छात्रों का शेडयूल कितना बोझिल होता है इसी से समझा जा सकता है कि उन्हें शेयर मार्केट का गणित समझना क्यों जरुरी हैं? ठीक से नींद नहीं मिल पा रही है। हर छात्र को तकरीबन हर दिन 6 घंटे कोचिंग शेयर मार्केट का गणित समझना क्यों जरुरी हैं? क्लासों में बिताना पड़ता है। इसके अलावा उन्हें 10 घंटे स्वयं अध्ययन करना पड़ता है। ऐसे में अगर छात्र अवसादग्रस्त होते हैं तो यह अस्वाभाविक नहीं है। अगर कोचिंग संस्थानों की गतिविधियों पर नजर डालें तो ये शिक्षा के केंद्र कम कारोबार के केंद्र ज्यादा बन गए हैं। आज की तारीख में कोटा में पसरे संस्थानों का कारोबार डेढ़ हजार करोड़ रुपए से अधिक का है। कोटा में प्रत्यक्ष व परोक्ष रुप से शेयर मार्केट का गणित समझना क्यों जरुरी हैं? तकरीबन डेढ़ करोड़ से अधिक छात्र जुड़े हुए हैं। एक छात्र की सालाना औसत कोचिंग फीस तकरीबन एक से दो लाख रुपए होती है। बाकी अन्य खर्चे जोड़ लें तो हर छात्र को तकरीबन सालाना कम से कम ढ़ाई लाख रुपए देना पड़ता है।

शेयर मार्केट का गणित समझना क्यों जरुरी हैं?

1989-90 में, राजीव गांधी के प्रधान मंत्री और फारूक अब्दुल्ला के मुख्यमंत्री के रूप में, 400,000 कश्मीरी पंडितों, सिखों और अन्य लोगों को नरसंहार का सामना करना पड़ा - या तो रातों-रात कश्मीर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा । "द कश्मीर फाइल्स" इसका एक छोटा सा हिस्सा ही दिखाता है। क्या कश्मीर में हुए नरसंहार पर कानून बनाया जाना चाहिए और अत्याचारों की पूरी जांच होनी चाहिए?

कोचिंग संस्थानों का मकड़जाल

देश भर में कोचिंग हब के रुप में प्रतिष्ठित राजस्थान के कोटा में कोचिंग में पढ़ाई कर रहे तीन छात्रों द्वारा खुदकुशी की घटना बेहद पीड़ादायक है। आत्महत्या करने वाले छात्र इंजीनियरिंग और मेडिकल परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। वस्तुत: यह जांच के बाद ही स्पष्ट होगा कि छात्रों ने किन कारणों से आत्महत्या की। शेयर मार्केट का गणित समझना क्यों जरुरी हैं? शेयर मार्केट का गणित समझना क्यों जरुरी हैं? लेकिन कोचिंग में तैयारी कर रहे छात्रों की तरफ से जो शिकायतें सामने आती हैं उससे स्पट है कि कोचिंग संस्थानों में लंबी क्लास और बोझिल असाइनमेंट की वजह से छात्र बेहद दबाव में हैं। छात्रों द्वारा आत्महत्या न सिर्फ कोचिंग संस्थाओं की विद्रुप व्यवस्था को उजागर करता है बल्कि परीक्षा के पैटर्न पर भी सवाल खड़ा करता है। कोचिंग का हब बन चुके कोटा में हर वर्ष देश भर से लाखों छात्र इंजीनियरिंग और मेडिकल परीक्षाओं की तैयारी के लिए आते हैं। सभी का सपना आईआईटी और मेडिकल संस्थानों में एडमिशन पाना होता है। इसके लिए छात्र कोचिंग संस्थानों को भारी रकम चुकाते हैं और संस्थानों द्वारा भी छात्रों को सौ फीसदी सफलता की गारंटी दी जाती है। लेकिन सच्चाई है कि ये संस्थान छात्रों को गुणवत्तापरक शिक्षा देने के बजाए उनके सपनों से खेलते हैं।

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