कोरोना से लड़ने के लिए एडवांस्ड टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर रहीं विश्व की ये नामी कंपनियां

कोरोना वायरस का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। पूरी दुनिया में फैली इस महामारी ने भारत में भी तेजी से अपने पांव पसारने शुरू कर दिए हैं। इस महामारी से बचाव के लिए कई कंपनियां भी टेक्नोलॉजी के जरिए अपनी मदद कर रही हैं। इसमें एप्पल कंपनी ने एक ऐसे टूल का निर्माण किया है जो लोगों में कोरोना वायरस के खतरे को जान सकता है। एप्पल के साथ ही विश्व की तमाम कंपनियों ने अपने ऐसे उपकरण व उसके प्रोटोटाइप जारी किए हैं।

एप्पल ने बनाया स्क्रीनिंग टूल

इस मामले में विश्व की सबसे बड़ी मल्टीनेशनल टेक्नोलॉजी कंपनी एप्पल ने एक खास तरीके का टूल बनाया है, जो उनके मोबाइल यूजर्स में कोरोना वायरस की स्क्रीनिंग कर सकता है। अभी ये टूल आईफोन मोबाइल एप्लीकेशन और कंपनी की वेबसाइट पर जारी हो गया है। इस टूल की सहायता से यूजर ये पता लगा सकता है कि उसको वायरस संक्रमण होने का कितना खतरा है। एप्पल की मानें तो ये टूल उसके इंजीनियर्स की ओर टेक्निकल एनालिसिस पर कितना भरोसा कर सकते है से काफी रिसर्च करने के बाद डेवलप किया गया है। इसके टेक्निकल एनालिसिस पर कितना भरोसा कर सकते है साथ ही इस टूल को बनाने में डॉक्टर्स और विशेषज्ञों की पूरी राय ली गई है।

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ऐसे करता है काम

एप्पल का ये टूल वाइट हाउस कोरोना वायरस टास्क फोर्स व फेडरल इमरजेंसी मैनेजमेंट एजेंसी की सहायता से काम करता है। इस टूल में संबंधित यूजर्स से उनकी हेल्थ, उनके द्वारा हाल ही में की गई यात्राओं आदि से संबंधित सवाल किए जाते हैं। इसमें यूजर्स की ओर से की जा रही सोशल डिस्टेंसिंग और बचाव का एनालिसिस किया जाता है। जिके बाद ये बताता है कि यूजर को अपने कोरोना टेस्ट की जरूरत है या नहीं। ये टूल यूजर को डॉक्टरी परामर्श लेने के लिए राय देता है। चूंकि ये टूल आपसे सवाल पूछकर ही ये निर्धारित करता है कि आपको वायरस से संक्रमित होने कितना खतरा है, इसलिए इस पर पूरी तरह से भरोसा नहीं किया जा सकता। अक्सर यूजर्स अपनी अधिकतर जानकारी को छिपा लेते हैं या बताते नहीं हैं, इसके चलते इस टूल की विश्वसनीयता कम हो जाती है। अगर इस टूल को यूजर पूरी सही जानकारी उपलब्ध कराता है तो ये भी बेहद सटीक तरीके से काम करता है।

एप्पल ने यूजर्स को दी ये हिदायत

जैसा कि ये टूल यूजर्स से जानकारी लेकर ही बचाव के तरीके बताता है, इसलिए एप्पल ने साफ किया है कि उसका ये टूल डॉक्टर या हेल्थ केयर प्रोवाइडर्स की जगह नहीं ले सकता। अगर यूजर इस टूल का इस्तेमाल करना चाहता है तो उसे एप्पल की शर्तों को मानना पड़ेगा। साथ ही डिस्क्लेमर में बताया गया है कि अगर इस टूल से किसी यूजर को कोई नुकसान या क्षति पहुंचती है तो उसके लिए एप्पल कंपनी जिम्मेदार नहीं होगी। आपको बता टेक्निकल एनालिसिस पर कितना भरोसा कर सकते है दें कि अमेरिका में इस महामारी ने सबसे अधिक कहर मचाया है। वहां कोरोना वायरस से संक्रमितों की संख्या का आंकड़ा लाखों में पहुंच गया है। वहां रोजाना सैकड़ों लोगों की मौत इस महामारी के चलते हो रही है।

मर्सिडीज बना रहा मेडिकल उपकरण

कोरोना वायरस की बीमारी से निपटने के लिए दुनियाभर की कंपनियां टेक्नोलॉजी के जरिए भी अपना योगदान दे रही हैं। फॉर्मूला वन रेसिंग की जानी मानी टीम मर्सिडीज एफ1 ने अपनी टेक्नोलॉजी को कोरोना से बचाव के काम में लगा दिया है। खबर है कि अब ये टीम वेंटिलेटर और अन्य मेडिकल उपकरण बना रही है। मर्सिडीज ने कोरोना मरीजों को सांस लेने में सहायता करने के उद्देश्य से एक खास उपकरण बनाया है, इसकी खासियत ये है कि इस उपकरण के जरिए ऐसे मरीज जिन्हें सांस लेने में परेशानी है उन्हें आईसीयू से बाहर भी लिटाया जा सकता है। ये एक ऐसा उपकरण होता है जो मरीज के फेफड़ों तक ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करता है। दरअसल कोरोना के मरीजों को संक्रमण बढ़ने पर सांस लेने में दिक्कत महसूस होती है।

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डायसन कंपनी ने बनाया कृत्रिम फेफड़ों का काम करने वाला टेक्निकल एनालिसिस पर कितना भरोसा कर सकते है उपकरण

फेफड़ों में ऑक्सीजन पहुंचाता है कोवेंट

बिटेन की कंपनी ने भी कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों की सुरक्षा के लिए खास तरीके के वेंटिलेटर बनाए हैं। यहां कि ब्रिटिश टेक्नोलॉजी कंपनी डायसन ने 10 दिनों के बेहद कम समय में वेंटिलेटर 'कोवेंट' का निर्माण किया है। इसे कोरोना मरीजों की पूरी जरूरतों के लिहाज से ही बनाया गय है। इसमें एक ऐसी डिवाइस लगी है जो मरीजों के लिए कृत्रिम फेफड़े का काम करती है। ये डिवाइस संक्रमण के चलते ब्लॉक हो चुके फेफड़ों तक ऑक्सीजन पहुंचाने और कॉर्बन डाई ऑक्साइड बाहर निकालने का काम करती है। ये काम एक ट्यूब के जरिए होता है। डायसन कंपनी को ब्रिटेन सरकार ने 10 हजार वेंटिलेटर बनाने का भी काम दिया है।

देश की महिन्द्रा ने 48 घंटे में बनाया प्रोटोटाइप

केवल विदेशी ही नहीं भारतीय कंपनियां भी कोरोना वायरस से निपटने के लिए उपकरण बनाने में मदद कर रही हैं। भारतीय ऑटोमोबाइल कंपनी महिन्द्रा ने भी इस दिशा में अपने प्रयासों को तेज कर दिया है। कंपनी ने केवल दो दिन में एक वेंटीलेटर का प्रोटोटाइप डिजायन किया है। ये इतनी सस्ती तकनीक पर आधारित है कि 10 लाख की लागत से बनने वाले वेंटिलेटर की कीमत 7500 में तैयार हो सकता है। यह प्रोटोटाइप कंपनी के इगतपुरी और मुंबई प्लांट में स्थित महिंद्रा की टीमों ने तैयार किए हैं। कंपनी से मिली जानकारी के अनुसार ये काफी हल्के और उपयोगी हैं। वहीं उनकी टीम अन्य वेंटिलेटर बनाने वालीं कंपनियों के साथ भी कर रही है।

कई राज्य कर रहे टेक्नोलॉजी का उपयोग

इस खतरनाक बीमारी से लड़ने में देश के कई राज्य भी टेक्निकल एनालिसिस पर कितना भरोसा कर सकते है टेक्नोलॉजी की मदद ले रहे हैं। तमिलनाडु और कर्नाटक सरकार ने मिलकर एक मोबाइल एप तैयार की है जो क्वारंटीन लोगों की मॉनिटरिंग में प्रमुख भूमिका निभा रही है। ये एप्लीकेशन क्वारंटीन लोगों पर नजर रख रही है और उनके परिचितों को कोरोना का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए आगाह कर रही है। इस एप्लीकेशन को इस तरह से डेवलप किया गया है टेक्निकल एनालिसिस पर कितना भरोसा कर सकते है कि अगर कोई होम क्वारंटीन व्यक्ति के नियमों का उल्लंघन करता है तो एप पर मौजूद अन्य लोग प्रदेश सरकार से उसकी शिकायत कर सकते हैं। इस बारे में कोविड 19 वार रूम के सचिव मुनीश मुद्गल ने समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए बयान में बताया कि हमने एक एप डेवलप की है, जो गूगल के प्ले स्टोर पर उपलब्ध है। जितने भी लोग सरकार की ओर से घर में क्वारंटीन किए गए हैं उनके लिए ये एप्लीकेशन चलाना और उस पर एक्टिव रहना अनिवार्य है। टेक्निकल एनालिसिस पर कितना भरोसा कर सकते है अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें सरकार की ओर से बनाए गए क्वारंटीन वार्ड में अन्य संदिग्धों के साथ रखा जाएगा।

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