शेयर मार्केट के नियम – शेयर खरीदने के नियम

Share Market के Rules – शेयर खरीदने के नियम (New)

शेयर बाजार में समय के साथ कई बदलाब आये है और आज वही बदलाब नियम बन गए है . शेयर बाजार को control करने वाली SEBI समय-समय पर शेयर बाजार पर नए नियम लागु कर देती है. इसलिए आज हम इस पोस्ट में शेयर बाजार के पुराने और नए नियमों को जानेंगे ताकि हम शेयर खरीदने के नियम जान सके और शेयर बाजार में शेयर खरीद कर आसानी से पैसे कमा सके.

शेयर मार्किट के नियम - शेयर खरीदने के नियम

शेयर मार्केट के नियम – शेयर खरीदने के नियम

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Share Kya Hai?

शेयर मार्केट के नियम जानने से पहले आपको शेयर के बारे में जानकरी होनी चाहिए की शेयर क्या होता है और शेयर कितने प्रकार के होते है . अगर आपको शेयर के बारे में जानकारी नहीं है तो आप हमारी नीचे दी गई पोस्ट को पढ़े इसमें आपको शेयर क्या है इसके बारे में पूरी जानकारी मिलेगी .

Share Market Kya Hai ?

शेयर के बारे में जानने के बाद आपको शेयर मार्केट के बारे में जानकारी लेकन जरुरी है की शेयर मार्केट क्या है और यह कैसे काम करती है इसके लिए आप हमारी नीचे दी गई पोस्ट को पढ़ सकते है उसमे आपको शेयर मार्केट , शेयर बाजार के बारे में पूरी जानकारी मिल जायगी .

Share Market Me Invest Kaise Kare ?

शेयर बाजार के बारे में जानने के बाद आपको शेयर मार्केट में investment के बारे में जानना चाहिए क्योंकी शेयर मार्केट में आप investment करके सबसे ज्यादा पैसे कमा सकते है और एक बार आप शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करना शुरू कर देते है उसके बाद आपको सोचने की जरूरत नहीं पढेगी की आपको शेयर से पैसे कैसे कमाने है .

Share Market Ke Niyam

शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने के कई नियम है जिनका आपको पालन करना होता है यह नियम SEBI के द्वारा बनाये गए है जो की पुरे शेयर मार्केट को Regulate करती है . SEBI एक ऐसा संसथान है जो की एक investor और trader के हित को ध्यान में रखते हुए अपने नियमों को बनती है ताकि. ज्यादा से ज्यादा लोग शेयर मार्केट में पैसे निवेश करके इसका लाभ उठा सके.

अगर आप SEBI के बारे में और भी ज्यादा विस्तार से जानना चाहते है तो इसके लिए हमारी नीचे दी गई पोस्ट पढ़े इसमें आपको SEBI के बारे में विस्तार से जानकारी मिल जायगी.

शेयर मार्केट के नियम निम्न अनुसार है .

  1. शेयर खरीदने के लिए Demat Account होना जरुरी शेयर खरीदने के नियम है
  2. शेयर ट्रेडिंग के लिए Trading Account होना जरुरी है
  3. शेयर बैचते वक्त Stop Loss लगाना जरुरी है
  4. Demat Account में कम से कम 22 प्रतिशत margin money होना जरुरी है
  5. ब्रोकर के मार्जिन को पूरा इस्तमाल न करे
  6. शेयर खरीदते या बैचते वक्त सब्धानी रखे
  7. अपने Demat Account का passwords कठिन रखे और किसी के साथ शेयर न करे
  8. बिना पूरी जानकारी शेयर खरीदने के नियम के किसी कंपनी के share में निवेश न करें
  9. किसी भी fraud call की scheme पर निवेश न करे
  10. शेयर खरीदने से पहले कंपनी का रिकॉर्ड चेक करे

इन 10 मुख्य नियमों का पालन करके आप शेयर मार्केट में निवेश कर सकते है .

Share Kaise Kharide

लेकिन अगर आपको शेयर मार्केट में शेयर कैसे खरीदते है इसकी जानकारी नहीं है तो इसके लिए आप हमारी नीचे दी गई पोस्ट को पढ़े इसमें आपको शेयर मार्केट में शेयर कैसे ख़रीदे इसके बारे में पूरी जानकारी मिलेगी .

Demat Account Kya Hai

शेयर खरीदने के लिए Demat account की जरुरत पढ़ती है तो अगर आप Demat account के बारे में नहीं जानते तो इसके लिए हमरी नीचे दी गई पोस्ट पढ़े इसमें आपको डेमत एकाउंट की पूरी जानकरी मिल जायगी .

हाल ही में SEBI ने शेयर बाजार में शेयर खरीदने पर कुछ नए नियम लागु किये है जिनका एक व्यक्ति को शेयर खरीदने के लिए पालन करना होगा चलिए उस नियम के बारे में जानते है .

शेयर खरीदने के नियम

पहले कोई भी व्यक्ति अपने ब्रोकर के द्वारा दी गई मार्जिन पर बिना पैसों को account में डाले शेयर बाजार से शेयर खरीद लिया करता था लेकिन अब SEBI ने एक नया नियम लागु कर दिया है . इस नए नियम के तहत अब आपको शेयर बाजार में शेयर खरीदने के लिए आपके account में 22% कम से कम पैसे डालने होंगे उसके बाद ही आप मार्जिन का उपयोग कर पाएंगे .

हलाकि यह सब एक ब्रोकर कंपनी पहले से ही follow करती आई है लेकिन कई बार अपने ग्राहक बढ़ाने के लिए कंपनी बिना पैसों के भी मार्जिन का उपयोग ग्राहक को करने देती थी लेकिन अब ऐसा नहीं हो पायेगा .

शेयर मार्केट से अगर आप ज्यादा पैसे कमाना चाहते है तो आप हमारी नीचे दी गई पोस्ट को पढ़े इसमें आपको शेयर मार्केट से ज्यादा पैसे कैसे कमाए इसके बारे में जानकारी मिलेगी.

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Share Market: क्या शेयर मार्केट में शेयर खरीदने की कोई लिमिट है?

किसी कंपनी के शेयर खरीदने के लिए दो तरह की मार्केट होती हैं। पहली प्राइमरी मार्केट और दूसरी सेकंडरी मार्केट। दोनों ही मार्केट में कोई निवेशक किसी कंपनी के कितने शेयर खरीद सकता है या कुल कितने शेयर खरीद सकता है, इसके अलग-अलग नियम हैं। ऐसे में निवेशकों के लिए share Market investment के क्षेत्र से जुड़ी कुछ अहम बातें जानना बेहद जरूरी है।

Share-Market

#2. शेयर खरीदने की दो मार्केट हैं और दोनों में अलग-अलग लिमिट है
सामान्य भाषा में कहें, तो किसी कंपनी के शेयर खरीदने के लिए दो तरह की मार्केट होती हैं। पहली प्राइमरी मार्केट और दूसरी सेकंडरी मार्केट। दोनों ही शेयर खरीदने के नियम मार्केट में कोई निवेशक किसी कंपनी के कितने शेयर खरीद सकता है या कुल कितने शेयर खरीद सकता है, इसके अलग-अलग नियम हैं, जो हम आपको बताएंगे।

#A. प्राइमरी मार्केट
प्राइमरी मार्केट में शेयर खरीदने वालों को तीन अलग-अलग कैटेगरी में बांटा जाता है, जिनके लिए शेयर खरीदने की लिमिट अलग-अलग होती है।
1. खुदरा निवेशक: इस कैटेगरी में आने वाले लोग अधिकतम दो लाख रुपए शेयर खरीदने के नियम तक के शेयर खरीद सकते हैं। फिर वो चाहे एक ही कंपनी के दो लाख रुपए के शेयर खरीद लें या अलग-अलग कंपनियों के कुल-मिलाकर दो लाख रुपए के शेयर खरीद लें।
2. हाई नेटवर्क इंडिविजुअल: इनके लिए कोई सीमा नहीं होती है। ये जितनी चाहें, उतनी कीमत के शेयर खरीद सकते हैं।
3. संस्थागत निवेशक: इनके लिए भी कोई सीमा नहीं होती है। ये जिस कंपनी के जितने चाहें, उतनी कीमत के शेयर खरीद सकते हैं।

#B. सेकंडरी मार्केट
सेकंडरी मार्केट से आशय उस बाजार से है, जिसमें निवेशक शेयर मार्केट में जाकर किसी भी स्टॉक एक्सचेंज से शेयर खरीदते और बेचते हैं। इसमें भी किसी निवेशक के लिए कोई लिमिट नहीं है। वह किसी भी कंपनी के कितनी भी कीमत के शेयर खरीद सकता है। हां, शेयर खरीदने के नियम 50% शेयर वाला नियम यहां भी लागू होगा। इसके अलावा जब कोई निवेशक किसी कंपनी के 5% से ज़्यादा शेयर खरीदता है, तो उस पर SEBI के कुछ और नियम लागू होते हैं। SEBI वह संस्था है, जो भारत के निवेश बाज़ार में नियंत्रक का काम करती है।

तो आखिर में आपके सवाल का जवाब यही है कि आपके शेयर खरीदने पर कोई लिमिट नहीं है। बस आप जितनी ज़्यादा कीमत के शेयर खरीदते जाते हैं, तो आप पर उतने ही नए नियम लगते जाते हैं, जिन्हें पूरा करने के बाद ही आप और शेयर खरीद सकते हैं। बाकी आप लाखों-करोड़ों कितने के भी शेयर खरीदें, कोई फर्क नहीं पड़ता।

#3. शेयर खरीदने के लिए क्या करना होता है?
किसी भी कंपनी के शेयर खरीदने के लिए आपके पास डीमैट अकाउंट होना ज़रूरी है। यह आप किसी भी बैंक में खुलवा सकते हैं। आमतौर पर आप जिस बैंक में बचत खाता खुलवाते हैं, उसी खाते के साथ आपका डीमैट अकाउंट भी खोल दिया जाता है। हालांकि, यह पूरी तरह आप पर निर्भर करता है कि आप बचत खाते के साथ डीमैट अकाउंट खुलवाना चाहते हैं या नहीं। लेकिन, अगर आप शेयर खरीदना चाहते हैं, तो डीमैट अकाउंट अनिवार्य है। डीमैट अकाउंट खुलवाने के लिए पैन कार्ड देना होता है, क्योंकि पैन कार्ड के जरिए ही सरकार आपके सारे ट्रांजैक्शंस पर निगाह रखती है।

यदि रास नहीं आ रहे हैं शेयर खरीदने-बेचने के बारीक नियम तो कमोडिटी मार्केट से बनाएं बड़ा मुनाफा

अब अगर हम शेयर मार्केट की बात करें तो इक्विटी मार्केट में लिस्टेड कंपनियों के शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं जिसमें शेयरहोल्डर को आंशिक रूप से कंपनी का मालिक भी माना जाता है। इक्विटी शेयरों की कोई समाप्ति तिथि नहीं होती है जबकि कमोडिटी में ऐसा संभव नहीं है।

ब्रांड डेस्क, नई दिल्ली। शेयर मार्केट इन दिनों काफी चर्चा में है। बीते कुछ महीनों में इस बाजार की ओर रुख करने वाले लोगों की संख्या में भी लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है। निवेशकों की संख्या में हर दिन होने वाली इस बढ़त ने पिछले दिनों में एक रिकॉर्ड भी बनाया है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2022 के अगस्त महीने में डीमैट अकाउंट की संख्या पहली बार करीब 10 करोड़ के पार पहुंच चुकी है। ऐसे में शेयर बाजार में अब आम लोगों का भी दिलचस्पी साफ दिखाई देने लगी है।

Stock Market Investment: what is stop loss order

अक्सर आप भी यह नाम दिन में तकरीबन चार से पांच बार तो सुन ही लेते होंगे, कई बार तो इसमें आपकी रुचि भी बढ़ जाती होगी, लेकिन फिर इस बाजार के शेयर खरीदने के नियम तौर-तरीकों, खरीद-फरोख्त के नियमों व शेयरों में होने वाले उतार-चढ़ाव की बातों को लेकर परेशान हो जाते हैं और आत्मविश्वास में कमी आ जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शेयर बाजार में शेयर में पैसा लगाने के अलावा भी कई शानदार विकल्प हैं। जिनमें कोई भी शख्स आसानी से पैसे लगाकर बड़ा प्रॉफिट कमा सकता है।

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शेयर के अलावा कैसे बना सकते हैं बड़ा मुनाफा

क्या आपको पता है कि शेयर मार्केट के अलावा भी एक मार्केट है, जिसमें ठोस वस्तुओं में पैसे लगाकर बड़ा मुनाफा कमाया जा सकता है। इस मार्केट को कहते हैं कमाोडिटी मार्केट। जब कभी शेयर बाजार में कमजोरी का ट्रेंड रहता है तो लोग ऐसे समय में कमोडिटी मार्केट में सोने और चांदी जैसी चीजों में अधिक पैसा लगाने लगते हैं जिससे इसकी मांग में भी तेजी देखने को मिलने लगती है। लेकिन अब सवाल है कि क्या आप कमोडिटी मार्केट और इक्विटी यानी शेयर मार्केट के बीच के अंतर को समझते हैं?

शेयर मार्केट व कमोडिटी मार्केट में अंतर क्या है?

कमोडिटी मार्केट (Commodity Market) ऐसा मार्केटप्लेस है जहां निवेशक मसाले, कीमती मेटल्स यानी धातुओं, बेस मेटल्स, एनर्जी , कच्चे तेल जैसी कई अन्य कमोडिटीज की ट्रेडिंग करते हैं। यह मूलत: दो तरह की होती हैं , जिनमें से एक है एग्री कमोडिटीज इसे सॉफ्ट कमोडिटी भी कहते हैं, इसके अंतर्गत मसाले जैसे काली मिर्च, धनिया, इलायची, जीरा, हल्दी और लाल मिर्च, सोया बीज, मेंथी ऑयल, गेहूं, और चना जैसी वस्तुएं आती हैं। वहीं नॉन-एग्री या हार्ड कमोडिटीज में सोना, चांदी, कॉपर, जिंक, निकल, लेड, एन्युमिनियम, क्रूड ऑयल, नेचुरल गैस शामिल हैं।

अब अगर हम शेयर मार्केट की बात करें तो इक्विटी मार्केट में लिस्टेड कंपनियों के शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं जिसमें शेयरहोल्डर को आंशिक रूप से संबंधित कंपनी का मालिक भी माना जाता है। इसके अलावा इक्विटी शेयरों की कोई समाप्ति तिथि नहीं होती है,जबकि कमोडिटी में ऐसा संभव नहीं है। इक्विटी मार्केट में शेयरहोल्डर डिविडेंड के योग्य भी माना जाता है।

आज ही पोर्टफोलियों में जोड़ें कमोडिटी उत्पाद

अक्सर कई लोगों को शेयर का गुणा - गणित आसानी से समझ में नहीं आता है या जब कभी शेयर मार्केट में मंदी आने लगती है तो निवेशक कमोडिटी मार्केट की ओर रुख कर लेते हैं। ऐसे में अगर आप एक Beginner हैं और आपको शेयरों की कम समझ हैं तो परेशान होने की जरुरत नहीं है, बस आपको आज ही अपने पोर्टफोलियों में कई अलग- अलग कमोडिटी को जोड़ना होगा और इस बाजार में हाथ आजमाने होंगे। एक बेहतर और लाभदायक कमोडिटी का चुनाव करने के लिए आप 5paisa ऐप की भी मदद ले सकते हैं।

शेयर मार्केट ट्रेडिंग करते हैं तो ध्‍यान दें, 1 जुलाई से बदल रहे हैं नियम, बिना टैगिंग के नहीं बेच सकेंगे शेयर

शेयर मार्केट ट्रेडिंग करते हैं तो ध्‍यान दें, 1 जुलाई से बदल रहे हैं नियम, बिना टैगिंग के नहीं बेच सकेंगे शेयर

यदि आप शेयर बाजार में ट्रेडिंग करते हैं और आपका अकाउंट है तो यह खबर आपके काम की है। अब जुलाई से शेयर खरीदने के नियम इसके नियम बदलने जा रहे हैं। सेबी ने डीमैट खातों की टैगिंग लागू करने के लिए दलालों को 30 जून तक का समय दिया है। यदि खाते 1 जुलाई से बिना टैग वाले रहते हैं, तो इन खातों से किसी भी नई खरीदारी की अनुमति नहीं दी जाएगी। हालांकि, कॉरपोरेट कार्रवाई के परिणामस्वरूप शेयरों को श्रेय दिया जाएगा। जिन खाताधारकों के खाते बिना टैग के रहेंगे, वे भी अपने खातों से शेयर नहीं बेच सकेंगे।

एक्सचेंज और डिपॉजिटरी को 1 जुलाई और 1 अगस्त को अपनी अनुपालन रिपोर्ट जमा करनी होगी। पूंजी बाजार नियामक सेबी ने सोमवार को कहा कि स्टॉक ब्रोकरों के सभी डीमैट खाते, जो बिना टैग के हैं, उन्हें जून के अंत तक उचित रूप से टैग करने की आवश्यकता है। 1 जुलाई से बिना टैग वाले किसी भी डीमैट खाते में प्रतिभूतियों को जमा करने की अनुमति नहीं होगी। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एक परिपत्र में कहा कि हालांकि कॉरपोरेट कार्यों के कारण क्रेडिट की अनुमति होगी।

बैंक और डीमैट खातों की टैगिंग उस उद्देश्य को दर्शाती है जिसके लिए उन बैंक/डीमैट खातों का रखरखाव किया जा रहा है और ऐसे खातों की स्टॉक एक्सचेंजों/डिपॉजिटरी शेयर खरीदने के नियम को रिपोर्ट करना। सेबी ने आगे कहा कि अगस्त से बिना टैग वाले किसी भी डीमैट खाते में प्रतिभूतियों के डेबिट की भी अनुमति नहीं होगी।

स्टॉक ब्रोकर को 1 अगस्त से ऐसे डीमैट खातों को टैग करने की अनुमति देने के लिए स्टॉक एक्सचेंजों से अनुमति लेनी होगी और बदले में एक्सचेंजों को अपनी आंतरिक नीति के अनुसार जुर्माना लगाने के बाद दो कार्य शेयर खरीदने के नियम दिवसों के भीतर इस तरह की मंजूरी देनी होगी।

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वर्तमान में, स्टॉक ब्रोकरों को केवल पांच श्रेणियों के तहत डीमैट खातों को बनाए रखने की आवश्यकता होती है - मालिकाना खाता, पूल खाता, क्लाइंट अनपेड सिक्योरिटीज, क्लाइंट सिक्योरिटीज मार्जिन प्लेज अकाउंट और क्लाइंट सिक्योरिटीज मार्जिन फंडिंग अकाउंट के तहत। नियमों के तहत, स्टॉक ब्रोकर के मालिकाना डीमैट खातों को 'स्टॉक ब्रोकर प्रोपराइटरी अकाउंट' के रूप में नामित करना स्वैच्छिक है और जिन खातों को टैग नहीं किया गया है, उन्हें मालिकाना माना जाएगा।

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एक नजर में समझें

- सेबी ने डीमैट खातों पर नियम सख्त किए। प्रोकर को अब डीमैट खातों को वर्गीकृत करना होगा और उसका उद्देश्य बताना होगा।

- डीमैट खातों की टैगिंग 30 जून तक पूरी करनी होगी।

- 1 जुलाई से बिना टैग वाले डीमैट खातों में शेयर नहीं जोड़े जा सकेंगे।

- कॉर्पोरेट कार्रवाई के संबंध में शेयरों में वृद्धि पर कोई प्रभाव नहीं।

- 1 अगस्त से बिना टैग वाले खातों से शेयरों की बिक्री नहीं की जा सकी।

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- एक्सचेंज और डिपॉजिटरी को अपनी अनुपालन रिपोर्ट 1 जुलाई और 1 अगस्त तक जमा करनी होगी।

5 श्रेणियां जिनमें डीमैट खाते खोले जाते हैं

- मालिकाना खाता - स्व व्यापार के लिए

- पूल खाता - बस्तियों के लिए।

- ग्राहक की अवैतनिक प्रतिभूतियाँ - ग्राहक के अवैतनिक शेयरों के लिए

- ग्राहक प्रतिभूतियां मार्जिन प्रतिज्ञा - मार्जिन के लिए ग्राहक शेयरों को गिरवी रखना

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शेयर खरीदने के नियम

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नए अपफ्रंट मार्जिन के नियम के अनुसार क्या बदलाव हुए हैं ?

एक्सचेंज से पूछे जाने वाले इन FAQs और SEBI के इस सर्कुलर के अनुसार , 1 सितंबर, 2020 से शुरू होने वाले सभी ट्रेड्स के लिए अपफ्रंट मार्जिन जरुरी है। नीचे दिए गए इसके प्रभाव हैं:

1. होल्डिंग को बेचने के बाद मिलने वाला अमाउंट नई पोजीशन लेने के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता है -

जैसे ही आप शेयर्स अपनी होल्डिंग्स से बेचते हैं ,उस स्टॉक होल्डिंग्स से बेचे गए सेल वैल्यू का 80% अमाउंट का उपयोग किसी नई पोजीशन को लेने में कर सकते हैं - कोई दूसरा स्टॉक या F&O पोजीशन।

नए पीक मार्जिन नियम के अनुसार , इंट्राडे ट्रेडिंग में मिलने वाली लिवरेज पर कैप लगा दी गयी हैं और होल्डिंग्स से शेयर बेचने के बाद इस अमाउंट का 80% ही नए ट्रेड्स के लिए उपलब्ध होगा। शेयर बेचने के बाद का पूरा पैसा T+1 दिन से उपलब्ध होगा। ज्यादा जानकारी के लिए Z- कनेक्ट के इस पोस्ट को देख सकते हैं।

a) यदि आप अपनी होल्डिंग्स से शेयर बेचते हैं और दूसरे किसी शेयर को बेचने के बाद मिले हुए अमाउंट से उसे वापस खरीद लेते हैं। तो फिर नए पीक मार्जिन नियम के अनुसार मार्जिन पेनल्टी लगेगा।

b) आप अपनी होल्डिंग्स से बेचे हुए शेयर के अमाउंट को किसी और शेयर को खरीदने के लिए उपयोग कर सकें यह बेनिफिट देने के लिए, हम शेयरों को T दिन पर आपके अकाउंट में डेबिट करते है और एक्सचेंज के साथ अर्ली पे-इन करते हैं। जब तक क्लियरिंग कॉरपोरेशन (T+2) द्वारा स्टॉक कलेक्ट नहीं किया जाता है, तब तक शेयर अर्ली पे -इन अकाउंट में होंगे, जिस पर कुछ कॉरपोरेट एक्शन बेनिफिट नहीं मिलते हैं।यदि आप बायबैक जैसे किसी कॉर्पोरेट एक्शन के लिए एलिजिबल होना चाहते हैं, तो कृपया शेयरों को न बेचें और रिकॉर्ड डेट तक उन्हें अपने अकाउंट में रखें।

2. T1 होल्डिंग बेचने के बाद उस अमाउंट का उपयोग

अपने स्टॉक होल्डिंग के समान, आप T1 होल्डिंग्स (पिछले दिन खरीदे गए स्टॉक और अभी तक आपके डीमैट में क्रेडिट किए जाने के लिए) को बेच सकते हैं और डिलीवरी के लिए नए स्टॉक खरीदने के लिए सेल वैल्यू का 80% उपयोग कर सकते हैं। हालाँकि, इस सेल वैल्यू का केवल 60% अमाउंट आप F&O के लिए उपयोग कर पाएंगे । अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक कीजिये।

3. इंट्राडे प्रॉफिट का इस्तेमाल नई पोजीशन के सेटल होने के बाद ही किया जा सकता है -

आपके Kite बैलेंस में कोई इंट्राडे प्रॉफिट तब तक नहीं जुड़ेगा , जब तक कि एक्सचेंज द्वारा उनका सेटलमेन्ट नहीं किया जाता।F&O में फंड्स का सेटलमेंट अगले ट्रेडिंग दिन में होता है और इक्विटी में 2 दिनों के बाद होता है। लेकिन इंट्राडे प्रॉफिट को आप अपने Console लेजर पर उस दिन क्लोसिंग बैलेंस के साथ देख सकते हैं। उदाहरण के लिए , सोमवार को आप 2 लाख रुपये के शेयर खरीदते हैं और उसी दिन उन्हें 2.25 लाख रुपये में बेचते हैं, तो 2 लाख रुपये तुरंत दूसरे शेयर खरीदने के लिए उपलब्ध रहेंगे। लेकिन 25 हज़ार रुपये बुधवार को आपके Kite फंड में मिलेंगे।

इसके अलावा, यदि T+1 दिन (F&O ट्रेड्स के लिए) या T+2 दिन (इक्विटी ट्रेड्स के लिए) एक सेटलमेंट हॉलिडे है, तो इंट्राडे प्रॉफिट अगले ट्रेड सेटलमेंट डे पर उपलब्ध होगा।

4. ऑप्शन सेल क्रेडिट का उपयोग केवल उसी ट्रेडिंग दिन पर ऑप्शन खरीदने के लिए किया जा सकता है -

जब आप अपने लॉन्ग/बाय ऑप्शन पोजीशन से बाहर निकलते हैं या नए राइट/शॉर्ट ऑप्शन लेते हैं, तो ऑप्शन प्रीमियम का अमाउंट या क्रेडिट का इस्तेमाल उसी ट्रेडिंग दिन में केवल उसी सेगमेंट में नए लॉन्ग/बाय ऑप्शन ट्रेडों के लिए किया जा सकता है (ऑप्शन का उपयोग करेंसी या किसी और सेगमेंट के लिए नहीं किया जा सकता है)। आप इन क्रेडिट या ऑप्शन क्रेडिट का उपयोग सभी ट्रेड्स के लिए केवल अगले ट्रेडिंग दिन से कर सकते हैं।

ध्यान दें कि Console पर अकाउंट बैलेंस Kite बैलेंस से मैच नहीं होगा । जब तक उसका सेटलमेंट नहीं हो जाता, तब तक आपके Kite बैलेंस में अनरियलाइज़्ड इंट्राडे प्रॉफिट नहीं दिखेगा , जबकि Console इंट्राडे प्रॉफिट सहित बैलेंस दिखाएगा।

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