4. विदेशी निवेशकों की बिकवाली
Liquid Stock क्या है और लिक्विड स्टॉक कैसे चुनें?
लिक्विड स्टॉक क्या है? अगर आपने शेयर बाजार में ट्रेडिंग के बारे में कहीं पढ़ा या सुना होगा। तो वहां हमेशा liquid stock को खरीदने व बेचने के लिए कहा जाता है। आज बड़े बड़े ट्रेडर्स लिक्विड स्टॉक में ट्रेड करने को कहते हैं। साथ ही जिस स्टॉक में liquidity नहीं होती है। तो उसमे ट्रेडिंग करने के लिए आपको हमेशा 'ना' ट्रेड करने की सलाह देते हैं।
आज के समय कई नये ट्रेडर्स शेयर मार्केट में एंट्री लिए है। जो ट्रेडिंग करके financial independent होना चाहते हैं। ट्रेडिंग के लिहाज से आपको liquidity का मतलब जानना बहुत जरूरी होता है।
खासकर यह लेख उन retail trader's के लिए फायदमंद है जो शेयर बाजार में वॉल्यूम क्या होता है? शेयर बाजार में वॉल्यूम क्या होता है? नॉन कॉमर्स बैकग्राउंड के है। शेयर मार्केट में liquidity शब्द उनके लिए थोड़ा टेक्निकल हो जाता है। इसलिए आज के लेख "liquid stock क्या होते हैं और liquid stock कैसे चुने?" के बारे में आसान शब्दो में जानेंगे। आइए तो फिर पहले जानते हैं कि मार्केट में liquidity शब्द का क्या अर्थ होता है।
Liquidity क्या है?
Liquidity का हिंदी में अर्थ "तरलता" होता है। इसका मतलब यह हुआ कि किसी भी asset को कितनी आसानी से खरीदा और बेचा जा सकता है। यानी कि कोई भी asset जितना liquid होगा, उसकी उतनी आसानी से खरीद और बिक्री की जा सकता है। वहीं अगर कोई asset जितना illiquid होगा उसे बेचना और खरीदना उतना ही मुश्किल होता है।
Liquid Stock का मतलब किसी भी शेयर को आसानी से कभी भी खरीदा और बेचा जा सकता है। यानी कि आपके पास जो भी शेयर है, उसे सही समय आने पर कैश में आसानी से बदला जा सके। अच्छी लिक्वडिटी वाले शेयरों में नजर रखना और उसमे ट्रेड या निवेश करने से आपको यह मदद मिलती है कि जब भी शेयर बाजार में वॉल्यूम क्या होता है? आपको एक मोटा प्रॉफिट हो तो उसे आसानी से बेच सके।
यदि आप illiquid stock में ट्रेड या निवेश करते हैं तो शायद यह भी हो सकता है, कि आपको कभी भी उस share को बेचना हो लेकिन कोई खरीदने वाला ना मिले। इसलिए प्रोफेशनल ट्रेडर्स और निवेशक आपको इस तरह के स्टॉक में ट्रेड या निवेश करने से मना करते है। क्योंकि stock illiquid होने के कारण आपको बेचने में दिक्कत आ सकती है।
Trading के लिए Liquid Stock क्यों महत्वपूर्ण है?
लिक्वडिटी का अर्थ आप लोग जान गए होगे। लेकिन क्या आपने कभी यह सोचा कि trading के लिए लिक्विड स्टॉक क्यों जरूरी होते हैं। आइए जानते हैं कि लिक्वडिटी बाजार को दो मुख रूप से कैसे प्रभावित करती है:-
1. मूल्य प्रसार ( Price Spread )
Finance में स्प्रेड का मतलब दो प्राइस, रेट्स, या यील्ड का अंतर होता है। अगर आसान शब्दो में बताए तो मूल्य प्रसार मार्केट के खरीदार और विक्रेता के ऑर्डर्स का अंतर होता है। यह हमें बताने की कोशिश करता है कि एक खरीदार और विक्रेता के खरीद और बिक्री के प्राइस में क्या अंतर है।
Liquid Stock खरीद प्राइस और बिक्री प्राइस के बीच में आने वाले गैप को कम करने की कोशिश करता है। यानी कि लिक्विड स्टॉक में low price spread होता है। वहीं illiquid stock में खरीद प्राइस और बिक्री प्राइस के बीच में आने वाला गैप बहुत ज्यादा होता है। यानी कि illiquid स्टॉक में high price spread होता है। इसलिए illiquid स्टॉक में किसी भी शेयर को खरीदना और बेचना मुश्किल हो जाता है।
ऑन-बैलेंस वॉल्यूम क्या है?
जोसेफ ग्रानविले द्वारा लॉन्च किया गया, ऑन-बैलेंस वॉल्यूम लोकप्रिय तकनीकी संकेतकों में से एक है जिसका उपयोग स्टॉक में बदलाव की भविष्यवाणी करने के लिए किया जाता है।मंडी मात्रा के प्रवाह के आधार पर। चार्ट में ऑन-बैलेंस वॉल्यूम लाइन है जो ऊपर, नीचे और बग़ल में जा सकती है। मूल रूप से, इसे ज़िग-ज़ैग रूप में दर्शाया जाता है, जिससे निवेशकों को शेयर बाजार में तेजी और मंदी का संकेत मिलता है।
ओबीवी लाइन का ऑन-बैलेंस वॉल्यूम तब उभरा जब शेयर बाजार का विश्लेषण करने या इस उद्योग में परिवर्तनों को ट्रैक करने के लिए कंप्यूटर और आधुनिक तकनीक का उपयोग नहीं किया गया था। ऑन-बैलेंस पद्धति से स्टॉक की कीमतों की गणना काफी सरल शेयर बाजार में वॉल्यूम क्या होता है? है। OBV लाइन शुरू करने के लिए एक यादृच्छिक संख्या का उपयोग किया जाता है। स्टॉक शेयर बाजार में वॉल्यूम क्या होता है? का वॉल्यूम जब अधिक बंद होता है तो ऑन-बैलेंस वॉल्यूम लाइन में जोड़ा जाता है, जबकि स्टॉक कम होने पर इसे घटाया जाता है। इसे एक उदाहरण से समझते हैं।
उदाहरण
मान लीजिए कंपनी के शेयर की कीमत 24 घंटे में 300 रुपये से बढ़कर 400 हो जाती है। कंपनी इस दिन INR 400 के 1 लाख शेयर बेचने में सफल रही। शेयरों की कीमत अगले दिन वापस 300 रुपये हो जाती है। हालांकि, कंपनी ने केवल 50,000 शेयर (आधे शेयर जो दूसरे दिन व्यापार करने में कामयाब रहे)।
उसी कीमत पर समाप्त होने के बावजूद, जिसकी शुरुआत शेयर बाजार में वॉल्यूम क्या होता है? शेयर बाजार में वॉल्यूम क्या होता है? हुई थी, पहले और दूसरे दिन ट्रेडिंग वॉल्यूम के बीच अंतर के कारण ऑन-बैलेंस वॉल्यूम लाइन 50,000 तक बढ़ जाएगी। यदि अगले कुछ दिनों के लिए समान ट्रेडिंग पैटर्न होता है और स्टॉक की कीमत समान रहती है, तो ऑन-बैलेंस वॉल्यूम लाइन बढ़ जाएगी। ग्रानविल के मुताबिक, यह पैटर्न काफी बुलिश है। जल्दी या बाद में, छिपे हुए स्टॉक की कीमतें फिर से बढ़ेंगी और कमोडिटी की कीमत कम हो जाएगी।
ओबीवी लाइनों को समझना
आमतौर पर तकनीकी संकेतक इतने विश्वसनीय नहीं होते क्योंकि वे तथ्यों पर काम करते हैं। संकेतक घटित होने वाले पैटर्न के आधार पर भविष्यवाणियां करते हैं। ऑन-बैलेंस लाइन उन कुछ उपकरणों में से एक है जो स्टॉक की कीमत में बदलाव की आसानी से भविष्यवाणी कर सकते हैं। जो ग्रानविले द्वारा प्रस्तावित सिद्धांत इंगित करता है कि ओबीवी लाइन तब बढ़ जाती है जब एक अपट्रेंड के दौरान कारोबार किए गए शेयरों की मात्रा डाउनट्रेंड के दौरान ट्रेडिंग वॉल्यूम की तुलना में अधिक होती है।
OBV लाइन खींचने शेयर बाजार में वॉल्यूम क्या होता है? या किसी सिक्योरिटी के बैलेंस वॉल्यूम की गणना करने के लिए, आपको लगातार दो कारोबारी दिनों में शेयरों की क्लोजिंग कीमतों के बीच संबंध को जानना चाहिए। भले ही OBV लाइन मूल्य चार्ट पर खींची गई हो और संख्यात्मक रूप से गणना की गई हो, वॉल्यूम का वास्तविक मात्रात्मक मूल्य महत्वपूर्ण नहीं लगता है।
क्या है Charles Dow की The Dow Theory, एक बार समझ गए तो आसानी पकड़ सकेंगे बाजार के ट्रेंड्स
डॉव थ्योरी निवेशकों की शेयर मार्केट में ट्रेंड समझने में मदद करता है। (फोटो: रॉयटर्स)
अगर आप शेयर बाजार में पैसे लगाने का मन बना रहे हैं और यह नहीं समझ पा रहे कि बाजार काम कैसे करता है। कौन- से ऐसे फैक्टर्स हैं जिनकी मदद से यह आसानी से पता लगाया जा सकता है कि मार्केट किस तरफ जाएगा और आने वाले समय में बाजार की क्या दशा होगी। आज से एक सदी पहले बनी The Dow Theory आपकी काफी मदद कर सकती है।
The Dow Theory को शेयर बाजार में टेक्निकल एनालिसिस की आधारशिला कहा जाता है। इसे चार्ल्स डॉव ने लिखा था, जिन्होंने आगे चलकर अपने दो साथियों के मिलकर अमेरिका के प्रचलित अखबार ‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ की स्थापना की थी।
7 रुपये का शेयर 2 साल में 800 रुपये का, क्या पेनी स्टॉक में लगाना चाहिए पैसा?
- नई दिल्ली,
- 20 जुलाई 2020,
- (अपडेटेड 20 जुलाई 2020, 9:14 AM IST)
पेनी शेयरों में एक बार फिर तेजी का रुख है. पेनी शेयर अपने जबरदस्त रिटर्न की वजह से आकर्षित करते हैं. ऐसा ही एक शेयर दो साल पहले 7 रुपये का था, लेकिन अब 800 रुपये का हो चुका है. लेकिन क्या आपको इनके आकर्षण में फंसना चाहिए? क्या हैं फायदे और जोखिम? आइए एक्सपर्ट्स से जानते हैं
क्या होते हैं पेनी स्टॉक
आप यदि शेयर मार्केट में निवेश करने वाले गंभीर निवेशक हैं तो ऐसे पेनी स्टॉक की तलाश में जरूर रहते होंगे जो आपको बेहतर रिटर्न दिला सकें. ऐसे शेयर जिनकी कीमत 10 रुपये से भी कम होती है उन्हें पेनी स्टॉक कहते हैं. 24 मार्च को निफ्टी इस साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया था. उस दिन से अब तक देखें तो पेनी स्टॉक की संख्या में 479 की गिरावट गई है. इसकी वजह यह है कि इन शेयरों में 1400 फीसदी की तेजी आई है. इस दौरान 166 पेनी शेयर मल्टीबैगर यानी अपने दाम से कई गुना रिटर्न देने वाले बन गए हैं. इस दौरान बिड़ला टायर्स शेयर के दाम में 1443 फीसदी की जबरदस्त उछाल आई है.
Explainer: जानिए क्यों इस हफ्ते शेयर बाजार ने निवेशकों को किया मायूस, बाजार को किस बात का है डर
By: ABP Live | Updated at : 17 Dec 2021 05:54 PM (IST)
Edited By: manishkumar
Why Stock Market is Falling: इस हफ्ते शेयर बाजार में बड़ी गिरावट देखी गई. पिछले हफ्ते के शानदार तेजी के बाद निवेशकों और खासतौर से विदेशी संस्थागत निवेशकों को बिकवाली करते देखा गया. आंकड़ों को देखें को इस हफ्ते सेंसेक्स में 1775 और निफ्टी में 526 अंकों की कुल गिरावट देखी गई. पर सवाल उठता है बाजार में किस बात का डर गहरा गया है जिसके चलते निवेशकों को बिकवाली करते देखा जा रहा है. बाजार में गिरावट के पांच कारणों को टटोलते हैं.
1. कोरोना के नए वैरिएंट का असर
कोरोना वायरस का नया वैरिएंट ओमीक्रॉन अपना पांव पसारता ही चला जा रहा है. खासतौर से यूरीपीय देशों में. डेनमार्क, साउथ अफ्रीका और यूके में ओमीक्रॉन के मरीजों की संख्य़ा दोगुनी हो चुकी है. ट्रैवल पर तो बंदिशें लग ही चुकी है निवेशकों को फिर से लॉकडाउन जैसी सख्ती का अंदेशा सता रहा है. कई कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को दफ्तर बुलाने के प्लान को रद्द कर दिया है. भारत में भी ओमीक्रॉन मरीजों की संख्या 100 के ऊपर जा पहुंची है. ऐसे में आर्थिक विकास की गाड़ी जो पटरी पर लौट रही थी उसके फिर से पटरी से उतरने का डर सताने लगा है. IMF से लेकर कई रेटिंग एजेंसियां ग्रोथ के आंकड़े घटा रही है. यही वजह है कि निवेशक बिकवाली कर रहे हैं.
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