वैसे तो अर्थशास्त्र का एक सामान्य नियम यह है कि अगर किसी देश की मुद्रा मजबूत होती है तो उसकी अर्थव्यवस्था पर कई नकारात्मक असर पड़ते हैं, लेकिन अमेरिका के मामले में इसका उलट होता है। जैसे ही अमेरिकी डालर मजबूत होता है, वैसे ही तमाम वैश्विक निवेशक अमेरिकी अर्थव्यवस्था में वापस लौट आते हैं। डालर के मजबूत होने से उसका आयात सस्ता हो जाता है, जिससे सामान्य उपभोग की आयातित चीजें सस्ती हो जाती हैं। अमेरिकी अर्थव्यवस्था का 70 प्रतिशत हिस्सा उपभोग पर आधारित है। हालांकि दुनिया को कई बार इसका नुकसान भी उठाना पड़ता है। जैसे वर्ष 2008 में अमेरिका की अपनी स्थानीय नीतियों के कारण आई मंदी ने पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था को हिला दिया। इसके बाद चीन और रूस जैसे देशों ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अमेरिकी डालर के वर्चस्व को तोड़ने की आवश्यकता पर जोर दिया।
विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट जारी, गोल्ड रिजर्व और एसडीआर भी घटा
13 मई 2022 को समाप्त हफ्ते में भारत की विदेशी मुद्रा संपत्ति 1.302 अरब डॉलर की गिरावट के साथ 529.554 अरब डॉलर पर रही थी
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट जारी है। आरबीआई द्वारा जारी ताजे आंकड़ों के मुताबिक देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार दसवीं साप्ताहिक गिरावट दर्ज की गई है और यह 593.279 अरब डॉलर पर रहा है। 13 मई 2022 को समाप्त हफ्ते में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में साप्ताहिक आधार पर 2.676 अरब डॉलर की गिरावट देखने को मिली थी और यह 593.279 अरब डॉलर पर रहा था।
13 मई 2022 को समाप्त हफ्ते में भारत की विदेशी मुद्रा संपत्ति 1.302 अरब डॉलर की गिरावट के साथ 529.554 अरब डॉलर पर रही थी जबकि इसी अवधि में देश का गोल्ड रिजर्व 1.169 अरब डॉलर घटकर 40.570 अरब डॉलर पर रहा था। इसके अलावा समीक्षाधीन हफ्ते में SDR भी 16.5 करोड़ डॉलर की गिरावट के साथ 18.204 अरब डॉलर पर रहा था।
शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया चार पैसे टूटकर 82.64 पर आया
मुंबई, 14 दिसंबर (भाषा) विदेशी बाजारों में अमेरिकी डॉलर की मजबूती और निवेशकों की जोखिम से बचने की प्रवृत्ति के बीच रुपया बुधवार को शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले चार पैसे की गिरावट के साथ 82.64 के स्तर पर आ गया।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि घरेलू शेयर विदेशी मुद्रा में एक प्रवृत्ति क्या है? बाजारों में तेजी से घरेलू मुद्रा को मजबूती मिली।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनियम बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपया 82.60 पर खुला, फिर और गिरावट विदेशी मुद्रा में एक प्रवृत्ति क्या है? के साथ 82.64 के स्तर पर आ गया जो पिछले बंद भाव के मुकाबले चार पैसे की गिरावट को दर्शाता है।
शुरुआती सौदों में रुपया 82.60-82.65 के सीमित दायरे में कारोबार कर रहा था।
रुपया मंगलवार को डॉलर के मुकाबले 9 पैसे टूटकर 82.60 पर बंद हुआ था।
इसबीच छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.11 प्रतिशत की बढ़त के साथ 104.09 पर आ गया।
नशा करने के लिए विशेष प्रावधान
दवाओं के अधिकार के रूप में ज्यादा सजा कब्जे या खरीद के निजी इस्तेमाल के लिए या पुनर्विक्रय के लिए है, लेकिन दवा की मात्रा पर निर्भर करता है, इस पर निर्भर नहीं करता है आदि बिक्री, खरीद, उत्पादन, के रूप में एनडीपीएस एक्ट के तहत एक अपराध ही है।
दवाओं की खपत एनडीपीएस एक्ट की धारा 27 के तहत एक अपराध है और एक साल तक (कुछ दवाओं के मामले में) या (अन्य सभी विदेशी मुद्रा में एक प्रवृत्ति क्या है? दवाओं के मामले में) छह महीने के कारावास की सजा दी है।
हालांकि, इलाज विदेशी मुद्रा में एक प्रवृत्ति क्या है? के लिए स्वयं सेवा नशेड़ी अधिनियम की धारा '64 क के तहत उन्मुक्ति मिलता है।
उपचार के लिए स्वयं सेवा नशा करने के लिए अभियोजन पक्ष से 64. प्रतिरक्षण धारा 27 के तहत या स्वेच्छा से सरकार या द्वारा बनाए रखा या मान्यता प्राप्त एक अस्पताल या एक संस्था से नशा मुक्ति के लिए चिकित्सा उपचार से गुजरना करने के लिए चाहता है, जो मादक दवाओं या मादक पदार्थों की छोटी मात्रा से जुड़े अपराधों के साथ एक दंडनीय अपराध करने का आरोप है, जो किसी भी दीवानी, एक स्थानीय प्राधिकारी और इस तरह के उपचार धारा 27 के तहत या नशीली दवाओं या मादक पदार्थों की छोटी मात्रा से जुड़े अपराधों के लिए किसी अन्य धारा के तहत मुकदमा चलाने के लिए उत्तरदायी नहीं होगा आए:
Rupees vs Dollar: रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचा रुपया, 80.98 प्रति डॉलर पर लुढ़की भारतीय करेंसी
10 अक्टूबर को झारखंड सरकार ने महंगाई भत्ते और महंगाई राहत में 4 प्रतिशत की बढ़त का ऐलान किया जो कि पहली जुलाई से लागू होगा. इससे 2 लाख कर्मचारियों और 1.5 लाख पेंशनर्स को फायदा मिलेगा
विदेशी बाजारों में अमेरिकी डॉलर के लगातार मजबूत बने रहने और निवेशकों के बीच जोखिम से दूर रहने की प्रवृत्ति हावी रहने से शुक्रवार को रुपया 19 पैसे गिरकर 80.98 रुपये प्रति डॉलर के सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ है. अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में भारतीय रुपया डॉलर के आगे पहली बार 81 रुपये का स्तर भी पार कर गया है. एक समय रुपया 81.23 के स्तर तक लुढ़क गया था. हालांकि, बाद विदेशी मुद्रा में एक प्रवृत्ति क्या है? विदेशी मुद्रा में एक प्रवृत्ति क्या है? में रुपये की स्थिति थोड़ी सुधरी और कारोबार के आखिर में यह 80.98 रुपये प्रति डॉलर के भाव पर बंद हुआ. पिछले कारोबारी दिन की तुलना में रुपये में 19 पैसे की बड़ी गिरावट दर्ज की गई है.
लगातार तीसरे दिन रुपये में गिरावट
गुरुवार को रुपया एक ही दिन में 83 पैसे का गोता लगाते हुए 80.79 रुपये प्रति डॉलर के भाव पर रहा था. यह लगातार तीसरा दिन रहा है, जब अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट देखी गई है. इन तीन दिनों में रुपये की कीमत 124 पैसे प्रति डॉलर तक गिर चुकी है. विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि यूक्रेन में हालात बिगड़ने की आशंका और अमेरिका और ब्रिटेन में ब्याज दरें बढ़ाए जाने से रुपये पर दबाव बढ़ा है. इसके अलावा विदेशी बाजारों में अमेरिकी मुद्रा की स्थिति मजबूत होने और घरेलू स्तर पर शेयर बाजारों में गिरावट का रुख रहने से भी रुपया दबाव में आया है.
दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं के सामने डॉलर की मजबूती को आंकने वाला डॉलर सूचकांक 0.72 फीसदी चढ़कर 112.15 पर पहुंच गया है. मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के विदेशी मुद्रा और सर्राफा विश्लेषक गौरांग सोमैया ने कहा कि इस हफ्ते अमेरिकी फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दरें बढ़ाए जाने के बाद अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार नए निचले स्तर की तरफ बढ़ा है. हालांकि, दुनिया की अधिकतर मुद्राओं में डॉलर के मुकाबले दबाव का रुख बना हुआ है. सोमैया ने कहा कि हमें अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये के 80.40 और 81.20 के दायरे में कारोबार करने की उम्मीद है.
रुपये को वैश्विक मुद्रा बनाने का मौका, व्यापार के लिए नहीं रहेगी डालर की अनिवार्यता
आरबीआइ ने भारत के मौद्रिक इतिहास का एक साहसिक निर्णय लेते हुए घोषणा की कि भारत का अंतरराष्ट्रीय व्यापार भारतीय रुपये में भी होगा। हालांकि इंटरनेशनल स्टैंडर्ड आर्गनाइजेशन लिस्ट के अनुसार दुनिया भर में कुल 185 मुद्राएं हैं लेकिन सभी देशों के केंद्रीय बैंकों में 64 प्रतिशत अमेरिकी डालर है।
मुनि शंकर पांडेय: पिछले दिनों आरबीआइ ने भारत के मौद्रिक इतिहास का एक साहसिक निर्णय लेते हुए घोषणा की कि भारत का अंतरराष्ट्रीय व्यापार भारतीय रुपये में भी होगा। इसके अनुसार भारतीय निर्यातकों और आयातकों को अब व्यापार के लिए डालर की अनिवार्यता नहीं रहेगी। अब दुनिया विदेशी मुद्रा में एक प्रवृत्ति क्या है? का कोई भी देश भारत से सीधे बिना अमेरिकी डालर के व्यापार कर सकता है। आरबीआइ के इस कदम से भारतीय रुपये को अंतरराष्ट्रीय व्यापार में एक करेंसी के लिए स्वीकार करवाने की दिशा में मदद मिलेगी। यह निर्णय भारतीय विदेश व्यापार को बढ़ाने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अभिलाषा के भी अनुरूप है। इससे भारत के वैश्विक उद्देश्यों को साधने के साथ-साथ भारतीय अर्थव्यवस्था को दीर्घकालिक मजबूती मिलेगी। हालांकि इसके तात्कालिक प्रभाव का भी आकलन करना होगा।
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