जिन प्रणालियों में रिच संदेश प्रारूप प्रदर्शित करने के लिए खराब तंत्र है, उन्हें परिवहन के लिए EMA की विशेषताएँ मूल रूप से TNEF डेटा एल्गोरिथम की आवश्यकता होती है। मीडिया प्रकार ms-TNEF का उपयोग करते हुए, एल्गोरिथम के आउटपुट में एक अटैचमेंट फ़ाइल (winmail.dat) और [RFC2045] में निर्दिष्ट MIME का एक बॉडी पार्ट होता है। सादा पाठ संदेश निकाय [MSDN-UAF] विनिर्देश के अनुसार UUENCODE का उपयोग करके प्रेषित किया जाता है और प्राप्तकर्ता के अंत में यह संदेश निकाय या समकक्ष विधि डीकोड की जाती है। इसके अलावा, TNEF SMTP, POP3, IMAP4 जैसे EMA की विशेषताएँ विभिन्न इंटरनेट प्रोटोकॉल का उपयोग करके संदेश डेटा प्रसारित कर सकता है, और RFC2045 मानक के अनुसार MIME को एकीकृत करता है।

TNEF फ़ाइल स्वरूप

नौकरशाही की विशेषताएँ – Ethics Notes

इसकी पहली विशेषता यह है कि इसका कार्यक्षेत्र निश्चित होता है. विधानमंडल EMA की विशेषताएँ द्वारा बनाए गए नियमों तथा कार्यपालिका द्वारा बनाए गए नियमों और अध्यादेशों के अनुसार प्रत्येक पदाधिकारी का कार्यक्षेत्र निश्चित कर दिया जाता है. वह इसी निश्चित दायरे के अंतर्गत कार्य करता है और अपने कार्यों के EMA की विशेषताएँ लिए कार्यपालिका के प्रति उत्तरदायी रहता है. उसके सहयोग के लिए अन्य कर्मचारियों की व्यवस्था रहती है.

नौकरशाही-व्यवस्था में पदसोपान-पद्धति के आधार पर नियुक्तियाँ होती हैं. इसका अर्थ यह है कि आदेश ऊपर से नीचे की ओर प्रवाहित होता है और उत्तरदायित्व का क्रम नीचे से ऊपर की ओर चलता है. उच्चतर पदाधिकारियों के नियंत्रण और निदेशन में ही अधीनस्थ पदाधिकारियों और कर्मचारियों को कार्य करना पड़ता है. परंतु, इसका अर्थ यह नहीं है कि उच्चतर पदाधिकारी अधीनस्थ कर्मचारियों को अनुचित कार्य करने के लिए बाध्य कर सकते हैं. वास्तविकता यह है कि दोनों के कार्य कानून द्वारा निश्चित कर दिए जाते हैं. पदसोपान-पद्धति का अर्थ सिर्फ यही है कि दोनों ही अधिकारियों को एक-दूसरे से संपर्क स्थापित करने के लिए कई सोपानों को पार करना पड़ता है.

पूर्वनिश्चित नियम

कर्मचारियों पर जनमत का कोई प्रभाव नहीं पड़ता, उनके कार्यो का संचालन पूर्वनिश्चित नियमों के अनुसार ही होता है. इस प्रकार, EMA की विशेषताएँ वे जनमत के प्रभाव से अछूते रह जाते हैं.

नौकरशाही में असैनिक कर्मचारियों का विशिष्ट संगठन होता है, जो जनता के प्रति उन्हें उत्तरदायी बनने के लिए प्रेरित नहीं करता. इसके विपरीत, उनमें शासन करने की इच्छा कूट-कूटकर भरी रहती है और वे सेवक नहीं रह कर स्वामी बन जाते हैं. प्रशिक्षित कर्मचारी अपने को साधारण EMA की विशेषताएँ जनता से उच्चतर मानते हैं. यही कारण है कि उन पर मनमाने ढंग से शासन करना वे अपना जन्मसिद्ध अधिकार मान बैठते हैं.

कागजी कार्यवाही

राज्य का कार्यक्षेत्र बढ़ जाने के कारण सरकारी कर्मचारियों का कार्य और भी बढ़ गया है. इसी कारण, ठीक ही कहा जाता है कि नौकरशाही में “कागजी कार्यवाही” की मात्रा बढ़ जाती है. उन्हें सरकार का कार्य पूरी क्षमता के साथ करना पड़ता है, चाहे उन्हें कितनी भी असुविधाओं का सामना करना पड़े. वास्तव में, नौकरशाही में कर्मचारियों के निजी व्यक्तित्व पर सरकारी व्यक्तित्व पूरे तौर से हावी रहता है.

नौकरशाही की अन्य महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसमें कागजों, अभिलेखों तथा फाइलों पर अधिक ध्यान दिया जाता EMA की विशेषताएँ है. इन सबको व्यवस्थित रूप से रखा जाता है, क्योंकि इनके बिना सरकार का कार्य भी अच्छे ढंग से नहीं चल सकता है. फाइलों में सरकारी कर्मचारी के विरुद्ध भी यदि कोई बात है, तो उसके विरुद्ध उन्हें जाने का साहस नहीं होता. अधिकारी वर्ग द्वारा कागजी रेकॉर्डों को इतना अधिक महत्त्व दिया जाता है कि उसके समक्ष जनता के सुख-दुःख का भी ख्याल नहीं रखा जाता.

कुशल एवं मेधावी व्यक्तियों की नियुक्ति

नौकरशाही में सरकारी सेवा में केवल उन्हीं व्यक्तियों को नियुक्त किया जाता है, जो सामान्य रूप से सेवा करने की निर्धारित योग्यताएँ रखते हैं. उनका योग्य और कुशल होना आवश्यक है. अधिकारियों को कार्यकुशल होना आवश्यक है, जिससे वे अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के कार्यो का नियंत्रण एवं निरीक्षण कर सकने में समर्थ हो सकें. उनका आचरण ऐसा होना चाहिए कि उनके अधीनस्थ कर्मचारी यह समझें कि उन पर कठोर दृश्टि रखी जा रही है. साथ ही, इसमें शक्ति और कार्यों की व्यवस्था इस तरह से की जाती है कि कोई भी एक पदाधिकारी अपने हाथों में ही सारी शक्तियों को केद्रित न कर ले.

नौकरशाही की अंतिम और महत्त्वपूर्ण विशेषता यह कही जा सकती है कि इसमें सिद्धांत और व्यवहार में बहुत बड़ा अंतर पाया जाता है. सिद्धांत में तो कर्मचारी यह दिखाने का प्रयत्न करते हैं कि वे जनता के बहुत बड़े सेवक हैं, परंतु व्यवहार में वे धन और शक्ति के भूखे हो जाते हैं.

EMA की विशेषताएँ

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TNEF फ़ाइल क्या है?

ट्रांसपोर्ट न्यूट्रल एनकैप्सुलेशन फॉर्मेट (TNEF) एक Microsoft स्वामित्व है, जो मैसेजिंग एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (MAPI) पर आधारित ईमेल अटैचमेंट को एनकैप्सुलेट करने के लिए है। माइक्रोसॉफ्ट आउटलुक और माइक्रोसॉफ्ट एक्सचेंज सर्वर, पूरी तरह से टीएनईएफ का समर्थन करते हैं जबकि बाद में टीएनईएफ को एमएपीआई में डीकोड करते हैं और स्वरूपित मेल प्रदर्शित करते हैं। TNEF एन्कोडिंग वाले ईमेल अटैचमेंट में MIME प्रकार का MS-TNEF होता है और यह winmail/win.dat के रूप में संग्रहीत होता है। winmail .dat में संलग्नक निम्नलिखित जानकारी को समाहित करता है:

संदेशOLE ऑब्जेक्टआउटलुक विशेषताएं
मूल संदेश संलग्नक मूल स्वरूपित संस्करण फ़ॉन्ट, टेक्स्ट आकार और टेक्स्ट रंगएम्बेडेड चित्र एम्बेडेड कार्यालय दस्तावेज़कस्टम फॉर्म मतदान बटन बैठक अनुरोध

सामाजिक तथ्य, अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, दुर्खीम

साधारण शब्दों मे तथ्य का अभिप्राय एक ऐसी वस्तु या घटना से लगाया जाता है जो पर्याप्त निश्चित होते है। तथ्य की सत्यता और निश्चितता के संबंध मे किसी प्रकार का संदेह नही होता है। भारतीय साक्ष्य अधिनियम के अनुसार तथ्य के अंतर्गत वे सभी वस्तुयें आती है जिनका ज्ञानेन्द्रियों द्वारा बोध हो सकता है। इसके अंतर्गत कोई मानसिक दशा, जिसका न किसी व्यक्ति को हो, आती है। उदाहरणार्थ यह कि किसी स्थान पर कुछ वस्तुयें एक निश्चित ढंग से व्यवस्थित है, एक तथ्य है। कुछ विद्वानों ने तथ्य की निम्नलिखित परिभाषाएं की है--

वी. पी. यंग EMA की विशेषताएँ के अनुसार " तथ्य केवल मूर्त वस्तुओं तक ही सीमित नही है। सामाजिक अनुसंधान मे विचार, अनुभव तथा भावनाये भी तथ्य है। तथ्यों को ऐसे भौतिक या शारीरिक, मानसिक या उद्वेगात्मक घटनाओं के रूप मे देखा जाना चाहिए, जिनकी EMA की विशेषताएँ निश्चयात्मक रूप से पुष्टि की जा सकती है और जिन्हें सच कहकर स्वीकार जा सकता है।"

सामाजिक तथ्यों पर दुर्खीम के विचार

सामाजिक तथ्य कार्य करने, सोचने तथा अनुभव करने के ऐसे ढंग है जिनमे व्यक्तिगत चेतना से बाहर भी अस्तित्व बनाये रखने की उल्लेखनीय विशेषता होती है। इस प्रकार के विचार तथा व्यवहार व्यक्ति के बाहरी माप ही नही होते अपितु अपनी दबाव शक्ति के कारण व्यक्ति की इच्छा से स्वतंत्र वे अपने आपको उस पर लागू करते है। समाजशास्त्र की समस्याओं तथा तथ्य के संबंध मे सर्वप्रथम दुर्खीम ने अपने विचार प्रकट किये। उन्होंने कहा कि सामाजिक तथ्यों को वस्तु मानकर ही हम उनका वस्तुनिष्ठ वैज्ञानिक अध्ययन कर सकते है, उनकी खोज कर सकते है, उनके प्रकार्यों का ज्ञान कर सकते है तथा अंत मे अन्य विज्ञानों की तरह सामाजिक EMA की विशेषताएँ नियमों का निरूपण कर सकते है।

दुर्खीम के अनुसार " सामाजिक तथ्यों की श्रेणी मे कार्य करने, सोचने, अनुभव करने के ढंग सम्मिलित है जो व्यक्ति के लिए बाहरी होते है तथा जो अपनी शक्ति के माध्यम से व्यक्ति को नियंत्रित करते है।

तथ्यों की विशेषताएं

1. तथ्य मे सत्यता अवश्य होती है।

2. एक तथ्य के संबंध मे प्रायः सभी अवलोकनकर्ताओं का एक ही विचार होता है।

3. सभी तथ्यों का प्रत्यक्ष रूप से अवलोकन नही किया जा सकता।

4. तथ्य वास्तव मे घटित होने वाली एक घटना, प्रक्रिया, कारक, वस्तु अवथा बात का होना है।

5. तथ्यों के अंतर्गत वे सभी बाते वस्तुयें आती है जिनका ज्ञानेन्द्रियों द्वारा बोध हो सकता है।

6. वैज्ञानिक अध्ययन के दृष्टिकोण से काम मे आने वाले तथ्य अर्थपूर्ण तथा महत्वपूर्ण होते है।

7. तथ्यों को जहाँ अनुभव द्वारा प्राप्त किया जा सकता है वहां दूसरी ओर यह महत्वपूर्ण होते है।

8. तथ्य मे सत्यता, यथार्थता विद्यमान होने की स्थिति का परीक्षण एवं पुनः परीक्षण अवश्य हो सकता है।

9. तथ्यों का प्रत्यक्ष रूप से अवलोकन संभव नही, लेकिन साथ ही यह भी जान लेना आवश्यक है कि उसके अस्तित्व के संबंध मे किसी न किसी प्रकार का अनुभव अवश्य होता है।

लोक साहित्य का स्वरूप और विशेषताएँ

लोक साहित्य वह साहित्य है जो जनमानस की चित्तवृत्तियों से संबंधित है। यह मानव मन की उपज है। लोक साहित्य शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है लोक और साहित्य। लोक का अर्थ है जन सामान्य वर्ग और साहित्य का अर्थ है उस जन सामान्य वर्ग की संपूर्ण भावनाओं की अभिव्यक्ति। लोक साहित्य किसी भी समाज, वर्ग या समूह के सामूहिक जीवन का दर्पण होता है। इसमें किसी व्यक्ति विशेष का चिंतन, विवेचन या विश्लेषण नहीं होता बल्कि सामूहिक चेतना, अनुभवों, संवेदनाओं की अभिव्यक्ति रहती है। किसी भी समाज के इतिहास और संस्कृति को समझने के लिए लोक साहित्य का अध्ययन आवश्यक होता है। मानवता का वास्तविक इतिहास लोक साहित्य के आधार पर ही निर्मित होता है।

लोक साहित्य को परिभाषित करने के लिए विद्वानों ने निम्नलिखित मत दिए हैंः-

धीरेंद्र वर्मा, “ वास्तव में लोक साहित्य वह मौखिक अभिव्यक्ति है जो भले ही किसी व्यक्ति ने गढ़ी हो पर आज इसे सामान्य लोक समूह अपनी ही मानता है। इसमें लोकमानस प्रतिबिंबित रहता है।”

लोक साहित्य का स्वरूप और विशेषताएँ-

लोक साहित्य एक शास्त्र है जो अपने अपने कई शास्त्र और एक बड़े इतिहास को समाहित किए हुए हैं। विद्वानों ने लोक साहित्य के स्वरूप को निम्नलिखित शब्दों में स्पष्ट किया है-

  1. लोक साहित्य और लोक का साहित्य है जो सभ्यता की सीमा से बाहर है और सभ्य समाज में जिस का स्थान नहीं है।
  2. यह जंगली जातियों का साहित्य है यहां एक शब्द का तात्पर्य उन लोगों के साहित्य से है जो आदिम परंपराओं को सुरक्षित रखे हुए हैं।
  3. लोक साहित्य ग्रामीण साहित्य है इस साहित्य पर समस्त जनसमूह का अधिकार है।
  4. EMA की विशेषताएँ
  5. लोक साहित्य समस्त लोक के राग-विराग, हर्ष-विषाद, सुख-दुख, जीवन-मरण की सहज एवं सरस अभिव्यक्ति है।यह साहित्य सर्व व्यापक है। यह है उससे अधिक राष्ट्रव्यापी है और जितना राष्ट्रव्यापी है उससे भी कहीं अधिक अंतरराष्ट्रीय है।
  6. यह संपूर्ण मानव जाति की विरासत है। लोक साहित्य जनता द्वारा रचित, जनता का, जनता के लिए साहित्य है।
  7. लोक साहित्य में किसी व्यक्ति विशेष की नहीं अभी तो समस्त जगत के कल्याण की भावना समाहित होती है।

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"विशेषताएँ" के बारे में

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