शब्द "कहकशां" यानी Milky way, उर्दू शायरी में बहुत ख़ूबसूरत अंदाज़ में मिलता है। यह मशहूर शे'र सबको याद ही होगा:
चांदी दो-तीन साल में एक लाख रुपये तक जा सकती है
जैसा कि चार्ट में देखा गया है, चांदी ने 2006 से 2008 तक एक बड़ी तेजी देखी थी. लेकिन चांदी में ब्रेकआउट 2004 में आया चलती औसत रेखा क्या है था. 2008 में, चांदी कुछ समय के लिए 50-एमएमए से नीचे चली गई थी, क्योंकि दुनिया सब प्राइम के चलते मंदी में जा रही थी. शेयर, कमोडिटी, कीमती धातुएं, रियल एस्टेट और बांड सहित सभी एसेट क्लास में उस दौरान काफी लुढ़के थे.
2009 में, फिर से कीमतें इस औसत (50 एमएए) से चढ़कर 12 डॉलर प्रति औंस के ऊपर बंद हुईं और 2011 में 49 डॉलर प्रति औंस तक रुकीं. इस चलती औसत रेखा क्या है तरह से महज दो साल के भीतर 308 फीसदी का रिटर्न मिला. यह इतने कम समय में किसी भी एसेट क्लास में जोरदार रिटर्न है. 2013 में, चांदी की कीमत 50-एमएमए से नीचे बंद हुई और अब अगस्त में चांदी इस स्तर से ऊपर बंद हुई है.
चीन को लेकर फारूक अब्दुल्ला ने कर दी ये भविष्यवाणी, जानें देश के लिए क्या कहा?
Edited By: Dharmendra Kumar Mishra @dharmendramedia
Published चलती औसत रेखा क्या है on: December 23, 2022 23:07 IST
Image Source : PTI फारूक अब्दुल्ला, पूर्व चलती औसत रेखा क्या है सीएम
Farooq Abdullah on China Issue: वास्तविक नियंत्रण रेखा पर वर्ष 2020 से अब तक हुई दो हिंसक झड़पों के बाद जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने भारत को चीन से सतर्क रहने की भविष्यवाणी की है। फारूक अब्दुल्ला ने बताया है कि चीन भारत के लिए किस प्रकार के इरादे रखता है। अब्दुल्ला ने चीन विवाद सहित जम्मू कश्मीर के मुद्दों पर कहा कि हमें अपना पाउडर सूखा रखना चाहिए, क्योंकि कभी भी कुछ भी हो सकता है।
क्या आप जानते हैं?
शाह नसीर की गिनती अठारहवीं शताब्दी के प्रसिद्ध शायरों में होती है। शाह नसीर ने अपनी ज़िंदगी में बेशुमार शे'र कहे मगर अपना दीवान संकलित नहीं किया। जो कलाम कहते उसे एक जगह रखते जाते और जब बहुत सारा कलाम जमा हो जाता तो तकिए की तरह एक लम्बे से थैले में रख देते। घर वालों को निर्देश देते कि इसकी देखभाल करते रहना। शाह नसीर के बहुत से शागिर्द हुए जिनके कलाम को न केवल दुरुस्त करते बल्कि कभी कभी ग़ज़लें भी कह कर देते और मुशायरे पढ़वाते। सख़्त ज़मीनों और मुश्किल रदीफ़ व क़ाफ़िये में शे'र कहना उनका शौक़ था। शायरी की वजह से चलती औसत रेखा क्या है ही शाह आलम के दरबार में पहुंच हुई। उनका देहांत हैदराबाद में हुआ और उसके बाद उनका दीवान "चमनिस्तान-ए-सुख़न" के नाम से प्रकाशित हुआ। यह मशहूर शे'र उन्हीं से सम्बद्ध है:
ख़्याल-ए-ज़ुल्फ़ दोता में नसीर पीटा कर
गया है सांप निकल तो लकीर पीटा कर
क्या आप जानते हैं?
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ सातवीं कक्षा में थे तब उन्होंने शायरी शूरू की। उनकी पहली कोशिश एक हजो(निंदा) थी। क़िस्सा यूं है कि फ़ैज़ को स्कूल के ज़माने से ही नावेल और शायरी पढ़ने का शौक़ हो गया था। उनके भाई तुफ़ैल अहमद ख़ां जो उन से तीन साल बड़े थे, उनके एक दोस्त ने फ़ैज़ से पूछा, 'तुम शायरी पढ़ते ही हो कि लिखते भी हो।'
फ़ैज़ ने कहा, 'कभी लिखी तो नहीं।'
तब उन्होंने अपने दोस्त छज्जो राम की हजो लिखने की फ़रमाइश की। फ़ैज़ ने अपनी समझ के अनुसार लिख दी। अगले दिन स्कूल में उस हजो की धूम मची हुई थी।नर्म दिल फ़ैज़ को बड़ी ग्लानि हुई कि मेरे कारण छज्जो राम को हार्दिक कष्ट हुआ होगा। उन्होंने उसे ढूंढ कर उससे माफ़ी मांगी, लेकिन छज्जो राम तो बहुत ख़ुश था उस हजो की वजह से वह स्कूल में मशहूर हो गया। फ़ैज़ ने पंद्रह साल की उम्र में स्कूल में छात्रों की शायरी की प्रतियोगिता में अपनी ग़ज़ल पर प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया था।उस प्रतियोगिता के जज मौलवी मीर हसन थे जिन्होंने अल्लामा इक़बाल को भी पढ़ाया था। यही मीर हसन अल्लामा इक़बाल और फ़ैज़ दोनों के साझा उस्ताद थे, जिन्हें शम्सुल उलमा का ख़िताब भी मिला।
क्या आप जानते हैं?
अकबर इलाहाबादी पूर्वी संस्कृति और सभ्यता के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने अपनी पूरी शायरी में अंग्रेज़ी सभ्यता पर कठोर व्यंग्य से काम लिया मगर स्वयं अपने पुत्र को शिक्षा के लिए लंदन भेज दिया, जिनका नाम इशरत हुसैन था। इशरत हुसैन को भेजते समय बहुत सारी प्रतिज्ञाएं भी लीं कि अपनी प्राच्य प्रम्परा को कभी न भूलना। एक बार इशरत का ख़त आने में बहुत देर हो गई तो अकबर इलाहाबादी ने अपना मशहूर क़तअ लिख भेजा जिसके दो शे'र मुलाहिज़ा हों;
इशरती घर की मोहब्बत का मज़ा भूल गए
खा के लंदन की हवा अह्द-ए-वफ़ा भूल गए
पहुंचे होटल में तो फिर ईद की परवा न रही
केक को चख के सिवइयों का मज़ा भूल गए
आपकी हथेली में मौजूद धन रेखा क्या कहती है खुद ही देख लीजिए
हथेली में धन रेखा को जानने से पहले यह जान लें कि आपको किस हाथ में अपनी धन रेखा देखनी है। बहुत से लोग यह मानते हैं कि पुरुषों का दायां हाथ देखना चाहिए और लड़कियों की बायीं। चलती औसत रेखा क्या है लेकिन आप ऐसा न करें। आप उस हथेली को देखिए जो आपका कर्म हाथ है यानी अगर आप दाएं हाथों से जीवन के महत्वपूर्ण कार्यों को करते हैं तो दायीं हथेली और बाएं हाथ से काम करते हैं तो बायीं हथेली देखिए। यह बात स्त्री पुरूष दोनों के लिए समान रूप से लागू होती है। अगर महिला कामकाजी हैं तो इस बात का जरूर ध्यान रखना चाहिए।
आपकी हथेली में मौजूद धन रेखा क्या कहती है खुद ही देख लीजिए
आपको बता दें कि हथेली में धन रेखा जीवन रेखा की तरह हर व्यक्ति की हथेली में एक स्थान से शुरू नहीं होती है। हर व्यक्ति की हथेली में चलती औसत रेखा क्या है धन की रेखा अलग-अलग स्थानों से और अलग-अलग रेखाओं और पर्वतों से मिलकर बनी होती है। हम सबसे पहले पर्वतों की बात करते हैं जिनसे व्यक्ति की आर्थिक स्थिति का पता चलता है।
आपकी हथेली में मौजूद धन रेखा क्या कहती है खुद ही देख लीजिए
आपकी हथेली में सूर्य पर्वत, शुक्र पर्वत और गुरु पर्वत उठा हुआ है तो यह संकेत है कि आपकी आर्थिक स्थिति अच्छी होगी और आप सुखी जीवन का आनंद लेंगे। यहां ध्यान देने की बात यह है कि शुक्र पर्वत भौतिक सुख को दर्शाता है, गुरु पर्वत आपकी नेतृत्व क्षमता और सूर्य पर्वत आपके मान-सम्मान और प्रसिद्धि को दर्शाता है। अगर यह तीनों चीजें आपके साथ हैं तो आपको धनवान होने से कौन रोक सकता है।
आपकी हथेली में मौजूद धन रेखा क्या कहती है खुद ही देख लीजिए
अब रेखाओं से धन का हाल जानिए। अगर आपकी हथेली में जीवन रेखा, भाग्य रेखा और मस्तिष्क रेखा से मिलकर M आकृति बन रही है तो यह संकेत है कि आप 35 से 55 साल के बीच खूब धन कमाएंगे। इस रेखा का मतलब यह भी होता है कि आपके जीवन में धन का आगमन विवाह के बाद तेजी से होगा। विवाह के बाद ही आप नौकरी या व्यवसाय में उन्नति की ओर बढ़ना शुरु करेंगे।
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