पूंजी बाजार नियामक सेबी की कुल आय वित्त वर्ष 2020-21 में मामूली रूप से बढ़कर 826 करोड़ रुपए हो गई. आय बढ़ने का मुख्य कारण निवेश और शुल्क से होने वाली आय का बढ़ना है. सेबी के वार्षिक खातों के अनुसार, 31 मार्च, 2021 को समाप्त वर्ष के लिए नियामक का कुल खर्च बढ़कर ब्रोकर्स ने क्यों महंगा किया मार्जिन ट्रेडिंग फंडिंग 667.2 करोड़ रुपए हो गया, जो पिछले वित्त वर्ष में 588.14 करोड़ रुपए था.

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ASBA : जानिए शेयर बाजार में निवेश करने वालों को कैसे फायदा पहुंचाएगा

आइए अब इस प्रस्तावित प्रणाली के बारे में विस्तार से जानते हैं:

ASBA क्या है?

ASBA (Application Supported by Blocked Amount), एक खास तरह का पेमेंट सिस्टम है ब्रोकर्स ने क्यों महंगा किया मार्जिन ट्रेडिंग फंडिंग जिसका इस्तेमाल आईपीओ के लिए अर्जी लगाने के दौरान होता है। वर्ष 2008 से यह उपयोग में है। इससे पहले, निवेशकों को आईपीओ के लिए आवेदन करते समय या तो पैसा चेक से जमा करना होता था या आईपीओ के उद्देश्य से बनाए गए एस्क्रो खाते (escrow account) में अपने खाते से ऑनलाइन पैसा ट्रांसफर करना पड़ता था।

उस समय, एक आईपीओ के बंद होने और शेयरों के आवंटन ब्रोकर्स ने क्यों महंगा किया मार्जिन ट्रेडिंग फंडिंग के बीच की समयावधि 10 दिनों से अधिक थी। नतीजतन, पैसा एक निवेशक के बैंक खाते से डेबिट हो जाता था, भले ही उसे शेयर का आवंटन हुआ हो या नहीं।

ASBA के आने के साथ ही पेंमेंट की पूरी प्रक्रिया बदल गई। इस सिस्टम ब्रोकर्स ने क्यों महंगा किया मार्जिन ट्रेडिंग फंडिंग के तहत आईपीओ के लिए अर्जी देते समय केवल एक निवेशक के बैंक खाते में पैसा अवरुद्ध (ब्लॉक) रहता है। शेयरों के आवंटन के मामले में, आवश्यक धनराशि डेबिट हो जाती है जबकि आवंटन ब्रोकर्स ने क्यों महंगा किया मार्जिन ट्रेडिंग फंडिंग नहीं होने की स्थिति में पूरी ब्लॉक्ड राशि अनब्लॉक्ड हो जाती है।

स्टॉक मार्केट के निवेशकों के लिए बड़ी खबर, 1 जुलाई से डीमैट खातों में होगा बड़ा बदलाव, ब्रोकर्स को करना होगा ये काम

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शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने वालों के लिए बड़ी खबर है. कैपिटल मार्केट रेग्युलेटर सेबी (Sebi) ने कहा है कि स्टॉक ब्रोकरों के सभी डीमैट खाते (Demat Account), जो बिना टैग के हैं, उन्हें जून के अंत तक उचित रूप से टैग करने की जरूरत है. 1 जुलाई से बिना टैग वाले किसी भी डीमैट खाते में सिक्योरिटीज को जमा करने की अनुमति नहीं होगी. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एक सर्कुलर में कहा, हालांकि, कॉरपोरेट कार्यों के कारण क्रेडिट की अनुमति होगी.बैंक और डीमैट खातों की टैगिंग उस उद्देश्य को दर्शाती है जिसके लिए उन बैंक/डीमैट खातों ब्रोकर्स ने क्यों महंगा किया मार्जिन ट्रेडिंग फंडिंग का रखरखाव किया जा रहा है और ऐसे खातों की स्टॉक एक्सचेंजों/डिपॉजिटरी को रिपोर्ट करना.

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What is Margin Money in Hindi | होम लोन में मार्जिन मनी क्या होता है? जानिए

बैंक से लोन लेने में कभी-कभी आपको मार्जिन मनी चुकाने की जरूरत पडती है। इस लेख में हम जानेंगे कि मार्जिन मनी क्या होता है? (What is Margin Money in Hindi), यह क्यों लिया जाता है और कितना लिया जाता है?

Margin Money in Home Loan: क्या आप पहली बार होम लोन लेने वाले हैं? तो क्या आप जानते हैं कि आपको भी होम लोन अमाउंट में योगदान करना होगा। अगर आपको नहीं पता तो बता दें कि होम लोन में बैंक या NBFC आपको पूर्ण रूप से लोन राशि प्रदान नहीं करती है। वह आपके ऋण राशि का 80 या 90 प्रतिशत ही लोन के रूप में देती है। शेष राशि का भुगतान आपको अपनी जेब से करना पड़ता है, जिसे डाउन पेमेंट या मार्जिन मनी (Margin Money) के रूप में जाना जाता है। आइये इस पोस्ट में जानते है कि होम लोन में मार्जिन मनी क्या है? (What is Margin Money in Home Loan) और इसका क्या महत्व है।

विलय की खबर बाजार को पसंद नहीं आई

  • Money9 Hindi
  • Publish Date - April 21, 2022 / 03:25 PM IST

विलय की खबर बाजार को पसंद नहीं आई

HDFC और HDFC बैंक शेयर बाजार के ऐसे नाम जो हर किसी चहेते हैं . म्यूचुअल फंड्स से लेकर FIIs तक यहां सब दांव लगाते हैं. मुनाफा कमाते हैं . लेकिन इनके विलय की खबर बाजार को पसंद नहीं आई . शायद यही वजह है कि घोषणा के बाद से अब तक दोनों की शेयरों में जमकर बिकवाली हुई .

HDFC बैंक के शेयर में 19 फीसद और HDFC के शेयर में 20 फीसद की गिरावट देखने को मिली . 2.5 लाख करोड़ से ज्यादा का मार्केट कैप साफ हो गया . इस बीच बैंक के नतीजे भी बाजार के अनुमान से फीके रहे . बाजार के दिग्गजों की पिटाई से सरपट दौड़ते सेंसेक्स-निफ्टी की रफ्तार भी थम गई . 01 अप्रैल से शुरू ब्रोकर्स ने क्यों महंगा किया मार्जिन ट्रेडिंग फंडिंग हुए वित्त वर्ष में सेंसेक्स-निफ्टी 3 फीसद से ज्यादा टूट गए .

MF: म्यूचुअल फंड में निवेशकों का पैसा होगा ज्यादा सेफ! कार्वी घोटाले के बड़े बदलाव की तैयारी में सेबी

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Mutual Funds: कार्वी स्टॉक ब्रोंकिंग घटनाक्रम के बाद सेबी ने निवेशकों के पैसे को सुरक्षित रखने के लिए बड़ा कदम उठाने जा रहा है.

कैपिटल मार्केट रेग्युलेटर सेबी (SEBI) ने म्यूचुअल फंड निवेशकों के पैसे को सुरक्षित रखने के लिये एक और कदम उठाने की पहल की है. सेबी ने ब्रोकर्स ने क्यों महंगा किया मार्जिन ट्रेडिंग फंडिंग म्यूचुअल फंड यूनिट्स के लेनदेन में निवेशकों के रखे गए धन (पूल अकाउंट) का इस्तेमाल रोकने का प्रस्ताव किया है. कार्वी स्टॉक ब्रोंकिंग घटनाक्रम के बाद सेबी ने ब्रोकरों अथवा क्लियरिंग कारपोरेशन सदस्यों के पास रखे म्यूचुअल फंड कोषों के निवेश अथवा यूनिट्स के सीधे इस्तेमाल को रोकने का प्रस्ताव किया है.

निवेशकों की सुरक्षा पर सेबी सख्‍त

निवेशकों की सुरक्षा के लिहाज से इस तरह की चुनौतियों का समाधान निकालने के लिये सेबी ने प्रस्ताव किया है कि स्टॉक ब्रोकर, म्यूचुअल फंड वितरक, निवेश सलाहकार और दूसरे प्लेटफार्म, म्यूचुअल फंड लेनदेन के लिये अब कोष की पूलिंग अथवा म्यूचुअल फंड यूनिट नहीं रख सकेंगे.

कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग का मामला सामने आने के बाद सेबी ने इस प्रस्ताव की पहल की है. कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग मामले में ब्रोकिंग कंपनी ने उसके ग्राहकों की 2,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि की सिक्युरिटीज का दुरुपयोग करने का आरोप है.

जारी किया था डिस्कसन पेपर

सेबी ने सोमवार को इस संबंध में जो डिस्कसन पेपर जारी किया है उसमें कहा गया है कि किसी एक्सचेंज के प्लेटफार्म पर शेयर ब्रोकर के जरिये होने वाले सौदे के मामले में शेयर बाजारों को बेहतर प्रणाली स्थापित करनी चाहिए. इसमें ऐसी व्यवस्था होनी चाहिये भुगतान सीधे निवेशक के बैंक खाते से मान्यता प्राप्त क्लियरिंग कारपोरेशन को प्राप्त हो और निवेशक को भुगतान करने के मामले में सीधे क्लियरिंग कारपोरेशन से निवेशक के बैंक खाते में किया जाना चाहिए.

इसी प्रकार से म्यूचुअल फंड यूनिट्स की प्राप्ति और उसकी बिक्री सीधे निवेशकों के खाते ब्रोकर्स ने क्यों महंगा किया मार्जिन ट्रेडिंग फंडिंग में अथवा खाते से जारी किया जाएगा. इसमें ब्रोकर अथवा म्यूचुअल फंड डिस्ट्रिब्यूटर्स, फाइनेंशियल एडवाइजर्स के पास किसी तरह का कोई भंडारण नहीं होगा जहां से वह नकदी अथवा यूनिटों का लेनदेन करते रहें.

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