आज से गोल्ड बॉन्ड में निवेश का है मौका; गोल्ड बॉन्ड में निवेश क्यों फायदेमंद?

आज से गोल्ड बॉन्ड में निवेश का है मौका और पूरे हफ्ते कर सकेंगे आवेदन. एक ग्राम गोल्ड बॉन्ड का भाव ₹5,409. इस सीरीज में निवेश करना कितना सही? गोल्ड बॉन्ड में निवेश करने का क्या है तरीका? ये निवेश क्यों फायदेमंद? गोल्ड बॉन्ड पर रिटर्न का पूरा गणित जानिए मृत्युंजय कुमार झा के साथ.

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जब शेयर मार्केट गिरता है तो कहां जाता है आपका पैसा? यहां समझिए इसका गणित

Share market: जब शेयर मार्केट डाउन होता है, तो निवेशकों का पैसा डूबकर किसके पास जाता है? क्या निवेशकों के नुकसान से किसी को मुनाफा होता है. आइए इसका जवाब बताते हैं.

  • शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है
  • अगर कंपनी अच्छा परफॉर्म करेगी तो उसके शेयर के दाम बढ़ेंगे
  • राजनीतिक घटनाओं का भी शेयर मार्केट पर पड़ता है असर

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जब शेयर मार्केट गिरता है तो कहां जाता है आपका पैसा? यहां समझिए इसका गणित

नई दिल्ली: आपने शेयर मार्केट (Share Market) से जुड़ी तमाम खबरें सुनी होंगी. जिसमें शेयर मार्केट में गिरावट और बढ़त जैसी खबरें आम हैं. लेकिन कभी आपने सोचा है कि जब शेयर मार्केट डाउन होता है, तो निवेशकों का पैसा डूबकर किसके पास जाता है? क्या निवेशकों के नुकसान से किसी को मुनाफा होता है. इस सवाल का जवाब है नहीं. आपको बता दें कि शेयर मार्केट में डूबा हुआ पैसा गायब हो जाता है. आइए इसको समझाते हैं.

कंपनी के भविष्य को परख कर करते हैं निवेश

आपको पता होगा कि कंपनी शेयर मार्केट में उतरती हैं. इन कंपनियों के शेयरों पर निवेशक पैसा लगाते हैं. कंपनी के भविष्य को परख कर ही निवेशक और विश्लेषक शेयरों में निवेश करते हैं. जब कोई कंपनी अच्छा प्रदर्शन करती है, तो उसके शेयरों को लोग ज्यादा खरीदते हैं और उसकी डिमांड बढ़ जाती है. ऐसे ही जब किसी कंपनी के बारे में ये अनुमान लगाया जाए कि भविष्य में उसका मुनाफा कम होगा, तो कंपनी के शेयर गिर जाते हैं.

डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है शेयर

शेयर मार्केट डिमांड और सप्लाई के फॉर्मूले पर काम करता है. लिहाजा दोनों ही परिस्‍थितियों में शेयरों का मूल्‍य घटता या बढ़ता जाता है. इस बात को ऐसे लसमझिए कि किसी कंपनी का शेयर आज 100 रुपये का Stock मार्किट का गणित क्या होता है है, लेकिन कल ये घट कर 80 रुपये का हो गया. ऐसे में निवेशक को सीधे तौर पर घाटा हुआ. वहीं जिसने 80 रुपये में शेयर खरीदा उसको भी कोई फायदा नहीं हुआ. लेकिन अगर फिर से ये शेयर 100 रुपये का हो जाता है, तब दूसरे निवेशक को फायदा होगा.

कैसे काम करता है शेयर बाजार

मान लीजिए किसी के पास एक अच्छा बिजनेस आइडिया है. लेकिन उसे जमीन पर उतारने के लिए पैसा नहीं है. वो किसी निवेशक के पास गया लेकिन बात नहीं बनी और ज्यादा पैसे की जरूरत है. ऐसे में एक कंपनी बनाई जाएगी. वो कंपनी सेबी से संपर्क कर शेयर बाजार में उतरने की बात करती है. कागजी कार्रवाई पूरा करती है और फिर शेयर बाजार का खेल शुरू होता है. शेयर बाजार में आने के लिए नई कंपनी होना जरूरी नहीं है. पुरानी कंपनियां भी शेयर बाजार में आ सकती हैं.

शेयर का मतलब हिस्सा है. इसका मतलब जो कंपनियां शेयर बाजार या स्टॉक मार्केट में लिस्टेड होती हैं उनकी हिस्सेदारी बंटी रहती है. स्टॉक मार्केट में आने के लिए सेबी, बीएसई और एनएसई (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) में रजिस्टर करवाना होता है. जिस कंपनी में कोई भी निवेशक शेयर खरीदता है वो उस कंपनी में हिस्सेदार हो जाता है. ये हिस्सेदारी खरीदे गए शेयरों की संख्या पर निर्भर करती है. शेयर खरीदने और बेचने का काम ब्रोकर्स यानी दलाल करते हैं. कंपनी और शेयरधारकों के बीच सबसे जरूरी कड़ी का काम ब्रोकर्स ही करते हैं.

निफ्टी और सेंसेक्स कैसे तय होते हैं?

इन दोनों सूचकाकों को तय करने वाला सबसे बड़ा फैक्टर है कंपनी का प्रदर्शन. अगर कंपनी अच्छा परफॉर्म करेगी तो लोग उसके शेयर खरीदना चाहेंगे और शेयर की मांग बढ़ने से उसके दाम बढ़ेंगे. अगर कंपनी का प्रदर्शन खराब रहेगा तो लोग शेयर बेचना शुरू कर देंगे और शेयर की कीमतें गिरने लगती हैं.

इसके अलावा कई दूसरी चीजें हैं जिनसे निफ्टी और सेंसेक्स पर असर पड़ता है. मसलन भारत जैसे कृषि प्रधान देश में बारिश अच्छी या खराब होने का असर भी शेयर मार्केट पर पड़ता है. खराब बारिश से बाजार में पैसा कम आएगा और मांग घटेगी. ऐसे में शेयर बाजार भी गिरता है. हर राजनीतिक घटना का असर भी शेयर बाजार पर पड़ता है. चीन और अमेरिका के कारोबारी युद्ध से लेकर ईरान-अमेरिका तनाव का असर भी शेयर बाजार पर पड़ता है. इन सब चीजों से व्यापार प्रभावित होते हैं.

Stock Investment: अच्छा निवेशक बनने के लिए जरूरी है पोर्टफोलियो की समझ, जानिए क्या है इसका गणित

आपका वित्तीय सलाहकार उस डाक्टर की तरह होता है जो कई टेस्ट और स्कैन करता है और ऐसी कई बीमारियां ढूंढ-ढूंढ के निकाल देता है जिन्हें अच्छे-खासे इलाज की जरूरत होती है। आपको ऐसा वित्तीय सलाहकार नहीं मिलेगा जो आपसे कहे कि आपके निवेश के साथ सबकुछ ठीक है।

धीरेंद्र कुमार, नई दिल्ली। ये हर किसी का अनुभव रहा है। आप एक डॉक्टर के पास जाते हैं तो वह डाइग्नोस करता है और कुछ जीवन-शैली पर आधारित सलाह देता है, जैसे- कसरत करना, खान-पान में सुधार करना, वगैरह। ये सुनकर अक्सर मरीज निराश हो जाते हैं। अब बात करते हैं एक दूसरे तरह के डाक्टर की जो, चार टेस्ट और एक स्कैन कराने के लिए कहता है, और ऊपर से कई महंगी दवाएं भी दे देता है।

असल दुनिया में जब मरीज को लगता है कि उसके साथ कुछ गड़बड़ है और कोई उसपर ध्यान नहीं दे रहा, तो स्वाभाविक होता है कि दूसरी तरह का डाक्टर ज्यादा पसंद किया जाता है। ये मानव स्वभाव है। हम अपनी सभी मुश्किलों के प्रति गंभीर होना चाहते हैं।

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मार्केट का दबाव

जब हमें लगता है कि हमारी परेशानियों को लेकर 'कुछ किया जा रहा है', तो हम महसूस करते हैं कि हमारा ख्याल रखा जा रहा है। बहुत से लोग तो जब पहले वाले डाक्टर के अनुभव से गुजरते हैं, तो वो उसे फीस देना भी पसंद नहीं करते, क्योंकि डाक्टर ने तो कुछ किया ही नहीं! नतीजा ये होता है कि मार्केट का दबाव, दोनों डाक्टरों को, दूसरी तरह का डाक्टर बनने की तरफ धकेलता है। क्योंकि डाक्टरी के पहले वाले माडल में न तो ज्यादा आर्थिक सफलता है और न ही ग्रोथ। इसके बावजूद कि पहले वाला डाक्टर ही आपको असली हेल्थकेयर सर्विस देता है।

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सुधारा जा सकता है पोर्टफोलियो

मेडिकल स्थिति और सलाह की यह पूरी गतिविधि पर्सनल फाइनेंस पर पूरी तरह से फिट बैठती है। मैंने खुद कई बार दोस्तों और परिवार के साथ निजी तौर पर इसका सामना किया है। जब भी कोई जानने वाला मुझे किसी निवेश सलाह के लिए आग्रह करता है तो मैं उनकी निवेश जरूरतों को देखता हूं। उस व्यक्ति की आर्थिक जरूरतों को सुनता हूं, और फिर उन्हें बताता हूं कि सबकुछ ठीक है। आप जो कर रहे हैं, उसे करते रहिए। कुछ नया करने की जरूरत नहीं है।

इसके बाद अक्सर, मैं उनके चेहरे पर निराशा के भाव देखता हूं। उन्हें लगता है कि मैं उन्हें सुन ही नहीं रहा था और मैंने उनकी जरूरत को गहराई से समझने की कोई कोशिश ही नहीं की है।उन्हें इस बात का यकीन होता है कि उनका पोर्टफोलियो सुधारा जा सकता है। मगर मुझे ही इस बात की फिक्र नहीं है।

ज्यादा पैसे चाहिए तो बचत कीजिए

कई बार तो इससे भी खराब स्थिति होती है। मैं देख सकता हूं कि वो अपने वित्तीय लक्ष्य हासिल नहीं कर पाएंगे, मगर उनके चुने निवेशों में कुछ भी गलत नहीं होता। सिवाए इसके कि उन्हें और ज्यादा निवेश करने की जरूरत होती है। लोगों को ज्यादा बचत और निवेश करना चाहिए। ये सलाह उन्हें नाराज कर Stock मार्किट का गणित क्या होता है देती है। उन्हें लगता है कि मुझे कोई परवाह ही नहीं है। पर बात सीधी है, अगर आपको ज्यादा पैसे चाहिए तो ज्यादा बचत कीजिए। इस मुश्किल से हर नेकनीयत वित्तीय सलाहकार सामना करता है।

असल में तो इसी मुश्किल का सामना एप्स और वेबसाइट के Stock मार्किट का गणित क्या होता है इन्वेस्टमेंट टूल्स भी करते हैं। इसका नतीजा होता है कि दूसरी तरह का डाक्टर फोकस में आ जाता है। और आपका वित्तीय सलाहकार उस डाक्टर की तरह होता है, जो कई टेस्ट और स्कैन करता है और ऐसी कई बीमारियां ढूंढ-ढूंढ के निकाल देता है जिन्हें अच्छे-खासे इलाज की जरूरत होती है। मिसाल के तौर पर, आपको बैंक या किसी बड़ी कंपनी का ऐसा वित्तीय सलाहकार कभी नहीं मिलेगा जो आपसे कहे कि आपके निवेश के साथ सबकुछ ठीक है, या बहुत थोड़े से सुधार की जरूरत है। क्योंकि इसमें कोई पैसा नहीं है।

निवेशक के लिए इंतजार करना जरूरी

हालांकि, हमें समझना चाहिए कि ये हमारे अपने स्वभाव में है कि कोई जितना ज्यादा काम करेगा, हमें लगेगा कि निवेश के लिए उतना ही ज्यादा अच्छा है। लगातार कुछ किए जाने का पूरा आइडिया असल में Stock मार्किट का गणित क्या होता है काफी भ्रम में डालने वाला है। जब मैं असल एक्टिविटी के बारे में सोचता हूं जिसे करते हुए निवेशक का ज्यादातर समय गुजरना चाहिए, तो वो है, कुछ नहीं। बशर्ते उन्होंने अपना पोर्टफोलियो अच्छी तरह से तैयार किया हो। ज्यादातर लोगों के लिए पूरे जीवन के निवेश के लिए उन्हें कुछ भी करने की जरूरत नहीं होनी चाहिए। निवेश का ज्यादातर काम इंतजार करने का है।

(लेखक वैल्यू रिसर्च आनलाइन डाट काम के सीईओ हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)

क्या होते हैं भंगार शेयर? सिर्फ सस्ती कीमत देखकर ना खरीदें, जानिए Penny Stocks का गणित

क्या होते हैं भंगार शेयर? सिर्फ सस्ती कीमत देखकर ना खरीदें, जानिए Penny Stocks का गणित

पेनी स्टॉक्स में सिर्फ उनकी सस्ती कीमत देखकर ही पैसा नहीं लगाना चाहिए. कंपनी के बारे में अच्छे से जानकारी ले लेनी चाहिए. पेनी स्टॉक बहुत से लोगों के पैसे डुबाने के लिए बदनाम हैं.

शेयर बाजार (Share Market) में जब भी कोई नया-नया निवेश (Investment) करना शुरू करता है, तो उसे पेनी स्टॉक (Penny Stocks) बहुत आकर्षक लगते हैं. लगें भी Stock मार्किट का गणित क्या होता है क्यों नहीं, ये शेयर बहुत सस्ते होते हैं और नए निवेशकों को लगता है कि वह अधिक शेयर खरीद सकते हैं. पेनी स्टॉक को भंगार शेयर या चवन्नी शेयर भी कहा जाता है. ये शेयर लोगों को तगड़ा रिटर्न देने के लिए तो जाने ही जाते हैं, बहुत से लोगों को बर्बाद तक करने के लिए पेनी स्टॉक बदनाम हैं. आइए जानते हैं इसके बारे में सब कुछ और समझते हैं इनमें निवेश (Investment in Penny Stocks) करना चाहिए या नहीं.

जानिए क्या होते हैं पेनी स्टॉक्स?

पेनी स्टॉक्स वह Stock मार्किट का गणित क्या होता है शेयर होते है, जिनकी कीमत बहुत ही कम होती है. अमूमन 10 रुपये से कम के शेयर को पेनी स्टॉक कहा जाता है. बहुत कम कीमत होने की वजह से ही इन शेयरों को भंगार शेयर या चवन्नी शेयर कहा जाता है. हालांकि, इन शेयरों में लिक्विडिटी काफी कम होती है, क्योंकि कीमत कम होने की वजह से लोग कम पैसों में बहुत अधिक शेयर खरीद लेते हैं.

पेनी स्टॉक में पैसे लगाने चाहिए या नहीं?

वैसे तो बहुत से लोग पेनी स्टॉक में सिर्फ उसकी सस्ती कीमत देखकर ही पैसा लगा देते हैं. अगर आप भी ऐसा सोचते हैं तो आपको ऐसा करने से नुकसान झेलना पड़ सकता है. पेनी स्टॉक में निवेश करना बहुत ही जोखिम का सौदा हो सकता है. पेनी स्टॉक्स में तगड़ा रिटर्न भी देखने को मिलता है, लेकिन इनमें ही तगड़ा नुकसान भी होता है. अगर आप किसी पेनी स्टॉक में निवेश करने की सोच रहे हैं तो आपको शेयर की कीमत या उसके रिटर्न को देखकर उसमें पैसे नहीं लगाने चाहिए. पेनी स्टॉक में पैसे लगाने से पहले कंपनी की अच्छे से फंडामेंटल एनालिसिस करें. पता करें कंपनी का बिजनस कैसा चल रहा है, उसका मैनेजमेंट कैसा है, उसके फ्यूचर प्लान क्या हैं, कंपनी पर Stock मार्किट का गणित क्या होता है कर्ज तो नहीं आदि. अगर सारी बातें सही हों तभी पेनी स्टॉक में पैसे लगाएं.

आसानी से ऑपरेट हो सकते हैं पेनी स्टॉक

पेनी स्टॉक में निवेश से पहले आपको ये समझना होगा कि किसी शेयर की कीमत क्यों बढ़ती है. जब किसी शेयर की मांग Stock मार्किट का गणित क्या होता है काफी बढ़ जाती है तो उसकी कीमत खुद-ब-खुद बढ़ने लगती है. पेनी स्टॉक्स की कीमत बहुत ही कम होने की वजह से कई बार इन्हें ऑपरेट करना आसान हो जाता है. बता दें कि हर्षद मेहता ने भी शुरुआत में पेनी स्टॉक्स को ऑपरेट Stock मार्किट का गणित क्या होता है कर के उनकी कीमत बढ़ाई थी और जब दाम अधिक हो गए तो उन्हें बेचकर मुनाफा कमा लिया. यानी अगर कंपनी के प्रमोटर्स ही शेयरों को भारी मात्रा में खरीदने लगें तो उनकी कीमत चढ़ने लगेगी. ऐसे में लोगों को लगेगा कि शेयर की वैल्यू बढ़ रही है, जबकि उसकी कीमत गलत तरीके से बढ़ाई जा रही होगी. ऐसी स्थिति में हमेशा रिटेल निवेशकों को नुकसान होता है. इसलिए पेनी स्टॉक में निवेश करते वक्त आपको अतिरिक्त सतर्कता बरतने की जरूरत होती है.

ऐसे पेनी स्टॉक में कभी ना लगाएं पैसे

अगर किसी पेनी स्टॉक में बार-बार अपर या लोअर सर्किट लगता है तो उससे बचकर ही रहें. ऐसे शेयर आपको तगड़ा रिटर्न तो Stock मार्किट का गणित क्या होता है दिखा देंगे, लेकिन लगातार सर्किट लगने की वजह से आप इन शेयरों में बेच नहीं पाएंगे, जिससे नुकसान होगा. अगर आपने किसी पेनी स्टॉक में पैसे लगाए हैं तो आपने जो टारगेट सेट किया है, वह हासिल होते ही शेयर से बाहर निकल जाएं. अगर ज्यादा लालच करेंगे तो हो सकता है आपने जो पैसे लगाए हैं उस पर रिटर्न के बजाय नुकसान होना शुरू हो जाए.

ये 3 तरह के लोग गलती से भी ना लगाएं म्यूचुअल फंड में पैसे, फायदा होना तो दूर की बात है, उल्टा पछताना पड़ेगा

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