🔸सोशल स्टॉक एक्सचेंज से जुड़ने के लिए नियम जारी
🔸राज्यों के कानून, सोसाइटीज एक्ट, ट्रस्ट एक्ट में रजिस्ट्रेशन@SEBI_India pic.twitter.com/dbdkEEUPGe — Zee Business (@ZeeBusiness) September 19, 2022
डेली न्यूज़
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India-SEBI) द्वारा गठित कार्यकारी समूह ने गैर-लाभकारी संगठनों (Non-Profit Organisations) को बॉण्ड जारी करके सीधे सोशल स्टॉक एक्सचेंज (Social Stock Exchanges-SSE) पर सीधे सूचीबद्ध होने की अनुमति देने की सिफारिश की है।
सोशल स्टॉक एक्सचेंज (Social Stock Exchange) के लिए नया फ्रेमवर्क पेश किया गया
सोशल स्टॉक एक्सचेंज (SSE) का विचार सबसे पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2019-20 के बजट भाषण के दौरान पेश सोशल स्टॉक एक्सचेंज किया था। यह स्टॉक एक्सचेंजों पर नॉट फॉर प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन (NPO) की सार्वजनिक सूची है। एनपीओ समाज या समुदाय के कल्याण में शामिल प्रतिष्ठान हैं। वे धर्मार्थ संगठनों के रूप में स्थापित हैं। SSE का उद्देश्य उन्हें वैकल्पिक धन उगाहने वाले साधन प्रदान करना है। निवेशक एसएसई के माध्यम से योगदान करने के लिए कर लाभ का दावा कर सकते हैं। इसी तरह का तंत्र यूनाइटेड किंगडम, कनाडा और ब्राजील जैसे देशों में उपलब्ध है।
SEBI ने सोशल स्टॉक एक्सचेंज बनाने का फ्रेमवर्क जारी किया, भलाई के काम के लिए एक्सचेंज से जुटा सकेंगे पैसे
Social Stock Exchange: यह एक तरह से सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले संगठनों को बाजार से फंड जुटाने में मदद करेगा. 50 लाख रुपये का खर्च सामाजिक भलाई पर होना जरूरी. एक्सचेंज से जुड़ने से 1 साल पहले 10 लाख रुपये फंडिंग जरूरी. संस्था का सरकारी रजिस्ट्रेशन होना जरूरी शर्त होगी
Social Stock Exchange: सोशल स्टॉक एक्सचेंज भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (Sebi) ने सोशल स्टॉक एक्सचेंज (SSE) के लिए विस्तृत फ्रेमवर्क जारी किया है. नए फ्रेमवर्क में गैर-लाभकारी संगठनों (NPO) के लिए न्यूनतम जरूरतों को तय किया गया है, जो इस बाजार में पंजीकरण और खुलासे के लिए जरूरी है. नियामक की तरफ से गठित एक कार्यसमूह और तकनीकी समूह की सिफारिशों के आधार पर तैयार की गयी है. SSE का विचार सबसे पहले केंद्रीय वित्त मंत्री (Finance Minister) निर्मला सीतारमण ने 2019-20 अपने बजट भाषण में पेश किया था. इसका उद्देश्य निजी और नॉन- प्रॉफिट सेक्टर्स को अधिक धन जुटाने का अवसर देना है.
क्या है सोशल स्टॉक एक्सचेंज?
सोशल स्टॉक एक्सचेंज को आसान भाषा में समझें, तो यह एक तरह से सोशल सेक्टर में काम करने वाले संगठनों को बाजार से फंड जुटाने में मदद करेगा. इसका मतलब कि, अब प्राइवेट कंपनियों की तरह सोशल इंटरप्राइजेज (NPO व ऐसे अन्य संस्थान) भी खुद को शेयर बाजारमें लिस्टेड करा सकेंगे और पैसे जुटा सकेंगे.सोशल स्टॉक एक्सचेंज
राज्यों के कानून, सोसाइटीज एक्ट, ट्रस्ट एक्ट में रजिस्ट्रेशन
सेबी ने अपने सर्कुलर में SSE के साथ रजिस्ट्रेशन के लिए NPO द्वारा पूरी की जाने वाली न्यूनतम आवश्यकताओं का ब्योरा दिया है. इसमें एनपीओ के लिए ‘जीरो-कूपन जीरो प्रिंसिपल इंस्ट्रूमेंट्स’ जारी करके धन जुटाने की आवश्यकता और बाजारों में एनपीओ द्वारा किए जाने वाले वार्षिक ब्योरे के खुलासे आवश्यकताओं को पूरा करना शामिल है. ‘जीरो कूपन जीरो प्रिंसिपल इंस्ट्रूमेंट मान्यता प्राप्त शेयर बाजारों पर पंजीकृत नॉन-प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशंस द्वारा सेबी के नियमनों के अनुरूप जारी किए जाते हैं.
इसके अलावा नए फ्रेवर्क में लिस्टेड NPO को तिमाही के अंत से 45 दिन के भीतर एसएसई को धन के उपयोग का विवरण देना होगा, जैसा कि सेबी के नियमों के तहत अनिवार्य है. साथ ही सेबी ने एसएसई का उपयोग करके धन जुटाने वाले सामाजिक उद्यमों को वित्त वर्ष के अंत से 90 दिन के भीतर वार्षिक प्रभाव रिपोर्ट (एआईआर) का खुलासा करने के लिए कहा है.नए नियमों के तहत एसएसई मौजूदा शेयर बाजारों का एक अलग खंड होगा.
🔸भलाई के काम के लिए एक्सचेंज से पैसे जुटा सकेंगे
🔸सोशल स्टॉक एक्सचेंज से जुड़ने के लिए नियम जारी
🔸राज्यों के कानून, सोसाइटीज एक्ट, ट्रस्ट एक्ट में रजिस्ट्रेशन@SEBI_India pic.twitter.com/dbdkEEUPGe
करने होंगे ये काम
सेबी ने कहा कि सामाजिक उपक्रमों को नियामक द्वारा लिस्टेड 16 व्यापक गतिविधियों में से एक में काम करना होगा. इसमें भुखमरी उन्मूलन, गरीबी, कुपोषण और असमानता, स्वास्थ्य सेवा का प्रसार, शिक्षा को समर्थन, रोजगारोन्मुखता और आजीविका और महिलाओं के सशक्तीकरण जैसी गतिविधियां शामिल हैं.
सेबी ने सोशल स्टॉक एक्सचेंज के लिए तैयार किया फ्रेमवर्क, समझिए क्या है एसएसई
एसएसई पर गैर-लाभकारी संस्थान लिस्ट होते हैं. इंग्लैंड, सोशल स्टॉक एक्सचेंज कनाडा और ब्राजील जैसे देशों में पहले से ही एसएसई काम कर रहे हैं. . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : September 20, 2022, 15:17 IST
हाइलाइट्स
सेबी ने सोशल स्टॉक एक्सचेंज के लिए फेमवर्क तैयार कर लिया है.
एसएसई पर नॉन-प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन की लिस्टिंग होती है.
सेबी ने एक सर्कुलर जारी कर लिस्टिंग के लिए कुछ पात्रताएं बताई हैं.
नई दिल्ली. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सोशल स्टॉक एक्सचेंज (एसएसई) के लिए फ्रेमवर्क तैयार कर लिया है. इसे 19 सितंबर को पेश किया गया. इंग्लैंड, कनाडा और ब्राजील जैसे देशों में पहले से ही एसएसई काम कर रहे हैं. लेकिन सोशल स्टॉक एक्सचेंज होता क्या है? जिस तरह मुनाफा कमाने वाली कंपनियों के लिए स्टॉक एक्सचेंज होते हैं उसी नॉन-प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशंस (एनपीओ) के लिए एसएसई होते हैं.
नॉन-प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन जैसे की एनजीओ. एसएसई पर गैर-लाभकारी संस्थान लिस्ट होते हैं. अगर कोई कंपनी इस एक्सचेंज पर लिस्ट होना चाहती है तो पहले उसे अपना रजिस्ट्रेशन एनपीओ के तौर पर कराना होगा. मनीकंट्रोल की एक खबर के अनुसार, भारत में करीब 31 लाख एनपीओ हैं. इसका मतलब है कि देश में इस एक्सचेंज के लिए काफी संभावनाएं हैं.
2020 में जारी हुआ था ड्राफ्ट पेपर
सेबी ने इससे पहले 2020 में ही एसएसई के सोशल स्टॉक एक्सचेंज संबंध में एक ड्राफ्ट रिपोर्ट तैयार की थी. सेबी ने जुलाई 2020 में एसएसई के बारे में लोगों से सुझाव भी मांगे थे. इसके लिए सेबी ने एक समिति भी गठित की थी. समिति ने सुझाव दिया था कि बॉन्ड इश्यू और फंडिंग के जरिए एनपीओ की डायरेक्ट लिस्टिंग की जा सकती है.
सेबी ने जारी किया सर्कुलर
बाजार नियामक ने इस बार जो सर्कुलर जारी किया है उसमें कहा गया है कि एनपीओ का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट 12 महीने के लिए मान्य होगा. एनपीओ को भारत में चैरिटेबल ट्रस्ट के रूप में रजिस्टर होना अनिवार्य होगा. सेबी ने कहा है कि संस्था विभिन्न नियमों के तहत अपना रजिस्ट्रेशन करा सकती है. मसलन, संस्था जिस राज्य में काम कर रही है वहां के पब्लिक ट्रस्ट संबंधी नियमों के तहत खुद को रजिस्टर कराए. इसके अलावा सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट, इंडियन ट्रस्ट एक्ट, कंपनीज एक्ट के तहत भी रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है. उन्हें यह भी बताना होगा कि उनका मालिकाना हक सरकार के पास है या वे निजी संस्था हैं.
लिस्टिंग के लिए अन्य योग्यताएं
लिस्ट होने के लिए एनपीओ को खुले कम-से-कम 3 साल सोशल स्टॉक एक्सचेंज सोशल स्टॉक एक्सचेंज हो जाने चाहिए. उन्हें इनकम टैक्स एक्ट के तहत भी रजिस्ट्रेशन कराना होगा. जारी वित्त वर्ष से पिछले वर्ष में उसका खर्च न्यूनतम 50 लाख रुपये और फंडिंग कम-से-कम 10 लाख रुपये होनी चाहिए.
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