विदेशी मुद्रा फोरम
न्यूनतम एक वर्ष विदेश में सतत रहने के बाद स्थायी रूप से लौट रहे अनिवासी भारतीयों, भारत में बैंकों में निवासी, विदेशी मुद्रा खाते खोल सकते हैं. जो एक साल से भी कम रहने के बाद लौट आए हैं, आरएफसी खाता खोलने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक से अनुमति प्राप्त करनी होगी.
किसी आरएफसी खाते में धारित फंड रिजर्व बैंक की मंजूरी के बिना विदेश में स्वतंत्र रूप से प्रेषित किये जा सकते हैं. भारत में भुगतान करने के लिए धन भी रुपए में निकाला जा सकता है . अगर बाद में कोई अप्रवासी भारतीय बनने के लिए विदेश चला जाता है तो उनके आरएफसी खाते के राशि को एनआरई / एफसीएनआर खाते में परिवर्तित किया जा सकता हैं.
अगर कोई व्यक्ति "निवासी लेकिन आमतौर पर निवासी न हो “, के रूप में लंबे समय तक स्थिति बनाये रखता है तो, जमा ब्याज पर टैक्स से छूट दी जाएगी. एनआरई/एफसीएनआर खातों और अन्य विदेशी मुद्रा विनिमय फंड वापसी के समय RFC डिपॉजिट में निवेश किया जा सकता है. इसी प्रकार उसकी विदेशों विदेशी मुद्रा फोरम में रखी संपत्ति की आय का भी निवासी विदेशी मुद्रा खाते में रखा जा सकता है.
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Foreign Exchange Reserves: लगातार सातवें सप्ताह विदेशी मुद्रा भंडार में आई गिरावट, दो सालों के न्यूनतम स्तर पर पहुंचा
Foreign Exchange Reserves: देश के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार सातवें सप्ताह गिरावट दर्ज की गई और यह दो साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया. 16 सितंबर को समाप्त सप्ताह में यह घटकर 545.652 बिलियन डॉलर रह गया.
Foreign Exchange Reserves: देश विदेशी मुद्रा फोरम के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट आ रही है. लगातार सातवें सप्ताह डॉलर रिजर्व में गिरावट दर्ज की गई और यह दो सालों के न्यूनतम स्तर पर फिसल गया. 16 सितंबर को समाप्त सप्ताह विदेशी मुद्रा फोरम में यह 5.219 बिलियन डॉलर घटकर 545.652 बिलियन डॉलर रह गया. भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. डॉलर में आ रही मजबूती के कारण रुपए को संभालने के लिए रिजर्व बैंक को डॉलर रिजर्व बेचना पड़ रहा है. यही वजह है कि फॉरन रिजर्व लगातार घट रहा है. इस साल अब तक रुपए में 8 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आ चुकी है.
डॉलर रिजर्व बेच रहा है रिजर्व बैंक
यूक्रेन क्राइसिस के बाद से रुपए पर भारी दबाव है. इस सप्ताह रुपया फिसल कर 81 के पार पहुंच गया. रुपए की गिरावट को कम करने के लिए आरबीआई डॉलर की बिक्री करता है. यही वजह है कि इमर्जिंग मार्केट्स की करेंसी में सबसे मजबूत प्रदर्शन इंडियन करेंसी का है. रिजर्व बैंक ने रुपए को समर्थन के लिए लिए सिर्फ जुलाई के महीने में 19 बिलियन डॉलर का रिजर्व बेचा. यह मार्च 2022 के बाद का सर्वोच्च विदेशी मुद्रा फोरम स्तर है. मार्च में आरबीआई ने 20.10 बिलियन डॉलर का रिजर्व बेचा था. इस साल अब तक 85 बिलियन डॉलर रिजर्व बेचा जा चुका है.
फॉरन करेंसी असेट्स में 4.69 बिलियन डॉलर की गिरावट
आरबीआई की तरफ से जारी साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार, विदेशी मुद्रा आस्तियों (Foreign Currency Assets) में गिरावट के कारण 16 सितंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आई है. एफसीए दरअसल समग्र भंडार का एक प्रमुख हिस्सा होता है. केंद्रीय बैंक ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान एफसीए 4.698 बिलियन डॉलर घटकर 484.901 बिलियन डॉलर रह गया. डॉलर के संदर्भ में एफसीए में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में वृद्धि या मूल्यह्रास का प्रभाव शामिल है.
गोल्ड रिजर्व में 46 करोड़ डॉलर की गिरावट
आंकड़ों के अनुसार, सोने के भंडार का मूल्य 45.8 करोड़ डॉलर घटकर 38.186 बिलियन डॉलर पर आ गया. इसके अलावा विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 3.2 करोड़ डॉलर की गिरावट के साथ 17.686 बिलियन डॉलर रह गया है. समीक्षाधीन सप्ताह में आईएमएफ के पास देश की आरक्षित निधि 3.1 करोड़ डॉलर घटकर 4.88 बिलियन अमेरिकी डॉलर रह गई.
81 के नीचे तक फिसला रुपया
आज सप्ताह के आखिरी दिन रुपया 19 पैसे गिरकर 80.98 रुपए प्रति डॉलर के सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ. अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में भारतीय रुपया डॉलर के आगे पहली बार 81 रुपए का स्तर भी पार कर गया. एक समय रुपया 81.23 के स्तर तक लुढ़क गया था.
इस सप्ताह 124 पैसे फिसला रुपया
हालांकि बाद में रुपए की स्थिति थोड़ी सुधरी और कारोबार के अंत में यह 80.98 रुपए प्रति डॉलर के भाव पर बंद हुआ. पिछले कारोबारी दिवस की तुलना में रुपए में 19 पैसे की बड़ी गिरावट दर्ज की गई. गुरुवार को रुपया एक ही दिन में 83 पैसे का गोता लगाते हुए 80.विदेशी मुद्रा फोरम 79 रुपए प्रति डॉलर के भाव पर रहा था. यह लगातार तीसरा दिन रहा जब अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपए में गिरावट देखी गई. इन तीन दिनों में रुपए की कीमत 124 पैसे प्रति डॉलर तक गिर चुकी है.
चिंता करने की जरूरत नहीं, भारत के पास विदेशी मुद्रा का पर्याप्त भंडार
विदेशी मुद्रा भंडार: आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने कहा, मौजूदा स्थिति पार पाने में सक्षम। भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 545.65 अरब डॉलर पर आ गया है। मार्च 2022 में यह 607.31 अरब डॉलर था।
आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने विदेशी मुद्रा भंडार में कमी को लेकर चिंता को खारिज करते हुए कहा कि इसे जरूरत से अधिक तूल दिया जा रहा है। मंगलवार को उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति से पार पाने के लिए देश के पास विदेशी मुद्रा का पर्याप्त भंडार है।
लगातार सातवें सप्ताह घटा
विदेशी मुद्रा भंडार लगातार सातवें सप्ताह घटा है और यह 16 सितंबर को समाप्त सप्ताह में कम होकर 545.65 अरब डॉलर पर आ गया, जबकि मार्च, 2022 में यह 607.31 अरब डॉलर था। सेठ ने कहा, विदेशी मुद्रा भंडार में कमी का कारण विदेशी मुद्रा प्रवाह में कमी और व्यापार घाटा बढ़ना है। मुझे नहीं लगता कि यह कोई चिंता वाली बात है। भारत के पास मौजूदा स्थिति से निपटने के लिए विदेशी मुद्रा का बड़ा भंडार है।
डॉलर के मुकाबले रुपया सोमवार को 81.67 के अबतक के सबसे निचले स्तर पर आ गया था। आर्थिक मामलों के सचिव ने कहा कि सरकार चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 6.4 प्रतिशत रखने के लक्ष्य पर कायम है और इसे हासिल किया जाएगा। सरकार ने बजट में 2022-23 में 14.31 लाख विदेशी मुद्रा फोरम करोड़ रुपये की बाजार उधारी का लक्ष्य रखा है। इसमें से 8.45 लाख करोड़ रुपये चालू विदेशी मुद्रा फोरम वित्त वर्ष की पहली छमाही अप्रैल-सितंबर में जुटाने का लक्ष्य है।
क्यों घट रहा मुद्रा भंडार
मुद्रा भंडार में कमी का एक प्रमुख कारण वैश्विक गतिविधियों की वजह से रुपये की विनिमय दर में गिरावट को थामने के लिए रिजर्व बैंक की तरफ से किया गया डॉलर का उपयोग है। इसके अलावा व्यापार घाटा में वृद्धि भी है। निर्यात और आयात के अंतर को व्यापार घाटा कहा जाता है।
अन्य मुद्राओं से कम टूटा रुपया
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा था कि वृहद आर्थिक बुनियाद मजबूत होने से रुपये की स्थिति बेहतर है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अन्य देशों की मुद्राओं में जिस दर से गिरावट आई है, वह भारतीय रुपये की तुलना में कहीं अधिक है। उल्लेखनीय है कि ब्रिटिश पाउंड डॉलर के मुकाबले टूटकर 40 साल के निचले स्तर पर चला गया है।
ऊंचे मुद्रा भंडार का क्या है फायदा
आयात के लिए खर्च और विदेशी कर्ज और उसका ब्याज चुकाने लिए सामान्यत: डॉलर की जरूरत होती है। इसके लिए किसी भी देश के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार जरूरी होता है। भारत कच्चे तेल का 80 फीसदी और खाद्य तेल का 60 फीदी आयात करता है। साथ ही जरूरी दवाओं और मशीनरी का भी आयात करता है। भारत का आयात खर्च प्रति माह करीब 40 अरब डॉलर है। जबकि विदेशी मुद्रा भंडार 545 अरब डॉलर है। ऐसे में भारत के पास करीब 14 माह के आयात खर्च के बराबर विदेशी मुद्रा भंडार है।
लगातार तीसरे हफ्ते बढ़ा विदेशी मुद्रा भंडार, 550 अरब डॉलर को किया पार
मुंबईः देश का विदेशी मुद्रा भंडार में 25 नवंबर को समाप्त सप्ताह के दौरान लगातार तीसरे हफ्ते बढ़त में रहा। सप्ताह के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार 2.9 अरब डॉलर बढ़कर 550.14 अरब डॉलर पर पहुंच गया। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, 18 नवंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 2.54 अरब डॉलर बढ़कर 547.25 अरब डॉलर पर पहुंच गया था। अगस्त, 2021 के बाद देश के विदेशी मुद्रा भंडार में इस सप्ताह सबसे तेज वृद्धि हुई है।
गौरतलब है कि अक्टूबर, 2021 में विदेशी मुद्रा भंडार 645 अरब डॉलर के सर्वकालिक उच्चस्तर पर पहुंच गया था। वैश्विक घटनाक्रमों के बीच केंद्रीय बैंक के रुपए की विनियम दर में तेज गिरावट को रोकने के लिए मुद्रा भंडार का उपयोग करने की विदेशी मुद्रा फोरम वजह से इसमें कमी आई है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि कुल मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा माने जाने वाली विदेशी मुद्रा आस्तियां (एफसीए) 25 नवंबर को समाप्त सप्ताह में तीन अरब डॉलर बढ़कर 484.28 अरब डॉलर हो गईं। इसके अलावा स्वर्ण भंडार का मूल्य आलोच्य सप्ताह में 7.3 करोड़ डॉलर की गिरावट के साथ 39.938 अरब डॉलर रह गया।
आंकड़ों के अनुसार, विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 2.5 करोड़ डॉलर घटकर 17.88 अरब डॉलर रह गया। आंकड़ों के अनुसार, समीक्षाधीन सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में रखा देश का मुद्रा भंडार भी 1.4 करोड़ डॉलर घटकर 5.03 अरब डॉलर रह गया।
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