डेटॉक्स टैबलेट (Detox Tablet)
डेटॉक्स टैबलेट (Detox Tablet) का उपयोग शरीर में वसायुक्त खाद्य पदार्थों के पाचन में सुधार के लिए किया जाता है। यह एमिनो एसिड के साथ एक अग्नाशयी एंजाइम संयोजन है। यह टैबलेट अतिरिक्त पाचन एंजाइम प्रदान करके काम करती है, जिससे पाचन में सुधार होता है। इसीलिए इस दवा को भोजन के साथ लेने की सलाह दी जाती है। यदि आप इसकी एक डोज़ भूल जाते हैं तो याद आते ही इसे जल्द से जल्द लें।
पाचन संबंधी समस्याओं के उपचार के लिए डेटॉक्स टैबलेट (Detox Tablet) का उपयोग किया जाता है। ये समस्या तब होती दैनिक स्टॉप लॉस का उपयोग कैसे करें है जब अग्न्याशय को सर्जरी द्वारा हटा दिया गया हो या किसी मामले में यह अच्छी तरह से काम नहीं कर रहा है। इसका उपयोग आंतों की गैस के लिए या पाचन सहायक के रूप में भी किया जाता है। इसे अगर आपके डॉक्टर द्वारा निर्धारित डोज़ के अनुसार लिया जाता है तो यह टैबलेट सुरक्षित होती है।
यदि आपको निम्नलिखित में से कुछ भी है, तो आपको डेटॉक्स टैबलेट (Detox Tablet) लेने से पहले अपने चिकित्सक को सूचित करना चाहिए:
- गर्भवती
- गर्भवती होने की योजना,
- स्तनपान कराना, या
- लिवर या किडनी की बीमारी से पीड़ित।
निगलने से पहले मुंह में अवधारण करने से म्यूकोसल जलन और स्टोमाटाइटिस का कारण हो सकता है; क्रश या चबाना नहीं है; रोगी कोइस दवा को पूरा निगल जाना चाहिए; इनहेलिंग पाउडर डोज़ फॉर्म से बचें।
इस दवा को शुरू करने से पहले आपको कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए कि क्या आपको इस घटक से एलर्जी है। सबसे आम दुष्प्रभावों में शामिल हैं
जानिए क्या होती है स्विंग ट्रेडिंग? क्या हैं इसके फायदे
Swing Trading: बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद आपको स्टॉक या इंडेक्स की सही दिशा का पता लगवाने में मदद करना होता है.
- nupur praveen
- Publish Date - August 31, 2021 / 12:52 PM IST
म्युचुअल फंड निवेश के मामले में भले ही काफी लोगों को अट्रैक्टिव लगते हों, लेकिन पुरानी धारणाओं के कारण लोग उनसे दूर रहना पसंद करते हैं. अगर आपने भी शेयर बाजार में हाल ही में शुरुआत की है तो स्विंग ट्रेडिंग आपके लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है. स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) उन ट्रेडिंग टेक्निक्स में से एक है, जिसमें ट्रेडर 24 घंटे से ज्यादा समय तक किसी पोजीशन को होल्ड कर सकता है. इसका उद्देश्य प्राइस ऑस्कीलेशन या स्विंग्स के जरिए निवेशकों को पैसे बनाकर देना होता है. डे और ट्रेंड ट्रेडिंग में स्विंग ट्रेडर्स कम समय में अच्छा प्रॉफिट बनाने के लिए स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) का विकल्प चुनता है. स्विंग ट्रेडिंग टेक्नीक में ट्रेडर अपनी पोजीशन एक दिन से लेकर कई हफ्तों तक रख सकता है.
यहां पर स्विंग ट्रेडिंग के जरिये एक ट्रेडर का लक्ष्य छोटे-छोटे प्रॉफिट के साथ लॉन्गर टाइम फ्रेम में एक बड़ा प्रॉफिट बनाने का होता है. जहां लॉन्ग टर्म निवेशकों को मामूली 25% लाभ कमाने के लिए पांच महीने तक इंतजार करना पड़ सकता है. वहीं स्विंग ट्रेडर हर हफ्ते 5% या इससे ज्यादा का भी प्रॉफिट बना सकते हैं बहुत ही आसानी से लॉन्ग टर्म निवेशकों को मात दे सकता है.
स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग में अंतर
शुरुआत के दिनों में नए निवेशकों को स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) और डे ट्रेडिंग एक ही लग सकते हैं, लेकिन जो स्विंग ट्रेडिंग और डे ट्रेडिंग को एक दूसरे से अलग बनाता है वो होता है टाइम पीरियड. जहां एक डे ट्रेडर अपनी पोजीशन चंन्द मिनटो से ले कर कुछ घंटो तक रखता है वहीं एक स्विंग ट्रेडर अपनी पोजीशन 24 घंटे के ऊपर से ले कर कई हफ्तों तक होल्ड कर सकता है. ऐसे मे बड़े टाइम फ्रेम में वोलैटिलिटी भी कम हो जाती है और प्रॉफिट बनाने की सम्भावना भी काफी अधिक होती है जिसके कारण ज्यादातर लोग डे ट्रेडिंग की अपेक्षा स्विंग ट्रेडिंग करना पसंद करते हैं.
स्विंग ट्रेडिंग टेक्निकल इंडीकेटर्स पर निर्भर करती है. टेक्निकल इंडीकेटर्स का काम मार्किट में रिस्क फैक्टर को कम करना और बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद आपको स्टॉक या इंडेक्स की सही दिशा का पता लगवाने में मद्दत करना होता है. जब आप अपने निवेश को किसी विशेष ट्रेडिंग स्टाइल पर केंद्रित करते हैं तो यह आपको राहत भी देता है. और साथ ही साथ आपको मार्किट के रोज़ के उतार-चढ़ाव पर लगातार नजर रखने की भी जरुरत नही पड़ती है. आपको सिर्फ अपनी बनाई गई रणनीति को फॉलो करना दैनिक स्टॉप लॉस का उपयोग कैसे करें होता है.
स्विंग ट्रेडिंग से जुड़े कुछ जरूरी टर्म्स
स्विंग ट्रेडिंग (Swing Trading) में अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ शब्दों में एंट्री पोइंट, एग्जिट पॉइंट और स्टॉप लॉस शामिल हैं. जिस प्वाइंट पर ट्रेडर अलग अलग टेक्निकल इंडिकेटर की सहायता से खरीदारी करते है उसे एंट्री प्वाइंट कहा जाता है. जबकि जिस प्वाइंट पर ट्रेडर अपनी ट्रेड पोजीशन को स्क्वायर ऑफ करते हैं. उसे एग्जिट प्वाइंट के रूप में जाना जाता है. वही स्टॉप लॉस जिसे एक निवेशक के नुकसान को सीमित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. ऐसा प्वाइंट होता है जहाँ आप अपने रिस्क को सीमित कर देते है. उदाहरण के लिए जिस कीमत पर आपने स्टॉक खरीदा था. उसके 20% नीचे के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर सेट करना आपके नुकसान को 20% तक सीमित कर देता है.
कितने टाइप के होते है स्विंग ट्रेडिंग पैटर्न
स्विंग ट्रेडर्स अपनी निवेश रणनीति तैयार करने के लिए बोलिंगर बैंड, फिबोनाची रिट्रेसमेंट और मूविंग ऑसिलेटर्स जैसे ट्रेडिंग टूल्स का उपयोग करके अपने ट्रेड करने के तरीके बनाते हैं. स्विंग ट्रेडर्स उभरते बाजार के पैटर्न पर भी नजर रखते हैं जैसे
– हेड एंड शोल्डर पैटर्न
– फ्लैग पैटर्न
– कप एंड हैंडल पैटर्न
– ट्रेंगल पैटर्न
– मूविंग एवरेज का क्रॉसओवर पैटर्न
भारत में सबसे लोकप्रिय स्विंग ट्रेडिंग ब्रोकरों में एंजेल ब्रोकिंग, मोतीलाल ओसवाल, दैनिक स्टॉप लॉस का उपयोग कैसे करें आईआईएफएल, ज़ेरोधा, अपस्टॉक्स और शेयरखान शामिल है.
शेयर बाजार में टाइम फ्रेम कैसे सेलेक्ट करें
आज हम समझेंगे how to select chart time frame for trading के बारे में कि हम ट्रेडिंग के लिए चार्ट की टाइमफ्रेम कैसे सेलेक्ट करें दोस्तों यह सवाल बार-बार पूछा जाता है कि हम इंट्राडे के लिए या स्विंग ट्रेडिंग के लिए टाइम फ्रेम कैसे सेलेक्ट करें यह कौन सा टाइम फ्रेम बेस्ट रहेगा इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए तो आज हम टाइमफ्रेम के विषय में सारी जानकारी को समझेंगे और इस पोस्ट को देखने के बाद टाइम फ्रेम सिलेक्ट करने में आपको कोई परेशानी नहीं होगी
दोस्तों ट्रेडिंग के लिए टाइमफ्रेम सिलेक्ट करने के लिए सबसे पहले आपको यह पता होना चाहिए कि आपका ट्रेडिंग स्टाइल क्या है ट्रेडिंग स्टाइल के विषय में हम पहले ही सब कुछ समझ चुके हैं हमारी वेबसाइट highreturn.in पर यह पोस्ट पहले से ही उपलब्ध है आप उसे पढ़ सकते हैं जब आपको एक बार यह पता चल जाए कि आपका ट्रेडिंग स्टाइल क्या है आप उसी प्रकार से चार्ट में अपना टाइम फ्रेम भी सिलेक्ट कर सकते हैं मतलब कि आपका ट्रेडिंग स्टाइल अगर छोटे समय का है तो आपका टाइम फ्रेम भी कम समय का होगा और अगर आपका ट्रेडिंग स्टाइल लंबे समय का है तो आपका टाइम फ्रेम भी लंबे समय का होगा
तो चलिए शेयर बाजार के पॉपुलर ट्रेडिंग स्टाइल के पॉपुलर ट्रेडिंग टाइम फ्रेम को मैं आपको बता देता हूं जैसा कि आप सभी जानते ही हैं कि भारतीय शेयर बाजार सुबह 9:15 से दोपहर 3:30 तक चलता है मतलब की टोटल 6 घंटे 15 मिनट इस मार्केट टाइम के हिसाब से आप ट्रेडिंग करते हैं
अगर आप स्कल्पिन ट्रेडिंग करते हैं तो आप 1 मिनट या 2 मिनट की टाइम फ्रेम का उपयोग करेंगे दैनिक स्टॉप लॉस का उपयोग कैसे करें तो आपको बाजार से अच्छे रिजल्ट मिल सकते हैं
अगर आप इंट्राडे ट्रेडिंग करते हैं तो आप 5 मिनट या 15 मिनट की टाइम फ्रेम का उपयोग करेंगे तो बाजार से अच्छे रिजल्ट मिल सकते हैं
अगर आप स्विंग ट्रेडिंग करते हैं तो आप 1 घंटे या 2 घंटे की टाइम फ्रेम का उपयोग करेंगे तो आपको बाजार से अच्छे रिजल्ट मिल सकते हैं
अगर आप पोजीशनल ट्रेडिंग करते हैं तो आप डेली चार्ट टाइम फ्रेम का उपयोग करेंगे तो आपको बाजार से अच्छे रिजल्ट मिल सकते हैं तो दोस्तों यह थे शेयर बाजार के कुछ पॉपुलर ट्रेडिंग स्टाइल के पॉपुलर टाइमफ्रेम इनमें से जो भी आपका ट्रेडिंग स्टाइल हो उस हिसाब से आप अपना टाइम फ्रेम चुन सकते हैं
दोस्तों आप में से कुछ लोगों का यह सवाल होगा कि अगर हम कैंडलेस्टिक पेटर्न का यूज करें तो क्या टाइम फ्रेम सिलेक्ट करना चाहिए अगर हम चार्ट पेटर्न का यूज करें तो क्या टाइम फ्रेम सिलेक्ट करना चाहिए और अगर हम टेक्निकल इंडिकेटर्स का यूज करें तो हम क्या टाइम फ्रेम यूज कर सकते हैं दोस्तों वैसे तो इस सवाल का कोई मतलब ही नहीं बनता है क्योंकि आप इन तीनों का उपयोग अपने ट्रेडिंग स्टाइल में ही करेंगे और आपका जो भी ट्रेडिंग है उसके हिसाब से हम टाइमफ्रेम को सिलेक्ट करना सीख ही चुके हैं
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टाइम फ्रेम कैसे सिलेक्ट करें |
दोस्तों एक सही टाइम फ्रेम चुनना उतना ही आवश्यक है जितना कि सही ट्रेडिंग सेटअप को चुनना क्योंकि अगर आप इंट्राडे ट्रेडिंग करते हैं और इसके लिए आप डेली चार्ट की टाइमफ्रेम को देख रहे हैं तो आपको इससे कोई फायदा नहीं होने वाला है इसी प्रकार अगर आप पोजीशनल ट्रेडिंग करते हैं और आप 5 मिनट या 15 मिनट के टाइम फ्रेम को देख रहे हैं तो भी आपको कोई फायदा नहीं होने वाला है क्योंकि हमें जिस ट्रेडिंग स्टाइल से ट्रेड करना है उसी ट्रेडिंग स्टाइल के हिसाब से टाइमफ्रेम भी सिलेक्ट करना पड़ेगा दोस्तो टाइमफ्रेम सिलेक्ट करते समय आपको यह पता होना चाहिए कि टाइमफ्रेम आपको ट्रेड लेने से पहले सिलेक्ट करना है अपने ट्रेडिंग स्टाइल के अनुसार कई ट्रेडर्स ऐसे होते हैं जो ट्रेड लेने के बाद टाइम फ्रेम सिलेक्ट करते हैं और अलग-अलग टाइमफ्रेम देखकर अपने ट्रेड को कैलकुलेट करते रहते हैं लेकिन आपको ऐसा नहीं करना है एक बार टाइम फ्रेम सिलेक्ट करने के बाद आपको उसी टाइम फ्रेम के हिसाब से ट्रेड लेना है उसी टाइम फ्रेम के हिसाब से आसको स्टॉपलॉस लगाना है और उसी टाइम फ्रेम के हिसाब से एग्जिट भी करना है
तो दोस्तों यह थी how to select chart time frame for trading ट्रेडिंग के विषय में संपूर्ण जानकारी उम्मीद है आपको यह जानकारी पसंद आई होगी
Hot Stocks: अगले 2-3 हफ्ते में ही चाहते हैं 16% तक रिटर्न तो इन स्टॉक्स पर लगाएं दांव
Moneycontrol 23 घंटे पहले Moneycontrol Hindi
© Moneycontrol द्वारा प्रदत्त Hot Stocks: अगले 2-3 हफ्ते में ही चाहते हैं 16% तक रिटर्न तो इन स्टॉक्स पर लगाएं दांव Jigar S Patel-Anand Rathi नवंबर 2022 से 1 दिसंबर 2022 के बीच निफ्टी में लगभग 754 अंकों की रैली देखने को मिली है। वर्तमान स्थिति में निफ्टी ने वीकली स्केल पर 18450-18500 के करीब सपोर्ट लिया है और अपने पिछले कारोबारी सत्र में 18500 के करीब बंद हुआ है। इसके आलावा निफ्टी में डेली स्केल पर इसके बियरिश CRAB पैटर्न से रिवर्सल देखने को मिला है। अब अगर निफ्टी वीकली स्केल पर 18700 के ऊपर बंद होता है तो फिर इसमें हमें आगे आने कुछ ही हफ्तों में 19000 की स्तर देखने को मिल सकता है। वहीं, अगर ये वीकली स्केल पर 18400 के नीचे बंद होता है तो आगे आने वाले कुछ हफ्तों में ये हमें 18000 तक फिसलता दिख सकता है। ऐसे में वर्तमान बाजार स्थिति में हेजिंग सबसे बेहतर रणनीति होगी। Trade setup for today: बाजार खुलने के पहले इन आंकड़ों पर डालें एक नजर, मुनाफे वाले सौदे पकड़ने में होगी आसानी बैंक निफ्टी पिछले 4 हफ्तों से बैंक निफ्टी में हमें 200 अंकों की तेजी देखने को मिली है और ये 43600 के करीब बंद हुआ है। अगर बैंक निफ्टी 43000 के ऊपर टिके रहने में कामयाब रहता है तो फिर इसमें हमें आने वाले हफ्तों में 44500 का स्तर भी देखने को मिल सकता है। वहीं, अगर निफ्टी 42500 के नीचे फिसलता है तो फिर कमजोरी और बढ़ सकती है। आनंदराठी के जिगर एस पटेल की टॉप शॉर्ट टर्म पिक्स जिनमें 2-3 हफ्ते में हो सकती है डबल डिजिट कमाई Macrotech Developers: Buy | LTP: Rs 1,056.4 | मैक्रोटेक डेवलपर्स में 999 रुपए के स्टॉपलॉस के साथ,1155 रुपए के लक्ष्य के लिए खरीदारी करें। 2-3 हफ्ते में ही इस स्टॉक में 9 फीसदी रिटर्न मिल सकता है। Glenmark Pharma: Buy | LTP: Rs 437 | ग्लेनमार्क फार्मा में 415 रुपए के स्टॉपलॉस के साथ, 475 रुपए के लक्ष्य के लिए खरीदारी करें। 2-3 हफ्ते में ही इस स्टॉक में 9 फीसदी रिटर्न मिल सकता है। Advanced Enzyme Technologies: Buy | LTP: Rs 304.55 | एडवांस्ड एंजाइम में 275 रुपए के स्टॉपलॉस के साथ, 355 रुपए के लक्ष्य के लिए खरीदारी करें। 2-3 हफ्ते में ही इस स्टॉक में 16 फीसदी रिटर्न मिल सकता है। डिस्क्लेमर: मनीकंट्रोल.कॉम पर दिए गए विचार एक्सपर्ट के अपने निजी विचार होते हैं। वेबसाइट या मैनेजमेंट इसके लिए उत्तरदाई नहीं है। यूजर्स को मनी कंट्रोल की सलाह है कि कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले सर्टिफाइड एक्सपर्ट की सलाह लें।
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क्या है Stop Loss और Target Price?
शेयरों में निवेश से आपको जितना लाभ होता है, उतना ही नुकसान भी हो सकता है.
Stop Loss का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है ताकि शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव के दौर में आप नुकसान से बच सकें
इसका मतलब यह है कि आपने 100 रुपये की कीमत पर ए के शेयर को 120 रुपये के Target Price के साथ खरीदा है. आप 120 रुपये की कीमत पर पहुंचने पर इस शेयर को बेचकर मुनाफा हासिल कर सकते हैं.
इस शेयर में किसी वजह से गिरावट भी आ सकती है. इसकी कीमत 100 रुपये से कम होने पर आपको नुकसान उठाना पड़ेगा. नुकसान से बचने के लिए आपको स्टॉप लॉस (Stop Loss) लगाने की सलाह दी जाती है.
मान लीजिए इस शेयर के मामले में आपको 90 रुपये की कीमत पर Stop Loss लगाने की सलाह दी जाती है. इसका मतलब यह हुआ कि किसी वजह से ए के शेयरों में कमजोरी आने पर उसे 90 रुपये में बेच देना ठीक रहेगा.
स्टॉप लॉस (Stop Loss) वह मूल्य होता है जिस पर आप अपने शेयर बेच देते हैं. स्टॉप लॉस (Stop Loss) प्राइस पर शेयर बेच देने की वजह से आप बड़े नुकसान से बच जाते हैं.
किसी शेयर का स्टॉप लॉस (Stop Loss) वह मूल्य है जिस पर आपको ज्यादा नुकसान नहीं होता है. वास्तव में आप किसी शेयर की मौजूदा कीमत पर उसमें संभावित नुकसान की सीमा तय कर लेते हैं. इसके बाद ही आप स्टॉप लॉस (Stop Loss) लगाते हैं, जिससे आपका नुकसान कम हो जाता है.
क्यों होता है स्टॉप लॉस (Stop Loss) का इस्तेमाल?
स्टॉप लॉस (Stop Loss) का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है ताकि शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव के दौर में आप नुकसान से बच सकें. शेयर बाजार काफी हद तक भावनाओं से चलता है. ऐसे में शेयरों में निवेश से आपको जितना लाभ होता है, उतना ही नुकसान भी हो सकता है.
स्टॉप लॉस (Stop Loss) इसी नुकसान को कम करने का तरीका है. Stop Loss लगाने का एक फायदा यह भी है कि दैनिक स्टॉप लॉस का उपयोग कैसे करें दैनिक स्टॉप लॉस का उपयोग कैसे करें अगर आप नियमित रूप से ट्रेडिंग नहीं करते और अपने निवेश को रेगुलर मॉनीटर नहीं कर सकते तो यह आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकता है. स्टॉप लॉस (Stop Loss) वास्तव में इस स्थिति में आपको कई खतरों से बचा सकता है.
आपके लिए क्या है Stop Loss का महत्व?
स्टॉप लॉस (Stop Loss) छोटी अवधि के लिए तो बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन अगर किसी को लंबी अवधि के लिए निवेश करना है तो फिर उसके लिए इसका कोई बहुत ज्यादा महत्व नहीं है. आपको इस बात के लिए खुद को तैयार रखना चाहिए कि शेयर बाजार में कभी भी कोई बदलाव हो सकता है.
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