शेयरों में निवेश करना चाहते हैं? जानिए लार्जकैप, मिडकैप और स्मॉलकैप में से किसमें मिलेगा ज्यादा रिटर्न
पिछले एक महीने में सेंसेक्स और निफ्टी में 1 फीसदी गिरावट आई है। इस सूचकांक निवेश की संभावनाएं दौरान निफ्टी मिडकैप 150 सूचकांक 3 फीसदी और निफ्टी स्मॉलकैप 250 सूचकांक 6 फीसदी चढ़ा है
अमेरिका में फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) के आक्रामक रुख को देखकर लगता है कि मार्केट में गिरावट आएगी।
कई एक्सपर्ट्स का कहना है कि शेयरों की कीमतें सस्ती नहीं रह गई हैं। यही वजह है कि कई इनवेस्टर्स (Investors) अभी इनवेस्ट नहीं कर रहे हैं। वे मार्केट (Share Market) में गिरावट का इंतजार कर रहे हैं। कुछ का मानना है कि यह प्रॉफिट बुक (Profit Booking) करने का मौका है। इससे बाजार में गिरावट आने पर वे प्रॉफिट का पैसा फिर से इनवेस्ट करेंगे।
अमेरिका में फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) के आक्रामक रुख को देखकर लगता है कि मार्केट में गिरावट आएगी। अमेरिका में हाई इनफ्लेशन (Inflation) को देखते हुए अमेरिकी केंद्रीय बैंक इंटरेस्ट रेट में उम्मीद से ज्यादा वृद्धि कर सकता है। वह इसका संकेत दे चुका है।
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इधर, इंडियन मार्केट में निफ्टी 50 (NIFTY50) और सेंसेक्स (Sensex) के मुकाबले स्मॉलकैप (Smallcap) और मिडकैप (Midcap) सूचकांकों का प्रदर्शन अच्छा रहा है। पिछले एक महीने में सेंसेक्स और निफ्टी में 1 फीसदी गिरावट आई है। इस दौरान निफ्टी मिडकैप 150 सूचकांक 3 फीसदी और निफ्टी स्मॉलकैप 250 सूचकांक 6 फीसदी चढ़ा है।
6 जुलाई से 13 सितंबर के दौरान बाजार की तेजी के पहले चरण में निफ्टी 50 16,000 से 18,000 रुपये पर पहुंच गया। इसमें लार्जकैप शेयरों का योगदान ज्यादा रहा।
एक वेल्थ मैनेजर ने बताया कि एक महीने पहले जब निफ्टी करीब 17,800 अंक पर था तब इस सूचकांक के सिर्फ 4 फीसदी शेयर अपने 200 दिन के मूविंग एवरेज (DMA) से नीचे चल रहे थे। निफ्टी मिडकैप 150 के 50 फीसदी सूचकांक निवेश की संभावनाएं सेयर 200 डीएमए से नीचे चल रहे थे। निफ्टी स्मॉलकैप इंडेक्स के 82 फीसदी स्टॉक्स अपने 200 डीएमए से नीचे चल रहे थे।
उन्होंने कहा कि इससे पता चलता है कि तब मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स निफ्टी 50 में तेजी के बावजूद संघर्ष कर रहे थे। इसका मतलब है कि मार्केट की यह तेजी व्यापक (Broad-based) नहीं थी। अब लार्जकैप शेयर महंगे दिख रहे हैं। इसलिए इनवेस्टर्स मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में पैसे लगा रहे है। इनमें उन्हें तेजी की अच्छी संभावना दिख रही है।
छोटी से मध्यम अवधि में मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों का प्रदर्शन बेहतर सूचकांक निवेश की संभावनाएं बने रहने की उम्मीद है। अभी निफ्टी स्मॉलकैप में 17 गुना पीई पर कारोबार हो रहा है। निफ्टी मिडकैप का पीई 23 गुना है। उधर, लार्जकैप का पीई 19.6 गुना है।
मिडकैप शेयरों की वैल्यूएशन थोड़ी ज्यादा दिख रही है, क्योंकि आम तौर पर मिडकैप और स्मॉलकैप की वैल्यूएशन लार्जकैप के मुकाबले काफी कम रहती है।
कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि इंडिया में कैपिटल एक्सपेंडिचर साइकिल फिर से शुरू हो रही है। इससे इंडियन मार्केट का अट्रैक्शन बढ़ेगा। इससे मार्केट में फॉरेन और डोमेस्टिक इनवेस्टमेंट आएगा। कैपिटल एक्सपेंडिचर साइकल शुरू होने से इंडियन कंपनियों की कमाई भी बढ़ेगी। मोतीलाल ओसवाल ने अनुमान लगाया है कि फाइनेंशियल ईयर 2022-2024 के दौरान कपनियों की नेट प्रॉफिट ग्रोथ 17 फीसदी रहेगी।
MoneyControl News
Tags: # share markets
First Published: Sep 17, 2022 12:08 PM
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Investment Tips : क्या होता है इंडेक्स फंड जो गिरते बाजार में भी देता है कमाई का मौका, कैसे लगाएं इसमें पैसा
शेयर बाजार अभी अपने पीक से करीब 8,000 अंक नीचे ट्रेडिंग कर रहा है.
शेयर बाजार में अभी गिरावट का माहौल है और निवेशकों को यह समझ नहीं आ रहा कि कौन सा स्टॉक चुना जाए तो आगे चलकर मुनाफा कर . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : May 20, 2022, 07:40 IST
नई दिल्ली. शेयर बाजार अभी उतार-चढ़ाव के बीच जूझ रहा है और निवेशक भी अपना पैसा डूबने के डर से बाजार से लगातार बाहर निकाल रहे हैं. एक्सपर्ट की मानें तो ऐसे समय में निवेशकों को थोड़ा संयम बरतना चाहिए और बाजार से रिटर्न पाने के अन्य विकल्पों को आजमाना चाहिए.
गिरावट के इस माहौल में जो निवेशक इक्विटी में पैसे लगाने से हिचक रहे हों, उनके लिए इंडेक्स फंड सुरक्षा के साथ बड़े रिटर्न का मौका बन सकता है. इसमें कैसे और कितना निवेश करना चाहिए, इसको लेकर एक्सपर्ट से सलाह ली जा सकती है. इंडेक्स फंड वास्तव में पूरे ही एक्सचेंज से जुड़ा होता है, जिसमें कई कंपनियों के स्टॉक शामिल होते हैं. ऐसे में अगर कोई एक स्टॉक नुकसान करा रहा है तो दूसरा उसकी भरपाई कर देता है.
शेयर नहीं, सूचकांक से तय होता रिटर्न
बीपीएन फिनकैप कंसल्टेंट के सीईओ एके निगम का कहना है कि म्यूचुअल फंड के इंडेक्स फंडों का प्रदर्शन किसी कंपनी विशेष के शेयरों पर नहीं, बल्कि पूरे सूचकांक पर निर्भर करता है. मसलन, निफ्टी-50 या सेंसेक्स-30 का जैसा प्रदर्शन होगा, उसी आधार पर फंड के निवेश से रिटर्न मिलेगा. किसी इंडेक्स में सभी कंपनियों का जितना वेटेज या हिस्सेदारी होती है, उसी अनुपात में उनके शेयर खरीदे जाते हैं. इससे रिटर्न का जोखिम किसी एक कंपनी के प्रदर्शन पर निर्भर नहीं रह जाता.
निवेश का खर्चा और पैसे डूबने का खतरा कम
इंडेक्स फंड पैसिव तरीके से मैनेज किए जाते हैं, इसलिए सक्रिय रूप से मैनेज किए जाने वाले फंडों के मुकाबले इन पर कम खर्च आता है. इससे इन फंडों का कुल खर्च अनुपात बहुत कम हो जाता है. सक्रिय रूप से मैनेज किए जाने वाले फंड निवेशकों से 1 से 2 फीसदी तक शुल्क ले सकते हैं, जो लंबी अवधि के लिहाज से काफी ज्यादा हो जाएगा और आपके कुल रिटर्न पर असर डालेगा. इंडेक्स फंड निवेशकों का पोर्टफोलियो काफी डाइवर्सिफाई कर देते हैं, जिससे पैसा डूबने का खतरा कम हो जाता है.
बाजार में तीन प्रमुख इंडेक्स फंड
सेंसेक्स इंडेक्स फंड : ये बीएसई सेंसेक्स को बेंचमार्क इंडेक्स के रूप में ट्रैक करते हैं और उसकी 30 कंपनियों में निवेश करते हैं, जो ईटीएफ समर्थित होती हैं.
निफ्टी इंडेक्स फंड : ये एनएससी निफ्टी को बेंचमार्क इंडेक्स के रूप में ट्रैक करते हैं और उसकी 50 कंपनियों में निवेश करते हैं.
निफ्टी जूनियर इंडेक्स फंड : ये एनएससी निफ्टी की छोटी कंपनियों में निवेश करते हैं.
थोड़ा पैसा डालना ही समझदारी
शेयर बाजार के जानकार कुंज बंसल का कहना है कि ग्लोबल लेवल पर कई फैक्टर बाजार पर दबाव बना रहे हैं. यही कारण है कि पिछले कुछ समय से बाजार में गिरावट दिख रही है. अभी अनिश्चितता का माहौल खत्म नहीं हुआ है और आगे भी नुकसान उठाना पड़ सकता है. ऐसे में निवेशकों को ज्यादा पैसा लगाने के बजाए पोर्टफोलियो का कुछ हिस्सा यहां निवेश करना चाहिए. एक संभावना ये भी है कि आने वाले समय में बाजार दोबारा तेजी की राह पर लौटेगा, जिससे इंडेक्स फंड में पैसे लगाने वालों को तगड़ा रिटर्न मिल सकता है.
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क्या आपको भारतीय स्टॉक मार्केट में निवेश करने के इन फायदों के बारे में पता है?
Stock Market Investment शेयरों का स्वामित्व आपको वोटिंग अधिकार प्रदान करता है और आपको डिविडेंट बोनस इत्यादि प्राप्त होते है। साथ ही आपकी ग्राोथ भी कंपनी के भविष्य में होने वाली ग्रोथ की रफ्तार पर निर्भर करती है।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। स्टॉक और स्टॉक मार्केट, ये शब्द तो आपने सुने ही होंगे। लेकिन क्या आपको इनके सूचकांक निवेश की संभावनाएं बारे में पूरी जानकारी है? क्या आपको इनके फायदे के बारे में पता है? क्या आप यह जानते हैं कि इसमें सही तरीके से निवेश करके कोई भी आम इंसान अच्छा खासा घर बैठे- बिठाए मुनाफा कमा सकता है।
वैसे तो हम सभी को यह मालूम है कि निवेश या बचत करने का प्राथमिक उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हर व्यक्ति अपने भविष्य के वित्तीय उद्देश्यों मजबूती के साथ पूरा कर सके। हालांकि यह भी कही हद तक सच ही है कि मुद्रास्फीति में वृद्धि से आम लोगों के लिए साधारण ढंग से कमाना और अपनी आय के कुछ हिस्से को बचा पाना अपर्याप्त हो गया है। फिर भी हमें अपने फ्यूचर को सुरक्षित करने के लिए बचत करना जरूरी हो जाता है। इसके लिए स्टॉक में निवेश करना महत्वपूर्ण हो जाता है, जोकि बड़ा फायदेमंद भी साबित होता है। आईए, इस लेख में स्टॉक व उनके बारे में बारीकी से समझते हैं।
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पहले समझें शेयर मार्केट के फायदे के बारे में-
कम समय में अधिक रिटर्न की प्रबल संभावना
अगर आप भी कम समय में अधिक पैसे कमाने चाहते हैं या अपने पैसे का सही उपयोग करना चाहते हैं तो शेयर मार्केट सबसे सटीक जगह है। इस मार्केट में इन्वेस्टमेंट का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें बैंक एफडी, बचत खाते आदि जैसे अन्य इन्वेस्टमेंट की तुलना में थोड़े समय में ही अधिक रिटर्न जेनरेट करने की क्षमता होती है।
कंपनी में हिस्सेदारी
जब आप पब्लिक लिस्टेड कंपनी के शेयर खरीदते हैं तो इसमें आपके शेयर का आकार कितना भी छोटा क्यों न हो, यह आपको कंपनी पर नियंत्रण प्रदान करता है। शेयरों का यह स्वामित्व आपको वोटिंग अधिकार प्रदान करता है और आपको डिविडेंट, बोनस इत्यादि प्राप्त होते है। साथ ही आपकी ग्राोथ भी कंपनी के भविष्य में होने वाली ग्रोथ की रफ्तार पर निर्भर करता है।
हाई लिक्विडिटी
अन्य इन्वेस्टमेंट के विपरीत, शेयरों में कोई लॉक-इन अवधि नहीं होती है। इन्वेस्टर सेकंड के भीतर स्टॉक एक्सचेंजों के माध्यम से शेयरों को खरीद और बेच सकते हैं।
सेबी द्वारा अधिकारों को संरक्षित किया जाना
स्टॉक मार्केट को भारतीय सिक्योरिटी और एक्सचेंज बोर्ड (SEBI) द्वारा रेगुलेट किया जाता है। सेबी सख्ती से शेयरधारकों की सुरक्षा के लिए ब्रोकर, सब ब्रोकर, एडवाइजर और स्टॉक एक्सचेंज जैसे मार्केट पार्टिसिपेंट की निगरानी करता है।
टैक्स में मिलते हैं कई तरह के लाभ
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन जैसे 12 महीने से अधिक समय तक ₹1 लाख रुपये से अधिक की इन्वेस्टमेंट पर 10% टैक्स लगता है। शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स जैसे 12 महीने से कम समय के लिए की गई इन्वेस्टमेंट पर 15% + 3% सेस लगता है। किसी भी पूंजीगत नुकसान को आठ फाइनेंशियल वर्षों तक ऑफसेट या आगे बढ़ाया जा सकता है।
कमोडिटी कराएगी कमाई, पूरे निवेश पर जोखिम भी होगा कम
बाजार के जानकार हमेशा सलाह देते हैं कि किसी भी निवेशक को अपने पोर्टफोलियों में विविधता रखनी चाहिए। Stock के मुकाबले कमोडिटी मार्केट में निवेश पोर्टफोलियो के लिए एक अलग संभावनाएं पैदा करता है। आइए जानते हैं विस्तार से..
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। सैकड़ों साल पहले जब करंसी का चलन नहीं था तब लोग सामान के बदले सामान का सौदा करते थे जिसे बार्टर सिस्टम कहा जाता है। इसमें अनाज, खाद्य सामान, जानवर, धातुएं सहित कई अन्य वस्तुओं के आपस में सौदे शामिल थे । इस दौर में सामान या सेवा ही करंसी के रूप में इस्तेमाल होते थे। हालांकि समय के साथ करंसी सिस्टम के मजबूत होने और इससे कारोबार में आसानी की वजह से हर सौदा करंसी में होने लगा। इसका फायदा ये निकला कि कारोबारी सामान और सेवाओं को अलग अलग वर्गीकृत करने में सफल हुए क्योंकि वो करंसी की वजह से इनका अपना मूल्य निर्धारित कर सकते थे। इसी प्रक्रिया के तहत आम लोगों की जरूरत से जुड़े सामान जिनका मूल्य निर्धारण तौल या माप कर किया जा सकता है, के लिए एक अलग बाजार विकसित हुआ। इन सभी सामानों को कमोडिटी कहा गया और जहां कमोडिटी का कारोबार होता है उसे commodity market कहा गया।
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आम भाषा में commodity रोजमर्रा में इस्तेमाल होने वाले उन सभी वस्तुओं या सामान को कहते हैं जिसकी खरीद या बिक्री की जा सके। कमोडिटी का आम जिंदगी में सीधा इस्तेमाल हो सकता है जैसे खाद्यान्न या फिर ये किसी अन्य जरूरी उत्पाद को तैयार करने में इस्तेमाल किए जा सकते हैं जैसे कच्चा तेल। इसमें गेहूं से लेकर दालों तक खाद्य तेल से लेकर कच्चे तेल तक और सोने से लेकर कोयला तक शामिल हैं।
कितनी तरह की होती है कमोडिटी
Commodity को 4 वर्गों में रखा जा सकता है इसमें खाद्य पदार्थ यानि जिसे खाने पीने के लिए इस्तेमाल किया जाए. दूसरा कीमती धातु का वर्ग है इसमें उन धातुओं को रखा जाता है जिनका उपलब्धता कम है और सप्लाई के मुकाबले बेहद ऊंची डिमांड की वजह से जिनकी कीमतें काफी सूचकांक निवेश की संभावनाएं ज्यादा है. ऊंची कीमत की वजह से इन्हें निवेश का विकल्प भी माना जाता है इसमें सोना, चांदी प्लेटिनम आते हैं. तीसरा वर्ग बेस मेटल का होता है. ये भी धातुएं हैं सूचकांक निवेश की संभावनाएं लेकिन इनकी उपलब्धता अधिक है और इनकी मांग आम तौर पर औद्योगिक जरूरतों के आधार पर तय होती है. चौथी वर्ग एनर्जी का है. इसमें वो कमोडिटी आती हैं जिसका इस्तेमाल ऊर्जा सूचकांक निवेश की संभावनाएं के उत्पादन के लिए किया जाता है. इस वर्ग में कच्चा तेल या क्रूड ऑयल और नेचुरल गैस का कारोबार होता है।
कमोडिटी मार्केट में निवेश क्यों है जरूरी?
बाजार के जानकार हमेशा सलाह देते हैं कि किसी भी निवेशक को अपने पोर्टफोलियों में विविधता रखनी चाहिए। Stock के मुकाबले कमोडिटी मार्केट में निवेश पोर्टफोलियो के लिए एक अलग संभावनाएं पैदा करता है। जैसे शेयर बाजार में गिरावट के साथ बड़े निवेशक कीमती धातुओं में निवेश बढ़ाने लगते हैं क्योंकि सोने को अनिश्चितता के बीच सुरक्षा देने वाला निवेश विकल्प माना जाता है। वहीं लंबी अवधि में सोने ने महंगाई से बेहतर प्रदर्शन किया है। ऐसे में अपने निवेश का जोखिम घटाने और कमोडिटी बाजार की बढ़ती संभावनाओं का फायदा उठाने के लिए निवेशकों को commodity को भी अपने पोर्टफोलियो में शामिल करना चाहिए. हालांकि कमोडिटी मार्केट में हर निवेश की तरह अपने जोखिम भी होते हैं. लेकिन आप एक एक्सपर्ट की मदद से कमोडिटी मार्केट से अच्छी कमाई कर सकते हैं. 5paisa आपको कमोडिटी मार्केट से कमाई के तरीके सीखने में मदद करता है। जिससे आप अपने पोर्टफोलियो का विस्तार कर लाभ कमाने के नए बाजारों तक पहुंच सकते हैं ।
Nifty 50 ETF : कम निवेश पर ज्यादा रिटर्न का मौका, पैसा डूबने का जोखिम भी कम
Investment : सीधे शेयरों में निवेश के लिए कंपनी की वित्तीय स्थिति, उसकी व्यावसायिक संभावनाएं, वैल्यूएशन, उद्योग की गतिशीलता, बाजार की स्थितियां आदि समझने की जरूरत होती है.
Nifty 50 ETF : इक्विटी की समझ नहीं रखने वाले लोग अक्सर निवेश के सही मौके की तलाश में रहते हैं. इक्विटी में लंबी अवधि में महंगाई को पछाड़ने की संभावना रहती है, इस कारण लोग इसकी ओर ज्यादा आकर्षित होते हैं. इसके अलावा इक्विटी में भविष्य की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने की क्षमता भी होती है. फिर चाहे निवेश Mutual Fund के जरिये किया गया हो या Direct Stock में या फिर दोनों के मिले-जुले माध्यम से, लेकिन इक्विटी में नए निवेशकों के लिए सीधे शेयरों के साथ शुरुआत करने में सही कंपनी पर निर्णय लेना कठिन होता है.
सीधे शेयरों में निवेश के लिए कंपनी की वित्तीय स्थिति, उसकी व्यावसायिक संभावनाएं, वैल्यूएशन, उद्योग सूचकांक निवेश की संभावनाएं की गतिशीलता, बाजार की स्थितियां आदि समझने की जरूरत होती है. ऐसे निवेशकों के लिए निफ्टी 50 ईटीएफ (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) निवेश के लिए सबसे आसान तरीका है. ईटीएफ एक विशिष्ट सूचकांक को ट्रैक करता है, जिससे एक्सचेंजों पर स्टाक की तरह कारोबार किया जाता है. ईटीएफ म्यूचुअल फंड हाउस की ओर से पेश किए जाते हैं.
कम निवेश से कर सकते हैं शुरुआत
निफ्टी 50 ईटीएफ की खास बात यह है कि बहुत कम राशि से भी इसकी शुरुआत की जा सकती है. ईटीएफ की एक यूनिट को आप कुछ सौ रुपये में खरीद सकते हैं. उदाहरण के लिए- आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल निफ्टी 50 ईटीएफ एनएसई पर 185 रुपये की कीमत पर ट्रेड करता है. इस प्रकार आप 500-1000 रुपये तक का निवेश कर सकते हैं और एक्सचेंज से निफ्टी 50 ईटीएफ की इकाइयां खरीद सकते हैं.
आप हर महीने व्यवस्थित निवेश भी कर सकते हैं. ऐसा करने से आप बाजार के सभी स्तरों पर खरीदारी करेंगे और आपके निवेश की लागत औसत होगी. आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल निफ्टी 50 ईटीएफ का ट्रैकिंग एरर, जो किसी अंतर्निहित इंडेक्स से फंड रिटर्न के विचलन (deviation) का एक पैमाना है – 0.03% है, जो निफ्टी 50 ईटीएफ यूनिवर्स में सबसे कम है. सीधे शब्दों में कहें तो यह संख्या जितनी कम होती है, उतना ही बेहतर रहता है.
बड़ी कंपनियों में होता है निवेश
निफ्टी 50 इंडेक्स में बाजार पूंजीकरण (market capitalization) के मामले में सबसे बड़ी भारतीय कंपनियां शामिल हैं. इसलिए निफ्टी 50 ईटीएफ में निवेश एक निवेशक के लिए शेयरों और सेक्टर्स में उम्दा विविधीकरण (excellent diversification) प्रदान करता है. यह सूचकांक की राह पर चलता है. आप बाजार समय के दौरान एक्सचेंजों से ईटीएफ के यूनिट्स खरीद और बेच सकते हैं. ऐसे में निफ्टी 50 ईटीएफ पहली बार स्टाक निवेशकों के लिए और सामान्य रूप से अपनी इक्विटी यात्रा शुरू करने वालों के लिए एक शुरुआती बिंदु में से एक है.
जोखिम को कम करती है पोर्टफोलियो विविधता
एक विविध सूचकांक निवेश की संभावनाएं पोर्टफोलियो (diversified portfolio) किसी निवेशक के लिए जोखिम को कम करता है. किसी स्टाक में निवेश करने के मामले में ऐसा नहीं होता है, क्योंकि यहां बाजार में आने वाला उतार-चढ़ाव कंपनियों के एक बास्केट की तुलना में किसी एक स्टाक की कीमत को अधिक प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकता है. निफ्टी 50 ईटीएफ में निवेश से मिलने वाला रिटर्न अंतर्निहित सूचकांक (underlying index) में उतार-चढ़ाव की नकल करेगा. केवल ईटीएफ में निवेश करने के लिए आपको एक डीमैट खाते की आवश्यकता पड़ती है. जिनके पास डीमैट खाता नहीं है, वे निफ्टी 50 इंडेक्स फंड में निवेश करने पर विचार कर सकते हैं.
सस्ता होता है निवेश
निफ्टी 50 ईटीएफ में निवेश अपेक्षाकृत सस्ता पड़ता है. चूंकि ईटीएफ निफ्टी 50 इंडेक्स को निष्क्रिय रूप से (passively) ट्रैक करता है और इंडेक्स घटकों (constituents) में सीमित या कोई मंथन नहीं होता है, इसलिए लागत कम होती है. खर्च अनुपात या दूसरे शब्दों में, जो फंड चार्ज करते हैं, वह सिर्फ 2 से 5 आधार अंक (0.02-0.05%) है. एक आधार अंक प्रतिशत का सौवां हिस्सा होता है.
कम जोखिम में वर्षों तक बाजार समझने का मौका
निफ्टी 50 ईटीएफ में निवेश सूचकांक निवेश की संभावनाएं करके आप बहुत अधिक जोखिम उठाए बिना वर्षों तक बाजार की गतिशीलता ( market dynamics) को समझना शुरू कर सकते हैं. जब आप बाजारों को चलाने वाले विभिन्न कारकों से खुद से परिचय कराते हैं तो आप अपनी जोखिम लेने की क्षमता (risk appetite), लक्ष्य, समय सीमा और निवेश करने योग्य सरप्लस के आधार पर छोटे और मिडकैप शेयरों या म्यूचुअल फंड का पता लगा सकते हैं. इस प्रकार आप निफ्टी-50 ईटीएफ के जरिये बाजार में निवेश की यात्रा शुरू कर सकते हैं.
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