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डॉलर इंडेक्स पर क्यों नजर रखती है सारी दुनिया

मुद्रा सूचकांक विदेशी मुद्रा से कैसे संबंधित है?

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भारत का विदेशी मुद्रा भंडार घटकर हुआ 570.74 अरब डॉलर

शुक्रवार को रिजर्व बैंक द्वारा जारी Weekly Statistical Supplement के अनुसार 12 अगस्त को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में आई गिरावट FCA में गिरावट के कारण रही

भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India (RBI) के आंकड़ों के मुताबिक 12 अगस्त को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 2.238 अरब डॉलर गिरकर 570.74 अरब डॉलर रह गया। 5 अगस्त को समाप्त पिछले सप्ताह में मुद्रा सूचकांक विदेशी मुद्रा से कैसे संबंधित है? विदेशी मुद्रा भंडार 89.7 करोड़ अमेरिकी डॉलर घटकर 572.978 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया।

रिजर्व बैंक द्वारा शुक्रवार को जारी साप्ताहिक मुद्रा सूचकांक विदेशी मुद्रा से कैसे संबंधित है? सांख्यिकीय सप्लीमेंट (Weekly Statistical Supplement) के अनुसार, 12 अगस्त को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट फॉरेन करेंसी एसेट्स (FCA) में गिरावट के कारण थी। जो कुल भंडार का एक प्रमुख घटक है। आंकड़ों से पता चलता है कि एफसीए 2.652 अरब डॉलर घटकर 506.994 अरब डॉलर रह गया।

डॉलर इंडेक्स के इतिहास पर नजर

1973 में अमेरिका की सेंट्रल बैंक यूएस फेडरल रिज़र्व ने डॉलर इंडेक्स की शुरुआत की थी और उसका आधार (बेस) 100 रखा था। तब से लेकर आज तक डॉलर इंडेक्स में सिर्फ एक बार परिवर्तन किया गया है जब यूरोप के सभी देशों ने मिलकर एक साझा मुद्रा का चलन शुरू किया था। फ्रांसीसी फ्रैंक, जर्मन मार्क, इटालियन लीरा, डच गिल्डर और बेल्जियम फ्रैंक आदि के स्थान पर यूरोप की साझा मुद्रा यूरो को इंडेक्स में सम्मिलित किया गया था। शुरुआत के समय से ही लेकर अब तक डॉलर इंडेक्स 90 से 110 अंकों के बीच बना रहा है। इसका उच्चतम स्तर 1984 में 165 अंकों के साथ था। 2007 में मंदी के दौर में इसका न्यूनतम स्तर आया 70 अंकों का था।

पूरी दुनिया की नज़र जिस इंडेक्स पर बनी रहती है। इसका सबसे बड़ा कारण है अंतरराष्ट्रीय कारोबार अमेरिकी डॉलर में किया जाता है। यूएस फेड के जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार 1999 से लेकर 2019 के बीच अमेरिकी महाद्वीप में 96% कारोबार डॉलर में हुआ था। यूएस फेड की मानें तो 2021 में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देशों द्वारा घोषित किए गए कुल विदेशी मुद्रा भंडार का 60% भाग अमेरिकी डॉलर का है।

US Dollar Index Explained (USDX / DXY)

Importance of Dollar Index: जब भी अंतरराष्ट्रीय कारोबार की चर्चा होती है तो डॉलर इंडेक्स मुद्रा सूचकांक विदेशी मुद्रा से कैसे संबंधित है? का आकलन जरूर होता है। फिर चाहे उसमें यूरोपीय यूरो या पाउंड के चढ़ने-उतरने की बात हो, रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद बाजार में मंदी की बात हो, चीन और रूस की आर्थिक स्थिति की बात हो या फिर अन्य विदेशी मुद्राओं के फिसलने और उछलने की बात हो जब भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बाजार में मुद्रा सूचकांक विदेशी मुद्रा से कैसे संबंधित है? मुद्रा (करेंसी) के बारे में कोई भी चर्चा हो। आइए जानते हैं कि अमेरिकी मुद्रा या डॉलर इंडेक्स सभी कारोबारियों के लिए मुद्रा सूचकांक विदेशी मुद्रा से कैसे संबंधित है? इतना महत्वपूर्ण क्यों है?

डॉलर इंडेक्स सिर्फ अमेरिकी मुद्रा ही नहीं बल्कि दुनिया की 6 प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की मजबूती आर कमजोरी के आकलन का इंडेक्स है। इन 6 अलग-अलग करेंसियों में उन देशों की मुद्राएँ सम्मिलित हैं जो अमेरिका कारोबार में भागीदार हैं। इन 6 मुद्राओं में, यूरो, ब्रिटिश पाउंड, स्वीडिश क्रोना, स्विस फ्रैंक आदि यूरोपीय मुद्राएँ शामिल हैं, साथ ही जापानी येन और कनाडाई डॉलर भी सम्मिलित हैं।

एक बार फिर टूटा विदेशी मुद्रा भंडार का रिकॉर्ड, जानिए इससे देश को कैसे होगा फायदा

विदेशी मुद्रा भंडार

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, देश का विदेशी मुद्रा भंडार 30 अक्तूबर को समाप्त सप्ताह में 18.3 करोड़ डॉलर बढ़कर 560.715 अरब डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया। इससे पिछले 23 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 5.41 अरब डॉलर बढ़कर 560.53 अरब डॉलर रहा था।

इसलिए आई वृद्धि
समीक्षावधि में विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ने की अहम वजह विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (एफसीए) का बढ़ना है। एफसीए कुल विदेशी मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा होता है। रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार समीक्षावधि में एफसीए 81.5 करोड़ डॉलर बढ़कर 518.34 अरब डॉलर हो गया। एफसीए को दर्शाया डॉलर में जाता है, लेकिन इसमें यूरो, पाउंड और येन मुद्रा सूचकांक विदेशी मुद्रा से कैसे संबंधित है? जैसी अन्य विदेशी मुद्राएं भी शामिल होती है।

पाकिस्‍तानी अर्थव्‍यवस्‍था का कहीं दम न निकल जाए

  • नई दिल्‍ली,
  • 07 मई 2013,
  • (अपडेटेड 11 मई 2013, 7:57 PM IST)

अधिकतर लोगों के अनुमान से उलट पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था ने बेहतर प्रदर्शन किया, लेकिन वक्त बीतने के साथ ही नाजुक मसले और नाजुक होते जा रहे हैं.

सबसे बड़ी मुश्किल फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व (विदेशी मुद्रा भंडार) का लगातार कम होना है. प्रधानमंत्री के वित्तीय सलाहकार ने अप्रैल में वाशिंगटन में हुई आइएमएफ (अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष) और विश्व बैंक की सालाना बैठक में भाग लेकर लौटने के बाद कहा कि आइएमएफ ने नवंबर, 2008 में लिए गए कर्ज का बकाया चुकाने में मदद करने के लिए पाकिस्तान को 5 अरब डॉलर के कर्ज की पेशकश की है. भुगतान संतुलन के भीषण संकट से जूझ रहे पाकिस्तान ने विश्व बैंक से 2008 में कर्ज लिया था. उस समय विदेशी मुद्रा भंडार एक महीने में होने मुद्रा सूचकांक विदेशी मुद्रा से कैसे संबंधित है? वाले आयात के भुगतान से भी कम रह गया था और बैंक के पास करेंसी खत्म हो चुकी थी. पाकिस्तान का वित्तीय ढांचा धराशायी होने के कगार पर था; शेयर बाजार ‘‘ठप्प’’ हो गया था और म्यूचुअल फंड की सभी निकासी रुक गई थी.

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