कोविड की आशंका से शेयर बाजार दहला, सेंसेक्स -निफ्टी लुढ़के, रुपया सात पैसे टूटा

मुंबई। चीन समेत कुछ देशों में कोविड-19 संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ने से शुक्रवार को एशियाई बाजारों में गिरावट का रुख रहा। स्थानीय बाजार भी इससे अछूते नहीं रहे और बड़े नुकसान के साथ बंद हुए। दोनों प्रमुख सूचकांकों में गिरावट का यह लगातार चौथा दिन रहा। निवेशकों की भारी बिकवाली से बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 980.93 अंक यानी 1.61 प्रतिशत लुढ़कते हुए 59,845.29 अंक पर खिसक आया।

कारोबार के दौरान एक समय सेंसेक्स 1,060.66 अंक यानी 1.74 प्रतिशत तक धराशायी हो गया था। इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के निफ्टी में भी 320.55 अंक यानी 1.77 प्रतिशत की बड़ी गिरावट दर्ज की गई। निफ्टी 17,800 के मनोवैज्ञानिक स्तर से भी नीचे आ गया था लेकिन अंत में यह थोड़ा सुधरते हुए 17,806.80 अंक पर बंद हुआ।

सेंसेक्स में शामिल कंपनियों में से टाटा स्टील को सर्वाधिक पांच प्रतिशत का नुकसान उठाना पड़ा। इसके अलाव टाटा मोटर्स, भारतीय स्टेट बैंक, बजाज फिनसर्व, रिलायंस इंडस्ट्रीज, विप्रो, इंडसइंड बैंक, लार्सन एंड टुब्रो और मारुति सुजुकी के शेयर भी खासे नुकसान में रहे। एशिया के अन्य बाजारों में दक्षिण कोरिया के कॉस्पी, जापान के निक्की, चीन के शंघाई कम्पोजिट तथा हांगकांग के हैंगसेंग में गिरावट का रुख रहा। हालांकि, यूरोप के बाजार दोपहर के सत्र में बढ़त के साथ कारोबार कर रहे थे।

अमेरिकी बाजार बृहस्पतिवार को गिरावट के साथ बंद हुए थे। रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के उपाध्यक्ष (तकनीकी शोध) अजित मिश्रा ने कहा, घरेलू बाजार निचले स्तर पर ही रहे और कमोबेश दो प्रतिशत तक टूट गए। यह बाजार में जारी गिरावट के मौजूदा रुख के अनुरूप ही है। अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड 1.89 प्रतिशत चढ़कर 82.51 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। बाजार में जारी गिरावट के बीच विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बृहस्पतिवार को खरीदारी की। उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, एफआईआई ने 928.63 गिरावट की मुद्रा करोड़ रुपये मूल्य के शेयरों की शुद्ध लिवाली की।

रुपया सात पैसे टूटकर 82.86 प्रति डॉलर पर आया
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले शुक्रवार को रुपया सात पैसे की तेजी के साथ 82.86 (अस्थायी) प्रति डॉलर पर बंद हुआ। ब्याज दरों में वृद्धि की चिंताओं के बीच कच्चे तेल की कीमतों में मजबूती और घरेलू शेयर बाजार में भारी गिरावट से रुपये की धारणा प्रभावित हुई। बाजार सूत्रों ने कहा कि वैश्विक बाजारों में डॉलर के कमजोर होने से रुपये की गिरावट पर अंकुश लग गया। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 82.81 के स्तर पर कमजोर खुला और कारोबार के अंत में यह सात पैसे की हानि दर्शाता 82.86 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान रुपये में 82.77 के उच्चस्तर और 82.88 के निचले स्तर को छुआ।

बाजार विश्लेषकों ने कहा कि निवेशकों को यह चिंता गिरावट की मुद्रा सता रही है कि अमेरिकी के मजबूत आर्थिक आंकड़ों की वजह से मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए फेडरल रिजर्व ब्याज दर में और वृद्धि करने की सोच सकता है। इस बीच, दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर की मजबूती को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.14 प्रतिशत घटकर 104.49 रह गया। वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा दो प्रतिशत बढ़कर 82.61 डॉलर प्रति बैरल हो गया। बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 980.93 अंक घटकर 59,845.29 अंक पर बंद हुआ। शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) पूंजी बाजार में शुद्ध लिवाल रहे और उन्होंने बृहस्पतिवार को 928.63 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदे।

बिना देरी किए निपटाएं सभी लटके हुए केस

स्टाफ रिपोर्टर—शिमला
जिलाधीश शिमला आदित्य नेगी ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में मुद्रा योजना के अंतर्गत 140 करोड़ रुपए के ऋण स्वीकृत किए गए है। वह जिला स्तरीय समीक्षा समिति एवं सलाहकार समिति की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने लंबित मामलों को समय रहते निपटारा करने के निर्देश दिए ताकि आमजन तक योजनाओं का लाभ पहुंच सके। उपायुक्त शिमला आदित्य नेगी की अध्यक्षता में सोमवार को बचत भवन सभागार में जिला स्तरीय समीक्षा समिति एवं जिला स्तरीय सलाहकार समिति की बैठक आयोजित हुई, जिसमें सितंबर, 2022 तक की तिमाही के आय-व्यय, प्रगति एवं निर्धारित लक्ष्य पर विस्तार से चर्चा की गई। डीसी आदित्य नेगी ने बताया कि प्रधानमंत्री मुद्रा गिरावट की मुद्रा योजना के अंतर्गत इस वित्त साल में अब तक 4172 खाते खोले गए हैं, जिसमें लगभग 140 करोड़ रुपए के ऋण स्वीकृत किए जा चुके है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के अंतर्गत 50 हजार से 10 लाख रुपए के ऋण व्यवसाय शुरू करने के लिए प्रदान किए जाते है।

सितंबर तिमाही तक जिला में सामाजिक सुरक्षा योजना में प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के अंतर्गत 8889, प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के अंतर्गत 65895 तथा अटल पेंशन योजना के अंतर्गत 4226 लोगों का नामांकन किया गया है। उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2022-23 में सितंबर, 2022 तक राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत कुल 167 स्वयं सहायता समूह को 3 करोड़ 45 लाख रुपए की राशि से क्रेडिट लिंक किया गया है। वहीं, प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के अंतर्गत 174 लोगों को ऋण उपलब्ध करवाए गए हैं। प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत 48 लोगों को दो करोड़ 82 लाख रुपए के ऋण स्वीकृत किए गए हैं। मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना के तहत इस वित्त वर्ष में 228 मामलों को स्वीकृति प्रदान की गई है। उन्होंने सभी बैंकों को निर्देश दिए कि वह योजनाओं से संबंधित सभी लंबित आवेदनों का शीघ्र निपटारा करें, ताकि जिला के नागरिकों को सरकारी योजनाओं का ज्यादा से ज्यादा लाभ प्राप्त हो सके। उन्होंने कहा कि जिला में इस तिमाही में सीडी अनुपात में 4.06 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली है। उन्होंने कहा कि जिला में जमा राशि में 10.62 प्रतिशत की वृद्धि तथा अग्रिम क्षेत्र में 0.10 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई

है। वहीं, प्राथमिकता क्षेत्र अग्रिमों में 4.02 प्रतिशत की गिरावट एवं कृषि अग्रिम में 0.50 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम क्षेत्र अग्रिमों में 16.41 प्रतिशत की गिरावट, शिक्षा ऋण में 2.09 प्रतिशत की बढ़ोतरी, आवासीय ऋण में 8.26 प्रतिशत की बढ़ोतरी, अन्य प्राथमिकता क्षेत्र अग्रीमों में 9.49 प्रतिशत तथा गैर प्राथमिकता क्षेत्र अग्रिमों में 3.06 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि इस वित्तीय वर्ष में तय लक्ष्य के अनुरूप सभी क्षेत्रों में 44.25 प्रतिशत की उपलब्धि हासिल की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम योजना के अंतर्गत इस तिमाही में 389 लोगों को 18 करोड़ 17 लाख रुपए स्वीकृत किए गए है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में 648 वित्तीय साक्षरता शिविर आयोजित किए गए है। इस अवसर पर आरबीआई एवं नाबार्ड के प्रतिनिधि, एलडीएम यूको बैंक, सभी बैंकों के डीसीओ एवं अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

Stock Market Opening: शेयर बाजार में गिरावट, टॉप गेनर में पॉवर ग्रिड कार्पोरेशन तो ओएनजीसी पर दवाब

Share Market Today

Share Market Update: चीन में कोरोना के बढ़ते कहर के कारण दुनियाभर के देश अलर्ट मोड पर आ गए हैं। इसका असर भारत समेत दुनियाभर के सर्राफा बाजार पर देखने को मिल रहा है। अंतर्राष्ट्रीय और अमेरिकी बाजार से मिल रहे मिलेजुले संकेतों के बीच लगातार दो दिनों की तेजी के बाद आज भारतीय घरेलू शेयर बाजार में गिरावट का रूख है। आज सेंसक्स और निफ्टी दोनों में नरमी देखी जा रही है। सेंसेक्ट और निफ्टी दोनों लाल निशान पर खुला है। आज सेंसेक्स में 115 और निफ्टी में 47 अंकों से ज्यादा की गिरावट के साथ ट्रेडिंग की शुरुआत हुई।

इस कारोबारी हफ्ते के तीसरे दिन बुधवार को भारतीय शेयर बाजार में कोरोबार की शुरुआत लाल निशान के साथ हुई। आज बीएसई (BSE) का 30 शेयरों वाला इंडेक्स सेंसेक्‍स (Sensex) 115 अंकों की नरमी के साथ 60,811 के स्तर पर खुला, जबकि एनएसई (NSE) का 50 शेयरों वाला इंडेक्स निफ्टी (Nifty) 47 अंकों की गिरावट के साथ 18,089 के स्तर पर खुला। सेंसेक्स के 30 शेयरों में 17 शेयर फिलहाल लाल निशान पर कारोबार करते दिख रहे हैं।

इससे पहले मंगलवार को सेंसेक्स (BSE Sensex) 361 अंकों की तेजी के साथ 60,927 के स्तर पर क्लोज हुआ, जबकि NSE Nifty 117 अंक की बढ़त के साथ 18,132.30 अंक के स्तर पर बंद हुआ था।

बाजार का आज का हाल

आज सुबह शुरुआत में बीएसई में कुल 2,458 कंपनियों में कारोबार की शुरुआत हुई। जिसमें करीब 1,204 शेयर तेजी तो 1,152 गिरावट के साथ खुली। जबकि 102 कंपनियों के शेयर के भाव स्थिर हैं। वहीं आज 33 शेयर 52 हफ्ते के ऊपरी और 14 शेयर 52 हफ्ते के निचले स्तर पर कारोबार कर रहे हैं।

आज के चढ़ने-गिरने वाले शेयर्स

– आज के चढ़ने वाले शेयर्स की बात करें तो पॉवर ग्रिड कार्पोरेशन, ब्रिटानिया, यूपीएल, देवी लैब, इंडसइंड बैंक समेत कई कंपनियों के शेयर्स में तेजी देखी जा रही है।

– वहीं गिरने वाले शेयर्स पर नजर डालें तो ओएनजीसी, टाटा स्टील, इनफोसिस, बजाज ऑटो, टीसीएस समेत कई कंपनियों शेयर में गिरावट देखी जा रही है।

डॉलर के मुकाबले 1 पैसे की कमजोरी के साथ खुला रुपया

इस हफ्ते कारोबारी दूसरे दिन आज विदेशी मुद्रा बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोरी के साथ खुला है। आज शुरुआती कारोबार में डॉलर के मुकाबले रुपया 1 पैसे की कमजोरी के साथ 82.84 रुपये के स्तर पर खुला। वहीं इससे पहले पिछले कारोबारी दिन मंगलवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 20 पैसे की कमजोरी के साथ 82.85 रुपये के स्तर पर बंद हुआ था।

पिछले दिनों बाजार का ये रहा था हाल

मंगलवार (27 December): सेंसेक्स 361 अंकों की तेजी के साथ 60,927 अंक पर बंद हुआ। जबकि निफ्टी 117 अंकों की तेजी के साथ 18,132 अंक पर बंद हुआ था।

सोमवार (26 December): सेंसेक्स 721 गिरावट की मुद्रा अंकों की बड़ी तेजी के साथ 60,566 अंक पर बंद हुआ था। जबकि निफ्टी 208 अंकों की तेजी के साथ 18,015 अंक पर बंद हुआ था।

शुक्रवार (23 December): सेंसेक्स 980 अंकों की भारी गिरावट के साथ 59,845 प्‍वाइंट पर बंद हुआ था। जबकि निफ्टी 320 अंकों की नरमी के साथ 17,806 अंक पर बंद हुआ था।

गुरुवार (22 December): सेंसेक्स 241 अंकों की गिरावट के साथ 60,826 प्‍वाइंट पर बंद हुआ था। जबकि निफ्टी 71 अंकों की नरमी के साथ 18,127 अंक पर बंद हुआ था।

बुधवार (21 December): सेंसेक्स 636 अंकों की गिरावट के साथ 61,067 प्‍वाइंट पर बंद हुआ था। जबकि निफ्टी 186 अंकों की नरमी के साथ 18,199 अंक पर बंद हुआ था।

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आईएमएफ की देरी, विदेशी मुद्रा संकट के कारण शेयरों में 679 अंक की गिरावट – व्यापार

पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज (पीएसएक्स) के शेयरों में बुधवार को दूसरे दिन तेजी से गिरावट आई, विश्लेषकों ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की नौवीं समीक्षा, विदेशी मुद्रा संकट और विनिमय दर अस्थिरता के पूरा होने में देरी का हवाला दिया।

बेंचमार्क KSE-100 इंडेक्स 679.07 अंक या 1.71 प्रतिशत टूटकर दोपहर 2:41 बजे 39,123.84 अंक पर पहुंच गया।

इंटरमार्केट सिक्योरिटीज में इक्विटी के प्रमुख रजा जाफरी ने कहा कि आईएमएफ समीक्षा के पूरा होने में देरी और सऊदी अरब से अपेक्षित प्रवाह सहित भुगतान संतुलन के संबंध में ठोस प्रगति की कमी के कारण बाजार में गिरावट आई है।

उन्होंने कहा, “सरकार ने बयान देकर सही किया है कि आईएमएफ कार्यक्रम का अनुपालन किया जाएगा, लेकिन भावना कम है और निवेशक कार्रवाई द्वारा समर्थित शब्दों को देखना चाहते हैं।”

आरिफ हबीब कॉर्पोरेशन के अहसान मेहंती ने कहा कि पाकिस्तानी रुपये की अस्थिरता और उद्योगपतियों पर विदेशी मुद्रा संकट के प्रभाव के कारण शेयरों में गिरावट आई है।

वित्तीय और डेटा एनालिटिक्स पोर्टल मेट्टिस ग्लोबल के अनुसार, इस वित्तीय वर्ष की शुरुआत के बाद से डॉलर के मुकाबले स्थानीय मुद्रा में 19.गिरावट की मुद्रा 06 रुपये या 8.52 पीसी की गिरावट आई है।

इस बीच, खुले बाजार से डॉलर गायब हो गए हैं, जबकि इंटरबैंक बाजार में संकट के कारण विदेशी भुगतान रुक गए हैं। देश एयरलाइनों का बकाया चुकाने या बंदरगाहों पर प्रतीक्षा कर रहे आयातित सामानों का भुगतान करने में असमर्थ है। आयातित कच्चे माल की कमी के कारण अस्थायी रूप से उत्पादन बंद करने वाली कई कंपनियों के साथ साख पत्र (एलसी) खोलना एक चुनौती बन गया है।

“राजनीतिक अनिश्चितता, दिसंबर में उच्च मुद्रास्फीति पर अनुमान और आईएमएफ ईएफएफ (विस्तारित फंड सुविधा) पर चिंताओं की समीक्षा में देरी की वजह से सरकार के पेट्रोलियम लेवी और बजट में बाढ़ के नुकसान ने मंदी में एक उत्प्रेरक भूमिका निभाई। [trend],” महंती ने कहा।

फर्स्ट नेशनल इक्विटीज लिमिटेड के निदेशक आमिर शहजाद ने कहा कि आईएमएफ की देरी और मौजूदा राजनीतिक स्थिति के कारण बाजार पिछले दो दिनों से गिर रहा है। उन्होंने कहा कि केवल तेल और गैस क्षेत्र ही सरकार के सर्कुलर ऋण को संबोधित करने के कदमों के कारण स्थिर था, अन्यथा, सूचकांक और अधिक अंक खो देता।

पाकिस्तान ने 2019 में $6 बिलियन IMF कार्यक्रम में प्रवेश किया, जिसे इस वर्ष की शुरुआत में बढ़ाकर $7bn कर दिया गया था। कार्यक्रम की नौवीं समीक्षा, जो $1.18 बिलियन जारी करेगी, वर्तमान में लंबित है। पीएमएल-एन के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा फंड द्वारा उसके सामने रखी गई कुछ शर्तों को स्वीकार करने की अनिच्छा के कारण इसे पहले दो महीने के लिए टाल दिया गया था, और असहमति अभी तक हल नहीं हुई है।

एक दिन पहले, प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ ने कहा कि सरकार के पास अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) कार्यक्रम को लागू करने के अलावा “कोई अन्य विकल्प नहीं” था, इसे “दर्दनाक वास्तविकता” कहा। वित्त मंत्री इशाक डार ने भी आज कहा कि पाकिस्तान आईएमएफ के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करेगा।

पाकिस्तान के लिए 1.18 अरब डॉलर की रिहाई के लिए नौवीं समीक्षा को मंजूरी देना आवश्यक है, क्योंकि उसके कम विदेशी मुद्रा भंडार को देखते हुए जो मुश्किल से एक महीने के आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त है।

स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में एक साल के दौरान 11 अरब डॉलर की गिरावट आई है। दिसंबर 2021 में, केंद्रीय बैंक का भंडार $17,686bn था जो अब 9 दिसंबर तक $6.7bn पर है।

पाकिस्तान को वित्तीय वर्ष के शेष भाग में कम से कम $13 बिलियन का भुगतान करना है। लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि कब इसे द्विपक्षीय और बहुपक्षीय संस्थानों से अधिक अंतर्वाह प्राप्त होगा, जिससे चूक की आशंका बढ़ जाती है।

Rupee In 2022: 12% Decline For Indian Currency This Year; 2023 Expected To Witness Recovery

2022 में रुपये में गिरावट मुख्य रूप से अमेरिकी डॉलर की मजबूती, निवेशकों के बीच जोखिम-विपरीत भावना और यूक्रेन में संघर्ष के कारण भू-राजनीतिक जोखिमों में वृद्धि के कारण हुई

इस साल भारतीय रुपए में कई बार सर्वकालिक निचले स्तर पर तेज गिरावट देखी गई। चालू कैलेंडर वर्ष में, रुपया कई बार सर्वकालिक निम्न स्तर तक गिरने के बाद लगभग 12 प्रतिशत गिरकर अब 82.85 पर आ गया है। घरेलू मुद्रा 12 जनवरी, 2022 को एक डॉलर के मुकाबले 73.77 पर थी।

इस वर्ष रुपये में मुख्य रूप से अमेरिकी मुद्रा की मजबूती, निवेशकों के बीच जोखिम-विपरीत भावना और यूक्रेन में संघर्ष के कारण भू-राजनीतिक जोखिमों में वृद्धि के कारण गिरावट देखी गई।

पिछले कुछ महीनों में रुपये में गिरावट की बड़ी वजह विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के बाहर निकलने के कारण डॉलर का लगातार बहिर्वाह था। हालांकि, अक्टूबर 2021 से सीधे नौ महीनों के शुद्ध बहिर्वाह के बाद, जुलाई में एफपीआई शुद्ध खरीदार बन गए।

एक वरिष्ठ बैंकर के अनुसार, रुपये ने 2022 में सबसे खराब देखा है और 2023 में इसमें सुधार शुरू होने की संभावना है।

बाजार में सुधार और चीन और दुनिया के कुछ अन्य हिस्सों में कोविड के फिर से उभरने पर बढ़ती चिंताओं के बावजूद विदेशी निवेशकों ने दिसंबर में अब तक भारतीय इक्विटी में शुद्ध रूप से 11,557 करोड़ रुपये का निवेश किया है। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा कि आगे बढ़ते हुए, अमेरिका से मैक्रो डेटा और कोविड समाचार निकट अवधि में एफपीआई प्रवाह और बाजारों को चलाएंगे।

डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने 1-23 दिसंबर के दौरान इक्विटी में 11,557 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया। यह नवंबर में 36,200 करोड़ रुपये से अधिक के शुद्ध निवेश के बाद आया है, मुख्य रूप से अमेरिकी डॉलर सूचकांक के कमजोर होने और समग्र व्यापक आर्थिक रुझानों के बारे में सकारात्मकता के कारण।

“2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद से रुपया-डॉलर विनिमय दर का दीर्घकालिक प्रक्षेपवक्र इंगित करता है कि मुद्रा में संकट की घटनाओं के दौरान मूल्यह्रास की प्रवृत्ति है। हालांकि, 2013 के टेंपर टैंट्रम के विपरीत, इस बार रुपये में काफी अच्छी पकड़ है,” रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है।

वैश्विक स्तर पर, रुपये में 12 प्रतिशत की गिरावट अपेक्षाकृत कम है, जबकि हाल ही में पाकिस्तानी रुपये में लगभग 26 प्रतिशत की गिरावट, ब्रिटिश पाउंड में लगभग 21 प्रतिशत की गिरावट, येन में लगभग 20 प्रतिशत की गिरावट और लगभग 15 प्रतिशत की गिरावट है। यूरो हाल ही में।

क्रिसिल ने कहा, ‘मौजूदा कड़ी में अमेरिका में अपेक्षाकृत ऊंची महंगाई बनाम गिरावट की मुद्रा भारत रुपए को कुछ सहारा दे रहा है।”

इसमें कहा गया है कि 2013 की तुलना में, भारत बाहरी झटकों से बचने के लिए अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति में है, हालांकि पूरी तरह से अछूता नहीं है। आगे बढ़ते हुए, वित्तीय वर्ष 2023 में रुपये के प्रक्षेपवक्र को प्रभावित करने में चार कारक महत्वपूर्ण होंगे – ब्रेंट कच्चे तेल की कीमतें, यूएस फेड द्वारा ब्याज दरों में वृद्धि, विदेशी पोर्टफोलियो निवेश प्रवाह की सीमा और रुपये की अस्थिरता को प्रबंधित करने के लिए आरबीआई का हस्तक्षेप।

रुपये का मूल्यह्रास निर्यात क्षेत्रों, विशेष रूप से आईटी (सूचना प्रौद्योगिकी) कंपनियों, दवा निर्यातकों, विशेष रसायनों और वस्त्रों के लिए अच्छा है।

हालांकि, फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी), मेटल और बैंकिंग जैसे सेक्टर्स को नुकसान हो रहा है।

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