Lal Mirch Ke Totke: जीवन की हर परेशानी से निपटने के लिए अपनाएं लाल मिर्च के ये अचूक टोटके, मिलने लगेगी सफलता

Lal Mirch Ke Totke: हर किसी के जीवन में सुख-दुख का आना जाना लगा रहता है. लेकिन कई बार कुछ समस्याएं ऐसी होती हैं जो जाने का नाम ही नहीं लेती हैं. इन परेशानियों की वजह से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इनसे निपटने के लिए कुछ उपाय करने पड़ते हैं.

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हुजूर, जन सुविधा के लिए टैक्स का पैसा राष्ट्र निर्माण है…

भोपाल। नागपुर – शिर्डी रेल लाइन के उदघाटन के समय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा की कुछ दल राजनीति में शार्ट कट अपना कर देश का भला नहीं कर रहे हैं, जबकि देश आगामी 25 वर्षो के लिए विकास के लक्ष्य के लिए प्रयासरत हैं ! उन्होंने विपक्षी दलों पर आरोप लगाया कि देश की अर्थ व्यवस्था को बर्बाद करने के काम कर रही हैं ! गुजरात – हिमाचल विधानसभा और दिल्ली म्यूनिसपल चुनावों के परिणामों के बाद मोदी जी का बयान उनकी पार्टी की शिमला और दिल्ली में करारी पराजय के बाद उछवास सा ही हैं। इसके पूर्व भी वे ‘आप’ पार्टी के पंजाब चुनावों में “फ्री बिजली” पर आलोचना कर चुके हैं। यह कह कर रेवड़ी बाटने की राजनीति खतरनाक हैं।

इस संदर्भ में सत्तारूढ़ पार्टी का इतिहास तो मात्र मंदिर और मूर्तियां बनाने का रहा हैं, जो किसी भी प्रकार आम भारतीय के लिए लाभकारी नहीं हैं। उपासना स्थल का निर्माण अगर राष्ट्र की प्राथमिकता हैं तब अन्य धर्मों के भी उपासना स्थल का निर्माण करना चाहिए था – जो की नहीं किया गया। सिर्फ इसलिए की बीजेपी को सिर्फ बहु संखयक समुदाय में ही अपना वोट बैंक दिखाई देता हैं। हालांकि हिमाचल प्रदेश या देव भूमि में तो 90% आबादी हिन्दुओं की है, जो गुजरात की हिन्दू आबादी से प्रतिशत के मान से कहीं ज्यादा हैं ! इसका क्या अर्थ हुआ , क्या हिन्दू हृदय सम्राट का जादू देवभूमि में विदेशी मुद्रा में किस प्रकार के प्रसार हैं? निरर्थरक हो गया।

राज्य की संपत्ति को अदानी समूह को 99 साल की लीज पर देकर रेल्वे स्टेशन – हवाई अड्डे और बन्दरगाह देकर उपक्रट करना क्या भारत की जनता के लिए लाभकारी हैं ? मजे की बात यह हैं कि बैंकों से बिना किसी कोलाइटरल या गिरवी के अरबों रुपये का कर्ज देने का कारण मोदी सरकार सुप्रीम कोर्ट में भी नहीं बता पायी हैं। एक लिफाफे में गोपनीय ढंग से सूचना देकर सरकार ने भारत की जनता को देश के धन के उपयोग या सदुपयोग को जानने की राह बंद कर दी हैं। नीचे कुछ उदाहरण हैं की किस प्रकार मोदी सरकार अंबानी और अदानी समूह को अनसिक्योरड कर्जे बंकों और जीवन बीमा निगम द्वरा दिये गए हैं।

1- थर्मल पावर हाउस को कोले की आपूर्ति, सार्वजनिक उपक्रम कॉल इंडिया द्वारा की जाती हैं। जो देश के विदेशी मुद्रा में किस प्रकार के प्रसार हैं? विभिन्न खदानों से 7000 रुपये प्रति टन के हिसाब से मिलती हैं। अदानी समूह की आस्ट्रेलिया की खदानों के कोयले को देश में खपाने के लिए उनके कोयले को खरीदने का निर्देश भारत सरकार ने दिया। जिसकी कीमत 50,000 रुपये प्रति टन होती है ! अब सरकार का हुकुम और 4 का घाटा उठा कर बिजली घरों को आपूर्ति की गयी।

2- रिलायंस समूह के छोटे भाई अनिल अंबानी जिनकी रिलायंस कैपिटल लिमिटेड पर 40,0000 करोड़ रुपये का कर्ज था। जिसका अडजेस्टमेंट 20,000 करोड़ में हुआ ! देखो कैसे कर्ज की देनदारी आधी हो गयी! किसी अन्य उद्योग अथवा सहकारी उद्योग या किसानों के कर्जों की कभी नहीं हुई ! अभी और हैं इस कर्ज का रिवाल्यूशेन हुआ तो देनदारी घट कर 12,000 करोड़ हो गई! जब समूह की परिसंपति की बोली लगी तो 5231 करोड़ में मुकेश अंबानी के समधी पीरमल समूह ने खरीद लिया ! हैं ना कमाल, यानि घर की संपत्ति घर में ही रही। यानि वास्तविक कर्ज का 12% ही वसूल हो पाया। और यह कर्ज था देश के विभिन्न बैंकों का जिनमें आयकर दाताओ के पैसे जमा हैं। और मोदी जी कहते हैं की शार्ट कट की राजनीति विदेशी मुद्रा में किस प्रकार के प्रसार हैं? देश को बर्बाद कर देगी !

3- रेल में सीनियर नागरिकों को मिलने वाली छूट को बंद कर के रेल्वे ने 4 करोड़ बचाए ! वाह क्या राष्ट्र का विदेशी मुद्रा में किस प्रकार के प्रसार हैं? निर्माण हो रहा हैं ! यानि 35000 करोड़ छोड़ दिये चार करोड़ बचा लिए !

4- अयोध्या में मंदिर निर्माण के समय सरकार की ओर से वादा किया गया था कि नगर में नागरिक सेवा का विस्तार किया जाएगा। परंतु अभी तक ना तो सीवर अथवा पेयजल अथवा सड़क आदि का कोई निर्माण कार्य नहीं हुआ हैं। बरसात में हालत और बिगड़ने वाले हैं। निर्माण कार्य के लिए जिन स्थानों मंदिरों को हटाया गया था उनके पुंर्स्थापन की कोई पहल ना तो मोदी सरकार ना ही योगी सरकार द्वारा किया गया हैं।

पहले संसदीय संबोधन में उपराष्ट्रपति ने एनजेएसी क़ानून रद्द करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट पर निशाना साधा

सभापति के रूप में राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन करते हुए अपने पहले संबोधन में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा राष्ट्रीय न्यायिक आयोग क़ानून ख़ारिज किए जाने को लेकर कहा कि यह ‘संसदीय संप्रभुता से गंभीर समझौता’ और उस जनादेश का ‘अनादर’ है जिसके संरक्षक उच्च सदन व लोकसभा हैं. The post पहले संसदीय संबोधन में उपराष्ट्रपति ने एनजेएसी क़ानून रद्द करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट पर निशाना साधा appeared first on The Wire - Hindi.

सभापति के रूप में राज्यसभा की कार्यवाही का संचालन करते हुए अपने पहले संबोधन में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा राष्ट्रीय न्यायिक आयोग क़ानून ख़ारिज किए जाने को लेकर कहा कि यह ‘संसदीय संप्रभुता विदेशी मुद्रा में किस प्रकार के प्रसार हैं? से गंभीर समझौता’ और उस जनादेश का ‘अनादर’ है जिसके संरक्षक उच्च सदन व लोकसभा हैं.

राज्यसभा में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़. (फोटो: पीटीआई/संसद टीवी)

नई दिल्ली: विदेशी मुद्रा में किस प्रकार के प्रसार हैं? उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को संसद में पारित राष्ट्रीय न्यायिक आयोग (एनजेएसी) कानून को सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज किए जाने को लेकर अदालत पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि यह ‘संसदीय संप्रभुता से गंभीर समझौता’ और उस जनादेश का ‘अनादर’ है जिसके संरक्षक उच्च सदन एवं लोकसभा हैं.

धनखड़ ने सभापति के रूप में उच्च सदन की कार्यवाही का संचालन करते हुए अपने पहले संबोधन में एनजेएसी के संबंध में उच्चतम न्यायालय के फैसले का उल्लेख किया और कहा कि लोकतांत्रिक इतिहास में ऐसी कोई मिसाल नहीं मिलती जहां नियमबद्ध ढंग से लाए गए संवैधानिक उपाय को इस प्रकार न्यायिक ढंग से निष्प्रभावी कर दिया गया हो.

उल्लेखनीय है कि संसद के दोनों सदनों ने 2014 के अगस्त माह में एनजेएसी के प्रावधान वाला 99वां संविधान संशोधन सर्वसम्मति से पारित किया था, जिसमें जजों द्वारा जजों की नियुक्ति की 22 साल पुरानी कॉलेजियम प्रणाली की जगह उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति में कार्यपालिका को एक प्रमुख भूमिका दी गई थी. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2015 में इस कानून को संविधान के बुनियादी ढांचे के अनुरूप न बताते हुए इसे खारिज कर दिया था.

धनखड़ ने कहा, ‘हमें इस बात को ध्यान में रखने की आवश्यकता है कि लोकतांत्रिक शासन में किसी भी ‘बुनियादी ढांचे’ की बुनियाद संसद में परिलक्षित होने वाले जनादेश की प्रमुखता को कायम रखना है….’

उन्होंने कहा कि यह चिंताजनक बात है कि इस बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दे पर जो लोकतांत्रिक ताने-बाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, संसद का ध्यान केंद्रित नहीं है.

धनखड़ ने कहा, ‘लोकसभा के साथ यह सदन लोगों का संरक्षक होने के कारण मुद्दे पर ध्यान देने के लिए दायित्व से बंधा हुआ है और मैं निश्चित ही इसे करूंगा.’ उन्होंने यह भी कहा कि उच्च संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को अपने आचरण में गरिमा एवं शुचिता के उच्च मानकों को कायम करना चाहिए.

उल्लेखनीय है कि उपराष्ट्रपति का संबोधन सरकार और न्यायपालिका के बीच कॉलेजियम प्रणाली और न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर चल रही खींचतान के बीच आया है. बीते दिनों केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कॉलेजियम व्यवस्था को ‘अपारदर्शी और एलियन’ बताया था. उनकी टिप्पणी विदेशी मुद्रा में किस प्रकार के प्रसार हैं? को लेकर शीर्ष अदालत ने नाराजगी भी जाहिर की थी.

सभापति के रूप में पहली बार राज्यसभा की अध्यक्षता करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि सरकार के तीन विदेशी मुद्रा में किस प्रकार के प्रसार हैं? अंगों द्वारा एक-दूसरे के क्षेत्र में किसी भी तरह की घुसपैठ शासन को परेशान करने की क्षमता है और सभी को ‘लक्ष्मण रेखा’ का सम्मान करना चाहिए.

उन्होंने सदस्यों से लक्ष्मण रेखा का सम्मान करने वाला माहौल तैयार करने के लिए काम करने का आह्वान किया.

अपने संबोधन में धनखड़ ने यह कहते हुए कि शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत का सम्मान किया जाना चाहिए, कहा, ‘लोकतंत्र तब फलता-फूलता है जब इसके तीन पहलू – विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका- अपने संबंधित डोमेन का ईमानदारी से पालन करते हैं.’

उन्होंने जोड़ा, ‘हम वास्तव में लगातार घुसपैठ की इस गंभीर वास्तविकता का सामना कर रहे हैं. यह सदन शासन के इन अंगों के बीच अनुकूलता लाने के लिए सकारात्मक कदम उठाने की स्थिति में है. मुझे विश्वास है कि आप सभी आगे के रुख पर विचार करेंगे और इसमें शामिल होंगे.’

एनजेएसी का गठन करने वाले 99वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इस पर ‘ऐतिहासिक’ संसदीय जनादेश को ’16 अक्टूबर, 2015 को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 4:1 के बहुमत से खारिज कर दिया गया था क्योंकि इसे संविधान के ‘मूल ढांचे’ के न्यायिक रूप से विकसित सिद्धांत के अनुरूप’ नहीं पाया गया था. उन्होंने कहा कि विधेयक के लिए ‘अभूतपूर्व’ समर्थन था.

उन्होंने कहा, ’13 अगस्त 2014 को लोकसभा ने सर्वसम्मति से इसके पक्ष में मतदान किया, जिसमें कोई अनुपस्थिति नहीं थी. इस सदन ने भी 14 अगस्त, 2014 को इसे लगभग सर्वसम्मति से पारित कर दिया. संसदीय लोकतंत्र में शायद ही किसी संवैधानिक कानून को इतना समर्थन मिला हो.’

उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक इतिहास में इस तरह का कोई उदाहरण नहीं है जहां एक विधिवत वैध संवैधानिक उपाय को न्यायिक रूप से खारिज किया गया हो.

उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘यह संसदीय संप्रभुता के साथ गंभीर समझौते और लोगों के जनादेश, जिसके संरक्षक यह सदन और लोकसभा हैं, की अवहेलना का एक ज्वलंत उदाहरण था.’

धनखड़ ने यह भी कहा कि यह चिंताजनक है कि ‘लोकतांत्रिक ताने-बाने के लिए इतने महत्वपूर्ण मुद्दे पर संसद में कोई ध्यान नहीं दिया गया है, जबकि अब इसे सात साल से अधिक हो गए हैं.’

उन्होंने आगे जोड़ा, ‘यह सदन, लोकसभा के साथ मिलकर लोगों के विदेशी मुद्रा में किस प्रकार के प्रसार हैं? जनादेश का संरक्षक होने के नाते, इस मुद्दे को संबोधित करने के लिए बाध्य है और मुझे यकीन है कि यह ऐसा करेगा.’

यह पहली बार नहीं है जब धनखड़ ने उपराष्ट्रपति बनने के बाद एनजेएसी को खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की आलोचना की है. बीते 2 दिसंबर को एलएम सिंघवी मेमोरियल लेक्चर को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि वह ‘हैरान’ थे कि शीर्ष अदालत द्वारा एनजेएसी कानून को रद्द किए जाने के बाद संसद में कोई चर्चा नहीं हुई. उससे पहले उन्होंने संविधान दिवस (26 नवंबर) के अवसर पर हुए एक कार्यक्रम में भी ऐसी ही टिप्पणी की थी.

मालूम हो कि केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू पिछले कुछ समय से न्यायपालिका, सुप्रीम कोर्ट और कॉलेजियम प्रणाली को लेकर आलोचनात्मक बयान दे रहे हैं.

अक्टूबर 2022 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का ‘मुखपत्र’ माने जाने वाले ‘पांचजन्य’ की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट और न्यायपालिका के लिए समान शब्दों का इस्तेमाल किया था और कहा था कि न्यायपालिका कार्यपालिका में हस्तक्षेप न करे.

साथ ही, उन्होंने जजों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली पर निशाना साधते हुए यह भी कहा था कि जजों की नियुक्ति विदेशी मुद्रा में किस प्रकार के प्रसार हैं? सरकार का काम है. उन्होंने न्यायपालिका में निगरानी तंत्र विकसित करने की भी बात कही थी.

इसी तरह बीते चार नवंबर को रिजिजू ने कहा था कि वे इस साल के शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट द्वारा राजद्रोह कानून पर रोक लगाने के फैसले से दुखी थे.

वहीं, बीते महीने ही सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा था कि सरकार का कॉलेजियम द्वारा भेजे गए नाम रोके रखना अस्वीकार्य है. साथ ही, कॉलेजियम प्रणाली के बचाव में इसके बाद सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि संवैधानिक लोकतंत्र में कोई भी संस्था परफेक्ट नहीं है.

Bcom 1st Year Fundamentals of Enterperneurship notes

Bcom 1st Year Fundamentals of Enterperneurship notes

विषय सूची (Chapter wise)

1. उद्यमिता की अवधारणा

(Concept of Entrepreneurship)

1. अमिता से क्या आशय है। इसको विशेषताओं एवं प्रकृति की विवेचना कीजिए।

2. “उद्यमिता एक नवप्रवर्तनकारी कार्य है। यह स्वामित्व की अपेक्षा एक नेतृत्व कार्य है।” इस कथन की व्याख्या करते हुए उद्यमिता के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन कीजिए।

3. क्या भारतीय सामाजिक प्रणाली में उद्यमिता के विकास में बाधा पहुंचाने वाले घटक अन्तनिहित है। इस कथन पर अपने विचार प्रकट कीजिये।

4 उद्यमिता के सम्बन्ध में विभिन्न विचारधारायें बताइये।

Bcom 1st Year Fundamentals of Enterperneurship notes

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. उद्यमिता की निम्न अवधारणाओं को समझाइये

(i) नव प्रवर्तन की अवधारणा

(ii) मनौवैज्ञानिक प्रेरणा की अवधारणा

(iii) संगठन एवं समन्वय की अवधारणा

(iv) समूह प्रतिक्रियाशीलता की अवधारणा

(v) प्रबन्धकीय कौशल की अवधारणा

2. उद्यमी का परिचय(An Introduction of Entrepreneur)

1. उद्यमी से आप क्या समझते हैं, इसे परिभाषित कीजिए। उद्यमी की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।

2. “उद्यमी प्रबन्धक से बड़ा होता है। वह नवप्रवर्तक तथा प्रवर्तक दोनों ही है।” इस कथन का स्पष्ट करते हुए उद्यमी या साहसी के विभिन्न प्रकार बताइए।

3. एक सफल उद्यमी के विभिन्न गुणों का वर्णन कीजिए।

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. नेतृत्व क्षमता से आप क्या समझते हैं ? नेतृत्व सम्बन्धी गुण क्या हैं?

2. जोखिम वहन क्षमता से क्या आशय है ? यह कितने प्रकार का होता है?

3. नियोजन को परिभाषित कीजिए। इसकी प्रमुख विशेषताएँ बताइये।

4. निर्णयन क्षमता से आप क्या समझते हैं?

5. उद्यमी तथा प्रबन्धक में अन्तर स्पष्ट कीजिए।

3. उद्यमिता में सामाजिक-आर्थिक वातावरण की भूमिका (Role of Social-Economic Environment in Entrepreneurship)

1. उद्यमिता के विकास में सामाजिक-आर्थिक वातावरण की भूमिका की विवेचना कीजिए।

2. STEP विश्लेषण से क्या आशय है? यह किन-किन कारकों से प्रभावित होता है?

3. मशीनों की कार्यक्षमता में समन्वय होना क्यों आवश्यक है? संयन्त्र अभिन्यास इन्जीनियरिंग के उपकरण बताइये।

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. उद्यमिता के विकास हेतु अपने सुझाव दीजिये।

2. व्यावसायिक वातावरण बनाम उद्यमिता वातावरण

3. उत्पाद एवं प्रक्रिया अभिन्यास में अन्तर स्पष्ट कीजिये।

4. मिश्रित अभिन्यास से क्या आशय है?

4. उपक्रम की स्थापना तथा बाह्य वातावरण(Promotion of Venture and External Environment)

1.उपक्रम की स्थापना करते समय व्यवसायी को किन-किन महत्वपूर्ण अवस्थाओं का अध्ययन करना आवश्यक है ? विवेचना कीजिए।

2. आन्तरिक एवं बाह्य वातावरण से क्या अभिप्राय है? किस प्रकार किसी विशेष उद्योग को प्रभावित करता है?

3. संयन्त्र विन्यास से आप क्या समझते हैं ? संयन्त्र विन्यास को प्रभावित करने वाले घटकों को स्पष्ट कीजिए।

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. राष्ट्रीय पर्यावरण (वातावरण) नीति के उद्देश्य बताइये।

2. बाह्य वातावरणीय छानबीन एवं विश्लेषण विदेशी मुद्रा में किस प्रकार के प्रसार हैं? की तकनीकों को समझाइये।

5. नई इकाई की स्थापना हेतु वैधानिक आवश्यकतायें एवं कोष प्राप्ति के स्रोत (साहस पूँजी)[Legal Requirements for Establishment of a New Unitand Raising of Funds (Venture Capital)]

1. एक उद्यमी को किन किन स्रोतों से कोष की प्राप्ति होती है। विवेचना कीजिए।

2. साहस पूँजी से क्या आशय है ? इसकी प्रमुख विशेषताओं की विवेचना कीजिए।

3. निम्नलिखित समस्या में अनुकूलतम उपकार्य अनुक्रम एवं लगने वाला न्यूनतम समय ज्ञात कीजिये।

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. साहस पूँजी के क्षेत्र की व्याख्या कीजिये।

2. एकल स्वामी, साझेदारी तथा निजी कम्पनी की तुलनात्मक व्याख्या कीजिए।

3. व्यावसायिक विचारों के स्रोत बताइये।

6. उद्यमीय व्यवहार, मनोवैज्ञानिक विचारधारा तथा सामाजिक उत्तरदायित्व (Entrepreneurial Behaviour, Psycho Theories and Social Responsibility)

1. “उद्यमी उद्योगों के विकास की धुरी है।” स्पष्ट कीजिये। क्या एक उद्यमी को लाभ कमाने के साथ-साथ सामाजिक उत्तरदायित्वों की भी पूर्ति करनी चाहिये।

2. उद्यमीय व्यक्तित्व को प्रभावित करने वाले मनोवैज्ञानिक लक्षणों की व्याख्या कीजिए।

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. उद्यमिता व्यवहार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

2. सामाजिक उत्तरदायित्व की आवश्यकता एवं महत्व बताइये ।

3. सरकार एवं व्यवसाय का एक दूसरे के प्रति क्या उत्तरदायित्व है ?

4. भारतीय सन्दर्भ में उद्यमी के सामाजिक उत्तरदायित्व की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।

5. सामाजिक उत्तरदायित्व को निभाने में आने वाली विदेशी मुद्रा में किस प्रकार के प्रसार हैं? बाधाएँ कौन-सी हैं ?

1. उद्यमिता विकास कार्यक्रम से क्या आशय है ? इसके महत्व व उद्देश्य बताइये। को समझाइये

2. उद्यमिता विकास कार्यक्रमों के संचालन में सरकार के योगदान

3. उद्यमिता विकास कार्यक्रम किन उद्देश्यों की पूर्ति के लिये बनायी जाती है ? इस सम्बन्ध में अपने सुझाव दीजिए।

4. “उद्यमिता विकास में जिला उद्योग केन्द्र की अहम भूमिका है।” इस कथन को स्पष्ट कीजिए।

5. खादी एवं कुटीर उद्योग बोर्ड का संगठन एवं कार्य बताइये।

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. आई. एस. ओ. 9000 क्या है ?

2. भारत में उद्यमिता विकास कार्यक्रम के महत्वपूर्ण संस्थान कौन-कौन से हैं ?

3. आई. एस. ओ. और बी. आई. एस. में अन्तर स्पष्ट कीजिए।

8. उद्यमी की भूमिका (Role of Entrepreneur)

1. ‘उद्यमी की भूमिका’ से आप क्या समझते हैं ? उद्यमी के प्रमुख कार्यों का उल्लेख कीजिए।

2. “उद्यमिता नये सेजगारों के सृजन एवं सन्तुलित आर्थिक विकास के लिये आवश्यक है।” विवेचना कीजिये।

3. भारत की नई आयात-निर्यात नीति 2002-07 की क्या मुख्य विशेषतायें हैं?

4. आयात प्रतिस्थापन से क्या आशय है ? वर्तमान समय में भारत में आयात प्रतिस्थापन में क्या-क्या समस्यायें हैं एवं उन्हें दूर करने के लिये सुझाव दीजिये।

लघु उत्तरीय प्रश्न

1. नवाचार को परिभाषित करते हुये बताइए कि यह आविष्कार से किस प्रकार भिन्न है ?

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