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बिटकॉइन को मान्यता देने वाला दुनिया का पहला देश बना साल्वाडोर, क्या भारत में भी मिलेगी मंजूरी?
By: एबीपी न्यूज़ वेब डेस्क | Updated at : 10 Sep 2021 09:32 AM (IST)
Edited By: Abhishekkum
नई दिल्ली: पूरी दुनिया में ये बहस चल रही है कि क्या बिटकॉइन को मंजूरी देनी चाहिए? क्या बिटक्वॉइन का इस्तेमाल आपकी किसी करेंसी की तरह हो सकता है? यानी बिटकॉइन का इस्तेमाल कहाँ और क्यों किया जाता है? अभी किसी भी सामान को खरीदने के लिए आप रुपये में पेमेंट करते हैं तो क्या आने वाले भविष्य में ये पेमेंट बिटकॉइन में हो सकती है? भारत में तो पता नहीं, लेकिन सेंट्रल अमेरिका के देश अल साल्वाडोर ने बिटकॉइन को अपना लिया है.
बिटकॉइन को मान्यता देने वाला दुनिया का पहला देश है अल साल्वाडोर
अल साल्वाडोर बिटकॉइन को कानूनी मान्यता देने वाला दुनिया का पहला देश बना है. पूरे देश में 200 बिटकॉइन एटीएम स्थापित किये गए हैं, जिनसे लोग अमेरिकी डॉलर के बदले बिटकॉइन ले पाएंगे. जून में अल साल्वाडोर ने एक कानून पारित किया था, जिसमें बिटकॉइन को लीगल टेंडर के रूप में स्वीकारने की बात कही थी.
क्रिप्टोकरेंसी-बिटकॉइन आखिर है क्या? क्यों बन गई हैकर्स की पसंद?
हाल ही में पीएम मोदी के एक ट्विटर अकाउंट को हैकर्स ने हैक कर लिया और क्रिप्टोकरेंसी (बिटकॉइन) मांगने लगे. जुलाई में ट्विटर को एक बड़े क्रिप्टो हैक का सामना करना पड़ा था, जिसमें हाई-प्रोफाइल हस्तियों, राजनेताओं जैसे बराक ओबामा, एलन मस्क जैसी शख्सियतों के अकाउंट्स को हैक करके बिटकॉइन का प्रचार किया गया था.
पीएम मोदी के ट्विटर अकाउंट को हैक करते वक्त हैकर्स ने लिखा था-
मैं आप सभी से कोविड -19 के लिए पीएम नेशनल रिलीफ फंड में उदारतापूर्वक दान देने की अपील करता बिटकॉइन का इस्तेमाल कहाँ और क्यों किया जाता है? हूं, अब भारत क्रिप्टो करेंसी के साथ शुरुआत करेगा, कृपया दान करें.ईटीएच (इथेरियम).
वर्चुअल या क्रिप्टो करेंसी का मतलब क्या है ?
वर्चुअल या क्रिप्टो करेंसी एक तरह की डिजिटल करेंसी होती है, जिसे इनक्रिप्शन टेक्नोलॉजी की मदद बिटकॉइन का इस्तेमाल कहाँ और क्यों किया जाता है? से जेनरेट और रेगुलेट किया जाता है. इन करेंसी के क्रिएशन, निवेश, लेन-देन या फंड ट्रांसफर की प्रक्रिया में भारतीय रिजर्व बैंक या किसी भी दूसरे देश के बैंकिंग रेगुलेटर की प्रभावी भूमिका नहीं होती है. इन करेंसी पर न तो किसी देश की मुहर होती है और न ही इनके भुगतान के लिए किसी तरह की सॉवरेन यानी सरकारी गारंटी होती है.
दुनियाभर में बहुत सारी क्रिप्टो-करेंसी प्रचलित हैं, जिनमें बिटकॉइन सबसे मशहूर है.
उदाहरण से समझिए
गोल्ड एक धातु है जिसकी अपनी वैल्यू होती है. डॉलर कितना महंगा या सस्ता होगा यह अमेरिकी अर्थव्यवस्था की हालत पर निर्भर होता है.रुपए का वैल्यू हमारी अर्थव्यवस्था से जुड़ा है. पाउंड की सेहत यूके की अर्थव्यवस्था पर निर्भर जबकि येन का जापान की अर्थव्यवस्था पर. इसके अलग बिटकॉइन की कोई अपनी वैल्यू नहीं होती है. इसका इस्तेमाल सट्टेबाजी के लिए होता है, इसी आधार पर ही इसके दाम बढ़ते-घटते रहते हैं. ज्यादा सट्टेबाजी को ज्यादा उतार-चढ़ाव.
बिटकॉइन के चार्ट पर नजर डालें तो अब बिटकॉइन में रिकवरी देखने को मिल रही है. 2019 की शुरुआत में अपना लो बनाने के बाद बिटकॉइन में निचले स्तरों पर अच्छी रिकवरी देखने को मिलली है. मार्च में चौतरफा बिकवाली के बीच बिटकान में भी बिकवाली देखने को मिली थे लेकिन जिस तरह शेयर बाजार में खासी रिकवरी देखने को मिली. वैसी ही रिकवरी बिटकॉइन में देखने को मिली है. मार्च में बिटकॉइन 4500 डॉलर के स्तरों से अब 12000 डॉलर के स्तरों पर पहुंच गया है. जुलाई और अगस्त के महीने में बिटकॉइन में गजब की तेजी देखने को मिली है.
देश में इसकी कानूनी ‘हैसियत’ क्या है?
देश में क्रिप्टोकरेंसी के कारोबार पर किसी भी तरह का बैन नहीं है. हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा बैंकिंग प्रतिबंध लगाया गया है. राज्यसभा में इस संबंध में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए वित्त बिटकॉइन का इस्तेमाल कहाँ और क्यों किया जाता है? और कॉरपोरेट कार्य राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा था कि "वर्तमान में क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े मसलों से निपटने के लिए अलग से कोई कानून नहीं है. इस प्रकार आरबीआई, प्रवर्तन निदेशालय, आयकर प्राधिकरण जैसे सभी संबद्ध विभाग और काननू का अनुपालन करवाने वाली एजेंसियां मौजूदा कानून के अनुसार कार्रवाई करती हैं."
2009 में लॉन्च हुए बिटकॉइन हैकर्स या साइबर अपराधियों को दो फायदे देते हैं. पहला कि ये एक डिसेंट्रलाइज्ड करेंसी की तरह काम करता है और इसमें बैंक या क्रेडिट कार्ड कंपनी जैसा कोई बिचौलिया नहीं होता और इस वजह से इस्तेमाल करने वाला गुमनाम रहता है. दूसरा बिटकॉइन को वर्चुअल वॉलेट्स में रख सकते हैं, जिनकी पहचान सिर्फ एक नंबर से होती है.
उदाहरण से समझिए
गोल्ड एक धातु है जिसकी अपनी वैल्यू होती है. डॉलर कितना महंगा या सस्ता होगा यह अमेरिकी अर्थव्यवस्था की हालत पर निर्भर होता है.रुपए का वैल्यू हमारी अर्थव्यवस्था से जुड़ा है. पाउंड की सेहत यूके की अर्थव्यवस्था पर निर्भर जबकि येन का जापान की अर्थव्यवस्था पर. इसके अलग बिटकॉइन की कोई अपनी वैल्यू नहीं होती है. इसका इस्तेमाल सट्टेबाजी के लिए होता है, इसी आधार पर ही इसके दाम बढ़ते-घटते रहते हैं. ज्यादा सट्टेबाजी को ज्यादा उतार-चढ़ाव.
बिटकॉइन के चार्ट पर नजर डालें तो अब बिटकॉइन में रिकवरी देखने को मिल रही है. 2019 की शुरुआत में अपना लो बनाने के बाद बिटकॉइन में निचले स्तरों पर अच्छी रिकवरी देखने को मिलली है. मार्च में चौतरफा बिकवाली के बीच बिटकान में भी बिकवाली देखने को मिली थे लेकिन जिस तरह शेयर बाजार में खासी रिकवरी देखने को मिली. वैसी ही रिकवरी बिटकॉइन में देखने को मिली है. मार्च में बिटकॉइन 4500 डॉलर के स्तरों से अब 12000 डॉलर के स्तरों पर पहुंच गया है. जुलाई और अगस्त के महीने में बिटकॉइन में गजब की तेजी देखने को मिली है.
देश में इसकी कानूनी ‘हैसियत’ क्या है?
देश में क्रिप्टोकरेंसी के कारोबार पर किसी भी तरह का बैन नहीं है. हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा बैंकिंग प्रतिबंध लगाया गया है. राज्यसभा में इस संबंध में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए वित्त और कॉरपोरेट कार्य राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा था कि "वर्तमान में क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े मसलों से निपटने के लिए अलग से कोई कानून नहीं है. इस प्रकार आरबीआई, प्रवर्तन निदेशालय, आयकर प्राधिकरण जैसे सभी संबद्ध विभाग और काननू का अनुपालन करवाने वाली एजेंसियां मौजूदा कानून के अनुसार कार्रवाई करती हैं."
2009 में लॉन्च हुए बिटकॉइन हैकर्स या साइबर अपराधियों को दो फायदे देते हैं. पहला कि ये एक डिसेंट्रलाइज्ड करेंसी की तरह काम करता है और इसमें बैंक या क्रेडिट कार्ड कंपनी जैसा कोई बिचौलिया नहीं होता और इस वजह से इस्तेमाल करने वाला गुमनाम रहता है. दूसरा बिटकॉइन को वर्चुअल वॉलेट्स में रख सकते हैं, जिनकी पहचान सिर्फ एक नंबर से होती है.
क्या होता है क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट? कैसे करते हैं इस्तेमाल, जानिए हर जरूरी बात
Cryptocurrency News: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के फैसले के बाद क्रिप्टोकरेंसी पेमेंट पर बैन हटाने के बाद, भारत में क्रिप्टोकरेंसी का काफी क्रेज बड़ गया है. इसी के साथ आज हमको बता रहे हैं क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट (Cryptocurrency Wallet ) के बारें में
जैसा बिटकॉइन का इस्तेमाल कहाँ और क्यों किया जाता है? कि नाम से पता चलता है, ये वॉलेट आपको क्रिप्टो एसेट्स और टोकन स्टोर करने में मदद करते हैं
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बिटकॉइन क्या है ? ( What is bitcoin ?)-
Bitcoin क्या है, कैसे काम करता है, इसको कहाँ रखा जाता है, ये सब ले कर आपके मन में बहुत सवाल होंगे.
- बिटकाइन एक डिजिटल मुद्रा है। यह पहली डिजिटल या वर्चुअल मुद्रा है |
- यह किसी केंद्रीय बैंक द्वारा नहीं संचालित होती।जैसे बाकि currencies होते है Rupee, Dollar इत्यादि ठीक उसी तरह Bitcoin भी एक digital currency है.
- ये बाकि currencies से बिलकुल अलग है क्यूंकि Bitcoin को ना ही हम देख सकते हैं ना ही उसे पैसों की तरह छू सकते हैं. Bitcoin को हम सिर्फ online wallet में store करके रख सकते हैं यह केवल इलेक्ट्रॉनिकली स्टोर होती है। अगर बिटकॉइन का इस्तेमाल कहाँ और क्यों किया जाता है? किसी के पास बिटकॉइन है तो वह आम मुद्रा की तरह ही सामान खरीद सकता है।
बिटकॉइन एक नई इनोवेटिव टेक्नोलॉजी है जिसका इस्तेमाल ग्लोबल पेमेंट के लिए किया जा सकता है | - पहले यह एक इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा बिटकॉइन का इस्तेमाल कहाँ और क्यों किया जाता है? के रूप में थी लेकिन 2017 में इसको दो भागों में बट गई Bitcoin (BTC) और The Bitcoin Cash.
- इसे control करने के लिए कोई भी bank या authority या सरकार नहीं है यानि की कोई इसका मालिक नहीं है. Bitcoin का इस्तेमाल कोई भी कर सकता है जैसे हम सब internet का इस्तेमाल करते हैं और उसका भी कोई मालिक नहीं है ठीक उसी तरह Bitcoin भी है.
बिटकॉइन का विकास क्यों और किसने किया ?(Who Invented the bitcoin in Hindi)
- इसका विकास अक्टूबर 2008 में, सब-प्राइम के दौरान, यूएस में सातोशी नकामोतो नामक एक सॉफ्टवेयर डेवलपर ने किया था। और 2009 में यह सबसे के सामने आयी |
- बिटकॉइन का विकास कंप्यूटर नेटवर्किंग पर आधारित भुगतान हेतु इसे निर्मित किया गया है।
- जिस तरह रुपए, डॉलर और यूरो खरीदे जाते हैं, उसी तरह बिटकॉइन की भी खरीद होती है। ऑनलाइन भुगतान के अलावा इसको पारम्परिक मुद्राओं में भी बदला जाता है।
- बिटकॉइन की खरीद-बिक्री के लिए एक्सचेंज भी हैं, लेकिन उसका कोई औपचारिक रूप नहीं है।
बिटकॉइन को कैसे इस्तेमाल किया जाता है ? (How to use bitcoin in Hindi)
- कम्प्यूटर नेटवर्कों के बिटकॉइन का इस्तेमाल कहाँ और क्यों किया जाता है? जरिए इस मुद्रा से बिना किसी मध्यस्था के ट्रांजेक्शन किया जा सकता है। वहीं इस डिजिटल करंसी को डिजिटल वॉलेट में रखा जाता है। बिटकॉइन को क्रिप्टोकरेंसी भी कहा जाता है।
- इसके अलावा यह सुरक्षित और तेज है जिससे लोग बिटकॉइन स्वीकार करने के लिए प्रोत्साहित हो रहे हैं।
- किसी अन्य क्रेडिट कार्ड की तरह इसमें कोई क्रेडिट लिमिट नहीं होती है न ही कोई नगदी लेकर घूमने की समस्या है।
- वर्तमान में लोग कम कीमत पर बिटकॉइन खरीद कर ऊंचे दामों पर बेच कर कारोबार कर रहे हैं।
- आम डेबिट /क्रेडिट कार्ड से भुगतान करने में लगभग दो से तीन प्रतिशत लेनदेन शुल्क लगता है, लेकिन बिटकॉइन में ऐसा कुछ नहीं होता है। इसके लेनदेन में कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लगता है, इस वजह से भी यह लोकप्रिय होता जा रहा है।
- खरीदार की पहचान का खुलासा किए बिना पूरे बिटकॉइन नेटवर्क के प्रत्येक लेन देन के बारे में पता किया जा सकता है। यह एकदम सुरक्षित और सुपर फास्ट है और यह दुनिया में कहीं भी कारगर है और इसकी कोई सीमा भी नहीं है।
बिटकॉइन के नुकसान (Loss of bitcoin)-
- जिस तरह से बिटकॉइन का इस्तेमाल कारोबार के लिए बिजनेसमैन कर रहे हैं। इसका दुरुपयोग भी उतना ही बढ़ता जा रहा है। क्योंकि, इसके जरिए होने वाले लेन-देन में गड़बड़ी की जिम्मेदारी किसी की नहीं होती है।
- बिटकॉइन का दुरुपयोग ड्रग्स की खरीद-बिक्री, हवाला, आतंकी गतिविधियों को वित्तीय मदद, टैक्स की चोरी आदि किया जा रहा है |
- बिटकॉइन की माइनिंग में उपयोग होने वाली बिजली के कारण भी इसकी आलोचना की गयी है। एक बिटकॉइन के संचालन सौदे में अनुमानित 300 kwh बिजली लगती है जो 36000 केतलियों में पानी गर्म करने में लगनी वाली उर्जा के बराबर है |
- बिटकॉइन के लेन देन के लिए बिटकॉइन एड्रेस का प्रयोग किया जाता है। कोई भी ब्लॉकचेन में अपना बिटकॉइन का इस्तेमाल कहाँ और क्यों किया जाता है? खता बनाकर इसके ज़रिये बिटकॉइन का लेन देन कर सकता है।
- बिटकॉइन की सबसे छोटी संख्या को सातोशी कहा जाता है। एक बिटकॉइन में 10 करोड़ सातोशी होते हैं। यानी 0.00000001 BTC को एक सातोशी कहा जाता है।
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