UFX७५७१.३६ अमरीकी डालर के साथ मेरी प्रोफ़ाइल हटाई गई
15.JUL.2015 को मैं पर EUR/CAD जोड़ी का व्यापार कर रहा थाUFX और मैंने 7571.36 अमरीकी डालर का लाभ कमाया। उसी दिन मुझे उनके कर्मचारी (VikyG@) से ईमेल प्राप्त होता हैUFX .com), उन्होंने धारा 9.6 नियमों और शर्तों के संबंध में मेरा लाभ (7571.36 अमरीकी डालर) हटा दिया। इसलिए वे दावा करते हैं कि मेरे व्यापार के समय बाजार में "NO QOUTE" था। NO QUOTE का मतलब है कि मैं डील नहीं खोल सकता, लेकिन मैंने किया, इसलिए वे गलत अमरीकी डालर मुद्रा जोड़ी हैं !!"
निम्नलिखित मूल सिफारिश है
UFX DELETED MY PROFILE WITH 7571.36 USD
On 15.JUL.2015 I was trading EUR/ CAD pair at UFX and I made 7571.36 USD profits. The same day I get email from their employee ([email protected]), they deleted my profit (7571.36 USD), in connection to section 9.6 terms and conditions. So they claim there was "NO QOUTE" on the market in the time of my trading. NO QUOTE means I couldnt open deal, but I did, so they are wrong!!"
इतिहास में आज: 229 साल पहले डॉलर चांदी का सिक्का था, आज दुनिया में इसका सिक्का चलता है!
1792 से पहले अमेरिकियों के सामने करेंसी का बड़ा संकट था। वस्तु खरीदनी हो या किसी की सेवा लेनी हो, भुगतान सोने या चांदी में होता था। ब्रिटिश या स्पेनिश अमरीकी डालर मुद्रा जोड़ी सिक्कों से भी काम चल जाता था। तंबाकू के पत्ते, शेल्स और जमीन के टुकड़े भी सामान या सेवाएं लेने के बदले दिए जाते थे। शासकों की करेंसी का इस्तेमाल सीमित था। ट्रेडिंग और ट्रैवलिंग में वह साथ छोड़ देती थी। तब अमेरिकी कांग्रेस ने 2 अप्रैल 1792 को उस करेंसी को स्थापित किया, जो आज दुनिया में सबसे ज्यादा प्रचलित है- डॉलर।
दरअसल, 1792 में 2 अप्रैल को कॉइनेज एक्ट पारित हुआ था। इससे ही यू.एस. मिंट की स्थापना हुई, जिसका काम सिक्के ढालना और दुनिया में उनके मूवमेंट को कंट्रोल करना था। पहली औपचारिक अमेरिकी मुद्रा चांदी का डॉलर थी। लोगों को अपनी चांदी लानी पड़ती, तब मिंट उसे सिक्के में ढालकर लौटाता। उस समय सिक्कों पर लिबर्टी की छवि होती थी।
इस कानून का उद्देश्य खरीदना-बेचना आसान बनाना था, पर ऐसा हुआ नहीं। तक चांदी के डॉलर ज्यादा बनते नहीं थे, इस वजह से उन्हें हासिल करना भी मुश्किल था। ऐसे में स्थानीय बैंकों ने सोने या चांदी के बदले अपनी मुद्रा बनानी शुरू कर दी। 1861 में कांग्रेस ने इसका व्यावहारिक हल निकाला। एक ऐसी अमरीकी डालर मुद्रा जोड़ी मुद्रा जो सोने-चांदी पर निर्भर न रहे, ताकि सिविल वॉर और उसके सैनिकों को भुगतान किया जा सके। इस तरह अमेरिका में सरकारी नियंत्रण में पहली बार कागज की मुद्रा जारी हुई, जिसे डिमांड नोट्स कहा गया।
$1 पहली कागजी करेंसी नहीं थी
कई लोगों को लगता होगा कि कागज पर छपी पहली मुद्रा तो $1 की ही होगी। पर ऐसा था नहीं। शुरुआत में $5, $10 और $20 के नोट छपे। इन्हें ग्रीनबैक्स कहा जाता था। यह नाम सिविल वॉर के सैनिकों ने इसे दिया था। नोट के पिछले हिस्से में रंग प्रिंट होता था, ताकि लोग जाली नोट न बनाने लगे। सरकार ने इसके लिए विज्ञान का सहारा भी लिया।
केमिस्ट ऐसी स्याही बनाने में जुट गए, जिसे मिटाया न जा सके। 1840 के दशक में एक केमिस्ट ने ऐसी स्याही बना भी ली, जिसे हटाया नहीं जा सकता था। इस पर एक स्पेशल केमिकल की परत भी थी। यह हरे रंग की होती थी।
1862 में $1 का नोट छपा। ट्रेजरी डिपार्टमेंट ने इसे डिजाइन किया। ट्रेजरी सेक्रेटरी अमरीकी डालर मुद्रा जोड़ी साल्मन चेज ने पहले डॉलर पर अपना चेहरा छपवाया। 1864 में चेज ने ट्रेजरी डिपार्टमेंट छोड़ दिया। इसके पांच साल बाद अधिकारियों ने नोट पर जॉर्ज वॉशिंगटन की तस्वीर छापी।
अब तक डॉलर नोटों को कई बार रीडिजाइन किया जा चुका है। आखिरी बार 2013 में $100 नोट को रीडिजाइन किया गया था। इसमें एक 3-D रिबन जोड़ी गई थी। अगर आप नोट को पीछे की ओर मोड़ें तो बेल्स आपको 100 में बदलती दिखेंगी। अगला बदलाव $10 में 2026 में होना अपेक्षित है। 1935 में पहली बार चील और पिरामिड के तौर पर दो तस्वीरें डॉलर नोट पर दिखाई दी थीं।
180 मुद्राओं में सबसे ताकतवर है डॉलर
दुनिया में 180 मुद्राओं का इस्तेमाल होता है। इसमें अमेरिकी डॉलर सबसे ज्यादा ताकतवर है। वैसे, डॉलर शब्द का इस्तेमाल मुद्रा के लिए सिर्फ अमेरिका में नहीं होता। ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड समेत कई देशों में डॉलर शब्द का इस्तेमाल ही मुद्रा के लिए होता है। आज दुनिया के वैश्विक मुद्रा संग्रह में करीब दो-तिहाई हिस्सेदारी डॉलर की है। इसके बाद दूसरे नंबर पर यूरो आता है, जिसका चलन यूरोपीय संघ के ज्यादातर सदस्य देशों में है।
1 डॉलर में 100 सेंट
अमेरिका में एक डॉलर में 100 सेंट होते हैं, जैसे अपने यहां रुपए में 100 पैसे। पचास सेंट के सिक्के को हाफ डॉलर और पच्चीस सेंट के सिक्के को क्वार्टर डॉलर कहा जाता है। दस सेंट का सिक्का डाइम कहलाता है और पांच सेंट के सिक्के को निकल कहते हैं। एक सेंट को ‘पेनी’ कहा जाता है।
2011 का क्रिकेट वर्ल्ड कप जीतने के बाद टीम के खिलाड़ियों ने सचिन तेंदुलकर को इस तरह कंधे पर उठाकर मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम का चक्कर लगाया था।
28 साल बाद 2011 में भारत ने जीता क्रिकेट विश्वकप
टीम इंडिया ने 2011 में 2 अप्रैल को वानखेड़े स्टेडियम में खेले गए फाइनल में श्रीलंका को 6 विकेट से हराकर वनडे वर्ल्ड कप पर कब्जा जमाया था। महेंद्र सिंह धोनी ने फाइनल में 91 रन की नाबाद पारी खेली और भारत को जीत दिलाई। इससे 28 साल पहले 1983 में भारत ने कपिल देव की कप्तानी में पहली बार वर्ल्ड कप जीता था।
फाइनल में श्रीलंका ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी की। महेला जयवर्धने ने नाबाद 103 रन बनाए। संगकारा अमरीकी डालर मुद्रा जोड़ी ने 48 गेंदों में 67 रन की पारी खेली। श्रीलंका ने 50 ओवर में छह विकेट पर 274 रन बनाए थे। जहीर खान और युवराज सिंह ने दो-दो विकेट लिए। टारगेट का पीछा करने में वीरेंद्र सहवाग (0) और सचिन तेंदुलकर (18) जल्दी आउट हो गए। गौतम गंभीर ने 122 गेंदों में शानदार 97 रन की पारी खेली। युवराज सिंह से पहले आए धोनी ने नाबाद 91 रन बनाए और चौथे विकेट के लिए गंभीर के साथ 109 रन जोड़े। भारत को जीत के लिए 11 गेंदों पर 4 रन चाहिए थे, तब धोनी ने सिक्स लगाया और कप को भारत के नाम कर दिया।
भारत और दुनिया में 2 अप्रैल की अन्य यादगार घटनाएं इस प्रकार हैं-
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 418