पिट्‌ठुल खेलते बच्चे

Tokyo Olympics: जापान ने ईको फ्रैंडली ओलंपिक के लिए की हैं ऐसी तैयारियां

राज एक्सप्रेस। कहावत है ‘खोजने वाले कचरे में भी सोना खोज लेते हैं।‘ अगर कोविड-19 (covid-19) से उपजी स्थितियों पर विराम लगा और साल 2021 में टोक्यो ओलंपिक 2020 का सपना साकार हुआ तो दुनिया यह कहावत जापान में चरितार्थ होते देखेगी।

साल 2020 के लंबित ओलंपिक के इस साल कोरोना की नई लहर के मध्य लोगों के विरोध के बीच विलंब से आयोजित होने पर भी संशय है। हालांकि जापान की राजधानी टोक्यो में ओलंपिक खेलों के आयोजन के लिए की गई आयोजकों की तैयारियां जमकर सुर्खियां बटोर रही हैं।

ईको फ्रेंडली प्रयास -

तकनीक की दुनिया के बाजीगर जापान ने अपने देश में ईको फ्रेंडली (Eco friendly) यानी पर्यावरण के अनुकूल ओलंपिक कराने का लक्ष्य निर्धारित कर तमाम तैयारियां की हैं। इन तैयारियों को देखकर दुनिया जापानी तकनीक का कायल होने से खुद को रोक नहीं पाएगी।

रिन्यूएबल एनर्जी -

आपको बता दें आयोजकों ने ओलंपिक 2020 में खेलों के ओलिंप व्यापार के लिए रोबोट आयोजन के दौरान सौ फीसदी रिन्यूएबल एनर्जी यानी नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग का लक्ष्य तय किया था।

इस लक्ष्य के तहत विंड और सोलर एनर्जी से स्टेडियम के साथ एथलीट्स विलेज को रोशन किया गया है। दुनिया को पर्यावरण का दोस्त बनने का संदेश देने वाले इस महान आयोजन की तैयारियों को जानकर पर्यावरण प्रेमी भी खासे प्रसन्न हैं।

कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे और ओलंपिक आयोजन के प्रति लोगों के विरोध के बावजूद यदि टोक्यो ओलंपिक-2020, साल 2021 में संभव हुआ तो यह एक बड़ी बात होगी।

यदि आयोजन मुनासिब हुआ तो इस ओलंपिक में खेलों के आयोजन के दौरान सौ फीसद रिन्यूएबल एनर्जी उपयोग में लाई जाएगी।

टोक्यो ओलंपिक में सौ फीसद रिन्यूएबल एनर्जी उपयोग का है लक्ष्य। - सांकेतिक चित्र

मेडल्स भी खास -

इतना ही नहीं ओलंपिक में पार्टिसिपेट करने वाले एथलीट्स को खास तरीके से तैयार मेडल्स दिये जाएंगे। दिये जाने वाले मेडल्स को अनयूज़्ड ओलिंप व्यापार के लिए रोबोट मोबाइल फोन से तैयार किया गया है।

आपको बता दें मोबाइल फोन में कुछ मात्रा में सोना-चांदी के साथ कॉपर यूज़ होता है। इन प्रेशियस मेटल्स को निकालकर मेडल्स तैयार किये गये हैं। इन मेटल्स से कुल 5,000 मेडल्स तैयार होंगे।

रीयूज़ या रीसाइकल्ड –

मेडल बनाने के लिए कई टन फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों जैसे लैपटॉप आदि का कलेक्शन किया गया है। खास बात यह है कि ओलंपिक खेलों में उपयोग होने वाले 99% अन्य उत्पाद या तो रीयूज़ होंगे या फिर रीसाइकिल। स्मरणीय है कि इस प्रयोजन के लिए 80,000 फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस दान में मिली हैं।

टैक्सी भी खास -

जापान में टोक्यो ओलंपिक के लिए बनाए गए खेल गांव में टैक्सी सर्विस भी खास होने वाली है। बगैर ड्राइवर वाली खास ऑटोमेटिक टैक्सी की राइड का लुत्फ पैसेंजर्स स्मार्ट फोन से पैमेंट के जरिये ले सकेंगे।

ड्राइवरलेस टैक्सी के दरवाजे स्मार्ट फोन से खुलेंगे। कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए ये आइडिया काफी पापुलर हो रहा है। रोबोट टैक्सी कही जा रही इन टैक्सियों की टेस्ट राइड के लिए मची होड़ से टैक्सियों की लोकप्रियता के आलम को समझा जा सकता है।

सोलर सड़कें -

सोलर एनर्जी से जुड़े इन्वेंशन्स के मामले में जापान दुनिया के समक्ष मिसाल है। ओलंपिक हेतु तैयार खेलगांव में टैक्सियों के लिए सौर ऊर्जा से लैस खास सड़कें बनाई गई हैं।

इन सड़कों पर सोलर पैनल्स लगाए गए हैं जिनकी मदद से सोलर वाहन चलेंगे। खास बात यह है कि; सोलर पैनल्स को जमीन में लगाकर सड़क को सौर ऊर्जा चलित वाहनों के माकूल बनाया गया है।

रोबोट बताएंगे मायने-

यहां रोबोट्स इंसान की ज़ुबान बोलते नज़र आएंगे। आयोजकों ने विदेशियों को भाषाई परेशानी न हो इसलिए खास रोबोट्स बनाए हैं।

ये रोबोट्स न केवल भाषाई परेशानी हल करने में मेहमानों की मदद करेंगे बल्कि शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के बैग उठाने से लेकर अन्य सेवाओं के लिए भी हाज़िर रहेंगे। मतलब खेल आयोजन स्थलों पर रोबोट्स कामकाज में हाथ बंटाते नजर आएंगे।

कोरोना वायरस से जूझ रहे हमारे प्लानेट “अर्थ” यानी हमारी वसुंधरा को सहेजने की जा रही कोशिश सराहनीय कही जानी चाहिए।

वैक्सीन और ऑक्सीजन की किल्लत से जूझ रही पीढ़ी को हमारा गृह पृथ्वी कचरे के ढेर में तब्दील हो इससे पहले इन कचरे के ढेरों में से जीवन की गुंजाईश तलाशनी शुरू करनी होगी।

पृथ्वी पर तेजी से बढ़ता तापमान और पनप रही अब तक समझ में नहीं आई कोरोना वायरस जैसी महामारी इस बात की ही चेतावनी/समझाईश हमें बार-बार दे रही है।

अधिक पढ़ने के लिए शीर्षक को स्पर्श/क्लिक करें –

डिस्क्लेमर – आर्टिकल प्रचलित मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। इसमें शीर्षक-उप शीर्षक और संबंधित अतिरिक्त प्रचलित जानकारी जोड़ी गई हैं। इस आर्टिकल में प्रकाशित तथ्यों की जिम्मेदारी राज एक्सप्रेस की नहीं होगी।

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विश्व के पहले ‘आर्टिफिशल इंटेलिजेंस’ (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) से लैस रोबोट नेता का विकास

विश्व के पहले 'आर्टिफिशल इंटेलिजेंस' (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) से लैस रोबोट नेता का विकास |_40.1

वैज्ञानिकों ने विश्व के पहले ‘आर्टिफिशल इंटेलिजेंस’ (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) से लैस रोबोट नेता ‘सैम’ का विकास कर लिया है. यह स्थानीय मुद्दों- शिक्षा, आवास, आव्रजन जैसे मुद्दों पर बात कर सकता है.

सैम ’ का निर्माण न्यूजीलैंड के 49 वर्षीय उद्यमी निक गेरिसन ने किया है. फिलहाल आर्टिफिशल इंटेलीजेंस (एआई) वाला यह राजनीतिज्ञ फेसबुक मैसेंजर के जरिए लगातार लोगों को प्रतिक्रिया देना सीख रहा है. इसके अलावा यह विभिन्न सर्वे पर भी तवज्जो दे रहा है.

  • न्यूजीलैंड की राजधानीवेलिंगटन
  • न्यूजीलैंड के प्रधान मंत्री जाकिंडा अर्दर्न..

TOPICS:

  • भगत सिंह के नाम .
  • भारत का पहला सफ�.
  • एहतियाती खुराक.
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  • 'दूर से नमस्ते' �.
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छत्तीसगढ़िया ओलंपिक खेल कराएगी राज्य सरकार,स्थानीय खेल प्रतिभाओं को सामने लाने नयी पहल

पिट्‌ठुल खेलते बच्चे

R.O. No. 12140/ 4

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R.O No. 12140/ 3

छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में कबड्डी, खो-खो, गेड़ी, पिट्ठुल समेत

वॉलीबाल, हॉकी, टेनिस बाल क्रिकेट खेल स्पर्धाएं होंगी शामिल

ऱायपुर। छत्तीसगढ़ में स्थानीय और पारंपरिक खेलों को बढ़ावा देने की दिशा में नयी पहल की गई है। यहां इस साल से छत्तीसगढ़िया ओलंपिक खेल का आयोजन किया जाएगा। यह निर्णय 6 सितंबर मंगलवार को मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में लिया गया।

छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में जहां ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में कबड्डी, खो-खो लेकर टेनिस बाल क्रिकेट जैसे खेल प्रतियोगिताएं होंगी तो वहीं इस ओलंपिक में बच्चों से लेकर सौ साल के बुजुर्ग भी बतौर प्रतिभागी हिस्सा ले सकेंगे। खास बात यह कि, यहां छत्तीसगढ़िया ओलंपिक खेल में शामिल होने के लिए खिलाड़ी को छत्तीसगढ़ का स्थायी निवासी होना अनिवार्य है।
गौरतलब है कि भूपेश बघेल ने बतौर मुख्यमंत्री शपथ लेने के बाद छत्तीसगढ़िया संस्कृति और ग्रामीण परम्परा को आगे बढ़ाने की विशेष पहल की है।

मुख्यमंत्री बघेल खुद भी अनेक मौकों पर पारंपरिक खेलों में हाथ आजमाते नजर आते हैं। मुख्यमंत्री का पारंपरिक खेलों से लगाव इस तरह से भी देखने को मिला है कि, भेंट-मुलाकात समेत उनके कार्यक्रम के दौरान वे बच्चों के बीच पहुंचकर भौंरा, कंचे (बांटी), गिल्ली-डंडा, पिट्ठुल खेलने लगते हैं।

चार स्तरों पर छत्तीसगढ़िया ओलंपिक का आयोजन


छत्तीसगढ़िया ओलंपिक खेल-2022 में कबड्डी, खो-खो, गेड़ी, पिट्ठुल, व्हॉलीबाल, हॉकी और टेनिस बाल क्रिकेट को शामिल किया गया। इन खेलों के मुकाबले पुरूष और महिला दोनों श्रेणियों में होंगे।

वहीं यह यहां ओलंपिक खेल चार स्तरों ग्राम पंचायत, ब्लॉक, जिला एवं राज्य स्तर पर होगा। राज्य स्तर पर छत्तीसगढ़िया ओलंपिक खेल का आयोजन राजधानी रायपुर में होगा।

इन खेलों के आयोजन में तकनीकी सहायता हेतु छत्तीसगढ़ खेल विकास प्राधिकरण के खेल प्रशिक्षक, राज्य और जिला खेल संघ के प्रतिनिधि एवं शिक्षा विभाग के शारीरिक शिक्षकों का सहयोग लिया जाएगा।

राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं के लिए प्रशिक्षण


छत्तीसगढ़िया ओलंपिक खेल-2022 के प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को खेल प्रशिक्षक (कोच) राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता के लिए तैयार करेंगे। एथलीटों के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बतौर खिलाड़ी करियर को बढ़ाने का यह सुनहरा मौका है।

खेल आयोजन के लिए होंगी कमेटियां


प्रदेश सरकार द्वारा ग्राम पंचायतों एवं 146 ब्लॉक स्तर पर होने वाले खेल आयोजन के लिए अलग-अलग कमेटियां गठित की जाएंगी। ग्राम पंचायत स्तर पर गठित कमेटियों के संयोजक सरपंच होंगे और ब्लॉक स्तर पर गठित कमेटियों के संयोजक विकासखंड अधिकारी होंगे।

खेलों में हिस्सा लेने वाले खिलाड़ियों के भोजन, आवागमन एवं अन्य सुविधाओं के लिए ग्राम पंचायतों और विकासखण्डों के लिए बजट उपलब्ध कराया जाएगा।

जापानियों को अंग्रेजी बोलना सिखाएगा रोबोट, 500 स्कूलों में शुरू हुई योजना

जापान की सरकार बच्चों में अंग्रेजी बोलने के कौशल का विकास करने के लिए उनकी कक्षाओं में अंग्रेजी बोलने वाले आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) रोबोट को शामिल करने का विचार कर रही है.

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जापानियों को अंग्रेजी बोलना सिखाएगा रोबोट, 500 स्कूलों में शुरू हुई योजना

टोकियो: जापान की सरकार बच्चों में अंग्रेजी बोलने के कौशल का विकास करने के लिए उनकी कक्षाओं में अंग्रेजी बोलने वाले आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) रोबोट को शामिल करने का विचार कर रही है. इस पहल की प्रभावोत्पादकता का परीक्षण करने के लिए जापान के शिक्षामंत्री अप्रैल 2019 में पथप्रदर्शक कार्यक्रम शुरू करेंगे. जापान के पब्लिक ब्राडकास्टर एनएचके ने शनिवार को अपनी रिपोर्ट में कहा कि आरंभ में देशभर के 500 स्कूलों में इस योजना की शुरुआत की जाएगी और दो साल में इसे पूरी तरह अमल में लाने का ओलिंप व्यापार के लिए रोबोट लक्ष्य रखा गया है.

टोक्यो में 2020 में आयोजित होने वाले ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के दौरान पर्यटकों की तादाद में बढ़ोतरी होने से पहले जापान ने अंग्रेजी दक्षता बढ़ाने की योजना बनाई है. ईएफ इंग्लिश प्रोफिशिएंशी इंडेक्स 2017 में शामिल 80 देशों में जापान 37वें पायदान पर है.

विश्व में रोबोट के जरिये की गई पहली सर्जरी, भारतीय मूल के डॉक्टर ने की अगुवाई
भारतीय मूल ओलिंप व्यापार के लिए रोबोट के एक सर्जन की अगुवाई में विश्व में रोबोट के जरिये पहली सर्जरी की गई. इसमें एक मरीज की गर्दन से दुर्लभ किस्म के ट्यूमर को सफलतापूर्वक निकाला गया. कॉर्डोमा कैंसर का एक दुर्लभ प्रकार है जो खोपड़ी और रीढ़ की हड्डी में होता है. कॉर्डोमा का ट्यूमर बहुत धीरे- धीरे गंभीर रूप अख्तियार करता है और कई वर्षों तक इसका कोई लक्षण देखने को नहीं मिलता. अमेरिका के 27 वर्षीय नोआ पर्निकॉफ 2016 में एक कार हादसे में जख्मी हो गए थे. मामूली चोट से उबरने के बाद उनके गर्दन में काफी दर्द होने लगा था.इसके बाद एक्सरे कराया गया, जिसमें उसके गर्दन में चिंतनीय क्षति का पता चला.

ये जख्म दुर्घटना से संबंधित नहीं थे और उन्हें लगी चोट की तुलना में बहुत अधिक चिंता पैदा करने वाले थे. इसके बाद उस स्थान की बॉयोप्सी की गयी.इसमें व्यक्ति के कॉर्डोमा से पीड़ित होने की बात निकलकर सामने आई. पर्निकॉफ ने कहा, ‘‘मैं बहुत खुशनसीब हूं कि उन्होंने बहुत पहले ओलिंप व्यापार के लिए रोबोट इसका पता लगा लिया.

कॉर्डोमा के इलाज के लिए सर्जरी सबसे उपयुक्त विकल्प
बहुत से लोगों में इसका पता जल्द नहीं लग पाता है और इस कारण शीघ्र उपचार भी मुमकिन नहीं हो पाता है.’’ कॉर्डोमा के इलाज के लिए सर्जरी सबसे उपयुक्त विकल्प होता है लेकिन पर्निकॉफ के मामले में यह बहुत मुश्किल था.ऐसे में उनके पास प्रोटोन थेरिपी का दूसरा विकल्प सामने था. कॉर्डोमा काफी दुर्लभ है.हर साल दस लाख लोगों में कोई एक इससे प्रभावित होता है.पर्निकॉफ के मामले में कॉर्डोमा सी 2 कशेरुका में था.यह और भी दुर्लभ है और इसका उपचार चुनौतीपूर्ण होता है.

पिछले साल अगस्त में पर्निकॉफ की रोबोट के जरिये सर्जरी हुई
अमेरिका के पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के अस्पताल में पिछले साल अगस्त में पर्निकॉफ की रोबोट के जरिये सर्जरी हुई.रोबोट का इस्तेमाल तीन चरणों में की गयी सर्जरी के दूसरे हिस्से में किया गया. सहायक प्रोफेसर नील मल्होत्रा की अगुवाई वाली टीम ने यह सर्जरी की. पर्निकॉफ की सर्जरी तीन चरणों में हुई.

पहले दौर में न्यूरोसर्जन ने मरीज के गर्दन के पिछले हिस्से में ट्यूमर के पास रीढ़ की हड्डी को काट दिया ताकि दूसरे चरण में ट्यूमर को मुंह से निकाला जा सके. पहले चरण की सफलता के बाद सर्जिकल रोबोट के इस्तेमाल के जरिये डॉक्टरों की टीम ने उसके गर्दन से मुंह तक के हिस्से को साफ किया ताकि मल्होत्रा ट्यूमर और रीढ़ की हड्डी के हिस्से को निकाल सकें. अंतिम चरण में टीम ने पर्निकॉफ की रीढ़ की हड्डी को उसके पूर्व के स्थान पर फिट किया. सर्जरी के नौ माह बाद पर्निकॉफ काम पर लौट चुके हैं.

ऑपरेशन करने में सक्षम ये है दुनिया का सबसे छोटा सर्जिकल रोबोट 'वर्सियस'
ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने शल्य चिकित्सा करने में सक्षम दुनिया के सबसे छोटे रोबोट को विकसित करने में सफलता हासिल की है. ब्रिटिश वैज्ञानिकों द्वारा विकसित यह सर्जिकल रोबोट रोजाना दसियों हजार मरीजों का ऑपरेशन कर सकता है.

100 वैज्ञानिकों, इंजीनियरों की एक टीम की मेहनत
समाचार पत्र 'गार्जियन' के मुताबिक, करीब 100 वैज्ञानिकों एवं इंजीनियरों की एक टीम ने मोबाइल फोन व अंतरिक्ष के लिए विकसित की गई प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर इस रोबोटिक आर्म का निर्माण किया है, जिसे एक छेद के जरिए सर्जरी करने के लिए विकसित किया गया है.

रोबोट का नाम 'वर्सियस'
वैज्ञानिकों ने इस सर्जिकल रोबोट का नाम 'वर्सियस' दिया है. हूबहू मनुष्यों के बाजू की तरह दिखने वाला यह सर्जिकल रोबोट लैप्रोस्कोपिक विधि से की जाने वाली विभिन्न तरह की सर्जरी कर सकता है, जिसमें हॉर्निया का ऑपरेशन, कोलोरेक्टल ऑपरेशन, प्रोस्टेट ग्रंथि के अलावा नाक, कान एवं गले का ऑपरेशन भी शामिल है.

शल्य चिकित्सा
इस तरह की सर्जरी में पुरानी शल्य चिकित्सा विधि की बजाय सिर्फ एक चीरा लगाया जाता है. कैंब्रिज मेडिकल रोबोटिक्स के अनुसार, इस रोबोट का नियंत्रण शल्य चिकित्सक 3 डी स्क्रीन के जरिए कर सकते हैं.

जापानियों को अंग्रेजी बोलना सिखाएगा रोबोट, 500 स्कूलों में शुरू हुई योजना

जापान की सरकार बच्चों में अंग्रेजी बोलने के कौशल का विकास करने के लिए उनकी कक्षाओं में अंग्रेजी बोलने वाले आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) रोबोट को शामिल करने का विचार कर रही है.

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जापानियों को अंग्रेजी बोलना सिखाएगा रोबोट, 500 स्कूलों में शुरू हुई योजना

टोकियो: जापान की सरकार बच्चों में अंग्रेजी बोलने के कौशल का विकास करने के लिए उनकी कक्षाओं में अंग्रेजी बोलने वाले आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) रोबोट को शामिल करने का विचार कर रही है. इस पहल की प्रभावोत्पादकता का परीक्षण करने के लिए जापान के शिक्षामंत्री अप्रैल 2019 में पथप्रदर्शक कार्यक्रम शुरू करेंगे. जापान के पब्लिक ब्राडकास्टर एनएचके ने शनिवार को अपनी रिपोर्ट में कहा कि आरंभ में देशभर के ओलिंप व्यापार के लिए रोबोट 500 स्कूलों में इस योजना की शुरुआत की जाएगी और दो साल में इसे पूरी तरह अमल में लाने का लक्ष्य रखा गया है.

टोक्यो में 2020 में आयोजित होने वाले ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के दौरान पर्यटकों की तादाद में बढ़ोतरी होने से पहले जापान ने अंग्रेजी दक्षता बढ़ाने की योजना बनाई है. ईएफ इंग्लिश प्रोफिशिएंशी इंडेक्स 2017 में शामिल 80 देशों में जापान 37वें पायदान पर है.

विश्व में रोबोट के जरिये की गई पहली सर्जरी, भारतीय मूल के डॉक्टर ने की अगुवाई
भारतीय मूल के एक सर्जन की अगुवाई में विश्व में रोबोट के जरिये पहली सर्जरी की गई. इसमें एक मरीज की गर्दन से दुर्लभ किस्म के ट्यूमर को सफलतापूर्वक निकाला गया. कॉर्डोमा कैंसर का एक दुर्लभ प्रकार है जो खोपड़ी और रीढ़ की हड्डी में होता है. कॉर्डोमा का ट्यूमर बहुत धीरे- धीरे गंभीर रूप अख्तियार करता है और कई वर्षों तक इसका कोई लक्षण देखने को नहीं मिलता. अमेरिका के 27 वर्षीय नोआ पर्निकॉफ 2016 में एक कार हादसे में जख्मी हो गए थे. मामूली चोट से उबरने के बाद उनके गर्दन में काफी दर्द होने लगा था.इसके बाद एक्सरे कराया गया, जिसमें उसके गर्दन में चिंतनीय क्षति का पता चला.

ये जख्म दुर्घटना से संबंधित नहीं थे और उन्हें लगी चोट की तुलना में बहुत अधिक चिंता पैदा करने वाले थे. इसके बाद उस स्थान की बॉयोप्सी की गयी.इसमें व्यक्ति के कॉर्डोमा से पीड़ित होने की बात निकलकर सामने आई. पर्निकॉफ ने कहा, ‘‘मैं बहुत खुशनसीब हूं कि उन्होंने बहुत पहले इसका पता लगा लिया.

कॉर्डोमा के इलाज के लिए सर्जरी सबसे उपयुक्त विकल्प
बहुत से लोगों में इसका पता जल्द नहीं लग पाता है और इस कारण शीघ्र उपचार भी मुमकिन नहीं हो पाता है.’’ कॉर्डोमा के इलाज के लिए सर्जरी सबसे उपयुक्त विकल्प होता है लेकिन पर्निकॉफ के मामले में यह बहुत मुश्किल था.ऐसे में उनके पास प्रोटोन थेरिपी का दूसरा विकल्प सामने था. कॉर्डोमा काफी दुर्लभ है.हर साल दस लाख लोगों में कोई एक इससे प्रभावित होता है.पर्निकॉफ के मामले में कॉर्डोमा सी 2 कशेरुका में था.यह और भी दुर्लभ है और इसका उपचार चुनौतीपूर्ण होता है.

पिछले साल अगस्त में पर्निकॉफ की रोबोट के जरिये सर्जरी हुई
अमेरिका के पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के अस्पताल में पिछले साल अगस्त में पर्निकॉफ की रोबोट के जरिये सर्जरी हुई.रोबोट का इस्तेमाल तीन चरणों में की गयी सर्जरी के दूसरे हिस्से में किया गया. सहायक प्रोफेसर नील मल्होत्रा की अगुवाई वाली टीम ने यह सर्जरी की. पर्निकॉफ की सर्जरी तीन चरणों में हुई.

पहले दौर में न्यूरोसर्जन ने मरीज के गर्दन के पिछले हिस्से में ट्यूमर के पास रीढ़ की हड्डी को काट दिया ताकि दूसरे चरण में ट्यूमर को मुंह से निकाला जा सके. पहले चरण की सफलता के बाद सर्जिकल रोबोट के इस्तेमाल के जरिये डॉक्टरों की टीम ने उसके गर्दन से मुंह तक के हिस्से को साफ किया ताकि मल्होत्रा ट्यूमर और रीढ़ की हड्डी के हिस्से को निकाल सकें. अंतिम चरण में टीम ने पर्निकॉफ की रीढ़ की हड्डी को उसके पूर्व के स्थान पर फिट किया. सर्जरी के नौ माह बाद पर्निकॉफ काम पर लौट चुके हैं.

ऑपरेशन करने में सक्षम ये है दुनिया का सबसे छोटा सर्जिकल रोबोट 'वर्सियस'
ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने शल्य चिकित्सा करने में सक्षम दुनिया के सबसे छोटे रोबोट को विकसित करने में सफलता हासिल की है. ब्रिटिश वैज्ञानिकों द्वारा विकसित ओलिंप व्यापार के लिए रोबोट यह सर्जिकल रोबोट रोजाना दसियों हजार मरीजों का ऑपरेशन कर सकता है.

100 वैज्ञानिकों, इंजीनियरों की एक टीम की मेहनत
समाचार पत्र 'गार्जियन' के मुताबिक, करीब 100 वैज्ञानिकों एवं इंजीनियरों की एक ओलिंप व्यापार के लिए रोबोट टीम ने मोबाइल फोन व अंतरिक्ष के लिए विकसित की गई प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर इस रोबोटिक आर्म का निर्माण किया है, जिसे एक छेद के जरिए सर्जरी करने के लिए विकसित किया गया है.

रोबोट का नाम 'वर्सियस'
वैज्ञानिकों ने इस सर्जिकल रोबोट का नाम 'वर्सियस' दिया है. हूबहू मनुष्यों के बाजू की तरह दिखने वाला यह सर्जिकल रोबोट लैप्रोस्कोपिक विधि से की जाने वाली विभिन्न तरह की सर्जरी कर सकता है, जिसमें हॉर्निया का ऑपरेशन, कोलोरेक्टल ऑपरेशन, प्रोस्टेट ग्रंथि के अलावा नाक, कान एवं गले का ऑपरेशन भी शामिल है.

शल्य चिकित्सा
इस तरह की सर्जरी में पुरानी शल्य चिकित्सा विधि की बजाय सिर्फ एक चीरा लगाया जाता है. कैंब्रिज मेडिकल रोबोटिक्स के अनुसार, इस रोबोट का नियंत्रण शल्य चिकित्सक 3 डी स्क्रीन के जरिए कर सकते हैं.

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