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गहलोत की चुनौती, कहा- खुद का BJP में विलय कर चुनाव मैदान में उतरे RSS
नई दिल्ली/टीम डिजिटल। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर जनता को गुमराह कर सत्ता प्राप्ति में भारतीय जनता पार्टी की मदद करने का आरोप लगाया। गहलोत ने एक बार फिर कहा कि आरएसएस में अगर हिम्मत है तो वह खुद का भाजपा में विलय कर चुनाव मैदान में उतरे।
गहलोत ने यहां एक कार्यक्रम में भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कांग्रेस मुक्त भारत की बात करते हैं किंतु उन्हें यह जानना चाहिए कि जब तक सूरज-चाँद रहेगा, कांग्रेस पार्टी का नाम रहेगा।’’ उन्होंने आगे कहा कि कि कांग्रेस पार्टी देश में विचारधारा की लड़ाई लड़ती है, ‘‘हमारी दुश्मनी न भाजपा से है, न आरएसएस से है। हमारी लड़ाई विचाराधारा की है।’’
गहलोत ने कहा, ‘‘ये देश को गुमराह कर सत्ता में आए हुए लोग हैं क्योंकि धर्म के नाम पर, जाति के नाम पर लोगों को भड़काने में दो मिनट लगते हैं। धर्म के नाम पर आग लगाना आसान है लेकिन बुझाना मुश्किल है। धर्म पर राजनीति करने वाली भाजपा सत्ता प्राप्ति का घमण्ड करती है जबकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जो अपने आप को सांस्कृतिक संगठन बताने का नाटक करता है, लेकिन समाज में लोगों को गुमराह कर भाजपा का समर्थन करता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आज सरकार भाजपा की नहीं है। वह तो विफल हो चुकी है और नाम मात्र की है। राज कौन कर रहा है, आरएसएस राज कर रहा है। तो खुले रूप में क्यों नहीं कहते आरएसएस का एक प्रचारक देश का प्रधानमंत्री है, यह क्यों नहीं कहते। भाजपा का कवच क्यों पहन रखा है इन लोगों ने।’’
गहलोत ने कहा, ‘‘हिम्मत है तो आरएसएस, भाजपा में अपना विलय कर चुनाव लड़े जिससे दो विचारधाराओं का आमना-सामना हो सकेगा। आप छुपकर वार क्यों करते हैं, लोगों को गुमराह क्यों करते हैं। अभी आप अलग-अलग रूप दिखाकर देश को गुमराह करना चाहते हैं और सत्ता में आना चाहते हैं और आए हैं।’’ उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी प्रकरण में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के इस्तीफे की विपक्ष की मांग के मद्देनजर गहलोत ने कहा कि इस घटना से यह समझा जा सकता है कि देश किस दिशा में जा रहा है।
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CARDANO के बारे में जाने
कार्ड को एक सहकर्मी की समीक्षा की गई ब्लॉकचेन है। यह पहला सहकर्मी-समीक्षित ब्लॉकचेन भी है जिसे कभी भी दुनिया के सामने लाया गया है। यह मंच लोगों को स्मार्ट अनुबंध बनाने की अनुमति देता है। कई शिक्षाविदों और बुद्धिओं को एक गैर-लाभकारी नींव द्वारा समूहीकृत किया जाता है जो कार्डानो के लिए जिम्मेदार है, विभिन्न विश्वविद्यालयों द्वारा दुनिया के लिए उनकी रिहाई से पहले सभी शुरू किए गए प्रोटोकॉल की समीक्षा करना।
आपने Ethereum के बारे में सुना होगा। यह कार्डों के लिए एक समान मंच है। चार्ल्स हॉकिंसन नाम के कार्डों के निर्माता इथेरेम के सह-संस्थापक भी थे। उन्होंने देखा कि क्रिप्टो समस्याओं का सामना कर रहा था और एक नया मंच पेश किया। उनके अनुसार, Ethereum का डिज़ाइन थोड़ा बहुत सीमित है और इसे बहुत से लोगों द्वारा उपयोग किए जाने के लिए डिज़ाइन नहीं किया गया था।
कुछ बहुत सी समस्याओं और चुनौतियों का सामना क्रिप्टोकरेंसी के द्वारा किया जा रहा है। इन चुनौतियों में ऊर्जा का बिटकॉइन का सामना करने वाली चुनौतियाँ उपयोग, मापनीयता और वास्तविक दुनिया के पैसे के साथ बातचीत करने में सक्षम होना शामिल है। इस सार में, कार्डानो एक समस्या हल करने वाला साबित हुआ है।
कार्डानो का समुदाय जिसमें बुद्धि शामिल है, क्रिप्टो दुनिया के सामने आने वाली इन सभी समस्याओं को हल करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं और उन्हें कार्डानो के नेटवर्क पर काम करते हैं।
CARDANO’S CURRENCY
कार्डों की मुद्रा को एनडीए के रूप में जाना जाता है
HISTORY OF CARDANO
कार्डानो पहली बार 2015 में शुरू हुआ था। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य यह जानना था कि क्रिप्टो को कैसे बेहतर बनाया जा सकता है और कैसे सामना किया जा सकता है। दो साल बाद, कार्डानो को 29 सितंबर 2017 को जनता के लिए जारी किया गया था।
WHAT ARE BRYON AND SHELLEY’S STAGES?
2018 में, कार्डानो के समुदाय ने इसमें नए बदलाव शुरू किए। नेटवर्किंग कई लोगों द्वारा किए गए बड़े लेनदेन को संभालने के लिए इसे बेहतर बनाने के लिए
जब कार्डानो को पहली बार दुनिया के सामने लाया गया था, तब इस स्टेज को ब्रायॉन स्टेज नाम दिया गया था। ब्रायन का नाम एक प्रसिद्ध कवि के नाम पर रखा गया था।
कार्डानो के रोडमैप के अनुसार, यह 2018 तक शेल्ली स्टेज में प्रवेश करेगा। इस चरण में, कार्डानो को बड़े लेनदेन से बेहतर बनाने के लिए नई सुविधाएँ सामने आ रही हैं।
कर्डनो के PEER-REVIEWED प्रकृति से क्या है?
यह प्रकृति कार्डानो की नींव है। कार्डनो की उन्नति और समस्याओं को सुलझाने के लिए जिम्मेदार समुदाय कई विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों और शिक्षाविदों से बना है। इसका मतलब है कि, कार्डनो को विकसित करने के लिए पेश किए गए सभी परिवर्तनों को वास्तविक रिलीज या उपयोग से पहले इन शिक्षाविदों द्वारा समीक्षा और सहमति दी जाती है।
HOW IS CARDANO BETTER THAN ETHEREUM?
कई पहलू दिमाग में आते हैं जब हम कार्डानो की तुलना इथेरियम से करते हैं। सबसे पहले, कार्डानो के डेवलपर्स ने इथेरियम में एक बड़ी गलती देखी है कि यह कई लोगों के उपयोग के लिए नहीं बना है और कई उतार-चढ़ाव का अनुभव किया है जो नेटवर्क को बाधित करने के लिए सामान्य हैं।
दूसरी ओर, कार्डनो प्लेटफॉर्म पर लोगों की एकाग्रता का स्वागत करता है। दूसरी बात यह है कि इथेरियम नेटवर्क लेन-देन को सत्यापित करने के लिए काम के सबूत का उपयोग करता है जो भारी मात्रा में बिजली का उपयोग करते हैं और एक साथ कई लेनदेन की प्रक्रिया नहीं कर सकते हैं।
Success Tips: सफलता की राह में आती हैं ये 6 चुनौतियां, जो जीता वह पार हुआ
सफल लोग जीवन में आई चुनौतियों का सामना करके ही सफल बने हैं. जहां अधिकतर लोग इन समस्याओं को अपनी सफलता के रास्ते में रुकावट के रूप में देखते हैं और घबरा जाते हैं.
By इंडिया रिव्यूज डेस्क Last updated Mar 10, 2020 6,652 0
सफल लोग जीवन में आई चुनौतियों का सामना करके ही सफल बने हैं.
सफलता की कहानियां (struggle to success) संघर्ष के बिना लिखी ही नहीं जा सकती. दुनिया में वे लोग कम ही हैं जिन्हें सफल होने के लिए चुनौतियों का सामना ना करना पड़ा हो या फिर जिन्होंने कठिनाइयों का सामना ना किया हो. यदि कोई बिना संघर्ष के सफल हुआ भी है तो उस सफलता की ऊंचाई वैसी नहीं है जो संघर्ष से गुजरे सफल व्यक्ति के पास होती है. वो गहराई नहीं होती जिसे देखकर महसूस किया जा सके की वाकई ये व्यक्ति सफल है.
देखा जाए तो जीवन में हर व्यक्ति अपने जीवन में सफल होना चाहता है. सफल होने के लिए कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. लेकिन जीवन में जो व्यक्ति चुनौतियों से घबरा जाता है वह सफलता हासिल नहीं कर सकता है.
सफल लोग जीवन में आई चुनौतियों का सामना करके ही सफल बने हैं. जहां अधिकतर लोग इन समस्याओं को अपनी सफलता के रास्ते में रुकावट के रूप में देखते हैं और घबरा जाते हैं, वहीं सफल लोग इन्हें चुनौतियों के रूप में स्वीकार करते हैं और इनका सामना कर ज्यादा सफल होते हैं.
ऐसे लोग अपनी कठिनाइयों से इसलिए साहस के साथ लड़ पाते हैं क्योंकि उनमे सभी नकारात्मक विचारों को जाने देने की काबिलियत होती है. सफलता के लिए आपको जरूरत होती है तो बस अपनी क्षमताओं पर विश्वास करने की और सकारात्मक तरीके (Positive thinking) से चुनौतियों से लड़ने की. आइए जानते हैं सफलता की राह में कौन सी चुनौतियां होती हैं और कैसे आप उनका सामना
उम्र
सफलता की सबसे पहली चुनौतियों में आयु सबसे (age factor for success) पहले आती है. सफलता पाने के लिए कभी भी अपनी उम्र को आड़े नहीं आने देना चाहिए. ये सोचना व्यर्थ है की मेरी उम्र कम है या ज्यादा हो गई है. उम्र किसी भी काम को करने के लिए रुकावट पैदा नहीं कर सकती है.
अगर आपके अन्दर क्षमता है तो आप हर मुश्किल का डट कर सामना कर सकते हैं. क्योंकि जो लोग क्षमता रखते हैं, इसकी पहचान उनके उम्र से कभी नहीं होती. अगर आपको खुद पर भरोसा है तो आप किसी भी उम्र में सफलता पा सकते हैं. उम्र का सफलता से कोई लेना-देना नहीं है. लोग बहुत कम उम्र में या फिर अधिक उम्र में भी कामयाब होते हैं.
असफलता
सफलता का पहला कदम होता है असफलता. जिसने जीवन में असफलता नहीं देखी उसके लिए सफलता महज एक पैसा कमाने का तरीका मात्र रहती है. बार-बार मिलने वाली सफलता से इंसान के मन में अहंकार का भाव जाग्रत होने लगता है.
असफलता के बाद ही हमें सफलता के स्वाद के बारे में पता चल सकता है. असफलता, सफलता को पाने का महज एक पड़ाव मात्र है और कुछ भी नहीं. अगर आप अपनी असफलताओं को इस रूप में लेंगे कि उनसे आपको सीखने को मिलेगा तो आप भविष्य में बेहतर कर पाएंगे.
नकारात्मकता (Negativity in life)
किसी भी काम को करने के दो पहलू होते हैं. (positive thinking for success) एक होता है सकारात्मक और दूसरा नकारात्मक. सफल लोगों को जब भी कभी जिंदगी में नकारात्मकता घेरती है तब वह उससे अपनी सकारात्मक सोच के जरिए बाहर निकल आते हैं. आपको भी चाहिए की जिंदगी में हमेशा शिकायत करने की बजाय समस्याओं का समाधान ढूंढें उनसे निपटें और आगे बढ़ें. (negative and positive thinking) नकारात्मकता से लड़कर ही आप सफल होंगे.
बुरा चाहने वाले लोग
जिस तरह अच्छे लोग आपको आगे बढ़ने में मदद करते हैं ,उसी तरह दूसरों का बुरा चाहने वाले लोग हमेशा आपको पीछे खीचने की कोशिश करते हैं. ऐसे लोग हमेशा कड़वी बातें या नकारात्मक बातें बोलकर आपको स्ट्रेस देने की कोशिश करते हैं और आपको आगे बढ़ने से रोकते हैं.
यह ऐसे लोग होते हैं जो आपकी कामयाबी से जलते हैं या आपका बुरा चाहते हैं. आपको ऐसे लोगों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए. जब तक आप खुद को सही लोगों के साथ नहीं रखेंगे, तब तक आप सफल नहीं हो पाएंगे.
डर (Fear of Success)
डर कल्पना से और बढ़ता है. यह इंसान के मन का भाव है. डर को आप खुद चुनते हैं लेकिन सफल लोग अपने इस डर को कभी खुद पर हावी नहीं होने देते. वह अपने डर को अपनी सफलता की सीढ़ी की तरह इस्तेमाल करते हैं. वह हर उस चीज से लड़ते हैं जिससे वह डरते है और उस पर जीत हासिल करते हैं. वह खुद को विश्वास दिलाते हैं कि वह अपने डर से लड़ सकते हैं. आपको भी अपने डर को पीछे छोड़ कर आगे बढ़ना चाहिए.
बाहरी हालात
देश दुनिया और बाजार के हालात भी सफलता के लिए एक चुनौती के समान ही हैं. जब आप अपने चारों ओर नजर डालते हैं तो आपको हर जगह गिरती अर्थव्यवस्था, विफल होती कंपनियां और आपदाएं ही नजर आती हैं. ऐसे में आप इन सबकी चिंता न करें इन सब चीजों में से अपने आपको बाहर रखें. इसके बजाय आप हर दिन का इस्तेमाल आसपास की दुनिया को बेहतर बनाने और अपने प्रयत्नों को बेहतर बनाने के लिए करें.
गिरिडीह : झारखंड में किसी भी चुनौती के लिए भाजपा तैयार- मुरलीधर राव
मधुबन बिटकॉइन का सामना करने वाली चुनौतियाँ में बीजेपी के प्रशिक्षण शिविर का समापन, कार्यकर्ताओं को मिला टास्क
कार्यकर्ताओं का अभिनंदन स्वीकार करते राष्ट्रीय प्रशिक्षण प्रमुख मुरलीधर राव
Giridih : गिरिडीह (Giridih) जिले में जैन समाज का विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल मधुबन के तलेटी तीर्थ भवन में चल रहे भाजपा के तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का 29 अगस्त को समापन हो गया. पार्टी संगठन के कई दिग्गज नेताओं ने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. अंतिम दिन सोमवार को राष्ट्रीय प्रशिक्षण प्रमुख मुरलीधर राव ने कहा कि बीजेपी सिद्धांतो पर चलने वाली पार्टी है. यह पार्टी कार्यकर्ता आधारित है. झारखंड में भाजपा हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है. इसके लिए उन्होंने कार्यकर्ताओं को जरूरी टास्क भी दिए
राव ने कहा कि समय-समय पर कार्यकर्ताओं का निर्माण और उनकी गणना की जाती है. बूथ, मंडल, जिला और प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर कार्यकर्ताओं की गणना होती है. पिछले दो वर्षो के दौरान पूरे देश स्तर पर आठ लाख कार्यकर्ताओं को पार्टी ने प्रशिक्षित किया है. जिला से लेकर राज्य स्तर पर पार्टी के प्रशिक्षण शिविर में पार्टी के सिद्धांतों, राष्टवाद, एकात्म मानवतावाद, अंत्योदय, भ्रष्टाचार मुक्त शासन और गरीब कल्याण पर विशेष तौर पर चर्चा होती है. उन्होंने बीजेपी शासित राज्यों में विकास कार्यों की उपलब्धि पर भी चर्चा की. कहा कि कार्यकर्ता जनता के बीच जाकर उनसे कैसे संवाद करें. शिविर में सभी विषयों को प्रभावी तरीके से रखा गया. पूर्व सांसद रवींद्र राय ने कहा कि कार्यकर्ता ही बीजेपी की पूंजी हैं. प्रशिक्षण प्राप्त करने से कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा का संचार होता है और वे दोगुना उत्साह के साथ क्षेत्र में काम करते हैं. इससे पार्टी मजबूत होती हैं.
अंतिम दिन बाबूलाल, दीपक प्रकाश भी हुए शामिल
शिविर के अंतिम दिन पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी, प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश, पूर्व मंत्री चंद्रमोहन प्रसाद, विधायक नवीन जायसवाल, जयप्रकाश भाई पटेल, प्रदेश प्रभारी दिलीप सैकिया, प्रदेश संगठन मंत्री कर्मवीर सिंह, महामंत्री बालमुकुंद सहाय, मनोज सिंह, केदार हाजरा, निर्भय शहाबादी, लक्ष्मण स्वर्णकार, अभयकांत सहाय, दिनेशानंद गोस्वामी, शुचिता सिंह, आरती कुजूर, मनीष जायसवाल, महादेव दुबे, अशोक उपाध्याय, चुन्नूकांत, विभाकर पांडेय, यदुनंदन पाठक, सुभाष चन्द्र सिन्हा, नवीन सिन्हा आदि मौजूद रहे.
रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग 2021 में समुद्री चुनौतियों से निपटने के लिए सहकारी प्रतिक्रिया का किया आह्वान
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नई दिल्ली। रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह द्वारा इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग 2021 में मुख्य भाषण मे कहा गया- भारत अपने समुद्री हितों की रक्षा के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है, जबकि यह नियम-आधारित समुद्री प्रणालियों के रखरखाव का समर्थन करता है, जैसा कि समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीएलओएस), 1982 के तहत अनिवार्य है।
इंडो-पैसिफिक रीजनल डायलॉग (आईपीआरडी) 2021 में मुख्य भाषण, वस्तुतः 27-29 अक्टूबर, 2021 से आयोजित किया जा रहा है। "भारत समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीएलओएस) में निर्धारित सभी देशों के अधिकारों का सम्मान करने के लिए प्रतिबद्ध है।
हम यूएनसीएलओएस, 1982 के तहत अनिवार्य रूप से नियम-आधारित समुद्री प्रणालियों के रखरखाव का समर्थन करते हुए, अपने क्षेत्रीय जल और विशेष आर्थिक क्षेत्र के संबंध में अपने देश के वैध अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए पूरी तरह से दृढ़ हैं, ”उन्होंने कहा।
प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी के इंडो-पैसिफिक को एक प्राकृतिक क्षेत्र के रूप में वर्णित करते हुए, जहां संस्थाओं की नियति आपस में जुड़ी हुई है, श्री राजनाथ सिंह ने कहा, समुद्र माल के परिवहन, विचारों के आदान-प्रदान, नवाचारों को उत्प्रेरित करने और दुनिया को करीब लाने में अपना योगदान दे रहे हैं।
उन्होंने कहा, "हालांकि हिंद-प्रशांत में विविधता की विशेषता है, जो संस्कृतियों, जातियों, आर्थिक मॉडलों, शासन प्रणालियों और विभिन्न आकांक्षाओं की बहुलता से चिह्नित है, महासागर एक सामान्य बंधन कड़ी बने हुए हैं। श्री राजनाथ सिंह ने समृद्धि के लिए एक स्थिर मार्ग को बनाए रखने के लिए क्षेत्र की समुद्री क्षमता के कुशल, सहकारी और सहयोगी दोहन की आवश्यकता पर जोर दिया।
रक्षा मंत्री ने कहा कि जहां समुद्र मानव जाति के भरण-पोषण और विकास के लिए प्रचुर अवसर प्रदान करते हैं, वहीं वे आतंकवाद, समुद्री डकैती, मादक पदार्थों की तस्करी और जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों का सामना करते हैं।
उन्होंने इन चुनौतियों के लिए एक सहकारी प्रतिक्रिया का आह्वान किया, जिसके बारे में उन्होंने कहा, जिसके काफी अंतर-राष्ट्रीय निहितार्थ हैं। उन्होंने कहा, "समुद्री मुद्दों पर हितों के अभिसरण और उद्देश्य की समानता खोजने की जरूरत है।"
श्री राजनाथ सिंह ने कहा, यह क्षेत्र के अतीत पर आधारित है, वर्तमान का आकलन करता है और फिर सिद्धांतों पर आता है कि भविष्य के लिए समुद्री रणनीतियों की नींव तैयार करेगा।
उन्होंने आशा व्यक्त की कि वार्ता हिंद-प्रशांत के लिए देश के साझा और सामूहिक दृष्टिकोण को आगे बढ़ाएगी। रक्षा मंत्री ने कहा, वह उन सिफारिशों की प्रतीक्षा कर रहे हैं जो विचार-विमर्श के परिणामस्वरूप प्राप्त होंगी।
पहली बार 2018 में आयोजित किया गया, आईपीआरडी भारतीय नौसेना का शीर्ष अंतरराष्ट्रीय वार्षिक सम्मेलन है और सामरिक स्तर पर नौसेना की भागीदारी का प्रमुख अभिव्यक्ति है।
नेशनल मैरीटाइम फाउंडेशन इस वार्षिक आयोजन के बिटकॉइन का सामना करने वाली चुनौतियाँ प्रत्येक संस्करण का नौसेना का ज्ञान भागीदार और मुख्य आयोजक है। प्रत्येक क्रमिक संस्करण का उद्देश्य इंडो-पैसिफिक के भीतर उत्पन्न होने वाले अवसरों और चुनौतियों दोनों की समीक्षा बिटकॉइन का सामना करने वाली चुनौतियाँ करना है।
- इंडो-पैसिफिक के भीतर विकसित समुद्री रणनीतियाँ: अभिसरण, विचलन, अपेक्षाएँ और आशंकाएँ।
- समुद्री सुरक्षा पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को संबोधित करने के लिए अनुकूली रणनीतियाँ।
- बंदरगाह के नेतृत्व वाली क्षेत्रीय समुद्री संपर्क और विकास रणनीतियाँ।
- सहकारी समुद्री डोमेन जागरूकता रणनीतियाँ।
- नियम-आधारित इंडो-पैसिफिक मैरीटाइम ऑर्डर पर कानून के बढ़ते सहारा का प्रभाव।
- क्षेत्रीय सार्वजनिक-निजी समुद्री भागीदारी को बढ़ावा देने की रणनीतियाँ।
- ऊर्जा-असुरक्षा और शमन रणनीतियाँ।
- समुद्र में मानव रहित मानवरहित पहेली को संबोधित करने की रणनीतियाँ।
इन उप-विषयों पर पैनल-चर्चा लगातार तीन दिनों में आठ सत्रों में फैली होगी, जिससे विभिन्न दृष्टिकोणों पर विचार करने की पर्याप्त गुंजाइश होगी। इसका उद्देश्य विचारों और विचारों के मुक्त प्रवाह को प्रोत्साहित करना है।
उद्घाटन सत्र के दौरान नौसेनाध्यक्ष एडमिरल करमबीर सिंह, पूर्व नौसेना प्रमुख और राष्ट्रीय समुद्री फाउंडेशन के अध्यक्ष एडमिरल सुनील लांबा (सेवानिवृत्त), विभिन्न देशों के डोमेन विशेषज्ञ और नीति निर्माता वस्तुतः उपस्थित थे।
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