Cryptomania —Trading Simulator
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डेटा की सुरक्षा
आपके डेटा की सुरक्षा, इस बात पर निर्भर करती है कि डेवलपर, डेटा को कैसे इकट्ठा और शेयर करते हैं. डेटा को निजी और सुरक्षित रखने के तरीके अलग-अलग हो सकते हैं. ये आपकी जगह, उम्र, और ऐप्लिकेशन के इस्तेमाल के हिसाब से तय किए जाते हैं. यह जानकारी डेवलपर उपलब्ध कराता है और समय-समय पर इस जानकारी को अपडेट भी किया जा सकता है.
किन देशों में भारतीय करेंसी मान्य है और क्यों?
क्या आप जानते हैं कि दुनिया का लगभग 85% व्यापार अमेरिकी डॉलर की मदद से होता है? दुनिया भर के लगभग 39% क़र्ज़ अमेरिकी डॉलर में दिए जाते हैं और कुल डॉलर की संख्या के 65% का इस्तेमाल अमेरिका के बाहर होता है. इसलिए विदेशी बैंकों और देशों को अंतरराष्ट्रीय व्यापार में डॉलर की ज़रूरत होती है. यही कारण है कि डॉलर को 'अंतरराष्ट्रीय व्यापार करेंसी' भी कहा जाता है.
डॉलर को पूरी दुनिया में इंटरनेशनल करेंसी कहा जाता है. कोई भी देश डॉलर में भुगतान लेने को तैयार हो जाता है. लेकिन क्या इस तरह का सम्मान भारत की मुद्रा रुपया को मिलता है. जी हाँ, भले ही ‘रुपये’ को डॉलर जितनी आसानी से इंटरनेशनल ट्रेड में स्वीकार ना किया जाता हो लेकिन फिर भी कुछ ऐसे देश हैं जो कि भारत की करेंसी में आसानी से पेमेंट स्वीकार करते हैं. आइये इस लेख में इन सभी देशों के नाम जानते हैं.
भारतीय रुपया नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और मालदीव के कुछ हिस्सों में अनौपचारिक रूप से स्वीकार किया जाता है. हालाँकि भारतीय रुपये को लीगल करेंसी के रूप में जिम्बाब्वे में स्वीकार किया जाता है.
भारत की करेंसी को इन देशों में करेंसी के रूप में इसलिए स्वीकार किया जाता है क्योंकि भारत इन देशों को बड़ी मात्रा में वस्तुएं निर्यात करता है. यहाँ पर यह बताना जरूरी है कि जब कोई करेंसी "अंतरराष्ट्रीय व्यापार करेंसी" बनती है तो उसके पीछे सबसे बड़ा मूल कारण उस देश का 'निर्यात' होता है 'आयात' नहीं.
इस लेख में यह बताना जरूरी है कि नीचे दिए गए देशों में जिम्बाब्वे को छोड़कर किसी अन्य देश ने भारत की मुद्रा को ‘लीगल टेंडर’ अर्थात वैधानिक मुद्रा का दर्जा नहीं दिया है लेकिन भारत के पड़ोसी देश केवल आपसी समझ (mutual understanding) के कारण एक दूसरे की मुद्रा को स्वीकार करते हैं. इन देशों में मुद्रा का लेन देन मुख्यतः इन देशों की सीमाओं से लगने वाले प्रदेशों और उनके जिलों में ही होता है.
आइये अब विस्तार से जानते हैं कि किन-किन देशों में भारतीय रुपया मान्य/स्वीकार किया जाता है और क्यों?
1. जिम्बाब्वे: वर्तमान में जिम्बाब्वे की अब अपनी मुद्रा नहीं है. वर्ष 2009 में दक्षिणी अफ्रीकी देश ने अपनी स्थानीय मुद्रा, जिम्बाब्वे डॉलर को त्याग दिया था क्योंकि इस देश में हाइपर-इन्फ्लेशन के कारण देश की मुद्रा के मूल्य में बहुत कमी आ गयी थी. इसके बाद इसने अन्य देशों की मुद्राओं को अपने देश की करेंसी के रूप में स्वीकार किया है. वर्तमान में इस देश में अमेरिकी डॉलर, ऑस्ट्रेलियाई डॉलर, चीनी युआन, भारतीय रुपया, जापानी येन, दक्षिण अफ़्रीकी रैंड और ब्रिटिश पाउंड का इस्तेमाल किया जाता है. इस देश में भारत की मुद्रा रुपया को लीगल करेंसी के रूप में वर्ष 2014 से इस्तेमाल किया जा रहा है.
2. नेपाल: भारत के एक रुपये की मदद से नेपाल के 1.60 रुपये खरीदे जा सकते है. भारत के नोट नेपाल में कितनी बड़ी मात्रा में इस्तेमाल किये जाते हैं इसका अंदाजा सिर्फ इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि जब 2016 में भारत ने नोट्बंदी की थी तब वहां पर लगभग 9.48 अरब रुपये मूल्य के भारतीय नोट चलन में थे. भारत के व्यापारी को एक भारतीय रुपये के बदले ज्यादा नेपाली मुद्रा मिलती है इसलिए भारत के व्यापारी नेपाल से व्यापार करने को उत्सुक रहते हैं.
यदि दोनों देशों के बीच व्यापार की बात करें तो वित्त वर्ष 2017-18 के पहले 11 महीनों के दौरान नेपाल से भारत में भेजा गया कुल निर्यात लगभग 42.34 अरब रुपये का था जबकि भारत द्वारा नेपाल को इसी अवधि में लगभग 731 अरब रुपये का निर्यात भेजा गया था.
नेपाल ने दिसम्बर 2018 से 100 रुपये से बड़े मूल्य के भारतीय नोटों को बंद कर दिया है लेकिन 200 रुपये से कम के नोट बेधड़क स्वीकार किये जा रहे हैं.
3. भूटान: इस देश की मुद्रा का नाम ‘नोंग्त्रुम’ (Ngultrum ) है. यहाँ पर भारत की मुद्रा को भी लेन-देन के लिए स्वीकार किया जाता है. भूटान के कुल निर्यात का लगभग 78% भारत को निर्यात किया जाता है. सितम्बर 2018 तक भूटान की ओर से भारत को तकरीबन 14,917 मिलियन नोंग्त्रुम का आयात भेजा गया था जबकि इस देश द्वारा भारत से लिया गया निर्यात लगभग 12,489 मिलियन नोंग्त्रुम था. भारत का पड़ोसी देश होने के कारण इस देश के निवासी भारत की मुद्रा में जमकर खरीदारी करते हैं क्योंकि इन दोनों देशों की मुद्राओं की वैल्यू लगभग बराबर है और इसी कारण दोनों मुद्राओं के बीच विनिमय दर में उतार चढ़ाव से होने वाली हानि का कोई डर नहीं होता है.
4. बांग्लादेश: इस देश की मुद्रा का नाम टका है. वर्तमान में भारत के एक रुपये के बदले बांग्लादेश के 1.14 टका खरीदे जा सकते हैं. वित्तीय वर्ष 2017-18 (जुलाई-जून) में भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय व्यापार तकरीबन 9 अरब डॉलर के पार चला गया था. बांग्लादेश के द्वारा भारत को किया जाने वाला व्यापार भी लगभग 900 मिलियन डॉलर के करीब पहुँच गया था. इस प्रकार स्पष्ट है कि बांग्लादेश में भारत का रुपया बहुत बड़ी मात्रा में इस्तेमाल किया जाता है.
5. मालदीव: ज्ञातव्य है कि 1 भारतीय रुपया 0.21 मालदीवियन रूफिया के बराबर है. मालदीव के कुछ हिस्सों में भारत की करेंसी रुपया को आसानी स्वीकार किया जाता है. भारत ने 1981 में मालदीव के साथ सबसे पहली व्यापार संधि पर हस्ताक्षर किए थे. विदेश व्यापार निदेशालय (डीजीएफटी) की हालिया अधिसूचना के अनुसार, मालदीव को भारत का 2017-18 में कुल निर्यात लगभग 217 मिलियन डॉलर था, जो पिछले वर्ष में लगभग $197 मिलियन था.
इस प्रकार ऊपर लिखे गए लेख से यह स्पष्ट हो जाता है कि भारत की मुद्रा को उसके पडोसी देशों में आसानी से स्वीकार किया जाता है. इसके पीछे मुख्य कारण इन देशों की एक दूसरे पर व्यापार निर्भरता है. हालाँकि रुपये को लीगल टेंडर का दर्जा सिर्फ जिम्बाब्वे ने दिया है.
Breaking News : रूस चीन जो न कर पाए वो कर दिखाया भारत ने, अब भारतीय रूपए इन देशों में चलेगा इंटरनेशनल करेंसी के रूप में
ये हमारे देश के लिए बहुत गर्व की बात है के जो काम रूस और चीन जैसे देश नहीं कर पाए वो हमारे देश ने कर दिया। दुनिया के कई देशों में अब इंडियन रूपए इंटनेशनल करेंसी के रूप में इस्तेमाल किया जायेगा जिससे देश को होगा बहुत फायदा
HR Breaking News, New Delhi : जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते संकट में फंसी हुई है, तब भारत ने एक ऐसा बड़ा काम शुरू कर दिया है जो आगे चलकर उसे सही मायने में दुनिया की दूसरी महाशक्ति के रूप में स्थापित कर देगा. पीएम नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारत ने रुपये (Indian Rupee) को इंटरनेशनल करेंसी (International Currency) बनाने की पहल शुरू की है, जिसे बढ़िया रिस्पांस भी मिलने लगा है. अगर यह पहल कामयाब हुई तो अमेरिकी डॉलर (US Dollars) के अलावा रुपया दुनिया की दूसरी बड़ी इंटरनेशनल करेंसी बन जाएगा. जिसके बाद आप भारतीय रुपयों से दुनिया में कहीं भी खरीदारी कर सकेंगे.
श्रीलंका और भारत में चलेगा इंडियन रूपी
सहयोगी वेबसाइट WION के मुताबिक अमेरिकी डॉलर की कमी से जूझ रहे श्रीलंका ने अपने यहां स्पेशल रुपी ट्रेडिंग अकाउंट शुरू किया है. इस तरह के अकाउंट्स को वोस्त्रो अकाउंट (Vostro Accounts) भी कहा जाता है. इस अकाउंट को खोलने के बाद श्रीलंका के सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका (CBSL) ने भारत के रिजर्व बैंक (RBI)से आग्रह किया है कि वह श्रीलंका में इंडियन रुपये (Indian Rupee) को विदेशी करंसी के रूप में मान्यता दे. श्रीलंका ने RBI से यह भी आग्रह किया है कि वह श्रीलंका समेत SAARC देशों में ट्रेड और टूरिज्म को प्रमोट करे.
हर श्रीलंकाई नागरिक रख सकेगा 8 लाख रुपये
श्रीलंका के इस आग्रह को आप इस प्रकार समझ सकते हैं कि RBI के परमीशन देने के बाद कोई भी श्रीलंकाई नागरिक अपने 8 लाख 26 हजार 823 रुपये यानी 10 हजार अमेरिकी डॉलर नकद रख सकता है. इसका दूसरा मतलब ये हुआ कि भारत और श्रीलंका के कारोबारी और आम नागरिक अमेरिकी डॉलर (US Dollars) के बजाय आसानी से भारतीय रुपये (Indian Rupee) में व्यापार और खरीदारी कर सकेंगे.
भारत ने जुलाई में शुरू की अहम योजना
भारत सरकार ने इस साल जुलाई में यह महत्वाकांक्षी पहल शुरू की, जिसका मकसद उन देशों को वैकल्पिक ट्रांजेक्शन सिस्टम उपलब्ध करवाना है, जो अमेरिकी डॉलर (US Dollars) की कमी का सामना कर रहे हैं. ऐसे देशों में स्पेशल वोस्त्रो अकाउंट खोलकर उन्हें रुपी सेटलमेंट सिस्टम के तहत लाया जाना है, जिसके बाद भारत और उन देशों में सीधे भारतीय रुपये में लेन-देन शुरू हो सकेगा.
श्रीलंका ने हाथोंहाथ ली भारतीय पहल
अब इस बात को समझते हैं कि श्रीलंका ने भारत की इस पहल को हाथोंहाथ क्यों लिया है. असल में पिछले 2 साल से आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में अमेरिकी डॉलर की भारी कमी हो चुकी है, जिसके चलते वह दुनिया के दूसरे देशों से अपनी जरूरत की दूसरी चीजें नहीं खरीद पा रही है. उसकी अपनी करंसी श्रीलंकन रुपी की इंटरनेशनल मार्केट में खास वेल्यू नहीं है. इसलिए उसे ऐसी करंसी की जरूरत है, जिसकी दुनिया में साख हो और जो उसे आसानी से उपलब्ध भी हो जाए.
अपनी अर्थव्यवस्था बढ़ाने की कोशिश
भारतीय रुपये (Indian Rupee) में ये दोनों खूबियां मौजूद हैं. इंडियन रूपी श्रीलंका में पहले से लीगल करेंसी के रूप में मान्यता प्राप्त है. दूसरी बात, भारत से अच्छे संबंध होने की वजह से उसे बड़ी मात्रा में इंडियन करेंसी मिलने में दिक्कत नहीं होगी. जिसके जरिए वह बाद में दुनिया के अन्य देशों से अपनी जरूरत की चीजें खरीद सकेगा. साथ ही अपनी रुक चुकी अर्थव्यवस्था को भी कुछ गति दे सकेगा.
इन देशों में भी चलता दिखेगा भारतीय रुपया
भारत सरकार की इस पहल को दुनिया के देश किस तरह रूचि दिखा रहे हैं, इसका पता इसी बात से चलता है कि RBI अब तक 18 वोस्त्रो अकाउंट्स (Vostro Accounts) खोल चुका है. इनमें से रूस के लिए 12 अकाउंट्स, श्रीलंका के लिए 5 अकाउंट्स और मॉरीशस के लिए 1 अकाउंट शामिल हैं. यानी इन तीनों देशों में अब भारत का रुपया (Indian Rupee) एक इंटरनेशल करेंसी के रूप में पूरी तरह मान्यता प्राप्त होगा और आप वहां जाकर रुपये से कोई भी चीज खरीद सकेंगे. अमेरिकी डॉलर (US Dollars) की कमी का सामना कर रहे ताजिकिस्तान, क्यूबा, लक्जेमबर्ग और सूडान ने भी भारत की इस पहल में दिलचस्पी दिखाई है और जल्द ही वहां पर भी RBI अपने वोस्त्रो अकाउंट्स खोल सकता है. इंटरनेशनल करेंसी बनाने की कोशिश
वित्त मंत्रालय ने इंडियन बैंक असोसिएशन और फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन से आग्रह किया है कि वे संबंधित पक्षों से मिलकर भारतीय रुपये में व्यापार शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करें. जिससे भारतीय रुपये (Indian Rupee) की दुनिया में इंटरनेशनल करेंसी (International Currency) के रूप में मान्यता बढ़े और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले इसके एक्सचेंज रेट्स में भी सुधार हो.
अभी तक यूएस डॉलर का रहा है राज
बताते चलें कि फिलहाल दुनिया की एकमात्र बड़ी इंटरनेशनल करेंसी अमेरिकी डॉलर (US Dollars) है. दुनिया के सभी देश इसी करेंसी के जरिए एक-दूसरे से व्यापार करते हैं. अमेरिका अपनी करेंसी के जरिए दुनिया के व्यापार पर असरदार कंट्रोल रखता है. उस जिस देश को दबाना होता है, यूएस बैंक उस देश को अमेरिकी डॉलर की सप्लाई घटा देते हैं, जिससे वह बाकी दुनिया के साथ कारोबार करने में अक्षम हो जाता है.
उसकी इस बादशाहत को तोड़ने के लिए रूस, चीन जैसे देश लंबे समय से कोशिश करते रहे हैं लेकिन अब तक कामयाब नहीं हो पाए हैं. अब पीएम मोदी की लीडरशिप में भारत ने इस बारे में जोरदार पहल शुरू की है, जिसके सकारात्मक नतीजे भी दिखने लगे हैं. ऐसे में आने वाले वक्त में अमेरिकी डॉलर के साथ ही इंडियन रुपी भी दुनिया की प्रमुख इंटरनेशल करेंसी (International Currency) बन जाए तो हैरानी की खास बात नहीं होगी.
अमेरिका बना भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर, चीन को पछाड़कर नंबर 1 पर आया
बिजनेस डेस्कः अमेरिका और भारत के बीच 2021-22 में हुए द्विपक्षीय ट्रेडिंग करेंसियां व्यापार ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार अमेरिका अब भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बन गया है। इस तरह भारत के साथ व्यापार के मामले में अमेरिका ने चीन को पीछ़े छोड़ दिया है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 में अमेरिका और भारत का द्वपिक्षीय व्यापार ट्रेडिंग करेंसियां बढ़कर 119.42 अरब डॉलर पर पहुंच गया। 2020-21 में यह आंकड़ा 80.51 अरब डॉलर का था।
आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 में भारत का अमेरिका को निर्यात बढ़कर 76.11 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 51.62 अरब डॉलर रहा था। वहीं इस दौरान अमेरिका से भारत ट्रेडिंग करेंसियां का आयात बढ़कर 43.31 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 29 अरब डॉलर था।
चीन के साथ आयात-निर्यात का हिसाब
आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 में भारत-चीन द्वपिक्षीय व्यापार 115.42 अरब डॉलर रहा, जो 2020-21 में 86.4 अरब डॉलर था। वहीं चीन को भारत का द्वारा किया गया निर्यात मामूली बढ़कर 21.25 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो 2020-21 में 21.18 अरब डॉलर रहा था। वहीं इस दौरान चीन से भारत का आयात बढ़कर 94.16 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो 2020-21 में 65.21 अरब डॉलर पर था। वित्त वर्ष के दौरान भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा बढ़कर 72.91 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो 2020-21 में 44 अरब डॉलर रहा था।
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार
भारतीय बागान प्रबंधन संस्थान (आईआईपीएम), बेंगलूर के निदेशक राकेश मोहन जोशी ने कहा कि 1.39 अरब की आबादी के साथ भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार है। तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के चलते अमेरिका और भारत की कंपनियों के पास प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, विनिर्माण, व्यापार और निवेश के काफी अवसर हैं।
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