लाभांश वितरण कर क्या है? – Dividend Distribution Tax
What is Dividend Distribution Tax? Explained in Hindi
भारत सरकार के वित्त मंत्री का कहना है कि लाभांश वितरण कर (Dividend Distribution Tax) अब व्यक्तियों को नहीं वरन् कंपनियों को देना होगा.
लाभांश वितरण कर क्या है?
यह वह कर है जो किसी कम्पनी द्वारा अपने लाभ में से अंशधारकों को दिए गये लाभांश पर लगाया जाता है.
लाभांश वितरण कर से सम्बंधित प्रमुख तथ्य
- लाभांश वितरण कर स्रोत पर लगाया जाता है और उस समय काटा जाता है जब कोई कम्पनी लाभांश वितरित करती है.
- यह लाभांश कम्पनी के लाभ का अंश होता है और इसे अंशधारकों में बाँटा जाता है.
- कानून के अनुसार लाभांश वितरण कर कम्पनी पर लगाया जाता है न कि लाभांश पाने वाले अंशधारक पर.
- परन्तु यदि कोई अंशधारक किसी एक वित्तीय वर्ष में 10 लाख रु. से अधिक का लाभांश प्राप्त करता है तो उस पर एक अतिरिक्त कर थोपा जाता है.
क्या लाभांश वितरण कर निजी कम्पनियों पर लागू होता है?
आयकर अधिनियम के अनुभाग 115-O के अनुसार, कोई भी ऐसा घरेलू प्रतिष्ठान जो लाभांश डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स क्या होता है? घोषित करता है अथवा वितरित करता है उसे लाभांश की कुल मात्रा के 15% की दर से लाभांश वितरण कर देना होगा.
क्या लाभांश वितरण कर न्यायोचित है?
बाजार में काम करने वाले लोग, विशेषकर दलाल, बहुत दिनों से लाभांश वितरण कर (Dividend Distribution Tax – DDT) को समाप्त करने की माँग करते रहे हैं क्योंकि इससे निगमों की आय का एक बहुत बड़ा अंश चला जाता है और इस प्रकार बाजार का आकर्षण कम जाता है.
बाजार में पहले से ही कई और कर चल रहे हैं, जैसे – प्रतिभूति लेनदेन कर (Securities Transaction Tax), दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (Long-Term Capital Gains) कर आदि.
Tags : Dividend Distribution Tax Meaning, significance, features and need in Hindi.
डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स क्या होता है?
पूरी तरह से स्कीम के पोर्टफोलियो से जुड़ी निवेश गतिविधियों से म्यूचुअल फंड को होने वाले लाभ में से डिविडेंड का भुगतान किया जाता है और ट्रस्टी के निर्णय के अनुसार ऐसा किया जाता है। अगर गिरते हुए बाज़ार में स्कीम को नुकसान होता है, तो ट्रस्टी डिविडेंड का भुगतान करने की घोषणा न करने का निर्णय ले सकते हैं। चूँकि डिविडेंड एक लाभ या आय होती है, इसलिए उसे कराधीन माना जाता है और डिविडेंड लगने वाले टैक्स को डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स (DDT) कहा जाता है। पहले डिविडेंड पर स्रोत पर टैक्स लगता था, यानि निवेशकों को डिविडेंड वितरित करने से पहले स्कीम को DDT का भुगतान करना पड़ता था। बेशक इससे डिविडेंड के भुगतान की राशि घट जाती थी, लेकिन निवेशकों के पास पहुँचने पर वह टैक्स-फ्री होता था।
1 अप्रैल 2020 के बाद, DDT ख़त्म कर दिया गया है और निवेशकों के पास पहुँचने पर म्यूचुअल फंड डिविडेंड पर टैक्स वसूला जाता है। अब डिविडेंड आय को अन्य स्रोतों से आय माना जाएगा और निवेशकों को अपनी टैक्स स्लैब के मुताबिक उस पर टैक्स देना होगा। इसलिए DDT टैक्स की पिछली व्यवस्था के मुकाबले म्यूचुअल फंड डिविडेंड पर टैक्स की वजह से होने वाला लाभ या नुकसान निवेशक की टैक्स स्लैब पर निर्भर करेगा।
पहले, स्कीम द्वारा समान डिविडेंड डिस्ट्रिब्यूशन टैक्स दर काटने के बाद सभी निवेशकों को डिविडेंड का भुगतान प्राप्त होता था। सभी निवेशकों पर DDT का बराबर प्रभाव पड़ता था क्योंकि उससे स्कीम के प्रकार के आधार पर समान टैक्स दर लागू करने के साथ स्कीम की उपलब्ध वितरण योग्य अधिशेष राशि घट गई थी। अब वैसा नहीं है। जबकि निवेशकों को उनके निवेश के अनुपात में डिविडेंड प्राप्त होंगे, कम टैक्स वर्ग वाले किसी व्यक्ति की तुलना में उच्च टैक्स स्लैब वाले किसी निवेशक को अधिक टैक्स का भुगतान करना होगा।
DDT को हटाना किसी स्कीम के तहत ग्रोथ और डिविडेंड ऑप्शन्स, दोनों डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स क्या होता है? के लिए समान अवसर प्रदान करता है। इसलिए निवेशकों को अब उन पर लागू प्रभावी टैक्स दर (सेस और सरचार्ज सहित) और डिविडेंड आय की आवश्यकता के संबंध में डिविडेंड ऑप्शन के फ़ायदों का आकलन करना होगा।
क्या है डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स?
डिविडेंड या लाभांश किसी कंपनी द्वारा उसके शेयरहोल्डर को किसी खास साल के लिए कमाए गए प्रॉफिट में से दिया जाने वाला हिस्सा है. इस पर लगने वाला टैक्स डीडीटी है.
FM has hiked the DDT and also increased the surcharge. That results in an effective rate of tax of 28.33% on dividends declared by all debt funds.
2. डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स क्या है?
भारत में जब कोई कंपनी डिविडेंड के रूप में कोई रकम बांटती, चुकाती या देने की घोषणा करती है तो उस पर सरकार को 15 फीसदी का एक टैक्स चुकाना पड़ता है जिसे डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स कहा जाता है. डीडीटी का प्रावधान फाइनेंस एक्ट 1997 के तहत की गयी थी. सिर्फ घरेलू कंपनियों को ही यह टैक्स चुकाना पड़ता है. अगर कंपनी किसी टैक्स के दायरे में नहीं आती, तब भी उसे डिविडेंड देने पर डीडीटी चुकाना ही पड़ता है.
यह करंट या एक्यूमुलेटेड प्रॉफिट पर लागू होता है, जिससे डिविडेंड चुकाया गया है. किसी कंपनी द्वारा चुकाया गया डिविडेंड, उसकी सहयोगी कंपनी के प्राप्त डिविडेंड्स में से घटा दिया जाता है, अगर सहयोगी ने डीडीटी चुका दिया हो. टैक्स वास्तव में पैरेंट कंपनी द्वारा ही चुकाया जाता है, जो डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स क्या होता है? सहयोगी की कमाई में से होता है, अगर सहयोगी कंपनी विदेशी हो.
3. डीडीटी के ग्रोसिंग अप का मतलब क्या है?
फाइनेंस एक्ट 2014में सरकार ने डीडीटी लगाने की प्रक्रिया बदल दी थी. पहले यह डिविडेंड के रूप में चुकाई गयी नेट एमाउंट पर लगता था, ग्रॉस एमाउंट पर नहीं. इस वजह से वास्तव में टैक्स रेट 15 फीसदी से कम ही होता था. बाद में सेक्शन 115 -ओ में सुधार किया गया और डिविडेंड के ग्रॉस एमाउंट पर टैक्स लगने लगा.
4.डिविडेंड बांटने पर लगने वाले टैक्स का प्रभावी रेट क्या है?
ग्रॉसड अप एमाउंट पर एक बार सरचार्ज और सेस लगाने के बाद डीडीटी का प्रभावी रेट 20 फीसदी हो जाता है.
5. कंपनियां किस समय यह टैक्स चुकाती हैं?
डिविडेंड घोषित करने, बांटने या इसकी घोषणा के 14 दिन के अंदर कंपनियों को डीडीटी चुकाना होता है. अगर कोई कंपनी तय समय में इसे चुकाने में असफल रहती है तो इस पर हर महीने एक फीसदी का ब्याज चुकाना पड़ता है.
6. डिविडेंड पर टैक्स के प्रावधानों में हाल में क्या बदलाव हुए हैं?
साल 2016-17 के बजट में सरकार ने कहा था कि अगर किसी व्यक्ति, पार्टनरशिप फर्म या हिन्दू अविभाजित परिवार को डिविडेंड से कमाई 10 लाख रूपये से अधिक होती है तो उस पर 10 फीसदी टैक्स लगाया जायेगा. साल 2017-18 के बजट में सरकार ने इसका दायरा बढ़ाकर निजी ट्रस्ट को भी इसमें शामिल कर दिया.
Dividend Distribution Tax
A dividend is nothing but a distribution of a portion of a company’s earnings. A dividend distributions tax is nothing but a tax levied on the profits distributed by Indian Companies to its investors or shareholders. As per the provisions of the income tax act, the tax is levied on the company before distributing dividends.
Let’s understand this with the help of an example. Suppose A limited declared a dividend of Rs 10,00,000 for the last financial year. Below is how A Limited will be paying the dividend distribution tax:
Firstly, determine the grossed up dividend as shown below:
Rs 10,00,000 + [100/85*100] * Rs10,00,000 = Rs 11,76,500
Lastly, Calculate the dividend distribution tax on the amount calculated as per step 1 as below:
Rs 11,76,500 * 15% = Rs 1,76,475
Remember that the above calculation rate of 17.65% does not include surcharge and cess.
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Amendment made by Finance Act 2020- Abolition of DDT for Indian Companies
Up to Assessment Year 2020-21, if a shareholder gets a dividend from a domestic company, it is exempt in the hands of the shareholder. In this case, Companies were required to pay dividend distribution tax. However, the Finance Act 2020 has introduced abolition of DDT for the companies. Now the dividends are taxed in the hands of the investors.
The dividend income is taxed in the hands of the investors only if dividend is distributed on or after 01-04-2020. In this case, the entire amount डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स क्या होता है? will be taxable in the hands of the investors and they will be liable to pay tax on dividends. The companies will not be required to pay DDT.
Who is required to pay dividend distribution tax?
A domestic company is liable to pay dividend distributions tax @15% on the gross amount of dividend as per section 115O. In the case of deemed dividends u/s 2(22)(e) tax is payable @30%. Here, the dividend is exempt in the hands of the shareholder.
Dividend Distribution Tax Rate
The effective rate of dividend distribution tax is 17.65% on the amount of dividends . As per section 115O, the applicable tax rate is 15%.
When is DDT applicable?
As per the provisions of the income tax act, DDT has to be paid within 14 days of the earliest following events:
- Declaration of dividend
- Distributions
- Payment of dividend
If the dividend is not paid within the due date, interest is applicable @1% for every month or part thereof on the amount of such tax. The interest will be paid for the period beginning immediately after the last date on which such tax was payable and the actual date of payment.
Special provisions related to DDT
The companies are not required to pay DDT on any dividends distributed on or after 01-04-2020. Below are a few changes that need to be kept in mind:
- The entire dividend is now taxable in the hands of डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स क्या होता है? the shareholders.
- The company deducts tax under section 194 @10% is the dividend amount is above Rs. 5,000.
- Exemption under section 10(34) stands withdrawn for AY 2021-22.
- Provisions of section 115BBD will not be applicable.
Dividend Distribution tax in mutual funds
Dividend distribution tax is applicable on mutual funds as below:
- Debt-oriented funds, DDT is @25% (29.12% including surcharge and cess)
- Equity-oriented funds, DDT is @10% (11.64% including surcharge and cess)
Amendment as per Finance Act 2020
Post the Finance Act 2020 amendment, the dividend will now be taxable in the hands of the unitholder. The income is taxable as per the slab rate applicable to them. This will be the case wherein the unitholder has opted for the dividend plan.
What is the limit for dividends?
There is no set limit for paying dividends. If the company earning profits wants to distribute it to its shareholders, it distributes without any limits.
म्यूचुअल फंड से जुड़ी बड़ी खबर: सरकार ने बदल दिया पुराना नियम, डिविडेंड से करते हैं कमाई तो इतना देना होगा टैक्स
DDT: यह बदलाव इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के अंतर्गत है. इस प्रावधान के पहले लाभांश पर लगने वाला टैक्स कंपनी या फंड हाउस जो लाभांश देते थे, उन्हें चुकाना होता था. यह डीडीटी के तहत होता था.
म्यूचुअल फंड या डायरेक्ट इक्विटी से जुड़ा एक बेहद अहम नियम बदल गया है. यह नियम टैक्स की देनदारी को लेकर है. जो लोग म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं या डायरेक्ट इक्विटी में पैसा लगाते हैं, उन्हें टैक्स के इस नए नियम के बारे में जान लेना चाहिए. अगर आप म्यूचुअल फंड स्कीम या डायरेक्ट इक्विटी स्कीम में निवेश करते हुए डिविडेंट के रूप में कमाई करते हैं, डिविडेंट के रूप में लाभ लेते हैं तो उस पर टैक्स चुकाना होगा. बहुत लोग डायरेक्ट इक्विटी में निवेश करते हुए भी डिविडेंड (लाभांश) के रूप में कमाई करते हैं. तो अब ऐसे लोगों को टैक्स चुकाना होगा.
इस तरह की स्कीम में टैक्स की देनदारी का पहले कोई नियम नहीं था. पहले लोग डिविडेंड पर टैक्स नहीं देते थे. लेकिन वित्तीय वर्ष 2019-20 के बाद नियम बदल गया है. 2019-20 से पहले कंपनी और फंड हाउस डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स या DDT चुकाते थे. निवेशकों को डिविडेंट देने से पहले कंपनियां या फंड हाउस सरकार को डीडीटी चुकाते थे, जबकि निवेशक के हाथ में डिविडेंट के रूप में जो रकम आती थी वह पूरी तरह से टैक्स डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स क्या होता है? फ्री थी. इसलिए निवेशक भले ही किसी भी टैक्स स्लैब में हो, उसका डिविडेंड टैक्स फ्री था. अब ऐसा नहीं होगा.
नया नियम क्या है
अब सरकार ने DDT को खत्म कर दिया है. इसके खत्म होते ही निवेशक के हाथ में डिविडेंट या लाभांश का जो भी पैसा आएगा, उस पर टैक्स की देनदारी बनेगी. RSM इंडिया के फाउंडर डॉ. सुरेश सुराना ‘फाइनेंशियल एक्सप्रेस’ से कहते हैं, लाभांश से जुड़े इनकम टैक्स के प्रावधानों में फाइनेंस एक्ट, 2020 में बदलाव किया गया है. यह बदलाव इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के अंतर्गत है. इस प्रावधान के पहले लाभांश पर लगने वाला टैक्स कंपनी या फंड हाउस जो लाभांश देते थे, उन्हें चुकाना होता था. यह डीडीटी के तहत होता था.
अब नए नियम के मुताबिक जो निवेशक उच्च टैक्स स्लैब में आते हैं, उन्हें लाभांश से होने वाली कमाई पर ज्यादा टैक्स देना होगा. कम लाभांश कमाने वालों को कम टैक्स देना होगा. बदला हुआ नियम 1 अप्रैल, 2020 से लागू हो गया है. अगर कोई कंपनी या फंड हाउस 1 अप्रैल 2020 तक या उसके बाद DDT चुका रहे हैं तो उसे मान्य नहीं माना जाएगा. ध्यान रखना होगा कि इस तारीख के बाद निवेशक को अपने लाभांश पर टैक्स चुकाना अनिवार्य है.
कितना लगेगा टैक्स
डिविडेंड पर निवेशक को कितना टैक्स देना होगा, इस बारे में डॉ. सुराना कहते हैं, इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 56(2)(i) के मुताबिक लाभांश का टैक्स ‘इनकम फ्रॉम अदर सोर्स’ के हेड में रखा जाएगा. अगर यही लाभांश ट्रेडिंग के मकसद से लिया जा रहा है या ट्रेडिंग के म्यूचुअल फंड या डायरेक्ट इक्विटी से लाभांश लिया जा रहा है तो वह बिजनेस इनकम में गिना जाएगा. निवेशक जिस टैक्स स्लैब में आता है, उसी के हिसाब से टैक्स चुकाना होगा.
सेक्शन 57 कहता है कि लाभांश की कमाई पर अगर कोई खर्च आता है तो उस पर टैक्स छूट नहीं ली जा सकती. अगर निवेश के लिए कर्ज लिया गया है और उस पर ब्याज चुका रहे हैं तो उस पर टैक्स छूट के लिए क्लेम कर सकेत हैं. ब्याज चुकाने में होने वाले खर्च पर डिडक्शन की कुल सीमा पूरे लाभांश का 20 फीसदी निर्धारित किया गया है.
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