निर्मला सीतारमण ने कहा कि आरबीआई (RBI) रुपये को नीचे जाने से रोकने की पूरी कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा कि RBI का ध्यान इस बात की ओर ज्यादा है कि बाजार में बड़ा उतार-चढ़ाव न हो। इसलिए केंद्रीय बैंक भारतीय करंसी को फिक्स करने के लिए बाजार में कोई दखलंदाजी नहीं कर रहा।
बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है
पल-पल इंडिया. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपने मजेदार बयानों को लेकर अक्सर चर्चाओं में रहीं हैं, ताजा. उन्होंने अमेरिका दौरे के दौरान अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में लगातार गिरावट को लेकर बयान दिया था, जिसके बाद दिलचस्प विवाद खड़ा हो गया है और अनेक व्यंग्यबाण चलाए जा रहे हैं!
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि- भारतीय करेंसी रुपया कमजोर नहीं हुआ, बल्कि डॉलर मजबूत हुआ है, इसके बाद तो वे लोगों के सियासी निशाने पर ही आ गई, कांग्रेस के प्रमुख नेता पी. चिदंबरम ने सीतारमण के इस बयान को बेतुका और विचारहीन बताते हुए एनडीटीवी के साथ बातचीत में कहा कि- अगर वह (निर्मला सीतारमण) चुनाव लड़ती है और भगवान न करे, वह हार जाती हैं, तो मैं उनसे यह कहने की उम्मीद करता हूं कि- मैं नहीं हारी, मेरा प्रतिद्वंद्वी जीत गया!
खबरों की मानें तो आईएमएफ वर्ल्ड बैंक के सलाना बैठक में भाग लेने अमेरिका दौरे पर गई निर्मला सीतारमण ने कहा था कि- भारतीय करेंसी रुपये ने दुनिया की कई उभरती अर्थव्यवस्थाओं के करेंसी के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया है, रुपया कमजोर नहीं हो रहा, हमें इसे ऐसे देखना चाहिए कि डॉलर मजबूत हो रहा है.
Business / 'रुपया नहीं गिर रहा, बल्कि डॉलर मजबूत बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है हो रहा है'- वित्त मंत्री का बयान
Nirmala Sitharaman on Rupee: भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड लो पर पहुंच गया है। इस बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने गिरते बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है रुपये पर अपनी बात रखी और कहा कि भारतीय रुपया फिसल रहा नहीं है, बल्कि अमेरिकी डॉलर मजबूत हो रहा है। वित्त मंत्री ने यह बात वाशिंगटन डीसी में एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए कहीं हैं। दरअसल, निर्मला सीतारमण इस समय अमेरिकी दौरे पर हैं। यहां भारत की विकास कहानी और मजबूत अर्थव्यवस्था के बारे में बोलते हुए रुपया पर अपनी बात रखीं। बता दें कि वित्त मंत्री का यह बयान रुपये के 82.69 के सर्वकालिक निचले स्तर तक गिरने के कुछ दिनों बाद आई है।
एक सवाल के जवाब में सीतारमण ने कहा, "डॉलर लगातार मजबूत हो रहा है। तो जाहिर है, अन्य सभी मुद्राएं मजबूत डॉलर के मुकाबले प्रदर्शन कर रही हैं। मैं तकनीकी के बारे में बात नहीं कर रही हूं, लेकिन यह तथ्य है कि भारत का रुपया शायद इस डॉलर की दर में बढ़ोतरी का सामना कर रहा है। . मुझे लगता है कि भारतीय रुपए ने कई अन्य उभरती बाजार मुद्राओं की तुलना में काफी बेहतर प्रदर्शन किया है।"
सिर्फ कच्चे तेल की कीमत में तेजी नहीं है डॉलर के मुकाबले रुपए के गिरने की वजह
डॉ. अश्विनी महाजन। पिछले कुछ महीनों से रुपये में भारी अवमूल्यन हो रहा था। जहां विनिमय दर अप्रैल 2018 में लगभग बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है 64 रुपये प्रति डॉलर थी वहीं 11 बल्कि डॉलर मजबूत हो रहा है अक्टूबर 2018 तक वह 74.48 रुपये प्रति डॉलर पहुंच चुकी थी। लेकिन पिछले कुछ दिनों में रुपया मजबूत होता हुआ एक दिसंबर तक 69.77 प्रति डॉलर तक पहुंच गया। एक ओर जहां कमजोर होते रुपये के चलते देश में चिंता का माहौल व्याप्त हो रहा था, नीति निर्माण से जुड़े हुए कई महानुभाव यह कहते सुने जा रहे थे कि रुपये का गिरना स्वाभाविक है, क्योंकि वह पहले से ही जरूरत से ज्यादा मजबूत है। उनका यह भी कहना था कि रुपये में मजबूती से देश को नुकसान हो रहा है, क्योंकि उससे हमारे निर्यात प्रभावित होते हैं। रुपये को जरूरत से ज्यादा मजबूत बताते हुए उसे कमजोर करने की वकालत करने वाले इन विशेषज्ञों में भी अलग-अलग राय थी। नीति आयोग के उपाध्यक्ष जुलाई माह में यह कह रहे थे कि रुपया पांच से सात प्रतिशत अधिक मूल्यवान है और कई विशेषज्ञ तो यह भी कह रहे थे कि यह 15 प्रतिशत ज्यादा मूल्यवान है और कुछ अन्य रिपोर्ट में इसे 10 प्रतिशत ज्यादा मूल्यवान बताया गया था।
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