Photo:IANS भारत दुनिया का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक

भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रकृति या स्वभाव

आजादी के बाद से भारत की अर्थव्यवस्था एक 'मिश्रित अर्थव्यवस्था' रही है। भारत के दुनिया में सबसे सफल विदेशी मुद्रा व्यापारी कौन है बड़े सार्वजनिक क्षेत्र 'मिश्रित अर्थव्यवस्था' को सफल बनाने के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार रहे हैं । भारतीय अर्थव्यवस्था, मूल रूप से सेवा क्षेत्र (वर्तमान में सकल घरेलू उत्पाद का 60% हिस्सा प्रदान करता है) के योगदान और कृषि (जनसंख्या के लगभग 53% लोग) पर निर्भर है । ज्यों-ज्यों समय बीत रहा है वैसे-वैसे अर्थव्यवस्था में कृषि की हिस्सेदारी कम हो रही है तथा सेवा क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़ रही है।

आजादी के बाद से भारत की अर्थव्यवस्था एक 'मिश्रित अर्थव्यवस्था' रही है। भारत के बड़े दुनिया में सबसे सफल विदेशी मुद्रा व्यापारी कौन है सार्वजनिक क्षेत्र 'मिश्रित अर्थव्यवस्था' को सफल बनाने के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार रहे हैं । भारतीय अर्थव्यवस्था, मूल रूप से सेवा क्षेत्र (वर्तमान में सकल घरेलू उत्पाद का 60% हिस्सा प्रदान करता है) के योगदान और कृषि (जनसंख्या के लगभग 53% लोग) पर निर्भर है । ज्यों-ज्यों समय बीत रहा है वैसे-वैसे अर्थव्यवस्था में कृषि की हिस्सेदारी कम हो रही है तथा सेवा क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़ रही है। वर्तमान में भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व की एक विकासशील अर्थव्यवस्था कहा जाता है।

भारतीय अर्थव्यवस्था की विशेषताएं

1. स्वतंत्रता के बाद से ही भारत की अर्थव्यवस्था एक 'मिश्रित अर्थव्यवस्था' रही है। भारत के बड़े सार्वजनिक क्षेत्र अर्थव्यवस्था के लिए रोजगार और राजस्व प्रदान करने के प्रमुख कारक रहे हैं ।

2. विश्व व्यापार संगठन के अनुमानों के अनुसार वैश्विक निर्यात और आयात में भारत की हिस्सेदारी में क्रमश: 0.7% और 0.8% की वृद्धि हुई है जो 2000 में 1.7% थी और 2012 में 2.5% हो गई थी।

3. आजादी के बाद से ही भारतीय अर्थव्यवस्था का परिदृश्य सोवियत संघ की कार्यप्रणाली से प्रेरित रहा था। 1980 के दशक तक विकास दर 5 से अधिक नहीं थी। कई अर्थशास्त्रिययों द्वारा इस स्थिर विकास को 'हिंदू विकास दर' कहा गया था।

4. 1992 के दौरान देश में उदारीकरण के दौर की शुरुआत हुई। इसके बाद, अर्थव्यवस्था में सुधार होना शुरू हो गया था। विकास दर के इस नए चलन को 'नई हिंदू विकास दर' कहा जाता था।

5. भारत की अर्थव्यवस्था में पारंपरिक ग्रामीण खेती, आधुनिक कृषि, हस्तशिल्प, आधुनिक उद्योगों की एक विस्तृत श्रृंखला और कई सेवाओं के विभिन्न क्षेत्र शामिल हैं।

6. सेवा क्षेत्र आर्थिक विकास का प्रमुख स्रोत हैं। इसमें भारतीय अर्थव्यवस्था के आधे से ज्यादा उत्पादन के साथ श्रम शक्ति का एक तिहाई भाग शामिल है।

वर्तमान विश्लेषण

1. वर्तमान में सकल घरेलू उत्पाद की कारक लागत (फैक्टर कॉस्ट), (2004-05के मूल्यानुसार) 5748564 करोड़ रुपए है (आंकड़ा 2013-14)

2. प्रति व्यक्ति आय (वर्तमान मूल्यानुसार) 74,920 रुपये है। (2013-14)

3. 2011-12 की सकल घरेलू बचत दर 30.8% है। (प्रतिशत के रूप में सकल घरेलू उत्पाद का़ वर्तमान बाजार मूल्य)

4. तृतीयक क्षेत्र सकल घरेलू उत्पादन में लगभग 60% का योगदान देता है। (2012-13)

5. कुल खाद्यान्न उत्पादन 265 मिलियन टन (2013-14) है।

6. कुल वैश्विक निर्यात में भारतीय व्यापार का हिस्सा 1.8% है।

7. विश्व के कुल आयात में भारत की हिस्सेदारी 2.5% है।

8. भारत की आबादी का कुल आकार 1.26 बिलियन (2014) है।

9. वर्ष 2015 की पहली छमाही के दौरान नई परियोजनाओं में अमेरिका और चीन को पछाड़ते हुए भारत में सभी देशों के बीच सर्वाधिक एफडीआई प्रवाह देखा गया। पिछले वर्ष की छमाही के 12 बिलियन डॉलर के मुकाबले 2015 में 31 बिलियन डॉलर का व्यय विदेशी कंपनियों द्वारा किया गया। जबकि इसी अवधि के दौरान चीन और अमेरिका में क्रमश: 28 और 27 बिलियन डॉलर का विदेशी निवेश हुआ।

10. 2015 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 330 बिलियन डॉलर का रहा जो कि इस समय (अप्रैल 2016) में अब तक के सर्वोच्च स्तर 355 बिलियन डॉलर पर खड़ा है।

11. इंजीनियरिंग, पेट्रोलियम, रत्न एवं आभूषण, कपड़ा और औषधि शीर्ष पांच क्षेत्रों में वैश्विक मांग में कमी के कारण अगस्त 2015 में लगभग 25 फीसदी की गिरावट आई जो घटकर 13.33 बिलियन डॉलर हो गई। 2014-15 के दौरान इन पांच कारकों का कुल निर्यात में लगभग 66 फीसदी का योगदान था। पिछले वर्ष अगस्त में इन क्षेत्रों से कुल निर्यात 17.79 बिलियन डॉलर का रहा था।

12. गरीबी आकलन:

I- रंगराजन समिति की सिफारिशों (ग्रामीण क्षेत्रों में एक दिन में 32 रुपये/दिन खर्च करने वाले और कस्बों तथा शहरों में 47 रुपये/दिन खर्च करने वाले लोगों को गरीब नहीं माना जाना चाहिए) के परिणामस्वरूप गरीबी रेखा से नीचे की आबादी में वृद्धि हुई है। इसमें तेंदुलकर समीति के 270 मिलियन आबादी के मुकाबले यह 2011-12 में 35 फीसदी की वृद्धि के साथ यह बढकर 363 बिलियन हो गई।

II- रंगराजन समिति द्वारा दी गई परिभाषा के अनुसार भारत की 29.5 फीसदी जनसंख्या गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करती है जबकि 2009-10 में तेंदुलकर समीति के अनुसार यह 21.9 फीसदी थी। रंगराजन के अनुसार कुल आबादी में बीपीएल समूह की हिस्सेदारी 38.2 फीसदी की थी जिसमें दो साल की अवधि के दौरान गरीबी में 8.7 प्रतिशत अंकों की गिरावट दर्ज की गई।

भारतीय अर्थव्यवस्था एक मिश्रित अर्थव्यवस्था (सार्वजनिक और निजी क्षेत्र का संयोजन) है। अपनी प्रकृति के कारण वर्तमान में भारत की अर्थव्यवस्था को दुनिया की सबसे विकसित अर्थव्यवस्था के रूप में जाना जाता है। कुल सकल घरेलू उत्पाद में कृषि क्षेत्र का हिस्सा घटता जा रहा है जबकि सेवा क्षेत्र का हिस्सा बढ़ता जा रहा है या सकल घरेलू उत्पाद में तृतीयक क्षेत्र के योगदान में प्रतिवर्ष वृद्धि हो रही है (इसे भारत के विकसित होने के दुनिया में सबसे सफल विदेशी मुद्रा व्यापारी कौन है दुनिया में सबसे सफल विदेशी मुद्रा व्यापारी कौन है संकेत के रूप में देखा जाता है)।

मोदी राज में भारत के हथियार निर्यात में आयात 6 गुना उछाल, ग्लोबल मार्केट में ब्रह्मोस मिसाइल की जबरदस्त डिमांड

जनवरी 2022 में भारत ने फिलिपीन्स के साथ 375 मिलियन डॉलर यानी 2770 करोड़ रुपए की डिफेंस डील की है. इस डील के तहत भारत फिलिपीन्स को ब्रह्मोस मिसाइल का निर्यात करेगा.

मोदी राज में भारत के हथियार निर्यात में आयात 6 गुना उछाल, ग्लोबल मार्केट में ब्रह्मोस मिसाइल की जबरदस्त डिमांड

एक तरफ भारत अपने डिफेंस बजट (Defence budget of India) को लगातार बढ़ा रहा है. दूसरी तरफ उसका फोकस डिफेंस सेक्टर (Defence sector) में आत्मनिर्भर बनने की भी है. मोदी सरकार भारत के डिफेंस इंपोर्ट (India defence import) को घटाने और एक्सपोर्ट को बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रही है. इस बीच रक्षा मंत्री ने लोकसभा में कहा कि पिछले आठ सालों में भारत के हथियार निर्यात में 6 गुना उछाल आया है. चालू वित्त वर्ष में भारत ने अब तक 11607 करोड़ रुपए के हथियार का निर्यात किया है. रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने लोकसभा में लिखित जवाब में कहा कि वित्त वर्ष 2014-15 में भारत ने 1941 करोड़ के हथियार का निर्यात किया था जो वित्त वर्ष 2021-22 में अब तक 11607 करोड़ रुपए पर पहुंच गया है.

पिछले सात सालों में सरकार ने डिफेंस एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले किए हैं. सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 तक देश के डिफेंस एक्सपोर्ट को बढ़ाकर 36500 करोड़ रुपए करने का लक्ष्य रखा है. भट्ट ने कहा कि ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड और इसके 41 फैक्ट्री को सरकार ने सात डिफेंस पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स में कॉर्पोरेटाइजेशन किया है जिसका बहुत लाभ मिलेगा.

भारतीय ब्रह्मोस मिसाइल की भयंकर डिमांड

जनवरी 2022 में भारत ने फिलिपीन्स के साथ 375 मिलियन डॉलर यानी 2770 करोड़ रुपए की डिफेंस डील की है. इस डील के तहत भारत फिलिपीन्स को ब्रह्मोस मिसाइल का निर्यात करेगा. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, फिलिपीन्स के साथ करार के बाद वियतनाम, इंडोनेशिया जैसे देशों ने भी भारत के साथ इस तरह की डिफेंस डील करने में दिलचस्पी दिखाई है. संभव है कि आने वाले दिनों में भारत इन देशों को बड़े पैमाने पर हथियार निर्यात करे.

इन देशों के साथ बातचीत जारी

भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल और आकाश एयर डिफेंस सिस्टम का अपने देश में निर्माण किया है. सऊदी अरब और यूनाइटेड अरब अमीरात यानी UAE ने इसमें दिलचस्पी दिखाई है. डिफेंस डील को लकेर इन दो देशों के साथ भारत की बातचीत जारी है.

पिछले आठ सालों में रक्षा बजट दोगुना हुआ

भट्ट ने कहा कि यह 2013-14 के बजट से करीब दोगुना होकर लगभग 5.25 लाख करोड़ रुपए हो गया है. वित्त वर्ष 2013-14 देश का रक्षा बजट 2.53 लाख करोड़ रुपए था. उन्होंने कहा कि ‘स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट’ (SIPRI) के अनुसार रक्षा बजट में खर्च के आधार पर भारत दुनिया में अमेरिका और चीन के बाद तीसरे स्थान पर है. सिपरी के मुताबिक भारत ने 2011 से 2020 के बीच में रक्षा बजट पर खर्च 76 फीसदी बजट बढ़ाया है, जबकि पूरी दुनिया में इस अवधि में रक्षा बजट का खर्च केवल 9 फीसदी बढ़ा है.

हथियार के आयात में 21 फीसदी की गिरावट- SIPRI

पिछले कुछ सालों में भारत के हथियार आयात पर गौर करें तो रूस की हिस्सेदारी में भारी गिरावट आई है. भारत में हथियारों के आयात में रूस की हिस्सेदारी 2012-17 के 69 फीसदी से घटकर 2017-21 में 46 फीसदी रह गई. सिपरी की रिपोर्ट के मुताबिक, 2012-16 और 2017-21 के बीच भारत में हथियारों के आयात में 21 फीसदी की कमी आई. इसके बावजूद, भारत 2017-21 में प्रमुख हथियारों का दुनिया में सबसे बड़ा आयातक रहा और इस अवधि में विश्व में हथियारों के कुल आयात में भारत की हिस्सेदारी 11 फीसदी रही.’

रूस से हथियार आयात में 47 फीसदी की गिरावट

एसआईपीआरआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2012-16 और 2017-21 की अवधि में रूस भारत को प्रमुख हथियारों का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता रहा, लेकिन भारत में रूसी हथियारों के आयात में इन दो अवधियों के बीच 47 फीसदी की गिरावट आई, क्योंकि रूसी हथियारों के लिए कई बड़े कार्यक्रम बंद हो गए.इसके विपरीत, फ्रांस से भारत के हथियारों का आयात दस गुना से अधिक बढ़ गया, जिससे वह 2017–21 में भारत का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता बन गया.

CCI के फैसले के खिलाफ Google की याचिका, एंड्रॉयड का मामला अब NCLAT के पास

नई दिल्लीः गूगल ने एंड्रॉयड मोबाइल उपकरण पारिस्थितिकी तंत्र के मामले में अनुचित व्यापार व्यवहार के भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के आदेश के खिलाफ राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) में अपील की है। कंपनी के प्रवक्ता ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। प्रतिस्पर्धा आयोग ने एंड्रॉयड मोबाइल उपकरणों के मामले में कई बाजारों में अपनी दबदबे की स्थिति का फायदा उठाने के लिए गूगल पर 1,337.76 करोड़ रुपए का भारी जुर्माना लगाया था। इसके साथ ही सीसीआई ने इंटरनेट क्षेत्र की दिग्गज कंपनी को विभिन्न प्रकार के अनुचित व्यापार व्यवहार से बचने को कहा था।

गूगल के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हमने एंड्रॉयड पर सीसीआई के फैसले के खिलाफ अपील करने का निर्णय लिया है। हमारा मानना है कि यह फैसला उन भारतीय प्रयोगकर्ताओं, कंपनियों के लिए बड़ा झटका है जिन्हें एंड्रॉयड की सुरक्षा खूबियों पर भरोसा है। इससे मोबाइल उपकरणों की लागत संभावित रूप से बढ़ जाएगी।'' प्रवक्ता ने कहा कि हम एनसीएलएटी में अपनी बात रखेंगे। इसके साथ ही हम अपने प्रयोगकर्ताओं तथा भागीदारों के प्रति प्रतिबद्ध हैं। कंपनी ने कहा कि एंड्रॉयड ने भारतीय प्रयोगकर्ताओं, डेवलपर्स और ओईएम को लाभ दिया है और इसने देश के डिजिटल बदलाव को आगे बढ़ाया है। सूत्रों ने कहा कि गूगल ने एनसीएलएटी से इस आदेश पर रोक लगाने की अपील की है।

गूगल का मानना है कि सीसीआई इस बात पर गौर करने में विफल रहा कि मुक्त एंड्रॉयड कारोबारी मॉडल सभी अंशधारकों के लाभ के लिए प्रतिस्पर्धा का समर्थन करता है। खासकर भारत के मामले में। सूत्रों ने कहा कि गूगल को भरोसा है कि एनसीएलएटी इस मामले में मौजूद प्रमाणों पर गौर करेगा कि एंड्रॉयड ने भारत में मोबाइल पारिस्थतिकी तंत्र की भारी वृद्धि और समृद्धि में योगदान दिया है। सूत्रों ने कहा कि एंड्रॉयड ने सभी के लिए अधिक विकल्प पैदा किए हैं। इसने देश और दुनिया में हजारों सफल व्यवसायों को समर्थन दिया है।

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भारत दुनिया का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक, देश में हुआ इतने लाख मीट्रिक टन गन्ने का उत्पादन

World's Largest Sugar Producer: भारत दुनिया का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक और उपभोक्ता और दूसरे सबसे बड़े निर्यातक के रूप में उभरा है।

India TV Business Desk

Edited By: India TV Business Desk
Published दुनिया में सबसे सफल विदेशी मुद्रा व्यापारी कौन है on: October 05, 2022 17:12 IST

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Photo:IANS भारत दुनिया का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक

Highlights

  • 1.18 लाख करोड़ रुपये से अधिक के गन्ने की खरीद
  • यह मौसम भारतीय चीनी क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण
  • भारत सरकार की नीति साबित हुई कारगर

World's Largest Sugar Producer: भारत दुनिया का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक और उपभोक्ता और दूसरे सबसे बड़े निर्यातक के रूप में उभरा है। चीनी सीजन (अक्टूबर-सितंबर) 2021-22 में, देश में 5,000 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) से अधिक गन्ने का उत्पादन हुआ, जिसमें से लगभग 3,574 एलएमटी चीनी मिलों द्वारा कुचल कर लगभग 394 एलएमटी चीनी (सुक्रोज) का उत्पादन किया गया। इसमें से 35 एलएमटी चीनी को एथेनॉल उत्पादन के लिए और 359 एलएमटी चीनी का उत्पादन चीनी मिलों द्वारा किया गया था।

यह मौसम भारतीय चीनी क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अनुसार, यह मौसम भारतीय चीनी क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ है। गन्ना उत्पादन, चीनी उत्पादन, चीनी निर्यात, गन्ने की खरीद, गन्ना बकाया भुगतान और इथेनॉल उत्पादन के सभी रिकॉर्ड सीजन के दौरान बनाए गए थे।

भारत सरकार की नीति साबित हुई कारगर

सीजन का एक अन्य आकर्षण लगभग 109.8 एलएमटी का उच्चतम निर्यात है, वह भी बिना किसी वित्तीय सहायता के जिसे 2020-21 तक बढ़ाया जा रहा था। सहायक अंतरराष्ट्रीय कीमतों और भारत सरकार की नीति ने भारतीय चीनी उद्योग की इस उपलब्धि तक पहुंचाने का काम किया है। इन निर्यातों ने देश के लिए लगभग 40,000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा अर्जित की है।

चीनी उद्योग की सफलता की कहानी देश में व्यापार के लिए एक बहुत ही सहायक समग्र पारिस्थितिकी तंत्र के साथ केंद्र और राज्य सरकारों, किसानों, चीनी मिलों, इथेनॉल डिस्टिलरीज के समकालिक और सहयोगात्मक प्रयासों का परिणाम है। पिछले 5 वर्षो से समय पर सरकारी हस्तक्षेप चीनी क्षेत्र को 2018-19 में वित्तीय संकट से बाहर निकालने से लेकर 2021-22 में आत्मनिर्भरता के चरण तक बनाने में महत्वपूर्ण रहा है।

1.18 लाख करोड़ रुपये से अधिक के गन्ने की खरीद

अधिकारियों ने कहा कि एसएस 2021-22 के दौरान, चीनी मिलों ने 1.18 लाख करोड़ रुपये से अधिक के गन्ने की खरीद की और केंद्र से बिना किसी वित्तीय सहायता (सब्सिडी) के 1.12 लाख करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान जारी किया। इस प्रकार, चीनी सीजन के अंत में गन्ना बकाया 6,000 करोड़ रुपये से कम है, जो दर्शाता है कि गन्ना बकाया का 95 प्रतिशत पहले ही चुकाया जा चुका है। यह भी उल्लेखनीय है कि शुगर सीजन 2020-21 के लिए 99.9 प्रतिशत से अधिक गन्ना बकाया चुकाया गया है।स्थगित करने के लिए भी कहा है।

टीम ने कहा कि डेलावेयर चांसरी कोर्ट को 'अदालत के इस तरह के समापन या आगे के आदेश को लंबित करने के लिए परीक्षण और उससे संबंधित अन्य सभी कार्यवाही स्थगित करनी चाहिए।' हाल ही में, मस्क और अग्रवाल के बीच आदान-प्रदान किए गए ग्रंथों का एक नया खजाना सार्वजनिक डोमेन में लीक हो गया था।

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नई दिल्लीः गूगल ने एंड्रॉयड मोबाइल उपकरण पारिस्थितिकी तंत्र के मामले में अनुचित व्यापार व्यवहार के भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के आदेश के खिलाफ राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) में अपील की है। कंपनी के प्रवक्ता ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। प्रतिस्पर्धा आयोग ने एंड्रॉयड मोबाइल उपकरणों के मामले में कई बाजारों में अपनी दबदबे की स्थिति का फायदा उठाने के लिए गूगल पर 1,337.76 करोड़ रुपए का भारी जुर्माना लगाया था। इसके साथ ही सीसीआई ने इंटरनेट क्षेत्र की दिग्गज कंपनी को विभिन्न प्रकार के अनुचित व्यापार व्यवहार से बचने को कहा था।

गूगल के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हमने एंड्रॉयड पर सीसीआई के फैसले के खिलाफ अपील करने का निर्णय लिया है। हमारा मानना है कि यह फैसला उन भारतीय प्रयोगकर्ताओं, कंपनियों के लिए बड़ा झटका है जिन्हें एंड्रॉयड की सुरक्षा खूबियों पर भरोसा है। इससे मोबाइल उपकरणों की लागत संभावित रूप से बढ़ जाएगी।'' प्रवक्ता ने कहा कि हम एनसीएलएटी में अपनी बात रखेंगे। इसके साथ ही हम अपने प्रयोगकर्ताओं तथा भागीदारों के प्रति प्रतिबद्ध हैं। कंपनी ने कहा कि एंड्रॉयड ने भारतीय प्रयोगकर्ताओं, डेवलपर्स और ओईएम को लाभ दिया है और इसने देश के डिजिटल बदलाव को आगे बढ़ाया है। सूत्रों ने कहा कि गूगल ने एनसीएलएटी से इस आदेश पर रोक लगाने की अपील की है।

गूगल का मानना है कि सीसीआई इस बात पर गौर करने में विफल रहा कि मुक्त एंड्रॉयड कारोबारी मॉडल सभी अंशधारकों के लाभ के लिए प्रतिस्पर्धा का समर्थन करता है। खासकर भारत के मामले में। सूत्रों ने कहा कि गूगल को भरोसा है कि एनसीएलएटी इस मामले में मौजूद प्रमाणों पर गौर करेगा कि एंड्रॉयड ने भारत में मोबाइल पारिस्थतिकी तंत्र की भारी वृद्धि और समृद्धि में योगदान दिया है। सूत्रों ने कहा कि एंड्रॉयड ने सभी के लिए अधिक विकल्प पैदा किए हैं। इसने देश और दुनिया में हजारों सफल व्यवसायों को समर्थन दिया है।

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