बलबन ने चालीसा दल जोकि अमीर वर्ग का एक शक्तिशाली संगठन था उसको विघटित कर दिया क्योंकि इस शक्तिशाली सगठन उनका राज्य वयवस्था को चलाने में व्यवधान उत्पन्न कर रहे थे | इस संगठन के समर्पित व्यक्तियों को बलबन जनता के समक्ष बिंगबन विनियमित है? कमजोर बताता था और इस दल के कुछ लोगों की बलबन ने हत्या भी करवा दिया | बलबन ने पूर्णरूपेण इस चालीसा दल को सफलतापूर्वक दमन कर दिया था |

बलबन के शासन प्रबंध का वर्णन कीजिए,

तो हेल्लो स्टूडेंट्स आज हम बलबन की शासन व्यवस्था के बारे में चर्चा करेंगे। इसके पिछले पोस्ट में हमने बलबन की रक्त लौह नीति एवं बलबन का मूल्यांकन के बारे में चर्चा की थी, अगर इसके बारे में आपने नहीं पढ़ा तो इस लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं

बलबन ने शासक बनने के पश्चात अनुभव किया की उसके सामने अनेक समस्याएं मौजूद हैं| इसके निवरण के लिए बलबन ने सर्वप्रथम एक कठोर प्रशासनिक व्यवस्था की स्थापना की |

बलबन की शासन व्यवस्था

1. राजत्व संबंधी सिद्धांत -

बलबन के समक्ष सर्वप्रथम कार्य सुल्तान की प्रतिष्ठा को पुनः स्थापित करना था। बलबन ने सल्तनत के विरोधी तत्वों का विनाश कर राजत्व बिंगबन विनियमित है? के दैवीय सिद्धांत का प्रतिपादन किया। इस सिद्धांत के अनुसार संतुलन को अपने ही ईश्वर का प्रतिनिधि माना, जिसकी तुलना जनसाधारण से नहीं की जा सकती थी। "राज्य की संपूर्ण शक्ति उसी में केंद्रित थी वह बड़ी कठोरता से अपनी आज्ञा का पालन करवाता था उसके पुत्र भी जो बड़े-बड़े प्रांतों के शासक थे उससे बिना पूछे कोई कार्य नहीं कर सकते थे। उसकी आज्ञाओं को अंतिम समझी जाती थी।"

2. चालीस मंडल का दमन-

इल्तुतमिश ने प्रशासनिक क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से 40 गुलामों को संगठित करके 40 मंडल बनाया था। यह अत्यंत राज भक्त और तन मन से सुल्तान की सेवा करते थे। इल्तुतमिश की मृत्यु के पश्चात बिंगबन विनियमित है? इनकी महत्वकांक्षाएं बढ़ने लगी और इल्तुतमिश के निर्बल उत्तराधिकारीयों के समय में यह अत्यंत शक्तिशाली हो गए। सुल्तानों को बनाने व हटाने में भी वे भूमिका निभाने लगे।यह सदस्य अत्यंत स्वार्थी व अभिमानी हो गए थे तथा राजा को कठपुतली समझते थे। इसके फलस्वरूप बलबन ने इनका विनाश करने का निश्चय किया। बलबन ने इनका दमन करने व प्रजा की दृष्टि में गिराने के लिए साधारण अपराधों के लिए भी उन्हें कठोर दंड दिया जाने लगा। कुछ कूटनीति के द्वारा तथा शेष विश देकर सफाया कराया गया। इस प्रकार बलबन ने कठोर एवं बर्बर बिंगबन विनियमित है? बिंगबन विनियमित है? तरीकों से 40 मंडल का दमन किया।

बलबन का शासन प्रबंध (balban ka shasan prabandh)

राजत्‍व का मतलब उन सिद्धांतों, नीतियों तथा कार्यों से है जिन्‍हें सुल्‍तान अपनी प्रभुसत्ता, अधिकार एंव शक्ति को स्‍पष्‍ट करने के लिए बिंगबन विनियमित है? अपनाता है। बलबन ने अनुभव किया कि सुल्‍तान का पद महत्‍वहीन हो गया है। अतः बलबन ने राजस्‍व सिद्धांत या राज्‍य की प्रतिष्‍ठा बढ़ाने के लिए निम्‍न लिखित कदम उठायें--

(अ) देवीय सिद्धांत का समर्थन किया

इसके अनुसार पृथ्‍वी पर सम्राट ईश्‍वर का प्रतिनिधि होता है। बादशाह का हृदय ईश्‍वर का प्रतिबिम्‍ब होता है।

(ब) शाही वंशज होने का दावा

बलबन ने स्‍वंय को तुरान के अफरासियाब का वंशज बतलाया। उसने अपने पौत्रों के नाम बिंगबन विनियमित है? भी प्राचीन परंपरानुसार रखे।

(स) सर्वसाधारण वर्ग से दूर रखना

सुल्‍तान बनतें ही बलबन ने अपने व्‍यवहार मे गंभीरता धारण कर ली। वह जानबूझकार एकांतवास करने लगा तथा सर्वसाधारण वर्ग से मिलना-जुलना बंद कर दिया।

बलबन का इतिहास

बलबन का इतिहास :- बलबन का इतिहास मध्यकालीन इतिहास का एक महत्वपूर्ण भाग है | गयासुद्दीन बलबन का वास्तविक नाम बहाउद्दीन था | गयासुद्दीन बलबन बहुत ही न्यायप्रिय शासक था | बलबन इल्बरी तुर्क जाती से सम्बन्ध रखता था | बलबन के पिता उच्च जाती के सरदार थे | बलबन को बचपन में ही मंगोलो ने उठा कर बग़दाद की गुलाम मंडी में बेच दिया था | बलबन का शरीर बहुत ही सुडौल और स्वस्थ था जब सुल्तान इल्तुतमिश की नजर बलबन पर पड़ी तो उसे बलबन पर दया आ गयी तब उसने बलबन को बिंगबन विनियमित है? दास के रूप में मोल ले लिया और बिंगबन विनियमित है? भारतवर्ष आ गया | बलबन बहुत ही स्वामिभक्त निकला , इल्तुतमिश ने बलबन की स्वामिभक्ति देखकर बहुत ज्यादा प्रसन्न हुए तथा सुल्तान ने बलबन को चहलगानी दल में शामिल कर लिया | बलबन की उनत्ति दिन दोगुनी और रात चौगुनी तरक्की होने लगी |

रजिया बिंगबन विनियमित है? सुल्तान के शासनकाल में उसकी नियुक्ति अमीरे शिकार के पद पर हुई | बहरामशाह ने बलबन को रेवाड़ी तथा हांसी क्षेत्र प्रदान किया | यह गुलाम वंश का 9 वा शासक बना | इसने 1266 ईस्वी से 1287 ईस्वी तक शासन की बांगडोर संभाली |

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