लगातार आठवें सप्ताह घटा देश का विदेशी मुद्रा भंडार

 foreign exchange reserves

देश के फॉरेन करेंसी असेट में एक बार फिर कमी हुई है। यह लगातार 8वां सप्ताह है जब इसमें गिरावट दर्ज हुई है। इसका असर देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर दिखा है। तभी तो 23 सितंबर 2022 को समाप्त सप्ताह के दौरान भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 8.134 अरब डॉलर की कमी हुई। यह अगस्त 2020 के बाद का न्यूनतम स्तर है। इससे पहले 16 सितंबर 2022 को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान भी विदेशी मुद्रा भंडार में 5.22 अरब डॉलर की कमी हुई थी और यह घट कर 545 अरब डॉलर रह गया था।

एनबीटी की रिपोर्ट के मुताबिक़ भारतीय रिजर्व बैंक से मिली जानकारी के अनुसार 23 सितंबर 2022 को समाप्त हुए सप्ताह के दौरान देश का विदेशी मुद्रा भंडार 8.134 अरब डॉलर घटकर 537.518 अरब डॉलर रह गया। इससे पहले बीते 16 सितंबर को भी यह 5.22 अरब डॉलर घट कर 545 अरब डॉलर रह गया था। पिछले महीने पांच अगस्त को समाप्त सप्ताह से यह लगातार घट रहा है। हालांकि, बीते 29 जुलाई को समाप्त सप्ताह के दौरान अपना विदेशी मुद्रा भंडार 2.4 अरब डॉलर बढ़ कर 573.875 अरब डॉलर पर पहुंच गया था। उससे पहले देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार चार सप्ताह तक गिरावट हुई थी।

बीते 23 सितंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में आई गिरावट का मुख्य कारण फॉरेन करेंसी असेट का घटना है। यह कुल मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। आरबीआई के शुक्रवार को जारी किये गये भारत के साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा अस्तियां 7.688 अरब डॉलर घटकर 477.212 अरब डॉलर रह गया। डॉलर में अभिव्यक्त विदेशी मुद्रा भंडार में रखे जाने वाली विदेशी मुद्रा आस्तियों में यूरो, पौंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में मूल्यवृद्धि अथवा मूल्यह्रास के प्रभावों को शामिल किया जाता है।

आंकड़ों के अनुसार, आलोच्य सप्ताह में स्वर्ण भंडार (Gold Reserve) में भी कमी हुई है। अब इसका मूल्य 30 करोड़ डॉलर घटकर 37.886 अरब डॉलर पर आ गया है।

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विदेशी मुद्रा भंडार में 12 अरब डॉलर की कमी आई: रिजर्व बैंक आंकड़े

(फोटो: पीटीआई)

मुंबई: रुपये की गिरावट को रोकने के लिए रिजर्व बैंक द्वारा निरंतर डॉलर की आपूर्ति होने से 20 मार्च को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 11.98 अरब डॉलर की भारी गिरावट के साथ 469.909 अरब डॉलर रह गया.

तेजी से फैलते कोरोना वायरस को लेकर अनिश्चितताओं के बीच विदेशी निवेशकों ने घरेलू इक्विटी और ऋण बाजार से धन निकासी जारी रखा जिससे 23 मार्च को रुपया 76.15 रुपये प्रति डॉलर के सर्वकालिक निम्न स्तर को छू गया था.

गत सप्ताह, देश का विदेशीमुद्रा भंडार 5.346 अरब डॉलर घटकर 481.89 अरब डॉलर रह गया था. यह पिछले छह महीनों में देश के विदेशी मुद्रा भंडार में आई पहली गिरावट है.

इससे पहले 20 सितंबर 2019 को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आई थी. तब यह 38.8 करोड़ डॉलर घटकर 428.58 अरब डॉलर रह गया था.

छह मार्च को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 5.69 अरब डॉलर बढ़कर 487.23 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर को छू गया था.

समीक्षाधीन सप्ताह, यानी 20 मार्च को समाप्त सप्ताह में आई गिरावट का कारण विदेशी मुद्रा आस्तियों (एफसीए) में गिरावट दर्ज होना था, जो कुल मुद्राभंडार का महत्वपूर्ण भाग है.

समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा आस्तियां 10.256 अरब डॉलर घटकर 437.102 अरब डॉलर रह गईं. इस दौरान पिछले कुछ सप्ताह से तेजी दर्शाने वाला स्वर्ण आरक्षित भंडार समीक्षाधीन विदेशी मुद्रा भंडार में क्यों आई गिरावट सप्ताह में 1.610 अरब डॉलर घटकर 27.856 अरब डॉलर रह गया.

आलोच्य सप्ताह के दौरान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में विशेष आहरण अधिकार चार करोड़ डॉलर घटकर 1.409 अरब डॉलर रह गया, जबकि आईएमएफ में देश की आरक्षित निधि भी 7.7 करोड़ डॉलर विदेशी मुद्रा भंडार में क्यों आई गिरावट घटकर 3.542 अरब डॉलर रह गई.

बता दें कि, कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण की वजह से देश में लागू लॉकडाउन को ध्यान में रखते हुए अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभावों के लिए रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को रेपो दर में 75 बेसिक पॉइंट यानी कि 0.75 फीसदी की कटौती करते हुए इसे 4.4 फीसदी कर दिया. इससे पहले रेपो दर 5.15 फीसदी पर थी.

इसके अलावा रिवर्स रेपो दर में 90 बेसिक पॉइंट यानी कि 0.90 फीसदी की कटौती करते हुए इसे घटाकर चार फीसदी कर दिया गया है. पहले ये 4.90 फीसदी पर थी.

वहीं, सभी वाणिज्यिक बैंकों और ऋण देने वाले संस्थानों को सभी प्रकार के कर्ज की किस्तों की वसूली पर तीन महीने तक रोक की छूट दी गई है. इससे होम लोन समेत अन्य कर्जों की ईएमआई में कमी आने की उम्मीद है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)


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अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंचा रुपया, शेयर बाजार में भी गिरावट; रिकॉर्ड स्तर पर महंगाई

अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंचा रुपया, शेयर बाजार में भी गिरावट; रिकॉर्ड स्तर पर महंगाई

भारतीय रुपये में आज एक बार फिर से डॉलर के मुकाबले गिरावट दर्ज की गई। भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार में क्यों आई गिरावट रुपया आज 0.5 प्रतिशत गिरकर 77.63 के स्तर पर पहुंच गया जो उसके इतिहास का सबसे निचला स्तर है। इस हफ्ते में ये दूसरी बार है जब भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंचा है। इससे पहले सोमवार को भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले 77.42 के स्तर पर पहुंच गया था, जो आज से सबसे उसकी सबसे कम कीमत थी।

शेयर बाजार में भी भारी गिरावट

आज रुपये के साथ-साथ शेयर बाजार में भी गिरावट देखने को मिली है। मुंबई के BSE सेंसेक्स और NSE निफ्टी 50 दोनों में दो प्रतिशत से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है और ये दो महीने के अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं। सेंसेक्स 2.14 प्रतिशत यानि 1,158.08 पॉइंट गिरकर 52,930.31 के स्तर पर पहुंच गया है, वहीं निफ्टी 359.10 पॉइंट (2.22 प्रतिशत) 15,808 पर पहुंच गया है।

क्यों दर्ज की गई गिरावट?

शेयर बाजार में ये गिरावट महंगाई को लेकर आने वाले आंकड़ों और रेपो रेट में वृद्धि की आशंका के कारण आई है। निवेशकों को भारत में महंगाई के और बढ़ने की आशंका है और इसी कारण वे भारत से अपना निवेश निकाल रहे हैं। इसके अलावा अमेरिका में अप्रैल में महंगाई में बड़ी वृद्धि की खबर भी आई है। अमेरिका के केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट को 50 बेसिस पॉइंट बढ़ा दिया है, जिससे आर्थिक सुस्ती आने की आशंका है।

अपने सबसे निचले स्तर पर क्यों है रुपया?

भारतीय रुपये की कीमत गिरने के कई कारण है। इसका एक अहम कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में अमेरिकी डॉलर का मजबूत होना है। रूस-यूक्रेन युद्ध और तेल की बढ़ती कीमतों जैसी वजहों से सुरक्षित माने जाने वाले डॉलर में निवेश बढ़ा है। इसके अलावा भारत से विदेशी निवेश के जाने और घरेलू बाजार में विदेशी निवेश के कम होने का असर भी रुपये विदेशी मुद्रा भंडार में क्यों आई गिरावट पर पड़ा है। देश में रिकॉर्ड तोड़ महंगाई भी इसका एक बड़ा कारण है।

अप्रैल में 7.79 प्रतिशत रही महंगाई दर, सितंबर, 2014 के बाद सबसे ज्यादा

आज आए आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल में देश में खुदरा महंगाई दर 7.79 प्रतिशत रही जो सितंबर, 2014 के बाद सबसे अधिक है। ईंधन और खाद्य पदार्थों की कीमत में वृद्धि के कारण महंगाई दर में ये वृद्धि आई है। अप्रैल में खाद्य पदार्थों की महंगाई दर 8.38 प्रतिशत रही, वहीं ईंधन की कीमत रिकॉर्ड स्तर पर हैं। मार्च में देश में महंगाई दर 6.95 प्रतिशत रही थी और खाद्य पदार्थों की कीमत में 7.68 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

RBI को रुपये में गिरावट रोकने के अब तक के प्रयासों में मिली असफलता

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) रुपये के मूल्य में गिरावट को रोकने के लिए तमाम प्रयास कर रहा है, विदेशी मुद्रा भंडार में क्यों आई गिरावट हालांकि उसके सारे प्रयास विफल रहे हैं। पिछले हफ्ते RBI ने रेपो रेट में 40 बेसिस प्वाइंट की वृद्धि की थी और अब ये 4.40 प्रतिशत हो गई है। विदेशी मुद्रा भंडार का भी इस्तेमाल किया जा रहा है, जो एक साल में पहली बार 600 अरब डॉलर से नीचे पहुंच गया है। इसके बावजूद रुपये की गिरावट थमी नहीं है।

विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार 5वें सप्ताह गिरावट, जानिए कितने डॉलर घटे

नईदिल्ली। रूस-यूक्रेन संकट के बीच विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार पांचवें हफ्ते गिरावट आई है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार 08 अप्रैल, 2022 को समाप्त हफ्ते में 2.471 अरब डॉलर घटकर 604.004 अरब डॉलर रह गया है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने शुक्रवार देररात जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी।

आरबीआई के जारी साप्ताहिक आंकड़ों के मुताबिक बीते पांच हफ्ते में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 28.5 अरब डॉलर घट चुका है। इससे पहले 01 अप्रैल को यह रिकॉर्ड 11.173 अरब डॉलर घटकर 606.475 अरब डॉलर पर आ गया था। आंकड़ों के मुताबिक 25 मार्च, 2022 को यह 2.03 अरब डॉलर घटकर 617.648 अरब डॉलर रहा था। वहीं, 18 मार्च को 2.597 अरब डॉलर घटकर 619.678 अरब डॉलर पर आ गया था, जबकि 11 मार्च को यह 9.646 अरब डॉलर घटकर 622.275 अरब डॉलर रह गया था।

रिजर्व बैंक के मुताबिक 8 अप्रैल को समाप्त हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार में यह गिरावट विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (एफसीए) में आई कमी की वजह से आई है, जो कुल मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। आंकड़ों विदेशी मुद्रा भंडार में क्यों आई गिरावट के मुताबिक इस दौरान एफसीए 10.7 अरब डॉलर घटकर 539.727 अरब डॉलर रह गया।

रुपये में रिकॉर्ड गिरावट, 1466 अंक टूटा सेंसेक्स, समझिए रुपया गिरते ही क्यों मच जाती है हाय-तौबा

रुपये में रिकॉर्ड गिरावट, 1466 अंक टूटा सेंसेक्स, समझिए रुपया गिरते ही क्यों मच जाती है हाय-तौबा

डॉलर के मुकाबले रुपया 80.12 रुपये के स्तर तक जा पहुंचा है. इसकी वजह से सेंसेक्स करीब 1466 अंकों की भारी गिरावट के साथ खुला. आइए समझते हैं रुपया गिरता है तो क्या होता है.

रुपया.. रुपया.. रुपया.. आज फिर से हर तरफ रुपये की ही बात हो रही है. एक दिन पहले ही सुपरटेक का ट्विन टावर जमींदोज हुआ है और अब रुपया अपने ऑल टाइम लो के लेवल पर जा पहुंचा है. पूरी मीडिया में ट्विन टावर छाया हुआ था, लेकिन रुपये की गिरावट ने ट्विन टावर के गिरने की खबर को थोड़ा फीका बना दिया है. रुपये ने 29 अगस्त को रेकॉर्ड निचला स्तर छुआ है और डॉलर के मुकाबले 80.12 रुपये के स्तर तक जा पहुंचा है. इसकी वजह से शेयर बाजार भी धड़ाम हो गया है. शेयर बाजार में सेंसेक्स करीब 1466 अंकों की भारी गिरावट के साथ खुला. रुपये ने आज हर तरफ हाय-तौबा मचा दी है.

कितना गिर गया शेयर बाजार?

रुपये में गिरावट की वजह से सुबह सेंसेक्स करीब 1499 अंक गिरकर खुला. हालांकि, बाद के कारोबार में सेंसेक्स ने काफी हद तक रिकवर किया, लेकिन दोपहर तक भी सेंसेक्स 700-800 अंक से अधिक गिरावट के साथ कारोबार कर रहा था. गिनी-चुनी कुछ कंपनियों को छोड़ दें तो सेंसेक्स की करीब 80 फीसदी कंपनियां लाल निशान में कारोबार कर रही थीं. शाम होते-होते सेंसेक्स की गिरावट 861 अंक रह गई और बाजार 57,972 अंकों पर बंद हो गया.

कितना और क्यों गिरा रुपया?

इस हफ्ते की शुरुआत रुपये में गिरावट के साथ हुई है. सोमवार को रुपया करीब 28 पैसे गिरकर 80.12 रुपये के स्तर पर पहुंच गया. हालांकि, बाद में रुपये में तेजी से रिकवरी भी देखने को मिली, जिसकी एक बड़ी वजह ये हो सकती है कि रिजर्व बैंक ने कुछ डॉलर्स बेचे हों. इस गिरावट की वजह है डॉलर में आई मजबूती. इसके चलते सिर्फ रुपया ही नहीं, बल्कि बाकी देशों की करंसी भी कमजोर हुई है. डॉलर को मजबूती मिली है अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल के बयान से. उन्होंने साफ कहा है कि केंद्रीय बैंक की सख्ती से परिवारों और कंपनियों को थोड़ी दिक्कत हो सकती है.

ऐसे में माना जा रहा है कि अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने का सिलसिला अभी जारी रहेगा. उम्मीद की जा रही है कि अगली बैठक में ब्याज दरें 0.75 फीसदी तक बढ़ाने का ऐलान किया जा सकता है. अमेरिका अभी 1980 के बाद सबसे ज्यादा महंगाई देख रहा है. इसके चलते यूएस फेड दो बार ब्याज दरें बढ़ा चुका है. अभी बेंचमार्क दर 1.5-1.75 फीसदी से बढ़कर 2.25-2.5 फीसदी की रेंज में पहुंच चुकी है.

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रुपया गिरने का क्या है मतलब?

विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में अमेरिका मुद्रा (डॉलर) के मुकाबले रुपया गिरने का मतलब है कि भारत की करंसी कमजोर हो रही है. इसका मतलब अब आपको आयात में चुकाई जाने वाली राशि अधिक देनी होगी. ऐसा इसलिए क्योंकि ग्लोबल स्तर पर अधिकतर भुगतान डॉलर में होता है. यानी रुपया गिरता है हमे अधिक विदेशी मुद्रा खर्च करनी होती है, जिससे हमारा विदेशी मुद्रा भंडार कम होने लगता है. यही वजह है कि विदेशी मुद्रा भंडार पर संकट आते ही सबसे पहले तमाम देश आयात पर रोक लगाते हैं.

एक उदाहरण से समझते हैं. मान लीजिए आपको कुछ आयात करने में 1 लाख डॉलर देने पड़ रहे हैं. साल की शुरुआत में डॉलर की तुलना में रुपया 75 रुपये पर था. यानी तब जिस आयात के लिए 75 लाख रुपये चुकाने पड़ रहे थे, अब उसी के लिए 80 लाख रुपये चुकाने पड़ेंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि अब डॉलर के मुकाबले रुपया 80 रुपये के भी ऊपर निकल चुका है.

रुपया गिरते ही क्यों टूट जाता है शेयर बाजार?

शेयर बाजार की चाल काफी हद तक सेंटिमेंट पर निर्भर करती है. ऐसे में अगर कोई महामारी जैसे कोरोना, राजनीतिक अस्थिरता या कोई बड़ा वित्तीय फ्रॉड सामने आ जाता है, तो लोग डरकर अपना पैसा निकलने लगते हैं. ऐसे में विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया कमजोर होने लगता है और उसका सीधा असर शेयर बाजार पर देखने को मिलता है. रुपया गिरता है तो एक बात साफ हो जाती है कि अब आयात महंगा हो जाएगा. रुपया गिरने के वजह से विदेशी मुद्रा भंडार तुलनात्मक रूप से तेजी से कम होता है, ऐसे में उसका असर बाजार पर दिखता है.

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