कई कारोबारों में निवेश

निवेश में ट्राईवेस्ट वीएसएस से जुड़ जाता है। सीएचएम वेंचर्स के संस्थापक और एक बीपीओ उद्योग के दिग्गज, सीएम शर्मा जो अब कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हो चुके हैं, ने ट्राईवेस्ट और वीएसएस में निवेश किया है ताकि कारोबार में एक छोटे हिस्से का स्वामित्व बना रहे।

क्यूबीएसएस का मुख्यालय मैरिएट्टा, जॉर्जिया में है और यह उत्तरी अमेरिका में छोटे व मध्यम आकार के कारोबारों तथा उत्तरी अमेरिका और यूरोप में अंतरराष्ट्रीय उपक्रमों के ग्राहकों की सेवा करता है। इसकी स्थापना 2008 में हुई थी। कंपनी कई कारोबारों में निवेश बीपीओ सेवाओं के एकीकृत पोर्टफोलियो मुहैया कराती है। इनमें उद्योगों की विस्तृत रेंज के लिए अकाउंटिंग, फाइनेंस, बिलिंग, मानव संसाधन, पे रॉल, टैक्स, आईटी हेल्प डेस्क, तकनीकी सपोर्ट और अन्य बैक ऑफिस सेवाएं शामिल हैं।

क्यूबीएसएस की अनूठी क्षमताओं ने इसके ग्राहकों के लिए अपने कारोबारों में उत्कृष्ट प्रक्रियाएं और परिचालन सुधार महसूस करना संभव किया है। और यह सब परिचालन लागत कम करते हुए किया है। कंपनी के पास अच्छा-खासा अनुभव है जो मल्टी यूनिट रेस्त्रां सपोर्ट करता है और फ्रैंचाइज ऑपरेटर्स के लिए रीटेल परिचालन का है। इसके साथ ही मुनाफा न कमाने वाले संगठनों, अस्पतालों और अन्य कारोबारों के लिए भी है। क्यूबीएसएस के ग्राहक 750 से ज्यादा समर्पित कर्मचारियों और डिलीवरी सेंटर द्वारा समर्थित हैं। इसके कार्यालय अटलांटा, जॉर्जिया; शिकागो, इलिनोइस; सेंट पॉल, मिनेसोटा; और भारत में हैं।

क्यूबीएसएस क्विक सर्विस और फास्ट कैजुअल रेस्त्रां मार्केट जहां फ्रैंचाइज वाले कई रेस्त्रां ग्राहक हैं, समेत भिन्न उद्योगों में कंपनियों को सपोर्ट करने के लिए अपने सीवनहीन, एंड टू एंड बिलिंग सपोर्ट सेवाओं का निर्माण जारी रखे हुए हैं।

ट्राईवेस्ट में साझेदार, जेमी इलियास ने कहा, “क्यूबीएसएस के पहले से ही प्रभावशाली ऑर्गेनिक विकास को गति देने के लिए हम वीएसएस और सीएम शर्मा जैसे प्रतिभाशाली बीपीओ एक्जीक्यूटिव से साझेदारी करके उत्साहित हैं। इसके अलावा, वीएसएस के साथ मिलकर ट्राईवेस्ट सीएम शर्मा और क्यूबीएसएस सीनियर लीडरशिप टीम की सहायता करेगा और यह एक आक्रामक पर सोचे समझे ऐड ऑन अधिग्रहण प्रोग्राम से होगा जिसका मकसद आने वाले वर्षों में कंपनी के आकार और पैमाने का विस्तार होगा।”

वीएसएस के प्रबंध निदेशक पैट्रिक टर्नर ने कहा, “क्यूबीएसएस में वीएसएस के निवेश से निवेश और टेक्नालॉजी एनैबल्ड बीपीओ तथा ग्राहक संबंध वाले कारोबार के निर्माण में हमारी सुविज्ञता का पता चलता है।” उन्होंने आगे कहा, “अमेरिका में उद्योगों के विस्तृत रेंज के छोटे और मध्यम आकार के कारोबारियों के लिए क्यूबीएसएस पसंदीदा आउटसोर्सिंग पार्टनर है। कई कारोबारों में निवेश वहां इसकी ग्राहक संतुष्टि और उच्च टच सेवा ने इस योग्य बनाया है कि यह लगातार विश्व स्तर की कंपनियों को ग्राहक के रूप में हासिल कर रही है।”

क्वाट्ररो कई कारोबारों में निवेश बिजनेस सपोर्ट सर्विसेज के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, सीएम शर्मा ने कहा, “ट्राईवेस्ट और वीएसएस के साथ अपनी साझेदारी को लेकर हम उत्साहित हैं। इन दोनों के पास कारोबार बनाने का दशकों का अनुभव, लचीला पूंजी संसाधन और परिचालन योग्यता है जिससे क्यूबीएसएस जैसे तेजी से बढ़ते कारोबार को भी उद्योग में अग्रणी बनाया जा सकता है।” उन्होंने आगे कहा, “हम बाजार में अग्रणी, टेक्नालॉजी एनैबल्ड बीपीओ सेवाओं के अपने पूरे एकीकृत पोर्टफोलियो के साथ अपने ग्राहकों को उत्कृत्ट मूल्य देने पर केंद्रित हैं जो उन्हें बेहतर होने में मदद करता है।”

चीन का गैस पाइपलाइन, कॉल सेंटर सहित कई क्षेत्रों को विदेशी निवेश के लिये खोलने का वादा

विदेशी निवेश के मामले में चीन की एक नकारात्मक सूची है। इसमें स्पष्ट रूप से यह कहा गया है कि किन क्षेत्रों में विदेशी निवेश पर पूरी तरह रोक है और किन क्षेत्रों को नियमन के दायरे में रखा गया है।

China promises to ease foreign access to gas and call centers | चीन का गैस पाइपलाइन, कॉल सेंटर सहित कई क्षेत्रों को विदेशी निवेश के लिये खोलने का वादा

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चीन ने अब तक प्रतिबंधित कुछ नये क्षेत्रों को विदेशी निवेश के लिये खोलने का फैसला किया है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच शनिवार को हुई बैठक के एक दिन बाद चीन की सरकार ने यह घोषणा की है। चीन ने कहा है कि वह 30 जुलाई से कुछ नये क्षेत्रों में विदेशी निवेश पर प्रतिबंधों में ढील देगा अथवा उन्हें हटा लेगा। इनमें गैस पाइपलाइन, कॉल सेंटर और कुछ अन्य कारोबारों में विदेशी निवेश की अनुमति दिये जाने का निर्णय लिया गया है।

विदेशी निवेश के मामले में चीन की एक नकारात्मक सूची है। इसमें स्पष्ट रूप से यह कहा गया है कि किन क्षेत्रों में विदेशी निवेश पर पूरी तरह रोक है और किन क्षेत्रों को नियमन के दायरे में रखा गया है। वाणिज्य मंत्रालय और आर्थिक मामलों की योजना समिति एनडीआरसी के मुताबिक विदेशी निवेशकों की चीन में विभिन्न क्षेत्रों में प्रतिबंध होने की कई कारोबारों में निवेश वजह से अनुचित व्यवहार किये जाने की लंबे समय से शिकायत रही है। इनमें समुद्री परिवहन, गैस पाइपलाइन, सिनेमा, मनोरंजन और दूरसंचार सेवाओं को लेकर शिकायत रही है।

वाणिज्य मंत्रालय और एनडीआरसी ने कहा है कि 30 जुलाई से विदेशी निवेश के लिये नकारात्मक सूची में शामिल क्षेत्रों की संख्या मौजूदा 48 से घटकर 40 रह जायेगी। ओसाका, जापान में जी-20 शिखर सम्मेलन के मौके पर शनिवार को डोनाल्ड ट्रंप और शी चिनफिंग के बीच अलग से हुई बैठक के एक दिन बाद चीन ने यह घोषणा की है। इस बैठक में दोनों नेताओं ने व्यापार मुद्दों पर बातचीत फिर शुरू करने पर सहमति जताई।

अमेरिका और चीन पिछले कुछ समय से व्यापार युद्ध में उलझे हुये हैं। दोनों तरफ से एक दूसरे के 360 अरब डॉलर के व्यापार पर शुल्क लगाया गया है। डोनाल्ड ट्रंप यह मांग करते रहे हैं कि बीजिंग को संरचनात्मक सुधारों को लागू करना चाहिये जिसमें विदेशी कंपनियों को समान अवसर उपलब्ध कराने की गारंटी होनी चाहिये।

चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग ने इस महीने शुरू में भी वादा किया था कि वह गैर-चीनी उद्योगों के लिये देश के बाजार को खोलेंगे। उन्होंने कहा बेहतर अंतरराष्ट्रीय व्यावसायिक माहौल बनाने के लिये कुछ और क्षेत्रों में प्रवेश को सरल बनाया जायेगा। चीन ने मार्च में एक कानून को अपनाया है जिसका उद्देश्य ज्यादातर क्षेत्रों में विदेशी निवेशकों को भी वही अधिकार देना है जो कि चीन की कंपनियों को उपलब्ध हैं। इसमें ‘‘नकारात्मक सूची’’ को अलग रखा गया है।

अपनी पूंजी बिना जांच पड़ताल के किसी भी चिटफंड कंपनियों में निवेश ना करें

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दुर्ग 02 मार्च 2022 :- राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के मार्गदर्शन एवं राजेश श्रीवास्तव जिला न्यायाधीश /अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के मार्गदर्शन एवं निर्देशन में राहुल शर्मा सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के द्वारा विधिक जागरूकता शिविर के माध्यम से बताया गया कि पिछले कुछ सालों में चिटफंड कंपनियों से जुड़े कई मामले सामने आए हैं। लोग जल्द पैसा दो- तीन गुना करने के चक्कर में इन कंपनियों में निवेश करते हैं, लेकिन इसके बाद कंपनियां फरार हो जाती हैं। ऐसे कई कंपनियों के दफ्तर बंद हो गए। डायरेक्टर लापता हो गए। चिट फंड एक्ट-1982 के मुताबिक चिट फंड स्कीम का मतलब होता है कि कोई शख्स या लोगों का समूह एक साथ समझौता करे। इस समझौते में एक निश्चित रकम या कोई चीज एक तय वक्त पर किश्तों में जमा की जाए और तय वक्त पर उसकी नीलामी की जाए। जो फायदा हो बाकी लोगों में बांट दिया जाए ।

इसमें बोली लगाने वाले शख्स को पैसे लौटाने भी होते हैं। नियम के मुताबिक ये स्कीम किसी संस्था या फिर व्यक्ति के जरिए आपसी संबंधियों या फिर दोस्तों के बीच चलाया जा सकता है लेकिन अब चिट फंड के स्थान पर सामूहिक सार्वजनिक जमा या सामूहिक निवेश योजनाएं चलाई जा रही हैं। ये बरतें सावधानियां – निवेश से पहले किसी भी चिटफंड कंपनी के बारे में पूरा पता करें। सरकार ने चिटफंड के बारे में कुछ गाइडलाइन दे रखी उस पर जरूर नजर रखें। जब कभी आपको किसी चिट फण्ड कंपनी में पैसा लगाना हो तो सबसे पहले यह जांच करें कि जिस राज्य में वह कंपनी है क्या वह कंपनी उस राज्य के रजिस्ट्रार के पास रजिस्टर्ड है या नहीं, सेबी ने चेतावनी जारी कर कहा था कि वह न किसी स्कीम या शेयर में निवेश की सलाह देता है और न ही किसी स्कीम लेने की सिफारिश करता है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) और बीमा नियमन एवं विकास प्राधिकरण भी निवेशकों के लिए चेतावनी जारी करती रही है।

चिट फंड कंपनियां इस काम को मल्टी लेवल मार्केटिंग (एमएलएम) में तब्दील कर देती हैं। मल्टी लेवल मार्केटिंग में कंपनियां मोटे मुनाफे का लालच देकर लोगों से उनकी जमा पूंजी जमा करवाती हैं। साथ ही और लोगों को भी लाने के लिए कहती हैं । बाजार में फैले उनके एजेंट साल, महीने या फिर दिनों में जमा पैसे पर दोगुने या तिगुने मुनाफे का लालच देते हैं। कम समय में अमीर बनने की चाहत में लोग अपनी कमाई को चिट फंड कंपनियों और एजेंटों के हवाले कर देते कई कारोबारों में निवेश हैं ।चिट फंड कई साल से छोटे कारोबारों और गरीब लोगों के लिए पैसा लगाने का बड़ा स्रोत रहा है । भारत में चिट फंड का नियमन चिट फंड कानून 1982 के द्वारा होता है। इस कानून के तहत चिट फंड कारोबार का पंजीयन व नियमन संबद्ध राज्य सरकारें ही कर सकती हैं। चिट फंड एक्ट 1982 के धारा 61 के तहत चिट रजिस्ट्रार की नियुक्ति सरकार के द्वारा की जाती है। चिट फंड के मामलों में कार्रवाई और न्याय निर्धारण का अधिकार रजिस्ट्रार और राज्य सरकार का ही होता है।2009 में सत्यम कंप्यूटर घोटाला तो 2013 में शारदा घोटाला सामने आया। ये घोटाले करोड़ों नहीं, वरन हजार करोड़ रूपए तक के थे। शारदा घोटाले में तो 34 गुना तक फायदा निवेशकों को देने की लालच दिया गया था। इस समूह के द्वारा अनेक राज्यों के लगभग तीन सैकड़ा शहरों में अपनी शाखाएं खोलीं थीं, इसी तरह का एक घोटाला रोजवैली के नाम पर भी सामने आ चुका है । ऐसे में लोगों को जागरूक होने की बहुत आवश्यकता है कि वह अपने पूंजी बिना जांच पड़ताल के किसी भी चिटफंड कंपनियों में निवेश ना करे ।

SRS Group: दिल्ली-यूपी समेत कई राज्यों के निवेशकों में बंधी आस, CBI जांच से निकल सकता है हल

SRS Group: दिल्ली-यूपी समेत कई राज्यों के निवेशकों में बंधी आस, CBI जांच से निकल सकता है हल

नई दिल्ली [बिजेंद्र बंसल]। SRS Group: रियल एस्टेट, ज्वेलरी, सिनेमा सहित अन्य कारोबार से जुड़ी एसआरएस ग्रुप ऑफ कंपनीज के निदेशकों पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) के शिकंजे से निवेशकों की आस बंधी है। खासतौर पर उन निवेशकों की, जो तीन साल से चल रही स्थानीय पुलिस, प्रवर्तन निदेशालय की विभिन्न जांच के बाद भी निराश थे। असल में फरीदाबाद आधारित एसआरएस ग्रुप के निदेशक अपने विभिन्न कारोबारों के लिए बैंकों के अलावा पूंजीपतियों से उनका कालाधन भी बैंक से तीन गुने ब्याज पर लेते थे।

गौरतलब है कि 2015 तक एसआरएस में दिल्ली-एनसीआर सहित हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान सहित मुंबई तक के लोगों ने भी नकदी के रूप में निवेश किया। निदेशकों के इस दो रुपये प्रति सौ रुपये प्रति माह ब्याज के लालच में वे लोग भी कई कारोबारों में निवेश फंस गए थे जिन्होंने अपने खून-पसीने की मेहनत पूंजी एकत्र की थी। 25 नवंबर 2015 को एसआरएस ग्रुप के बारे में यह उजागर हो गया था कि अब ग्रुप की कई कारोबारों में निवेश आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, क्योंकि इस दिन से ग्रुप ने लोगों को जमा राशि और ब्याज राशि देने में आनकानी शुरू कर दी थी।

इस ग्रुप के चेयरमैन डॉ. अनिल जिंदल जो फिलहाल अपने अन्य साथी निदेशकों के साथ जेल में हैं, ने अपनी व्यवहार कुशलता से इस आनाकानी को इनकार में बदलने में करीब ढाई साल का समय लगा दिया। आखिर फरीदाबाद पुलिस ने 6 अप्रैल 2018 को डॉ.जिंदल उसके चार साथियों के साथ गिरफ्तार कर लिया गया। 54 एफआइआर पर प्रवर्तन निदेशालय ने की जांच एसआरएस ग्रुप ऑफ कंपनीज की धोखाधड़ी के खिलाफ पुलिस थानों में दर्ज 54 एफआइआर को आधार बनाकर प्रवर्तन (ईडी) ने विस्तृत जांच की।

गौरतलब है कि निदेशालय के उपनिदेशक जसमीत सिंह ने 220 पेज की रिपोर्ट में सिलसिलेवार एसआरएस में हुए घालमेल का सटीक ब्योरा तैयार किया। एसआरएस के निवेशक बताते हैं कि ईडी ने जांच के दौरान उन्हें परेशान नहीं किया, मगर स्थानीय पुलिस ने खूब पुलसिया अंदाज दिखाया। इन जांच के बाद भी जब निवेशकों को कुछ नहीं मिला तो उनकी आस टूट गई। अब सीबीआइ ने 14 जुलाई को जब केनरा बैंक के महाप्रबंधक की शिकायत पर एफआइआर दर्ज कर 135.15 करोड़ रुपये की जांच शुरू की है तो इन निवेशकों की आस एक बार फिर बंधी है। सीबीआइ बृहस्पतिवार दिल्ली, फरीदाबाद, बेंगलुरू में एसआरएस निदेशकों के यहां नौ जगह एक साथ छापेमारी भी की है।

बेहतर रिटर्न के लिए म्‍युचुअल फंडों के जरिये करें शेयरों में निवेश, जानें इसके फायदे और नुकसान

सबसे पहले तो इस पर विचार करते हैं कि किसी को ग्लोबल इक्विटीज यानी वैश्विक शेयर बाजार में निवेश क्यों करना चाहिए? एक भारतीय उपभोक्ता के रूप में हम कई तरह की उच्च गुणवत्ता वाली वस्तुओं और सेवाओं तक पहुंच का फायदा उठा रहे हैं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| नई दिल्‍ली, सबसे पहले तो इस पर विचार करते हैं कि किसी को ग्लोबल इक्विटीज यानी वैश्विक शेयर बाजार में निवेश क्यों करना चाहिए? एक भारतीय उपभोक्ता के रूप में हम कई तरह की उच्च गुणवत्ता वाली वस्तुओं और सेवाओं तक पहुंच कई कारोबारों में निवेश का फायदा उठा रहे हैं जो भारत से बाहर उत्पादित होती हैं, चाहे वह मोबाइल फोन हो या लग्जरी कार। वैश्विक स्तर पर देखें तो बहुत तरह के इनोवेशन या नवाचार हो रहे हैं जो कि हमारे दिन-प्रतिदिन के जीवन पर असर डाल रहे हैं, विभिन्न तरह के उद्योगों में आमूल बदलाव करने वाले। और इन सबका निवेश के लिहाज से भी निहितार्थ होता है। इस समय की बात करें तो भारतीय शेयर बाजार में बहुत कम इनोवेटर सूचीबद्ध है।

भारत भले ही पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हो, लेकिन हमारे यहां की बाजार पूंजी करीब 2.1 ट्रिलियन (लाख करोड़) डॉलर ही है, जबकि बाकी दुनिया की बाजार पूंजी 90 ट्रिलियन डॉलर के करीब है। तो आप यदि भारत से बाहर वैश्विक बाजारों में निवेश नहीं करते हैं, तो इसका मतलब यह है कि आप उस अवसर को नजरअंदाज कर रहे हैं जो करीब 43 गुना ज्यादा है। निवेश के साथ जोखिम जुड़ा होता है और इस जोखिम को खत्म नहीं किया जा सकता, लेकिन डायवर्सिफिकेशन यानी विविधीकरण के द्वारा कम जरूर किया जा सकता है। सभी तरह के एसेट (परिसंपत्ति) में निवेश का विविधीकरण करना और किसी एक एसेट में भी विविधीकरण करना जोखिम के प्रबंधन का मूल है।

ग्लोबल फंडों/शेयरों में निवेश से आपको रुपये के अवमूल्यन का फायदा उठाने में भी मदद मिलती है। पिछले 35 साल में रुपया हर साल औसतन 6 फीसदी अवमूल्यित हुआ है। तो यदि आप अपने बेटियों या बेटों को अगले कुछ वर्षों में विदेश में पढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं तो आपको बढ़ती फीस और रुपये के अवमूल्यन की वजह से ज्यादा रकम चुकानी पड़ सकती है।

वैश्विक शेयर बाजारों में निवेश भारतीय निवेशकों के लिए तुलनात्मक रूप से नई बात है। यह यात्रा लगभग उसी तरह से है जैसे निवेशक इक्विटी म्‍युचुअल फंडों में निवेश करता है। अब हमारे देश में निवेशकों का ऐसा वर्ग है जिन्होंने कई चक्र में निवेश किया है और एक अवधारणा के रूप में म्‍युचुअल फंडों के साथ सहज हैं। वे अब सामान्य संवाद से आगे बढ़ रहे हैं और अपने सलाहकारों से ऐसी रणनीतियों पर बात करने लगे हैं कि इक्विटी और डेट से भी आगे किस तरह से पोर्टफोलियो में विविधता लाई जाए, एक एसेट वर्ग के रूप में किस तरह से करेंसी का फायदा उठाया जाए और ऐसे वैश्विक कारोबारों में कैसे हिस्सेदारी ली जाए जिनका भारतीय स्टॉक एक्सचेंजों में प्रतिनिधित्व नहीं है। अब ज्यादा लोग इस तथ्य को स्वीकार करने लगे हैं कि बाजारों में उतार-चढ़ाव का स्रोत दुनिया में कहीं से भी हो सकता है और आगे के लिए एकमात्र रास्ता यही है कि अपने पोर्टफोलियो का जितना संभव हो सके उतने एसेट वर्ग में विविधीकरण किया जाए। इसी वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निवेश का आकर्षण बढ़ रहा है।

आइए अब म्‍युचुअल फंडों के द्वारा वैश्विक इक्विटीज यानी शेयरों में निवेश के नफा-नुकसान पर बात करते हैं। निवेशकों के सामने दो विकल्प होते हैं। 1- सीधे वैश्विक इक्विटीज में निवेश करना। 2-म्‍युचुअल फंडों में निवेश करना। कई कारोबारों में निवेश सीधे वैश्विक शेयरों में निवेश करने के कई फायदे हैं जैसे निवेशक अपनी समझ, सुविधा और सूझबूझ के मुताबिक कुछ चुनींदा शेयरों के पोर्टफोलियो पर अपना ध्यान केंद्रित रख सकता है (एक शेयर से लेकर 10 शेयरों तक)। उसका इसमें पूरा नियंत्रण होता है और यह एक आसान विकल्प लग रहा है। लेकिन इसीलिए यह किसी मंझे हुए निवेशक ही लिए ही है जिसके पास पर्याप्त संसाधन और समय हो।

इसके अलावा, उसके पास ऐसी क्षमताएं होनी चाहिए कि वह ऐसी वैश्विक घटनाओं को पहचान सके और उन पर नजर रख सके जो उसके शेयरों पर असर डाल सकती हैं, ऐसे निवेशक के पास अनुपालन और नियामक मसलों से भी निपटने की क्षमता होनी चाहिए। उदाहरण के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) के शेड्यूल एफए में निवेशकों को अपने पास रहने वाले विदेशी एसेट का विस्तृत ब्योरा देना अनिवार्य होता है। इसी तरह, लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) के तहत प्रति व्यक्ति के सालाना 2.5 लाख डॉलर ही भेजने की सीमा तय है।

इनके साथ घरेलू फंड जैसा ही बर्ताव होता हैः इन फंडों में निवेश को उसी तरह से देखा जाता कई कारोबारों में निवेश है जैसा किसी घरेलू फंड में निवेश करना। इनके लिए कोई अतिरिक्त नियम-कायदा नहीं है, जैसा कि शेयरों में निवेश के मामले में होता है।

इन पर लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) लागू नहीं होता।

इन फंडों का प्रबंधन विशेषज्ञों के द्वारा होता हैः इनका प्रबंधन पेशेवर फंड मैनेजर करते हैं जिनके पास शेयरों और पोर्टफोलियो की पहचान, विश्लेषण और उन पर निगरानी रखने की विशेषता, टेक्नोलॉजी और वैश्विक पहुंच होती है।

विविधीकरणः आमतौर पर म्‍युचुअल फंडों में कई देशों और विभिन्न तरह के उद्योगों से जुड़े कई शेयर होते हैं (एक्टिव फंडों की बात करें तो यह संख्या 30 से 50 शेयरों की होती है), जिनके द्वारा भौगोलिक क्षेत्रों, सेक्टर और मुद्रा की विविधता हासिल होती है।

हालांकि, म्‍युचुअल फंडों के द्वारा निवेश के कई नुकसान भी हैं, जैसे-लागू एनएवी एक दिन बाद आता है, मुद्रा का जोखिम होता है, तीन साल से कम रखने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लग जाता है।

कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि छोटे निवेशकों के लिए म्‍युचुअल फंडों के द्वारा वैश्विक शेयरों में निवेश करना, सीधे शेयरों में निवेश करने से बेहतर होता है। ज्यादा सलाहकार पहली बार इक्विटी में निवेश करने वाले निवेशकों को डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड्स में निवेश करने की सलाह देते हैं। इनमें उन फंडों को पहला विकल्प रखना चाहिए जो कि दुनिया भर में निवेश करते हैं। इसी तरह समझदार हाई नेटवर्थ वाले यानी बड़े निवेशक, जिनके पास पर्याप्त संसाधन हैं और जो सभी तरह की रिपोर्टिंग और रिसर्च को हासिल कर सकते हैं, वे रुपये के प्रभुत्व वाले ग्लोबल फंडों के साथ ही सीधे शेयरों में निवेश कर सकते हैं या अन्य इक्विटी विकल्पों में जो LRS के मुताबिक उनके लिए उपलब्ध हो।

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