Updated: July 19, 2022 12:44 PM IST
आखिर रुपए की वैल्यू क्यों गिरती है
एक जमाना था जब अपना रुपया डॉलर को ज़बरदस्त टक्कर दिया करता था। आजादी के समय अमेरिका का एक डॉलर भारत के एक रुपया बराबर था। तब देश पर कोई कर्ज़ भी नहीं था. फिर जब 1951 में पहली पंचवर्षीय योजना लागू हुई तो सरकार ने विदेशों से कर्ज लेना शुरू किया और फिर रुपये की वैल्यू भी इसी तरह लगातार गिरने लगी।
जब रोज़ सुबह सब बैंक खुलते हैं तो उनके पास बहुत सारे ग्राहक आते हैं। कुछ को विदेश यात्रा पर जाने के लिए डॉलर या किसी और विदेशी मुद्रा की आवश्यकता होती है। कुछ लोगों को विदेश में अपने बच्चों की फ़ीस भरने के लिए डॉलर चाहिए, किसी को इलाज के लिए, किसी बिजनेस को आयात के लिए, किसी को विदेश में निवेश करने के लिए और सरकार या सरकारी कम्पनियों को पेट्रोलियम, हथियार आदि ख़रीदने के लिए। कभी कभी उन लोगों को भी आख़िर डॉलर कैसे बना दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा विदेशी मुद्रा की ज़रूरत पड़ती है जिन्होंने पहले कभी भारतीय शेयर बाज़ार में निवेश किया हो पर अब कुछ शेयर बेचकर पैसा वापस अपने देश ले जाना चाहते हों। पूर्व में लिए गए क़र्ज़ और उनका ब्याज चुकाने के लिए भी विदेशी मुद्रा की ज़रूरत पड़ती है। इतने लोगों के लिए यह विदेशी मुद्रा आयेगी कहाँ से?
रुपए की वैल्यू गिरने के फायदे वा नुकसान
रुपया गिरने से जो लोग आयात करते हैं उनको नुकसान है ऐसे में और जो लोग निर्यात करते हैं उनको फायदा है! लेकिन निर्यात करने वाली कंपनियां बहुत ही काम मात्रा में और भारत क्रूड आयल सबसे अधिक आयात करता है जिसकी वजह से महंगाई और बढ़ने के आसार हैं! आरबीआई अपने जमा विदेशी मुद्रा का अभी इस्तेमाल कर रहा है लेकिन यह कोई अच्छी खबर नहीं है क्योकि इससे विदेशी मुद्रा भंडार भी कम हो रहा है!
अगर कोई विदेशी ( जैसे अमेरिका ) में पैसा इन्वेस्ट किए है तो उसे फायदा होगा
2 साल के निचले स्तर पर पहुंचा देश का विदेशी मुद्रा भंडार, जानिए कितनी आई गिरावट?
मुंबईः देश के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट जारी है। लगातार सातवें हफ्ते विदेशी मुद्रा कोष में गिरावट आई है। आरबीआई द्वारा जारी किए गए आंकड़े के मुताबिक 16 सितंबर 2022 को खत्म हफ्ते में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 5.22 अरब डॉलर घटकर 545.652 अरब डॉलर तक जा गिरा है जबकि इसके पहले 9 सितंबर को खत्म हफ्ते में 550.87 अरब डॉलर था। दो अक्टूबर 2020 के बाद विदेशी मुद्रा भंडार अपने निचले लेवल पर है।
लगातार गिर रहा है विदेशी मुद्रा भंडार
विदेशी निवेशकों की बिकवाली और डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट को थामने के लिए आरबीआई द्वारा डॉलर बेचे जाने के चलते विदेशी मुद्रा कोष में ये कमी आई है। शुक्रवार को डॉलर के मुकाबले रुपया अब तक के अपने ऐतिहासिक निचले स्तर 81.20 के लेवल तक जा लुढ़का था जो 80.99 के लेवल पर क्लोज हुआ है। सभी करेंसी के मुकाबले डॉलर में मजबूती आई है। वहीं इंपोर्टरों द्वारा डॉलर की मांग बढ़ने के चलते भी डॉलर की कमी देखी जा रही है।
बीते सात हफ्ते से लगातार विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट देखने को मिली है। फरवरी के आखिर में रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला करने के बाद से विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का सिलसिला जारी है। मार्च के आखिर में विदेशी मुद्रा भंडार 607 अरब डॉलर था। करेंसी मार्केट के जानकारों का मानना है कि विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का सिलसिला जारी रह सकता है। आने वाले दिनों में ये घटकर 510 अरब डॉलर तक गिर सकता है।
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कैसे मजबूत होता है रुपया और क्यों आती है गिरावट, जानिए
नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। डॉलर में कमजोरी के कारण आखिर रुपए में मजबूती क्यों आती है? जितना मासूम यह सवाल है उतना ही मासूम इसका जवाब भी है। देश की आबादी में एक बड़ा हिस्सा रखने वाले छोटे बच्चे भी अक्सर ऐसे ही मासूम से सवाल अपनों से पूछ बैठते हैं। हम भी आपको बेहद आसानी से समझाने की कोशिश करेंगे कि आखिर डॉलर और रुपए के बीच चलने वाली उठापठक कैसे रुपए की हालत कभी पतली तो कभी मजबूत कर देती है।
रुपए ने पार किया 65 का स्तर, बढ़ गई लोगों की चिंताएं:
गुरुवार को जैसे ही रुपए ने 65 का स्तर पार किया निवेशकों के साथ साथ ऐसे लोगों की चिंताएं बढ़ गईं जिनका सरोकार अक्सर डॉलर के साथ होता है। मसलन अमेरिका जाने वालों को डॉलर चाहिए होता है, विदेश में पढ़ने वाले बच्चों को पैसे भेजने होते हैं जो कि रुपए के हिसाब से ही डॉलर में बदलते हैं। दोपहर तक रुपया 65 के बेहद करीब कारोबार करता रहा।
जानिए क्यों है ये चिंता का कारण? भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार घट रहा
भारतीय रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के अनुसार भारत का विदेशी मुद्रा भंडार आठ जुलाई को समाप्त हुए सप्ताह में 8.062 अरब डॉलर घटकर 15 महीनों के सबसे निचले स्तर 580.252 अरब डॉलर पर आ गया है। आरबीआई की ओर से जारी साप्ताहिक आंकड़ों से पता चलता है कि फॉरेन करेंसी असेट्स (एफसीए) में गिरावट के कारण विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आई है। एफसीए, स्वर्ण भंडार और पूरे विदेशी मुद्रा भंडार का प्रमुख हिस्सा है।
बीते हफ्ते में एफसीए 6.656 अरब डॉलर घटकर 518.09 अरब डॉलर रह गया है। एफसीए में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर अमेरिकी करेंसी का बढ़ना या गिराना दोनों का असर शामिल है। वहीं इस दौरान सोने का भंडार 1.236 अरब डॉलर गिरकर 39.186 अरब डॉलर पर आ गया है। वहीं बीते हफ्ते में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ स्पेशल ड्राइंग राइट्स (SDR) 122 मिलियन डॉलर घटकर 18.012 बिलियन डॉलर रह गया है।
रुपया विनिमय दर क्या है?
अमेरिकी डॉलर की तुलना में रुपये की विनिमय दर अनिवार्य रूप से एक अमेरिकी डॉलर को खरीदने के लिए आवश्यक रुपये की संख्या है. यह न केवल अमेरिकी सामान खरीदने के लिए बल्कि अन्य वस्तुओं और सेवाओं (जैसे कच्चा तेल) की पूरी मेजबानी के लिए एक महत्वपूर्ण मीट्रिक है, जिसके लिए भारतीय नागरिकों और कंपनियों को डॉलर की आवश्यकता होती है.
जब रुपये आख़िर डॉलर कैसे बना दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा का अवमूल्यन होता है, तो भारत के बाहर से कुछ खरीदना (आयात करना) महंगा हो जाता है. इसी तर्क से, यदि कोई शेष विश्व (विशेषकर अमेरिका) को माल और सेवाओं को बेचने (निर्यात) करने की कोशिश कर रहा है, तो गिरता हुआ रुपया भारत के उत्पादों को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाता है, क्योंकि रुपये का अवमूल्य विदेशियों के लिए भारतीय उत्पादों को खरीदना सस्ता बनाता है.
डॉलर के मुकाबले रुपया क्यों कमजोर हो रहा है?
सीधे शब्दों में कहें तो डॉलर आख़िर डॉलर कैसे बना दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा के मुकाबले रुपया कमजोर हो रहा है, क्योंकि बाजार में रुपये आख़िर डॉलर कैसे बना दुनिया की सबसे मज़बूत मुद्रा की तुलना में डॉलर की मांग ज्यादा है. रुपये की तुलना में डॉलर की बढ़ी हुई मांग, दो कारकों के कारण बढ़ रही है.
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