करना
प्रशिक्षण –लोगों को उनके प्रशिक्षण परिणामों और प्रमाणन को गति देने और ट्रैक करने के लिए आगे बढ़ाना
लोकतंत्रीकरण – विभाग या अनुभाग के अंदर समस्याओं को स्वयं हल करने की क्षमता बढ़ाना
समावेशन – उन कर्मचारियों के लिए टकराव को कम करना, जो अन्य कर्मचारियों से अलग काम के माहौल में हैं (जैसे कि दूरस्थ कर्मचारी या अलग तरह से कार्यक्षम लोग)
कार्यकुशलता – वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए लगने वाला समय कम करना, अनावश्यक चरणों को घटाना
उत्पादकता - एक प्रक्रिया के थ्रूपुट को बढ़ाना
समसामयिकता – विभिन्न साझेदारों के लिए शुरू से अंत तक सहयोग की गति को बढ़ाना
अनुमापकता - अधिक थ्रूपुट की अनुमति देना
विश्लेषण – अतिरिक्त आवश्यक जानकारी प्राप्त करना, इस इस तरह सॉर्ट करना जिससे विश्लेषण आसान हो सके
रिपोर्टिंग – तेजी से सक्षमता बढ़ाना या प्रबंधन के लिए और अधिक पूर्णता के साथ रिपोर्टिंग करना
सुरक्षा - सुरक्षित रूप से संग्रहीत और डेटा के साथ काम करना
अनुपालन – व्यक्तिगत जानकारी को हैंडल करते हुए समस्या का समाधान, कानूनी या लेखांकन आवश्यकताओं को पूरा करना
स्थिरता - कचरे (जैसे कागज और बिजली) और प्रदूषण को कम करना
समस्या को मैन्युअल रूप से हल करने की लागत को ध्यान में रखते हुए
इससे पहले कि आप इस प्रोजेक्ट को आरंभ करें, एक बार फिर से सोचें कि क्या यह प्रोजेक्ट सार्थक है.
मैन्युअल रूप से समस्या का समाधान करने की उच्च-स्तरीय लागत का "अनुमान" लगाना संभव हो सकता है. इसे उस समय में व्यक्त किया जा सकता है, जो इस प्रक्रिया को शुरू से अंत तक पूरा करने में लगता है, या—यदि आप एक कर्मचारी की "पूरी लागत" जानते हैं (वेत या घंटे का रेट, लाभ आदि)— हर बार प्रक्रिया को चलाने के लिए उस दर से समस्या का समाधान करने में लगने वाले समय को लागत से गुणा कर सकते हैं. वहां से, यदि आप जानते हैं कि प्रक्रिया कितनी बार चलाई गई है, तो आप वार्षिक लागत की गणना कर सकते हैं.
ध्यान रखें कि सभी प्रोजेक्ट का परिणाम समय या लागत बचत नहीं होता है. कभी-कभी प्रक्रिया को स्वचालित करना अधिक स्पष्ट या अधिक समयानुकूल डेटा प्रदान कर सकता है, या लागत से बचा सकता है (उदाहरण के लिए, डेटा कैप्चर करना ऑडिट ट्रेल के लिए अनुमति देता है जो ऑडिट होने पर जुर्माने से बचने में मदद कर सकता है.)
यह 'सरल अनुमान' होगा, यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपका अनुप्रयोग प्रोजेक्ट शुरू करने लायक है. एक अन्य लेख में हम लागत बनाम व्यापार मूल्य का विश्लेषण के बारे में विस्तार से बताएंगे.
यह मानकर कि आपने इस परियोजना को आगे बढ़ाने के लायक समझा है, अगला कदम मौजूदा प्रक्रिया को पूरी तरह से समझना और उन अनुकूलनों को देखना है जो आप इसके लिए बना सकते हैं.
क्या आप हमें अपनी दस्तावेज़ीकरण भाषा वरीयताओं के बारे में बता सकते हैं? एक छोटा सर्वेक्षण पूरा करें. (कृपया ध्यान दें कि यह सर्वेक्षण अंग्रेज़ी में है)
सर्वेक्षण में लगभग सात मिनट लगेंगे. कोई भी व्यक्तिगत डेटा एकत्र नहीं किया जाता है (गोपनीयता कथन).
रुपये को वैश्विक मुद्रा बनाने का मौका, व्यापार के लिए नहीं रहेगी डालर की अनिवार्यता
आरबीआइ ने भारत के मौद्रिक इतिहास का एक साहसिक निर्णय लेते हुए घोषणा की कि भारत का अंतरराष्ट्रीय व्यापार भारतीय रुपये में भी होगा। हालांकि इंटरनेशनल स्टैंडर्ड आर्गनाइजेशन लिस्ट के अनुसार दुनिया भर में कुल 185 मुद्राएं हैं लेकिन सभी देशों के केंद्रीय बैंकों में 64 प्रतिशत अमेरिकी डालर है।
मुनि शंकर पांडेय: पिछले दिनों आरबीआइ ने भारत के मौद्रिक इतिहास का एक साहसिक निर्णय लेते हुए घोषणा की कि भारत का अंतरराष्ट्रीय व्यापार भारतीय रुपये में भी होगा। इसके अनुसार भारतीय निर्यातकों और आयातकों को अब व्यापार के लिए डालर की अनिवार्यता नहीं रहेगी। अब दुनिया का कोई भी देश भारत से सीधे बिना अमेरिकी डालर के व्यापार कर सकता है। आरबीआइ के इस कदम से भारतीय रुपये को अंतरराष्ट्रीय व्यापार में एक करेंसी के लिए स्वीकार करवाने की दिशा में मदद मिलेगी। यह निर्णय भारतीय विदेश व्यापार को बढ़ाने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अभिलाषा के भी अनुरूप है। इससे भारत के वैश्विक उद्देश्यों को साधने के साथ-साथ भारतीय अर्थव्यवस्था को दीर्घकालिक मजबूती मिलेगी। हालांकि इसके तात्कालिक प्रभाव का भी आकलन करना होगा।
सबसे पहले अमेरिकी डालर के वैश्विक मुद्रा के रूप में स्वीकृति और दबदबे को समझने की आवश्यकता है। इंटरनेशनल स्टैंडर्ड आर्गनाइजेशन लिस्ट के अनुसार दुनिया भर में कुल 185 मुद्राएं हैं, लेकिन सभी देशों के केंद्रीय बैंकों में जमा कुल विदेशी मुद्रा भंडार का 64 प्रतिशत अमेरिकी डालर है। दुनिया के संपूर्ण व्यापार का 85 प्रतिशत व्यापार डालर में होता है। संसार के समस्त कर्जों में डालर की हिस्सेदारी 39 प्रतिशत है। यही कारण है कि अमेरिकी डालर दुनिया की सबसे स्वीकार्य मुद्रा है।
वैसे तो अर्थशास्त्र का एक सामान्य नियम यह है कि अगर किसी देश की मुद्रा मजबूत होती है तो उसकी अर्थव्यवस्था पर कई नकारात्मक असर पड़ते हैं, लेकिन अमेरिका के मामले में इसका उलट होता है। जैसे ही अमेरिकी डालर मजबूत होता है, वैसे ही तमाम वैश्विक निवेशक अमेरिकी अर्थव्यवस्था में वापस लौट आते हैं। डालर के मजबूत होने से उसका आयात सस्ता हो जाता है, जिससे सामान्य उपभोग की आयातित चीजें सस्ती हो जाती हैं। अमेरिकी अर्थव्यवस्था का 70 प्रतिशत हिस्सा उपभोग पर आधारित है। हालांकि दुनिया को कई बार इसका नुकसान भी उठाना पड़ता है। जैसे वर्ष 2008 में अमेरिका की अपनी स्थानीय नीतियों के कारण आई मंदी ने पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था को हिला दिया। इसके बाद चीन और रूस जैसे देशों ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अमेरिकी डालर के वर्चस्व को तोड़ने की आवश्यकता पर जोर दिया।
कालांतर में चीन और रूस ने आपसी व्यापार अपनी-अपनी मुद्रा में शुरू कर दिया। रूस के केंद्रीय बैंक के अनुसार वित्तीय वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में रूस और चीन के बीच व्यापार में डालर की हिस्सेदारी पहली बार 50 प्रतिशत के नीचे चली गई, जो कि 2015-16 में 90 प्रतिशत थी। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद जब रूस पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगाए, तब भी चीन-रूस का व्यापार यथावत जारी रहा। हाल के वर्षों में जब हमारा सामना कोविड महामारी, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बाधा और रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद पैदा हुई आर्थिक उथल-पुथल से हुआ, तब भारत के नीति नियंता भी देश के आर्थिक हितों के संबंध में सोचने पर विवश हुए। वैश्विक अर्थव्यवस्था में किसी भी रूप में एकाधिकारी प्रवृत्ति या किसी भी आपूर्ति के लिए एक देश पर निर्भरता भारत के दीर्घकालिक हितों के प्रतिकूल है।
किसी देश की मुद्रा की कीमत के निर्धारण में उसके आयात-निर्यात के आकार, अर्थव्यवस्था का प्रबंधन और वैश्विक आर्थिक एवं राजनीतिक परिस्थितियों का हाथ होता है। हाल में डालर की तुलना में रुपया भले ही कमजोर हुआ है, लेकिन अन्य मुद्राओं की अपेक्षा सबसे कम गिरा है। जापानी येन, चीनी युआन सहित अन्य मुद्राओं की तुलना में तो रुपया मजबूत ही हुआ है। अभी एक अमेरिकी डालर के बदले 138 जापानी येन मिल रहे हैं, जबकि 2018 में 110 येन मिलते थे। वहीं 2007 में एक यूरो के बदले 1.60 डालर मिलता था, जबकि अब एक यूरो एक डालर के बराबर हो गया है। भारतीय रुपये की मजबूती का कारण भारत में राजनीतिक स्थिरता, भारतीय अर्थव्यवस्था के आधारभूत तत्वों का मजबूत होना और मुद्रास्फीति के बावजूद भारत में लगातार मांग का बने रहना है। भारत आज विश्व की सर्वाधिक तेजी के साथ रिकवरी करने वाली अर्थव्यवस्था में भी शामिल है। यह कहा जा सकता है कि आगामी वर्षों में जैसे-जैसे भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार बढ़ेगा और निर्यात में उत्तरोत्तर वृद्धि होगी, वैसे-वैसे भारतीय रुपया भी मजबूत हो सकता है।
अब आरबीआइ के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने निर्णय को वैश्विक जब व्यापार करने के लिए नहीं स्तर पर लागू करवाने की होगी। इसके लिए उसे बड़े पैमाने पर भारतीय बैंकों की वैश्विक उपस्थिति सुनिश्चित करनी होगी। करोबारी देश के केंद्रीय बैंकों से समायोजन करना होगा। रुपये में लेन-देन के लिए देश के आयातकों और निर्यातकों को किसी भी व्यावसायिक बैंक में रुपया वोस्ट्रो खाता खोलना होगा। फिर रुपये का मूल्य वास्तविक बाजार मूल्य पर निर्धारित करते हुए उस देश की मुद्रा में सीधे हस्तांतरित किया जा सकेगा। इसका तत्कालिक लाभ भारत को ईरान, रूस के साथ उन देशों के साथ व्यापार में भी मिलेगा, जिनके पास या तो अमेरिकी डालर नहीं है या जो अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण व्यापार नहीं कर पा रहे।
चूंकि भारत अपनी आवश्यकताओं का 90 प्रतिशत तेल और गैस आयात करता है, इसलिए रुपये में व्यापार से भारत लाभ की स्थिति में होगा। कुल मिलाकर आरबीआइ के इस निर्णय से भारत की बढ़ती वैश्विक स्वीकार्यता और लगातार बढ़ रहे कद के कारण रुपये को अंतरराष्ट्रीय करेंसी के रूप में स्थापित करने में मदद करेगी।
(लेखक पालिसी वाच इंडिया में नीति विश्लेषक एवं आर्थिक मामलों के जानकार हैं)
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