अगर कोई कंपनी लिस्टिंग समझौते से जुड़ी शर्त का पालन नहीं करती, तो उसे सेबी BSE/NSE से डीलिस्ट कर देती है.
Moneycontrol Hindi Daily Essential: जानिए आपके लिए 7 जरूरी खबरें कौन सी हैं!
Moneycontrol Hindi Daily Essential: दिन भर की भागदौड़ में ऐसी कई अहम खबरें होती हैं जो आप मिस करते हैं। इसलिए मनीकंट्रोल हिंदी आपके लिए 7 ऐसे लेख पेश कर रही है जिनपर आपका ध्यान जाना चाहिए। अगर आपने भी ये लेख मिस कर दिया है तो यहां पढ़िए।
First Water Capital के कुणाल भक्त ने मनीकंट्रोल के साथ बाजार की आगे की दशा और दिशा पर लंबी बातचीत की । इस बातचीत में उन्होंने कहा कि ग्लोबल इक्विटी मार्केट से जुड़े जोखिमों से हम भी सुरक्षित नहीं है। ऐसे में बाजार एक बार फिर से जून के निचले स्तर से छूने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
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अडानी पोर्ट्स (Adani Ports) को आंध्र प्रदेश के गंगावरम बंदरगाह (Gangavaram Port) के अधिग्रहण की मंजूरी मिल गई है। कंपनी ने सोमवार 10 अक्टूबर को जारी एक बयान में यह जानकारी दी। कंपनी ने बताया कि नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) की अहमदाबाद बेंच शेयर बाजार की नियामक संस्था कौन है ने विशाखापत्तनम के गंगावरम पोर्ट और अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन (APSEZ) और अदानी गंगावरम पोर्ट के बीच अरेंजमेंट की कंपोजिट स्कीम को मंजूरी दे दी है।
ग्लोबल ब्रोकरेज जेफरीज (Jefferies) ने सनटेक रियल्टी के शेयरों को बाय (Buy) रेटिंग के साथ कवर करना शुरू किया है। ब्रोकरेज का मानना है कि सनटेक तीन साल में अपनी प्रीसेल्स को दोगुना करने के लिए 25 अरब रुपये तक पहुंचने की राह पर है क्योंकि कोरोना महामारी के दौरान बनाई गई नई परियोजनाओं का कंपनी को अब लाभ मिलना शुरू हो गया है।
SEBI ने सोशल स्टॉक एक्सचेंज बनाने का फ्रेमवर्क जारी किया, भलाई के काम के लिए एक्सचेंज से जुटा सकेंगे पैसे
Social Stock Exchange: यह एक तरह से सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले संगठनों को बाजार से फंड जुटाने में मदद करेगा. 50 लाख रुपये का खर्च सामाजिक भलाई पर होना जरूरी. एक्सचेंज से जुड़ने से 1 साल पहले 10 लाख रुपये फंडिंग जरूरी. संस्था का सरकारी रजिस्ट्रेशन होना जरूरी शर्त होगी
Social Stock Exchange: भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (Sebi) ने सोशल स्टॉक एक्सचेंज (SSE) के लिए विस्तृत फ्रेमवर्क जारी किया है. नए फ्रेमवर्क में गैर-लाभकारी संगठनों (NPO) के लिए न्यूनतम जरूरतों को तय किया गया है, जो इस बाजार में पंजीकरण और खुलासे के लिए जरूरी है. नियामक की तरफ से गठित एक कार्यसमूह और तकनीकी समूह की सिफारिशों के आधार पर तैयार की गयी है. SSE का विचार सबसे पहले केंद्रीय वित्त मंत्री (Finance Minister) निर्मला सीतारमण ने 2019-20 अपने बजट भाषण में पेश किया था. इसका उद्देश्य निजी और नॉन- प्रॉफिट सेक्टर्स को अधिक धन जुटाने का अवसर देना है.
क्या है सोशल स्टॉक एक्सचेंज?
सोशल स्टॉक एक्सचेंज को आसान भाषा में समझें, तो यह एक तरह से सोशल सेक्टर में काम करने वाले संगठनों को बाजार से फंड जुटाने में मदद करेगा. इसका मतलब कि, अब प्राइवेट कंपनियों की तरह सोशल इंटरप्राइजेज (NPO व ऐसे अन्य संस्थान) भी खुद को शेयर बाजारमें लिस्टेड करा सकेंगे और पैसे जुटा सकेंगे.
सेबी ने अपने सर्कुलर में SSE के साथ रजिस्ट्रेशन के लिए NPO द्वारा पूरी की जाने वाली न्यूनतम आवश्यकताओं का ब्योरा दिया है. इसमें एनपीओ के लिए ‘जीरो-कूपन जीरो प्रिंसिपल इंस्ट्रूमेंट्स’ जारी करके धन जुटाने की आवश्यकता और बाजारों में एनपीओ द्वारा किए जाने वाले वार्षिक ब्योरे के खुलासे आवश्यकताओं को पूरा करना शामिल है. ‘जीरो कूपन जीरो प्रिंसिपल इंस्ट्रूमेंट मान्यता प्राप्त शेयर बाजारों पर पंजीकृत नॉन-प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशंस द्वारा सेबी के नियमनों के अनुरूप जारी किए जाते हैं.
SEBI का मुख्य उद्देश्य क्या है?
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ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स को प्रोटेक्ट करना: सेबी को बनाने के पीछे सबसे पहला और सबसे एहम मकसद था कि कैपिटल मार्केट में ट्रेड और इन्वेस्ट कर रहे लोगों को एक ऐसा माहौल देना शेयर बाजार की नियामक संस्था कौन है जो फ्रॉड या धोखा-धडी रहित हो तथा हर किसी को उनके सही अधिकार मिल सके ताकि ट्रेडर्स/इन्वेस्टर्स और स्टॉक मार्केट से जुड़े अन्य अभी लोगों का भरोसा बना रहे कि मार्केट में लगा हुआ उनका पैसा सुरक्षित है.
एक्टिविटीज को शेयर बाजार की नियामक संस्था कौन है मॉनिटर करना: चूकि अब सब कुछ सेबी की ही देख रेख में होता है इसलिए सेबी (SEBI) अब सभी ब्रोकर्स, सब-ब्रोकर्स और फाइनेंसियल संस्थाओं की शेयर बाजार की नियामक संस्था कौन है एक्टिविटीज पर पैनी नज़र रखती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सब कुछ सेबी के गाइडलाइन्स के अनुसार ही हो रहा है.
सेबी (SEBI) के फंक्शन (Functions) क्या हैं?
सेबी (SEBI) के मुख्य तीन फंक्शन हैं –
- प्रोटेक्टिव शेयर बाजार की नियामक संस्था कौन है फंक्शन: प्रोटेक्टिव फंक्शन यानि इन्वेस्टर्स को जागरूक बनाना, फ्रॉड से बचाना, इनसाइडर ट्रेडिंग रोकना, फेयर ट्रेडिंग को बढ़ावा देना इत्यादि सम्मिलित हैं.
- रेगुलेटरी फंक्शन: रेगुलेटरी फंक्शन यानि ब्रोकर, सब-ब्रोकर, फाइनेंसियल संस्थाओं और कॉर्पोरेट को रेगुलेट करना. ये सभी संस्थाएं ठीक प्रकार से काम करें इसके लिए सेबी (SEBI) इनके लिए गाइडलाइन्स और कोड ऑफ़ कंडक्ट बनाता है और यह भी सुनिश्चित करता है कि ये सभी सेबी (SEBI) कि निगरानी में बने रहे तथा सेबी (SEBI) की गाइडलाइन्स को फॉलो करें.
- डेवलपमेंट फंक्शन: डेवलपमेंट फंक्शन का मकसद है ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स को सही नॉलेज प्रोवाइड करना और इन्वेस्टर्स को प्रोत्साहित करना कि वो शेयर्स या म्यूच्यूअल फंड्स को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में रजिस्टर्ड ब्रोकर्स के माध्यम से ही खरीदें.
सेबी (SEBI) के पास कितनी पॉवर है?
वैसे तो सेबी (SEBI) के पास इतनी पॉवर है कि वो किसी भी स्टॉक एक्सचेंज चाहे वो BSE हो या NSE दोनों को ही रेगुलेट कर सकता है तथा जब चाहे नियमों में फेर बदल कर सकता है.
सेबी (SEBI) को यह पॉवर मिली है कि वह किसी भी स्टॉक एक्सचेंज के बुक्स, एकाउंट्स या रिकार्ड्स को कभी भी चेक कर सकता है.
सेबी (SEBI) के मर्ज़ी के बिना कोई भी स्टॉक किसी भी स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट नहीं हो सकता. यदि कोई लिस्टेड स्टॉक सेबी (SEBI) की गाइडलाइन्स को फॉलो नहीं करता या किसी भी प्रकार कि संदिग्ध एक्टिविटीज करता हुआ पाया जाता है तो सेबी (SEBI) उनसे जवाब मांग सकता है, सुनवाई कर सकता है और दोषी पाए जाने पर उसे स्टॉक एक्सचेंज से डीलिस्ट भी कर सकता है.
यदि कोई कंपनी इनसाइडर ट्रेडिंग जैसे अनएथिकल काम करती है तो सेबी उस कंपनी पर भारी जुर्माना भी लगा सकता है.
सेबी (SEBI) सभी एडवाइजरी फर्म (जो SEBI द्वारा रजिस्टर्ड हैं और जो शेयर बाजार की नियामक संस्था कौन है इन्वेस्टर्स से डायरेक्ट डील करते हैं) ब्रोकर, सब-ब्रोकर और बिचौलियों को रेगुलेट करता है. सेबी पॉवर को डिटेल में समझने के लिए यहाँ क्लिक करें.
Stock Market: शेयर बाजार क्या है?
BSE या NSE में ही किसी लिस्टेड कंपनी के शेयर ब्रोकर के माध्यम से खरीदे और बेचे जाते हैं. शेयर बाजार (Stock Market) में हालांकि बांड, म्युचुअल फंड और डेरिवेटिव का भी व्यापार होता है.
स्टॉक बाजार या शेयर बाजार में बड़े रिटर्न की उम्मीद के साथ घरेलू के साथ-साथ विदेशी निवेशक (FII या FPI) भी काफी निवेश करते हैं.
शेयर खरीदने का मतलब क्या है?
मान लीजिये कि NSE में सूचीबद्ध किसी कंपनी ने कुल 10 लाख शेयर जारी किए हैं. आप उस कंपनी के प्रस्ताव के अनुसार जितने शेयर खरीद लेते हैं आपका उस कंपनी में उतने हिस्से का मालिकाना हक हो गया. आप अपने हिस्से के शेयर किसी अन्य खरीदार को जब भी चाहें बेच सकते हैं.
इंडिपेंडेंस के जरिये टाटा, अदाणी, आईटीसी और पतंजलि से टक्कर लेंगे अंबानी
नई दिल्ली। मुकेश अंबानी अब एफएमसीजी दिग्गजों के साथ प्रतिस्पर्धा करेंगे। रिलायंस रिटेल ने इंडिपेंडेंस ब्रांड के साथ इसकी शुरुआत की है। यह एफएमसीजी में अंबानी का पहला ब्रांड है। इस क्षेत्र में मुकाबला आईटीसी, टाटा कंज्यूमर, पतंजलि और अदाणी विल्मर जैसी स्थापित कंपनियों से होगा।
रिलायंस कंज्यूमर प्रोडक्ट्स, रिलायंस रिटेल वेंचर्स लि. (RRVL) की नई एफएमसीजी कंपनी है। इसने पिछले हफ्ते ब्रांड इंडिपेंडेंस के लॉन्च के साथ एफएमसीजी में प्रवेश किया है। हालांकि, यह लॉन्च अभी गुजरात में है।
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